वक्फ संशोधन बिल 2024: मुस्लिम समुदाय की संपत्ति पर सरकार की नजर?
वक्फ संशोधन बिल 2024 लोकसभा में पेश कर दिया गया इसका नाम है यूनिफाइड वक्फ मैनेजमेंट एंपावरमेंट एफिशिएंसी एंड डेवलपमेंट बिल इसे उम्मीद कहा जा रहा है संक्षेप में अब इस विधेयक से पास होने के बाद कानून से किसकी उम्मीद पूरी होगी और किसकी उम्मीदों पर पानी फिर जाएगा आप सब आने वाले समय में देख लेंगे अल्पसंख्यक मामलों के म मंत्री किरण रिजीजू उत्साह में बोल रहे थे लेकिन जो तर्क दे रहे थे उसी से आशंकाएं भी गहरा रही थी कि आने वाले दिनों में सरकार वक्फ संपत्ति से क्या करने जा रही है दुनिया में सबसे ज्यादा वक्फ प्रॉपर्टी हिंदुस्तान में है सिर्फ हमारे देश में ही नहीं दुनिया का सबसे बड़ा और सबसे ज्यादा वक्त प्रॉपर्टी हिंदुस्तान में है तो फिर ये क्यों है 60 साल तक आप सरकार में रहे हैं हमारे देश में मुसलमान इतना गरीब क्यों है जब दुनिया का सबसे ज्यादा वक्त प्रॉपर्टी हमारे देश में है तो हमारा गरीब मुसलमानों का पढ़ाई के लिए मेडिकल ट्रीटमेंट के लिए स्किलिंग के लिए इनकम जनरेशन के लिए क्यों काम नहीं हुआ आज तक बताइए यह दुनिया का सबसे बड़ा व प्रॉपर्टी अगर हिंदुस्तान में है तो उस प्रॉपर्टी से गरीबों का उठान के लिए लोगों का भला के लिए अगर यह सरकार नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में गरीब मुसलमानों के लिए काम कर र है तो इसमें आपत्ति क्यों होना चाहिए आप लोग बताइए यह एक ऐसा तर्क है जो किरण रिजीजू इस तरह का जोशीला भाषण दे सकते हैं मठों और मंदिरों की जमीन को लेकर आए दिन कब्जा और कब्जे को लेकर मर्डर की खबरें आती रहती हैं गोली बम सब चल जाता है उनके प्रबंधन को लेकर कोई बेचैनी नहीं लोकसभा में वक्फ संशोधन बिल उम्मीद पेश करते हुए किरण रिजीजू की यह दलील चिंता में डालने वाली है 20 करोड़ आबादी की जिम्मेदारी आप कहीं उसकी वक्फ की हुई संपत्ति पर तो नहीं डालना चाहते हैं साफ पता चलता है कि वक्त के पास लाखों करोड़ एकड़ की जमीन पर किस तरह से नजर गड़ा जा चुकी है और अब गरीबी दूर करने के नाम पर इन संपत्तियों का क्या होने जा रहा है बताने की जरूरत नहीं हम इस बिल के प्रावधानों और आपत्तियों की बातें करेंगे लेकिन जरूरी है कि आप इसके बैकग्राउंड को थोड़ा समझ ले आज की राजनीति में मुसलमानों को जरा देख लें जिनकी गरीबी दूर करने के लिए मोदी सरकार एक कानून को लेकर इतने जोश में आ गई है
वक्फ संपत्ति क्या है और क्यों है विवाद?
जिस देश में सड़क पर नमाज पढ़ने के नाम पर दिन रात मुसलमानों को अपमानित किया जाता है मुसलमानों के पासपोर्ट रद्द कर देने की बात अवसर करत है गौरक्षा की अफवाह फैलाकर कोई गरीब मुसलमान मार दिया जाता है किसी मुसलमान का नाम किसी मामले में आने भर से बुलडोजर से उसका घर गिरा दिया जाता है सुप्रीम कोर्ट के रोकने के बाद भी गिराया जाता है शाकाहार और व्रत के नाम पर उनकी दुकानें बंद करा दी जाती हैं हाउसिंग सोसाइटी में मुसलमानों को किराए पर फ्लैट नहीं दिया जाता खरीदना भी चाहे तो एकजुट होकर रोक दिया जाता है उनकी इबादत गाओं पर हर दिन नए-नए दावे किए जाते हैं सरकार कभी बोलती तक नहीं रोकती तक नहीं बल्कि उसके लोग बयान दे देकर उकसा रहते हैं उस देश में मुसलमानों की भलाई के लिए वक्फ संशोधन बिल पेश किया गया है इस बिल को लेकर जिस किसी को भी यह भरोसा था कि नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू इसका विरोध करेंगे वह राजनीति में बहुत मासूम है दोनों को समर्थन करना ही था जो नीतीश कुमार 20 साल तक मुख्यमंत्री रहने के बाद खुद बिहार में भूमि सुधार लागू नहीं कर पाए वादा किया था कि भूमि सुधार करेंगे बंधोपाध्याय कमेटी बनाई गई 2008 में इसकी रिपोर्ट आ गई लेकिन नीतीश कुमार खुद भूमि सुधार कर भूमिहीन किसानों का भला करना भूल गए अब यही नीतीश कुमार और उनकी पार्टी के सांसद मुसलमानों का भला करने के लिए वक्फ बिल का समर्थन कर रहे हैं नीतीश कुमार की सेहत कैसी है कब किसका पांव छू दें गले मिल जाएं और राष्ट्रगान के समय हंसने लग जाएं किसी को पता नहीं लेकिन अब वे वक्फ बिल का समर्थन कर रहे हैं पीछे कैसे चीजें मैनेज हो रही हैं वह ना आप जान पाएंगे ना आगे भी पता चलेगा बिहार के सात बड़े मुस्लिम संगठनों ने पत्र लिखकर वक्फ का विरोध करने के लिए कहा मगर नीतीश कुमार ने नहीं कहा यह बहुत जरूरी बात बता रहा हूं बीजेपी और जेडीयू केवल मुसलमानों का ही भला क्यों करना चाहती है बिहार में बंधोपाध्याय कमेटी रिपोर्ट तैयार है उसे लागू कर बिहार के करोड़ों भूमिहीनों का भला क्यों नहीं करना चाहती है क्या वे अपनी गरीबी दूर करने का इंतजार नहीं करते अगर में भूमि सुधार लागू हो गया तो नीतीश कुमार के आसपास दिखने वाले तमाम सवर्ण नेता उसी वक्त उनके खिलाफ हो जाएंगे
सरकार का दावा: "गरीब मुसलमानों की मदद
2009 के चुनाव में नीतीश कुमार को बाकायदा बयान देना पड़ा कि आपकी जमीन सुरक्षित है यहां आपकी जमीन किसकी जमीन है सवर्णों की जमीन है नीतीश कुमार ने कहा था कि हम बटाईदार किसानों को नहीं बांटने जा रहे हैं आश्वस्त रहिए वही नीतीश कुमार मुसलमानों की भलाई के लिए वक्फ बिल का समर्थन कर रहे हैं अब आते हैं आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू पर इन्होंने भरोसा दिया था कि उनकी सरकार वक्फ की संपत्ति की रक्षा करेगी लेकिन अब उनकी पार्टी भी वक्फ संशोधन बिल पर केंद्र सरकार का साथ देगी लेकिन यह कोई चौकाने वाली बात नहीं 20 मार्च की खबर टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी है आंध्र प्रदेश के अल्पसंख्यक मंत्री का बयान है कि अलग-अलग लोगों ने वक्फ की 14000 एकड़ जमीन पर कब्जा कर लिया है वे सिर्फ इतना बता दें अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री कि इन जमीनों पर कब्जा कब खत्म होगा या कब्जा उल्टा बहाल कर दिया जाएगा वक्फ की जमीन को कब्जा मुक्त कराने के लिए अभी कौन सा कानून उन्हें रोक रहा है आईपीएस अफसर अब्दुल रहमान ने अपनी किताब डिनायल एंड डिप्रिवेशन के पेज नंबर 340 पर लिखा है कि पिछली बार मुख्यमंत्री रहते हुए चंद्रबाबू नायडू ने शमशाबाद में दरगाह पहाड़े शरीफ की वक्फ की 1100 एकड़ जमीन एयरपोर्ट डेवलपमेंट अथॉरिटी ऑफ इंडिया को दे दी क्या इसके लिए राज्य वक्फ बोर्ड से मंजूरी ली गई क्या जमीन की कीमत के बदले वक्फ बोर्ड को मुआवजा दिया गया खुद केंद्र सरकार ने संसद में बताया है कि वक्फ की करीब 59000 संपत्तियों पर कब्जे का खतरा मंडरा रहा है नवंबर 20224 में किरण रिजीज ने बीजेपी के सांसद बासवा राज बबई के सवाल के जवाब में लिखित उत्तर में यह जानकारी दी तो कब्जा मुक्त कराने की जिम्मेदारी किसकी है किसने रोका है ऐसा करने से 1976 में इंदिरा गांधी ने तो सभी मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखा था कि वक्फ की जमीन पर सरकार का कब्जा ठीक नहीं सरकार कब्जा छोड़े जमीन का दाम दे या किराया दे तीन बातें करें एक साल से वक्फ बिल की बात चल रही है किसी बीजेपी की सरकार ने वक्फ की जमीन से सरकारी कब्जा छुड़ाने की क्या कोई भी पहल की है क्या आप नहीं जानते कि वक्फ की जमीन पर सरकारों ने भी खूब कब्जा किया है किसी तरह मैनेज कर सस्ती दरों पर हथियारा भी है कुम हमारा क्या कारोबार की जगह है और फिर उसका कौन नापेगा कैसे लाएगा और फिर हमारे माननीय मंत्री जी कह रहे हैं कि जमीन चाहे वह रेलवे की हो चाहे वह डिफेंस की हो वो भारत की जमीन है मैं भी स्वीकार करता हूं कि रेलवे की जमीन भी भारत की है डिफेंस की भी जमीन भारत की है क्या डिफेंस की जमीन नहीं बेची जा रही मंत्री जी अध्यक्ष महोदय क्या रेलवे की म जमीने नहीं बेची जा रही है अध्यक्ष महोदय केवल यहां तक नहीं कितना हस्तक्षेप होता है
आशंका: क्या सरकार वक्फ जमीन पर कब्जा चाहती है?
भारत के इसीलिए तो कहीं कहीं वफ की जमीन से अध्यक्ष महोदय माननीय मंत्री जी बताएं और मुझे उम्मीद है कि जब जवाब देंगे तो बताएंगे कि वफ की जमीन से बड़ा मुद्दा वो जमीन है जिस पर चीन ने अपने गांव बसा लिए हैं लेकिन कोई बाहरी खतरे पर सवाल बवाल ना करे इसलिए ये बिल लाया जा रहा है और माननीय मंत्री जहां से आते हैं जिस प्रदेश से आते हैं कम से कम यह तो बताएंगे कि वहां कितने चीन ने गांव बसा लिए घर बन गए वक्फ संशोधन बिल के पीछे भी बहाना वही भ्रष्टाचार है इसी के नाम पर लोकपाल लाया गया जो इस वक्त बोझ बन चुका है भ्रष्टाचार के नाम पर नोटबंदी लाई गई लेकिन भ्रष्टाचार दूर नहीं हुआ नोटबंदी से भी गरीबी दूर करने की बात की जा रही थी लेकिन गरीबी दूर नहीं हुई भ्रष्टाचार दूर करने के नाम पर विपक्ष के यहां ईडी के छापे पड़े और लोकतंत्र का गला घोट दिया गया व बोर्ड में भ्रष्टाचार रहा है आधे अधूरे तरीके से काम भी हुआ है लेकिन इस खेल में वक्फ बोर्ड के अलावा सरकार के लोग भी शामिल रहे हैं सचर कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि वक्फ संपत्तियों पर अतिक्रमण केवल निजी व्यक्तियों द्वारा नहीं किया जाता बल्कि समिति ने यह भी देखा है कि देश भर में सरकार और उनके विभाग इन्हें अधिग्रहित कर लेते हैं जब सरकार ऐसा करती है तो इससे प्राइवेट पार्टियों का भी हौसला बढ़ता है सरकार के अलावा लोगों ने भी कब्जा किया और इसे लेकर कोर्ट में मुकदमे भी चल रहे हैं लेकिन नए संशोधन बिल से क्या मुकदमे कम हो जाएंगे भारत में अभी कौन सा ऐसा कानून बन गया है जरा बताइए जिससे मुकदमे कम हो जाते हैं कोर्ट से जीत जाने के बाद भी वक्फ की संपत्ति वापस नहीं की जाती है पब्लिक प्रीमाइ एक्ट 1971 के तहत जमीन पर कब्जा करना अपराध है 2010 में संयुक्त संसदीय समिति दल का सुझाव था कि वक्फ की संपत्ति को इसके दायरे में लाया जाए ताकि कब्जा करने वालों के खिलाफ कारवाई हो कितनी राज्य सरकारों ने ऐसा किया ज्यादात सरकारों ने नहीं किया क्योंकि कब्जा करने वालों में हड़पने वालों में खुद सरकार भी शामिल रही है वक्फ संशोधन बिल पेश करते समय किरण रिजिजू ने जोर देकर कहा कि जो संपत्ति पहले से पंजीकृत है उस पर नया कानून लागू नहीं होगा लेकिन इसमें एक शर्त है अगर वह विवादित नहीं है तब यह साफ नहीं हुआ कि अगर कोई उस पुरानी संपति को लेकर विवाद खड़ा कर देगा तो कौन सा कानून लागू होगा नए-नए दावे होंगे कलेक्टर रोज सुनवाई करेगा फैसला करेगा
क्या मुस्लिम संगठनों ने विरोध किया?
और एक समुदाय को बेचैनियों में लगातार जकड़ा जाएगा 1991 में उपासना स्थल कानून आया कि 15 अगस्त 1947 तक किसी भी धार्मिक स्थल की जो स्थिति रही है वही रहेगी लेकिन अब इसे भी अलग दरवाजे से चुनौती दी जा रही है इस कानून के होते हुए पूर्व चीफ जस्टिस डी वाई चंद्र चुड़ ने ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वे का काम नहीं रोका ज्ञानवापी के सर्वे के आदेश देते हुए चंद्रचूड़ ने कहा कि अगर उपासना स्थल में परिवर्तन करने की चेष्टा ना हो तो यह कानून 15 अगस्त 1947 के दिन किसी उपासना स्थल के स्टेटस की जांच करने से मना नहीं करता सुप्रीम कोर्ट में इस एक्ट को लेकर सुनवाई चल रही है अगर इसमें रियायत दे दी गई तो देश में हर जिले में संभल की तरह मस्जिदों के नीचे मंदिर खोजे जाने की अंतहीन राजनीति शुरू होगी और आपके बच्चे लंबे समय तक इसी में उलझे रहेंगे क्या बीजेपी खुद 1991 के इस कानून को पूरी तरह स्वीकार करती है इस तरह के मामले में वीडियो को लंबा होना ही होगा इसे आप रील बनाकर नहीं समझा सकते जब भी मामला जमीन का हो हमेशा संदेह करना चाहिए सवाल करना चाहिए जिस देश में सरकार जमीन का सर्वे नहीं करा पाती है कि जनता कहीं नाराज ना हो जाए उस देश में अचानक मुसलमानों की अपनी जमीन या संपत्ति से वक्फ की हुई जमीन को लेकर इतनी बेचैनी क्यों है उनका भला करने के लिए कृषि कानूनों को भी तो किसानों की भलाई के नाम पर लाया गया मगर किसान तुरंत खेल समझ गए 2 साल तक सड़क पर रहे जब तक एकजुट रहे कृषि कानूनों का दोबारा नाम इस सरकार ने नहीं लिया और जब बिखर गए तो उन्हें आंदोलन स्थल से उजाड़ दिया गया कृषि कानून के समय भी सरकार यही सब दावा करती थी नए-नए किसान नेता खड़े कर देती थी जो कृषि कानून का समर्थन करने लग जाते थे जब पूछा जाता था कि कृषि कानून बनाने से पहले किस किसान संगठन और नेता से बात की गई तो सरकार नए-नए किसान संगठनों के नेताओं को सा लाती थी अब उसी पैटर्न पर किरण रिजीजू सदन में दावा कर रहे हैं कि मुसलमान भी बड़ी संख्या में केंद्र सरकार के बनाए वक्फ बिल का समर्थन कर रहे हैं मुस्लिम डेलिगेशन मेरे घर में आ रहे हैं स्वागत कर रहे इस बिल को उसका भी नजारा आप लोग देख लीजिए आपका सोच बदल जाएगा आपको नहीं मालूम मुसलमानों में कितना भयंकर समर्थन कर रहा है इस बिल को लेकर के आप लोग को मालूम ही नहीं है करंट अंदर में गरीब मुसलमानों का तो संदेश बारबार आ रहा है कि जल्दी पास कीजिए इस बिल को केंद्रीय मंत्री ने इस बात को नोट ही नहीं किया कि देश में कितने मुस्लिम संगठनों ने वक्फ बिल का विरोध किया है जिस दिन लोकसभा वक्फ संशोधन बिल पेश कर रहे थे उसी दिन उसी से थोड़ी दूर पर प्रेस क्लब में मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की प्रेस कॉन्फ्रेंस चल रही थी और संशोधन बिल का विरोध किया जा रहा था
क्या नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू ने समर्थन दिया?
बिहार समेत देश के कई बड़े मुस्लिम संगठनों ने विरोध किया बस वे इसके समर्थन में अपने घर आकर बधाई देने वाले देश भर के मुसलमानों की बधाई बताने लग गए किरण रिजिजू ने कहा कि गरीब मुसलमान भी समर्थन कर रहा है गरीब मुसलमानों ने कब वक्फ बिल का ड्राफ्ट पढ़ लिया और कब समर्थन कर दिया क्या पोस कार्ड लिखकर समर्थन जता रहे हैं 2023 में सर सरकार 24 में आई यह खुद 24 के बीच में इन्होंने अपना बिल लाया 23 पूरा 23 सन के वर्ष में चार बार माइनॉरिटी अफेयर्स कमेटी की बैठक हुई मुंबई में हुई 13 जुलाई दिल्ली में हुई 21 जुलाई को लखनऊ में हुई लखनऊ में हुआ 24 जुलाई को दिल्ली में दो बार हुआ 20 सितंबर और 7 नवंबर को मैं आदरणीय सरकार से दरखास्त करूंगा कि इन पाच सरकारी मंत्र जो मीटिंग हुई मिनिस्ट्री ऑफ माइनॉरिटी अफेयर्स का उनका मिनट्स टेबल पर रखे एक भी मीटिंग में नया वक अमेंडमेंट बिल चाहिए उसका जिक्र भी नहीं हुआ था जिक्र भी नहीं हुआ जिक्र भी नहीं हुआ इनके मिनट्स हमारे पास हमने देखे जितने भी बार मिनिस्ट्री ऑफ माइनॉरिटी अफेयर्स मीटिंग की मीटिंग हुई सब में वामसी पोर्टल को लेकर और विचार विमर्श हुआ था लेकिन एक भी मीटिंग के माइ न्यूट्स में एक भी स्टेटमेंट नहीं है कि हमें एक नया वक अमेंडमेंट बिल चाहिए तो मैं तो यही पूछना चाहता हूं कि अगर सितंबर नवंबर 2023 तक मिनिस्ट्री ऑफ माइनॉरिटी अफेयर्स ने यह वाज भी नहीं समझा कि नया एक बिल लाने की जरूरत है मैं तो बस इतना ही पूछना चाहूंगा कि यह बिल मिनिस्ट्री ऑफ माइनॉरिटी अफेयर्स ने बनाया या किसी और दूसरे विभाग ने बनाया कहां से आया ये बिल कहां से आया नागपुर से सर ये आज संसद में और देश भर की विधानसभाओं में मुसलमानों का प्रतिनिधित्व घटता जा रहा है बीजेपी टिकट देती नहीं और बीजेपी के डर से अब विपक्ष के उम्मीदवार भी नहीं देते वक्फ बोर्ड में जब मुस्लिम सांसद और विधायक का प्रावधान किया गया होगा तब किसी ने नहीं सोचा होगा एक दिन इस देश में ऐसी नौबत आ जाएगी
क्या वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम सदस्य होंगे?
लेकिन किरण रिजीजू ने मुस्लिम सांसदों का प्रावधान नहीं हटाया बस यह कहा कि कोई भी सांसद इसका सदस्य बन सकता है यानी जो कोटा मुस्लिम सांसदों के लिए था वह अब किसी भी सांसद के लिए होगा ठीक इसी दलील से जब आरक्षण नहीं देना होता है तो नॉट फाउंड सूटेबल के नाम से वह सीट खा ली जाती है अब यही वक्फ बोर्ड में होगा एनएफएस के नाम पर गैर मुस्लिम सांसद सदस्य बना दिए जाएंगे मुसलमानों के खिलाफ नारे लगाएंगे भड़काऊ भाषण देंगे और सांसद के नाते वक्फ बोर्ड में सदस्य भी बन जाएंगे कल्पना कीजिए कपिल मिश्रा और रमेश बिधूड़ी जैसे लोग वक्फ बोर्ड के सदस्य बनेंगे रमेश विधी ने सदन में बतौर सांसद रहते हुए एक मुस्लिम सांसद को अपशब्द कहा तब क्या किरण रिजु जू इस तरह से जोशीला भाषण देने आए थे क्या रमेश विधु ने मुसलमान की भलाई के लिए उन्हें गाली दी थी दानी शली को सर जो व बोट बने हैं हम उसको बहुत ही सेकुलर इंक्लूसिव बनाना चाहते हैं आपका पुराना प्रावधान को हटा करके अब हमने कहा है कि वक बोर्ड में शिया भी रहेंगे सुन्नी भी रहेंगे बोरास भी रहेंगे आग रहेंगे मुसलमानों में जो बैकवर्ड है पिछड़े लोग है वो भी रहेगा और साथ-साथ में महिला भी रहेंगे और एक्सपर्ट नॉन मुस्लिम भी रहने का प्रवर्धन रखा गया है सब स्वागत करना चाहिए इसको किसी को आपत्ति होने का कोई जरूरत नहीं है उसके बाद सर मैं थोड़ा सा उसको विस्तार करके बताना चाहता हूं मेरा ही खुद का एग्जांपल मैं देता हूं मान लो मैं मैं मुस्लिम नहीं हूं लेकिन मैं माइनोटी अफेयर्स मिनिस्टर हूं तो मैं सेंट्रल वक काउंसिल का चेयरमैन होता है तो मेरा मेरे होने के बावजूद उसके बाद टोटल चार नॉन मुस्लिम हो सकता है व व काउंसिल मेंबर और उसमें उसमें मैक्सिमम चार नॉन मुस्लिम के साथ साथ में दो महिला कंपलसरी है दो महिला होना ही चाहिए सर उसके बाद सर अभी आप अभी आप पूरा वक बोट देख लीजिए महिला कहां है महिला को रखा नहीं व बातें करते हैं सर सर 22 सर मैं स्पेसिफिक बताना चाहता हूं सेंट्रल काउंसिल में टोटल 22 मेंबर्स में चार नॉन मुस्लिम से ज्यादा मेंबर नहीं हो सकते हैं एक्स ऑफिस का पद को मिला कर के तीन मेंबर ऑफ पार्लियामेंट होगा मेंबर ऑफ पार्लियामेंट तो किसी धर्म का हो सकता है जब इलेक्शन करते हैं तो कोई भी कोई भी धर्म का मेंबर ऑफ पार्लियामेंट या एमएलए बन सकते हैं सर 10 मेंबर मुस्लिम कम्युनिटी से होगा दो फॉर्मल जजेस होंगे सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के एक एडवोकेट ऑफ नेशनल एनेंस मेंबर रहेंगे 4 पर ऑफ नेशनल एमिनेंट फ्रॉम वेरियस फील्ड यह तो कई कमेटियों ने इसको सिफारिश किया है और एडिशनल सेक्रेटरी या जॉइंट सेक्रेटरी टू द गवर्नमेंट ऑफ इंडिया उसमें रहेंगे आउट ऑफ 10 मुस्लिम मेंबर्स दो महिला अनिवार्य है यह हमने प्रावधान रखा है और स्टेट बोर्ड में आउट ऑफ 11 मेंबर्स तीन से ज्यादा नॉन मुस्लिम नहीं हो सकता है
क्या महिलाओं को प्रतिनिधित्व मिलेगा?
किरण रिजी ने कहा कि वक्फ बोर्ड में सांसद सदस्य होंगे सांसद सबका होता है मुसलमान नहीं होता यह उस सरकार के मंत्री बोल रहे थे जो मंत्री बनाने के बाद देश भर में पोस्टर लगाती है कितने ओबीसी सांसदों को मंत्री बनाया गया है जुलाई 2021 में मोदी सरकार ने मंत्रिमंडल का विस्तार किया यूपी चुनाव से पहले बकायदा पोस्टर लगाए गए कि 27 ओबीसी मंत्री बनाए गए हैं जब आपको सुविधा होती है तो सांसद ओबीसी हो जाते हैं और जब सुविधा होती है तो सांसदों का मुसलमान होना जरूरी नहीं हो जाता क्योंकि सांसद होता है उसका कोई धर्म नहीं होता उसकी कोई जाति नहीं होती कमाल है वक्फ संशोधन बिल की एक खूबी बताई जा रही है कि दो महिलाओं को जगह मिलेगी हालांकि पहले भी रोक नहीं थी लेकिन इस बार इसे अनिवार्य किया गया यह एक अच्छी बात हो सकती है लेकिन इस बिल का मकसद केवल यही नहीं लगता खुद बीजेपी ने कितनी महिला मुस्लिमों को टिकट दिया विधानसभा में और लोकसभा में राज्यसभा या विधान परिषद में तो भेज ही सकती थी अगर बीजेपी या मोदी सरकार मुस्लिम महिलाओं के प्रतिनिधित्व को लेकर चिंतित होती तो उनके पास देश में हजारों संस्थाएं हैं उनमें से केवल 500 पर इन्हें बिठाकर इस कमी को दूर कर सकती थी जिस पार्टी का मुस्लिम महिलाओं को प्रतिनिधित्व देने के मामले में इतना खराब रिकॉर्ड है वह वक्त में महिलाओं को जगह देकर महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ाना चाहती है लेकिन विधानसभा और संसद में नहीं चाहेगी बीजेपी एक बात बताए कि उसकी सरकारों में राज्यों में भी कितनी महिला मुस्लिम आईपीएस को जिले का चार्ज दिया गया है कितनी महिला या पुरुष आईएस को जिले का चार्ज दिया गया है कितनी महिला या पुरुष आईएस को वरिष्ठ पदों पर तैनात किया गया है कितनी महिला या पुरुष विद्वानों को मुस्लिम विद्वानों को वाइस चांसलर बनाया गया है एएमयू जामिया और हैदराबाद की उर्दू यूनिवर्सिटी को छोड़ दें तो बीजेपी को बता ना चाहिए कि उसके शासित राज्यों में राज्यपालों ने कितने मुस्लिम प्रोफेसर को वाइस चांसलर बनाया है कहा जा रहा है आगा खानी वक्त और बोहरा वक्त का गठन करने का आईडिया अच्छा है यही बीजेपी सरकार देश में यूनिफॉर्म सिविल कोर्ट की वकालत करती है तब कहती है कि सबके लिए अलग-अलग कानून क्यों होगा एक कानून होना चाहिए लेकिन वक्फ के लिए अलग-अलग संप्रदाय के नाम पर बोर्ड बनाती है और उसकी तारीफ होती है इससे यही पता चलता है कि धार्मिक रीति रिवाज के कानून हर संप्रदाय के अलग होते हैं और यही दलील यूनिफॉर्म सिविल कोर्ट के खिलाफ दी जाती है कुछ व्यवस्थाएं अलग-अलग धार्मिक रीति रिवाजों के अनुसार होनी चाहिए
क्या वक्फ संपत्ति पर विवाद बढ़ेगा?
एक कानून से सबको नहीं बांधा जाता कहा जाता है लेकिन इस अंतर्विरोध को बीजेपी कैसे पचा ले गई क्या इसलिए कि कोई उससे पूछता नहीं नई नए बिल में कहा जा रहा है कि जो मुसलमान होगा वही वक्फ कर सकेगा यही बात 1995 के एक्ट में था किरण रिजु जू ने कहा जो 2013 में हटाया गया उसी को वापस किया गया है गौरव गोगोई ने कहा जो कांग्रेस के सांसद हैं कि 2013 के प्रस्ताव को लेकर मंत्री गलत बयानी कर रहे हैं आपने कहा कोई भी हिंदुस्तानी कोई भी भारतीय व क्रिएट कर सकता है वो 95 में ऐसा नहीं था आपने 13 में बदलाव किया उसको हमने फिर से 1995 का प्रावधान को फिर से रिवाइव करते हुए यह हमने जोड़ा है कि व वही क्रिएट कर सकता है जो मिनिमम पा साल इस्लाम को प्रैक्टिस करता है बहुत साफ साफ शब्दों में प्रन रखा है सर जो व बोट बने हैं हम उसको बहुत ही सेकुलर इंक्लूसिव बनाना चाहते हैं आपका पुराना प्रावधान को हटा करके अब हमने कहा है कि वक बोर्ड में शिया भी रहेंगे सुन्नी भी रहेंगे बोरास भी रहेंगे आनिस भी रहेंगे मुसलमानों में जो बैकवर्ड है पिछड़ लोग है वो भी रहेगा और साथ साथ में महिला भी रहेंगे और एक्सपर्ट नॉन मुस्लिम भी रहने का प्रवर्धन रखा गया है सब स्वागत करना चाहिए आज इन्होंने सेक्शन 104 हटाने की पक्ष में कहा लेकिन सेक्शन 104 यही कहता है कि कोई भी व्यक्ति वफ कर सकता है तो यही तो हमारा सेकुलर नेचर है कि कोई भी व्यक्ति अ कर सकता है आप यह जो अधिकार है एक व्यक्ति का आप उस अधिकार को आप क्यों छीन रहे हो सिर्फ ऑप्टिक सर इनको बाहर दिखाना है कि हम यह बहुत बड़ा काम कर रहे क्या इन्होंने कहा कि क्लॉज ना सी में यह कहते हैं कि दो महिला को हम यह इंक्लूजन कर रहे हैं यह पहले भी था सर अगर आप 1995 एक्ट पढ़े तो यह पहले भी था उसमें यह भी था कि दो से ज्यादा सदस्य महिला हो सकती थी इन्होंने तो दो पर ही कैप कर दिया यह पहले से ही था यह सिर्फ दिखावा और इनका थ्री और फोर ी और फोर में जो यह विशेष रूप से विडो डिवोर्स वुमन और ऑर्फन की बात करते हैं यह पहले भी था सर यह पहले भी जो थ आर है जिसमें वेलफेयर की उल्लेख है उस वेलफेयर एंड अदर परपस में विडो डिवोर्स वुमन एंड ऑर्फन पहले से उसमें समाज जाता है लेकिन इनको भ्रम फैलाना है इनको भ्रम फैलाना है कि वर्तमान का जो एक्ट है वह महिलाओं के खिलाफ है इनको भ्रम फैलाना है कि वर्तमान में महिलाओं को कोई भूमिका नहीं मिलती यह इनका काम क्लॉस 26 पढ़िए सर सेक्शन 52a सेक्शन 52 क्लज 26 क्लॉस 26 में क्या लिखा है इन सेक्शन 52a ऑफ द प्रिंसिपल एक्ट इन सबसेक्शन न फॉर द वर्ड्स रिगस इंप्रिजनमेंट द वर्ड इंप्रिजनमेंट शल बी सबड डालूट कर रहे सर पेरेंट एक्ट बोलता था कि रिगस इंप्रिजनमेंट हो और अगर आप बारबार यह कह रहे हैं कि फलाना हो रहा है का ना हो रहा है तो आप इसको क्लॉस को क्यों कमजोर कर रहे हैं सिर्फ भ्रम फैलाना है सर मंशा इनकी कहीं और है मंशा सर मैं भी एक टिप्पणी देना चाहूंगा
क्या यह बिल "एक देश, एक कानून" के विपरीत है?
कि आज यह एक विशेष समाज के जमीन पर इन्हो की नजर है कल समाज के दूसरे अल्पसंख्यकों के जमीन पर इनकी नजर जाएगी किरण रिजीजू बार-बार कहते हैं कि वक्त एक प्रॉपर्टी है इसका धार्मिक व्यवस्था से कोई लेना देना नहीं मगर वक्त एक इस्लामिक प्रथा है इसके तहत दी जाने वाली जमीन को संपत्ति को आप कैसे कह सकते हैं कि धार्मिक व्यवस्था से कोई लेना देना नहीं अध्यक्ष महोदय जी ये वक बोट का जो प्रबोधन किसी मस्जिद किसी मंदिर किसी धार्मिक स्थल का व्यवस्था का कोई लेना देना नहीं है यह सिंपली एक प्रॉपर्टी का मैनेजमेंट का विषय है ये कोई मुसलमान अपना जकात देता है फितरा देता है उसको हम पूछने वाला कौन होते हैं यह आपका धार्मिक भावना से जुड़े हुए चीज है उसमें सरकार का कोई लेना देना नहीं है लेकिन यह वक्त प्रॉपर्टी का मामला है लेकिन व प्रॉपर्टी का मैनेजमेंट करता है मुतली करता है यह आपका आपको इतना बेसिक यह फर्क जो है अगर समझ में नहीं आते या जान बूझ कर के आप समझना चाहते हैं जिस संपत्ति का निर्माण धार्मिक व्यवस्था से है उसका संबंध धार्मिक व्यवस्था से नहीं है तब फिर मठों और मंदिरों के पास जो जमीन है उसके बारे में भी कह दीजिए कि धार्मिक व्यवस्था से लेना देना नहीं है इतना चेक कर लीजिए सभी कि वक्फ बोर्ड को मजबूत किया जा रहा है या वक्फ बोर्ड पर कलेक्टर को थोपा जा रहा है वक्फ बोर्ड में दो सदस्य गैर मुस्लिम होंगे 1995 के कानून में इन दोनों के प्रवेश पर कोई प्रतिबंध नहीं था मगर अब इसे अनिवार्य किया गया है बिना संशोधन के भी इन्हें बोर्ड का मेंबर बनाया जा सकता था लेकिन 1989 का बना तिरुमला देवस्थानम बोर्ड का एक कानून है एक्ट है कि इसके कर्मचारी हिंदू रीति रिवाजों का ही पालन करेंगे साफ-साफ लिखा हुआ है इससे किसी को तराज भी नहीं लेकिन आप यहां कानून बनाने जा रहे हैं कि वक्फ बोर्ड में गैर मुसलमान भी सदस्य होगा तो सवाल भी नहीं आप यह खबर देखिए तिरुमला मंदिर से जुड़े कई काम में दूसरे समुदाय के लोग भी होते हैं लेकिन अब आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री का बयान है कि दूसरे समुदाय के लोगों को यहां काम नहीं करने दिया जाएगा दो महीना पहले तिरुमला तिरुपति देवस्थानम बोर्ड ने 18 गैर हिंदू सदस्यों का तबादला कर दिया खबरों में साफ लिखा है कि दूसरे धर्म के लोगों का तबादला हुआ है कहीं तो इंसाफ का पैमाना बराबर दिखना चाहिए जब आप हिंदू धार्मिक स्थल में गैर हिंदू को सदस्य नहीं बना रहे हैं तो मुसलमानों की वक्फ की संपत्ति के प्रबंधन में गैर मुसलमानों को क्यों ला रहे हैं यही तो असदुद्दीन ओवैसी कह रहे हैं कि अगर कोई मुसलमान तिरुमला देवस्थानम बोर्ड में सदस्य नहीं हो सकता तो वक्फ बोर्ड में कोई गैर मुस्लिम कैसे हो सकता है प्रश्न वही रहेगा जो हिंदू टेंपल्स हैं उनमें खास तौर से य शर्ट लिखी हुई है जो हिंदू टेंपल्स हैं उन उ में खास तौर से ये शर्त लिखी हुई है कि केवल हिंदू ही उन टेंपल बोर्ड्स का मेंबर बनेगा और हिंदू की परिभाषा आर्टिकल 25 की संविधान की नहीं होगी जिसमें सिख जैन और बुद्धिस्ट शामिल है बल्कि वह सिर्फ हिंदू होगा उसकी परिभाषा जो है वो संविधान वाली नहीं होगी एक सिख और एक बौद्ध और एक जैन हिंदू टेंपल के बोर्ड में मेंबर नहीं बन सकता केंद्रीय मंत्री वक्फ प्रॉपर्टी की बाजार की कीमत बता रहे हैं वक्फ की जमीन को लेकर सपने दिखा रहे हैं क्या सरकार बजट में वक्त की संपत्ति से कितना राजस्व आया अब उसका अलग से हिसाब देगी किरण रिजिजू ने कहा कि एक साल के भीतर वे दिखाने वाले हैं कि इसका क्या असर होने वाला है वक्फ के प्रबंधन में गैर मुसलमान को रख रहे हैं लेकिन कानून बना रहे हैं कि गैर मुसलमान वक्फ नहीं कर सकता
क्या यह बिल मुस्लिम विरोधी एजेंडा है?
जब वह वक्फ नहीं कर सकता वक्फ एक पूरी तरह से इस्लामिक प्रथा है उससे वह अनजान है तो उसे इसी बोर्ड में क्यों सदस्य बनना है निजी वक्त के नियम के तहत अगर कोई व्यक्ति यह महसूस करता है कि उसकी औलाद उसकी संपत्ति की हिफाजत नहीं करेगी तो वह उसे वक्फ कर सकता है इसका मतलब होता है कि उस व्यक्ति के बच्चे पोते पोतिया पड़ पोते पड़ पोतिया नवासे नवास आं उस संपत्ति को बेच नहीं सकती या किसी को उपहार में नहीं दे सकते एक बार वक्फ हो जाने पर वह संपत्ति हमेशा वक्फ रहती है मगर उसका मुनाफा औलाद को मिल सकता है वक्फ केवल लड़कों या लड़कियों या फिर दोनों के नाम भी किया जा सकता है इस तरह से वक्फ कर देने से जमीन या संपत्ति बनी रहती है और इसके मालिक ने जो मकसद चुना था उसी के लिए उसका इस्तेमाल होता है एक बार वक्फ कर देने पर वक्फ करने वाले के उस संपत्ति पर से सा अधिकार खत्म हो जाते हैं जब संपत्ति करने वाले का वंश खत्म हो जाता है तब वह संपत्ति वक्फ की हो जाती है और चैरिटी में चली जाती है नए कानून में कहा गया है कि वक्फ बाय यूजर के सिद्धांत को बरकरार रखा जाएगा इसका मतलब होता है वक्फ करने वाले के मकसद के अनुसार ही उसका इस्तेमाल होगा लेकिन इसमें एक शर्त डाल दी गई है कि वक्फ को लेकर कोई विवाद ना हो किसी का दावा ना हो इसे लेकर आशंका जताई जा रही है कि अगर कोई वक्फ की किसी संपत्ति को लेकर विवाद खड़ा कर दे तो क्या वक्फ पर भी सवाल खड़ा हो जाएगा क्या संभल और ज्ञानवापी के मामले में यही नहीं हुआ विवाद के मामले में अब कलेक्टर के पास जाना होगा जो अपनी सूझबूझ से मामला निपटाए इसके अलावा नया वक्फ बनाने के लिए किसी व्यक्ति को पा साल से मुसलमान होना होगा जबकि इस्लामी कानून में ऐसा कोई प्रावधान नहीं लीगल अवेयरनेस चैनल पर फैजान मुस्तफा ने इसे लेकर सवाल उठाया है अब प्रश्न उठता है कि अगर कोई व सिर्फ फैमिली के लिए है तो बकानी मिया के केस में जो फैसला दिया अबुल फता मोहम्मद इसहाक 184 का कि यह जो बाद में चैरिटी और गिफ्ट के लिए प्रॉपर्टी जा रही है अपने फैमिली मेंबर्स पोते और पोतिया और नवासे और नवास हों के बाद वो इल्यूजनरी है बहुत कम है इसलिए यह व व नहीं माना जाएगा हंगामा ब्रिटिश सरकार को एक लॉ लाना पड़ा
मुसलमान वक वैलिडेटिंग एक्ट 1913 जिसने कहा कि अगर कोई व सब्सटेंशियली फैमिली के लिए है और पाश चैरिटी के लिए है तो व वैलिड है अब अगर वल औलाद में जो मैंने आपको बता दिया कि वो सब्सटेंशियली फैमिली के लिए होगा और पार्शल चैरिटी के लिए हो सकता है उसमें हम यह प्रोविजन कर रहे हैं कि अगर औरतों को और एयर्स को एक्सक्लूड करने के लिए है तो उसकी इजाजत नहीं होगी तो सवाल वही उठता है जो हिंदू सक्सेशन एक्ट में और उत्तराखंड यूसीसी में टेस्टामेंट्री पावर एक हिंदू को दी हुई है कि वो अपनी वसीयत से अपनी प्रॉपर्टी जिसको चाहे दे दे सब बेटी को दे दे या सब बेटों को दे दे या सब पोते को दे दे या सब नवासी को दे दे क्या उसमें भी हम परिवर्तन करेंगे और अगर हम उसमें परिवर्तन नहीं कर रहे तो फिर एक देश और एक विधान के प्रिंसिपल को कहीं पर हम अंडरमाइंड कर रहे होंगे तो नए बिल में कलेक्टर की जांच का प्रावधान किया गया है कि अगर कलेक्टर गलत करेगा तो उसके ऊपर के अधि जांच करेंगे तो क्या यह पूरी व्यवस्था प्रशासन के हाथ में नहीं जा रही है वक्फ बोर्ड और ट्रिब्यूनल का क्या मतलब रह जाता है ट्रबल है ट्राइबल में दो मेंबर का हमने प्रस्ताव रखा था तो कमिटी ने कहा कि दो मेंबर ठीक नहीं है इसमें तीन मेंबर होना चाहिए यह प्रस्ताव भी मंजूर किया गया है तो ट्राइबल में तीन मेंबर होगा फिक्स टेनर का साथ और उसमें आज टोटल लिटेंस 1441 केसेस है आप सोच के देखिए तो ट्राइबल में जल्दी जल्दी केस डिस्पोज हो तीन मेंबर्स का ट्राइबल बनाया गया है उसके बाद में उसका टेनर को फिक्स किया गया है उसके बाद में जो एक बहुत बहुत स्टिजन प्रोविजन था पहले ऑटोमेटिक अपील करने का राइट नहीं था स्पेशल रिव्यू पिटीशन ही कर सकते थे ट्राइबल के ऑर्डर के बाद तो आज हमने एक अच्छा सोच के साथ खुला मन से यह कहा है कि अब अगर आप वक बोट का निर्णय से खुश नहीं है वक ट्राइबल का निर्णय से खुश नहीं है तो आप अदालत जा सकते हैं यह रास्ता भी हमने खोल दिया है महोदय आपके माध्यम से सरकार गारंटी दे कि व जमीन कभी भी किसी भी पैथ बाजी से किसी और मकसद के लिए किसी और को नहीं दी जाएगी वफ की वर्तमान व्यवस्था में चाहे 5 साल के धर्म पालन की पाबंदी की बात हो या कलेक्टर से सर्वेक्षण के हस्तक्षेप की बात हो या वक्फ परिषद या वड में बारियों को शामिल करने की बात हो इन सबका उद्देश्य मुस्लिम भाइयों के सार्वजनिक अधिकार को छीनकर उनके महत्व और नियंत्रण को कम करना है सेम सेम ट्रिबल के निर्णय को अंतिम ना मानकर उच्च न्यायालय में लेकर जाने की अनुमति देना दरअसल जमीनी विवाद को लंबी न्याय प्रक्रिया में फसाकर व वक्त भूमि पर कब्जों को बनाए रखने का रास्ता खोलेगा सबसे बड़ी बात यह कि वक्त बिल के पीछे कि ना तो नीति सही है ना नियत यह देश के करोड़ों लोगों से उनके घर दुकान छीनने की भी साजिश है भाजपा एक अलोकतांत्रिक पार्टी है वह असहमति को अपनी शक्ति मानती है जब देश के अधिकांश राजनीतिक दल वग बिल के खिलाफ है तो उसे लाने की जरूरत क्या है जो जीत क्यों कर रहे है सरकार वक बिल का लाना भाजपा की सियासी हट है वक बिल भाजपा की संप्रदायिक राजनीति का नया रूप है सरकार के इस संशोधन बिल को कानून में बदलना मुश्किल नहीं उसके पास बहुमत का जुगाड़ है लेकिन इस बिल के पीछे के बताए गए मकसद और जो होगा अभी उस फासले को देखना बाकी है कहीं ऐसा तो नहीं कि एक समुदाय की जमीन हथियाने का या औजार बन जाएगा बीजेपी आज ताकतवर है लेकिन उसे थोड़ी चिंता करनी चाहिए कि इस ताकत से किसी का घर ना गिर जाए किसी को मायूस कर आप खुशी तो मना सकते हैं लेकिन इंसाफ के पैमाने पर यह कहीं से बात बराबर नहीं बैठती है