सुप्रीम कोर्ट की सख्ती: बुलडोजर एक्शन पर कड़ा रुख

सुप्रीम कोर्ट की सख्ती: बुलडोजर एक्शन पर कड़ा रुख

 एक्शन को लेकर के लगातार सुप्रीम कोर्ट सख्त होने लगा है पहले तो सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणियां आ रही थी लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार से मुआवजा देने के लिए भी कहा है आपको पता है कि पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर एक्शन पर रोक लगाई थी और कहा था कि अगर बुलडोजर चलाना भी है किसी का घर गिराना भी है तो पूरी एक प्रक्रिया को फॉलो करना होगा आपको नोटिस देना होगा जवाब सुनना होगा अगर सामने वाला व्यक्ति कोर्ट जाना चाहता है तो कोर्ट जाने की भी उसको इजाजत होगी और अंत में जब कोई चारा नहीं होगा तो ही बुलडोजर चलेगा लेकिन लगातार आपने देखा है कि उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र में भी हाल ही में नागपुर में जो दंगों के आरोपी थे उनके घर बुलडोजर चल गया जिसको लेकर के पहले मुंबई हाईकोर्ट ने और अब सुप्रीम कोर्ट ने काफी सख्ती दिखाई है 2021 में प्रयागराज में तीन ऐसे घरों पर बुलडोजा चला दिया गया जिनका अतीक अहमद की प्रॉपर्टी से कोई लेना देना नहीं था इन्होंने एक प्रोफेसर वकील और एक और सामाजिक व्यक्ति के घर पर पुलिस ने बुलडोजर चला दिया यह कहते हुए कि यह तो अतीक अशरफ से जुड़ी हुई प्रॉपर्टी थी अवैध कब्जा था सुप्रीम कोर्ट ने पूरे मामले को सुना और कहा है उत्तर प्रदेश प्रशासन को कि वह जिनका घर तोड़ दिया उन्हें ₹1 लाख दें यानी सुप्रीम कोर्ट ने पहली बार इतनी सख्ती की है कि पुलिस ने पुलिस से या प्रशासन से सुप्रीम कोर्ट ने वसूली कर ली यानी अब जिनका घर गिराया 2021 में यह बोलकर के अतीक अशरफ का घर था उसमें एक वकील प्रोफेसर और तीन के अन्य मकान गिरा दिए गए थे और सुप्रीम कोर्ट में वकील जुल्फिया जुल्फिकार हैदर प्रोफेसर अली अहमद और अन्य नई याचिका दाखिल की थी और कोर्ट ने कहा है कि छ हफ्ते के भीतर प्रयागराज डेवलपमेंट अथॉरिटी इन सब लोगों को ₹1 ₹1 लाख दे यानी अब सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अब तक सुप्रीम कोर्ट टिप्पणी कर रहा था 



बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी

अब सुप्रीम कोर्ट ने सरकार पर जुर्माना लगाना भी शुरू कर दिया है ₹1 लाख अब जिनका घर गिराया था उन्हें देना पड़ेगा सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राइट टू शेल्टर नाम की भी कोई चीज होती है उचित प्रक्रिया नाम की भी कोई चीज होती है इस तरह की कार्रवाई किसी भी तरह से ठीक नहीं है और छह हफ्तों के अंदर सुप्रीम कोर्ट को यह सुप्रीम इनको अथॉरिटी को बोला है कि वो जाकर के पैसा दें ₹1 लाख का और इस बीच बहुत इंपॉर्टेंट आपने देखा होगा कि 24 मार्च 2025 को एक वीडियो वायरल हुआ अंबेडकर नगर का उत्तर प्रदेश का जहां पर अतिक्रमण हटाने के नाम पे झुग्गी झोपड़ियां तोड़ी जा रही थी तभी वहां से एक बच्ची किताब लेकर के भागती नजर आई थी और उस बच्ची की तस्वीर ने सबको बहुत दुखी किया था इस वीडियो का भी संज्ञान सुप्रीम कोर्ट ने लिया यह वीडियो हम आपको दिखा भी रहे हैं उसमें कहा कि यह जो वीडियो देखा सुप्रीम कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह इसने हमारी आत्मा को झकझोर दिया है और यह पूरी तरह से अमानवीय है इनह्यूमन है और जस्टिस उज्जवल भैया ने कहा कि अतिक्रमण विरोधी अभियान के दौरान एक तरफ झोपड़ियों पर बुलडोज बुलडोजर चलाया जा रहा था तो दूसरी तरफ एक 8 साल की बच्ची अपनी किताब लेकर भाग रही थी इस तस्वीर ने सबको चौंका दिया सबको तकलीफ दी सबको सब कोई उस तस्वीर को देख के शॉक्ड है तो यह भी कहा इस मामले में कोर्ट ने कि जो भी तय प्रक्रिया है उसे पूरा किया जाए अगर आप बुलडोजर चला रहे हैं तो तो सामान निकालने का समय दिया जाए नोटिस दिया जाए लेकिन कोर्ट ने इतनी सख्ती की है बार-बार कहा है लेकिन फिर भी कोर्ट के कहने का असर नहीं है बुलडोजर जब तब चला दिया जाता है तुरंत इंस्टेंस जस्टिस कि तुरंत हम जस्टिस देना चाहते हैं बुलडोजर वाले बाबा और इन सब इन सब तरीके से कहा गया कोर्ट ने कोर्ट में जस्टिस ओका ने जस्टिस ओका ने कहा कि नोटिस इस तरह क्यों चिपकाया गया कूरियर से क्यों नहीं भेजा गया कोई भी इस तरह नोटिस देगा और तोड़फोड़ करेगा यह तोड़फोड़ का एक ऐसा मामला है जिसमें अत्याचार शामिल है यानी सुप्रीम कोर्ट ने यू यूपी सरकार के बुलडोजर एक्शन को अत्याचार करार दिया है और आपको बताएं कि सुप्रीम कोर्ट की क्लियर गाइडलाइंस हैं कि पहले शो कॉज नोटिस दिया जाएगा 

प्रयागराज मामले में सरकार पर लगाया जुर्माना

शो कॉज नोटिस दिए बिना कोई तोड़फोड़ नहीं की जाएगी डाक के जरिए प्रॉपर्टी के मालिक मालिक को नोटिस भेजा जाएगा और प्रॉपर्टी की दीवार पर भी चिपकाया जाएगा इसकी जानकारी कलेक्टर या डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट को भी दी जाएगी इसके बाद कारवाई पर नजर रखने के लिए नोडल अधिकारी भी तय होंगे इस पूरे प्रोसेस के लिए एक डिजिटल पोर्टल बनाया जाए जिसमें कारवाई का नोटिस और ऑर्डर अपलोड किया जाए बहुत डिटेल्ड गाइडलाइन सुप्रीम कोर्ट ने बना दी थी प्रॉपर्टी के मालिक की बातें और और तर्क तय अधिकारी सुनेंगे इसकी रिकॉर्डिंग की जाएगी इसके बाद फाइनल ऑर्डर जारी किया जाएगा जिसमें प्रॉपर्टी गिराने या ना गिराने की वजह शामिल हो फाइनल ऑर्डर जारी होने के 15 दिन तक कोई कारवाई नहीं की जाएगी ताकि प्रॉपर्टी मालिक खुद उसे गिरा सके या हटा दे इस प्रॉपर्टी इस दौरान प्रॉपर्टी मालिक फाइनल ऑर्डर के खिलाफ अपील भी कर सकते हैं और कोर्ट ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट ने गाइडलाइंस बनाई है बुलडोजर एक्शन को लेकर के अगर उनका पालन नहीं हुआ तो एक्शन होगा यानी सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवमानना हुई तो एक्शन होगा और को अधिकारी पर जिसने जिसके आदेश पर बडोदा चला उस पर अवमानना की कारवाई होगी और गिराई गई प्रॉपर्टी को दोबारा बनवाने और मुआवजे का खर्च जिम्मेदार अधिकारी अपने जेब से देंगे और ये जब पूरा मामला हुआ तो आप सोचिए कि इस बार सुप्रीम कोर्ट ने अब तक सुप्रीम कोर्ट कह रहा था कि अगर अगर यह अब तक सुप्रीम कोर्ट यह कह रहा था कि बुलडोजर चलाना संविधान पर किसी के घर पर बुलडोजर चलाने का मतलब है कि संविधान पर बुलडोजर चलाया जा रहा है ये बात सुप्रीम कोर्ट ने कही थी लेकिन इस बार सुप्रीम कोर्ट सख्त हो गया है हम सब लोग पहले भी कह रहे थे कि सुप्रीम कोर्ट टिप्पणियां करता रहता है कारवाई क्यों नहीं करता लेकिन इस बार सुप्रीम कोर्ट ने कारवाई कर दी है सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि बुलडोजर चलवाया गया है और बुलडोजर गलत चलाया गया है

अतिक्रमण हटाने के दौरान बच्ची की तस्वीर ने झकझोर दिया

 और इसकी जिम्मेदारी जो इस पूरे मामले में जो बेचारे प्रोफेसर वकील इनका कुछ लेना देना नहीं है अतीक अशरफ से लेकिन उनके घर पर बुलडोजर चला दिया गया कोर्ट ने यह भी कहा कि इस यूपी सरकार को इन लोगों से माफी मांगनी चाहिए और माफी मांगने के साथ-साथ कहा कि ₹10 ₹1 लाख दीजिए सरकार इनको ₹1 लाख दे ताकि यह अपना घर वापस से बनवा सकें यह पहला मामला है जिसमें सरकार पर ही  कोर्ट ने फाइन लगा दिया है तो उम्मीद हम यह करते हैं कि ये जो अधिकारी बहुत अच्छा बनने के चक्कर में पॉलिटिकल मास्टर्स को खुश करने के चक्कर में बुलडोजर चलवाते हैं और मीडिया कैमरों को बुलवा करके उनके सामने बुलडोजर चलाया जाता है तो अब वह बंद होगा क्योंकि अब तो सुप्रीम कोर्ट ने 10 लाख का मुआवजा भी देने के लिए कहा है और सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अत्याचार है अत्याचार बताया है संविधान पर बुलडोजर चलाया जा रहा है यह अमानवीय है आत्मा को झकझोर दिया यह सब सारी बातें सुप्रीम कोर्ट ने कही हैं और पहले भी कहता आया है लेकिन शायद यह जो अधिकारी हैं उनको अब तक समझ नहीं आ रहा था उनको लगा कि सुप्रीम कोर्ट ये सिर्फ कह रहा है लेकिन इस बार तो 10 लाख का जुर्माना लगा दिया है अब अगली बार भी अगर ऐसा होता है तो सुप्रीम कोर्ट क्या करेगा क्या चीफ सेक्रेटरी और डीएम को बुला लेगा या मुख्यमंत्री को समन कर देगा और मुख्यमंत्री को समन क्यों नहीं किया जाना चाहिए मुख्यमंत्री सर्वे सर्वा हैं राज्य के उनको क्यों समन नहीं किया जा सकता है और इस पूरे मामले में आपने देखा कि अभी जब नागपुर वाली पूरी घटना हुई वहां पे मुख्य आरोपी के घर पर बुलडोजर चलाने का चलाने का ऐलान तो खुद मुख्यमंत्री ने कह दिया कि जरूरत पड़ी तो बुलडोजर चलाया जाएगा और हमने बताया आपको कि पहले नोटिस दिया जाए डाक के डाक के जरिए नोटिस दिया जाए 



भविष्य में बुलडोजर एक्शन के लिए सख्त गाइडलाइंस

नोटिस चिपकाया जाए फिर नोडल अधिकारी नियुक्त हो जिसके घर पर बुलडोजर चलना है उसको सुना जाए फिर उसको अपील करने का समय दिया जाए एक तय प्रोसेस है जिसमें एक महीने का वक्त लगना ही लगना था लेकिन देवेंद्र फडनवीस ने कहा कि हम बुलडोजर चलाएंगे और फिर बुलडोजर पहुंच भी गए आप सोचिए कि बुलडोजर पहुंच रहा है और व्यक्ति कोर्ट पहुंच गया हाई कोर्ट में और वो कह रहा है कि भाई हम कोर्ट पहुंच गए हैं रुक जाइए लेकिन कोर्ट में सुनवाई चल रही की दर ला के बुलडोजर से ढहा दिया गया उसका घर तो इस पर हाईकोर्ट ने भी संज्ञान लिया और हाईकोर्ट ने कहा कि जब हम सुनवाई कर रहे थे तो आपने क्यों चलाए बुलडोजर इसका जवाब दीजिए हाईकोर्ट ने भी जवाब मांगा महाराष्ट्र सरकार से और नगर नागपुर नगर निगम से लेकिन जिस तरीके से बुलडोजर का इस्तेमाल किया गया अपना वोट बैंक साधने के लिए जिस तरीके से इंतजाम किया गया कि वोट बैंक साधा जाए खुश किया जाए ताली बजवाई जाए नाम किया जाए वो कहीं ना कहीं चिंताजनक है और यही वजह है कि सुप्रीम कोर्ट ने आकर के गाइडलाइंस बनाई ताकि रोक लगे जब नहीं लगातार सुप्रीम कोर्ट ऐसी बातें कह रहा है कि अत्याचार है आत्मा को झकझोर रहा है यह सब उम्मीद है उम्मीद है कि बुलडोज सिर्फ और सिर्फ तोड़ सकता है जोड़ नहीं सकता है इस वक्त हमारे देश में एक दूसरे को जोड़कर रखने की जरूरत है और घर तोड़ने से देश नहीं जुड़ते घर बनाने से देश जुड़ता है एक होता है और जिस तरीके से अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों पर बुलडोजर चलाया गया उनके घरों पर यह भी हम जानते हैं क्योंकि जिन जिस मामले में 2021 के मामले में फैसला आया है कि एक वकील और एक प्रोफेसर बाकी अन्य लोगों के घर पर चलाया गया बुलडोजर सब अल्पसंख्यक समुदाय के लोग थे तो कोई मुसलमान ने तो प्रयागराज में जोड़ दिया कि अतीक अशरफ की जमीन थी इन सब लोगों ने अपने कागज दिए जाकर के सुप्रीम कोर्ट को दिखाया और सुप्रीम कोर्ट संतुष्ट हुआ और अब सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि घर जिन्होंने गिराए हैं वही इन्हें बनाएं और ₹1 ₹1 लाख इनको दें ताकि अपना घर बनवा पाए उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट अगर अगली बार बुलडोजर चले तो जिले के डीएम को एसडीएम को और फिर भी जरूरत पड़े तो चीफ सेक्रेटरी से लेकर के मुख्यमंत्री को भी बुला ले तभी जाकर के यह बुलडोजर एक्शन रुकेगा।


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