बिहार बदलाव रैली: एक भव्य दावे से खाली कुर्सियों तक का सफर

गांधी मैदान: बिहार की राजनीति का पावर टेस्टिंग ग्राउंड

11 अप्रैल 2025 को बिहार बदलाव रैली करके और यह दावा करके कि 5 लाख लोगों से बिहार के पटना के गांधी मैदान को भर दिया जाएगा जी हां वही गांधी मैदान जो एक नपना बन जाता है बिहार में नेताओं के लिए अपने राजनीतिक वर्चस्व को दुनिया को दिखाने के लिए कि हम अब आ गए हैं ललकार दे दी है तमाम राजनीतिक दल चाहे प्रधानमंत्री हों लोकसभा 2014 में या फिर और भी जितने भी नेता हों उनको अगर अपना यह दिखाना होता है कि वह राजनीतिक रूप से कितने मजबूत हैं तो बिहार का पटना का गांधी मैदान उसका एक पैमाना होता है 10 लाख लोगों तक की भीड़ उसमें भरी जा सकती है ताकि वह हराभरा लगे दावा प्रशांत किशोर ने भी अपनी जन स्वराज रैली में 5 लाख लोगों का किया था लेकिन आए नहीं उतने तस्वीरों में कुर्सियां खाली रह गई प्रशांत किशोर खुद कुछ घंटे के लिए चले गए दावा यह किया जा रहा है कि प्रशासन ने उनके लोगों को नहीं आने दिया इस वजह से भीड़ नहीं आई सच क्या है ऐसा कैसे हुआ कि कहां चूल्हे हिला देने की बात करने वाले प्रशांत किशोर रैली के बाद खुद आग बबूले हो गए और इसी श्रृंखला में उन्होंने नीतीश कुमार को क्या बोल दिया पहले आपको बता दें कि 11 अप्रैल 2025 को प्रशांत किशोर ने यह दावा किया था कि हम एक रैली करेंगे बिहार बदलाव रैली वो पिछले 2 साल से जो पूरे बिहार भर में पद यात्रा कर रहे हैं घूम रहे हैं अह राजनीतिक नाप लेने की कोशिश कर रहे हैं बिहार की इन 2 सालों में उन्होंने कभी यह नहीं बोला कि मैं राजनीतिक दल बनाऊंगा लेकिन फिर बाद में वह दल बना ही दिया इसके बाद अलग-अलग उन्होंने अपने पार्टी के सिस्टम्स बनाए और जो पूरा बिहार भर में वो घूमे बिहार के बदलाव के लिए उनका यह कहना था कि इसका ग्रैंड कलमिनेशन होगा पटना के गांधी मैदान में जिसको वो भर देंगे और यहां से वो नीतीश कुमार को ललकारेंगे वो तेजस्वी यादव को ललकारेंगे वह एक थर्ड ऑप्शन बन करके प्रस्तुत होंगे बिहार में कि इस बार थ्री वे कॉन्टेस्ट होगा कि एक तो हो गया जेडीयू बीजेपी एक हो गया आरजेडी कांग्रेस और विपक्ष का गठबंधन और एक उनका ये मानना था कि जन स्वराज भी एक थर्ड अल्टरनेटिव की तरह थ्री वे फाइट बिहार में होने जा रही है ये उन्होंने अपनी बयान भी दिए इसको लेकर के वो बहुत कॉन्फिडेंट थे कि देख लीजिएगा 



प्रशांत किशोर का दावा: 5 लाख की भीड़ या प्रशासन की साजिश?

11 अप्रैल को क्या होगा देख लीजिएगा ये सब तमाम बात उन्होंने बोली फिर 11 अप्रैल आ गया 11 अप्रैल जब आया तो तस्वीरों के माध्यम से आपको दिखाते हैं यह एक वीडियो है जो कि आकाश तेवाड़े जी ने डाला है जरा ये वीडियो देखिए 6:05 हो रहे हैं और इस वक्त आपको दिखा रहे हैं देखिए ये गोलंबर है और ये गांधी मैदान का इलाका 6 बजके 5 तो ये वीडियो बताता है कि पटना बिहार गांधी मैदान में प्रशांत किशोर द्वारा आयोजित जन स्वराज रैली की बिहार बदलाव रैली हुई सुपर फ्लॉप इस तरीके की बातें होने लगी उन्होंने घड़ी से टाइम मिलाकर के बता दिया कि देखिए 6:00 बजने को आए हैं और यहां पर कितनी सारी कुर्सियां खाली हैं आप बिल्डिंग के ऊपर वो चढ़े हुए थे और उन्होंने वो चीज दिखा दी तस्वीरों के माध्यम से कुर्सियां क्यों नहीं भरी और भी तमाम रिपोर्टिंग शुरू हो गई कि ये कैसा जन स्वराज जन सैलाब था जिसमें ना सड़क जाम हो रही है ना किसी को कोई अब दिक्कत हो रही है आराम से ट्रैफिक आ जा रहा है और अंदर जो आप कह रहे थे 5 लाख लोगों से भरेंगे कुछ हजार ही लोग हैं आगे-आगे बहुत देर तक घोषणा होती रही जैसे कि यह वाली घोषणा जिसमें ऑर्गेनाइज़र्स का यह कहना था कि प्रशांत किशोर मंच छोड़ के और वो जो सभा स्थल है वह छोड़ के कहीं बाहर गए हैं सुनिए यह घोषणा हजारों आदमी 1000 से ज्यादा बस को प्रशासन ने रोक कर रखा है जो लोग चले हैं गांव से वो 12 घंटा से भूखे हैं आप तो यहां आए हैं तो आप भोजन भी किए हैं आप बाजार में पानी भी पिए हैं आपके साथी वहां छूटे हैं तो प्रशांत किशोर जी मैदान छोड़कर सीधे गए हैं एलसीटी घाट उनको निकालने के लिए थोड़ा सा धैर्य रखिए भाइयों तो जैसे कि आपने सुना यह जन स्वराज में यह घोषणा की गई इसके बाद कुछ तस्वीरें आई पटना के बॉर्डर से बॉर्डरिंग इलाका पटना शहर में जब आप घुसते हैं वहां पर जन स्वराज के बहुत सारे लोगों ने वीडियो बना करके यह बताया कि प्रशासन उनकी बस को अंदर नहीं आने दे रहा है 

रैली का दिन: खाली कुर्सियां, जाम, और ग़ायब भीड़

यह जानते हुए कि रैली होनी थी ये जरा बयान सुनिए नमस्कार मैं विकास कुमार पांडे प्रखंड अध्यक्ष जन स्वराज हसनपुरा का हूं और आज बिहार बदलाव रैली में हम लोग शामिल होने जा रहे थे पटना गांधी मैदान में और हम लोग आज यहां से लगता है कि गांधी मैदान से 20 किलोमीटर दूर पे हैं हमको लगता है कि लगभग 3000 से 3500 गाड़ियां इसमें जाम में फंसी हुई है लाख लोगों से ऊपर लोग जाम में फंसे हुए हैं और सरकार का जो प्रशासनिक व्यवस्था है वह इतना घबराया हुआ दिख रहा है कि सब फेल हो चुका है यहां पे प्रशासनिक व्यवस्था और हम लोग यहां पे फंसे हुए हैं हमें नहीं लग पाता है कि हम लोग गांधी मैदान तक पहुंच भी पाएंगे और इससे ये साफ जाहिर होता है कि सरकार घबराई हुई है शासन व्यवस्था प्रशासन व्यवस्था घबराया हुआ है और अब इससे ज्यादा प्रमाण कुछ नहीं हो सकता है धन्यवाद तो आपको क्या लगता है सरकार जनराज से घबरा गई है बिल्कुल घबरा गई है सरकार का हालत इस कदर खराब हो गया है कि आप मान लीजिए कि अभी हम देख रहे थे वहां पे जैसे हम लोग एंट्री किए ना तो पुलिस प्रशासन बल वहां पे खड़ा था हम उतर के आए पूछे कि भाई साहब क्या बात है क्यों आप लोग जाम यहां पे लगाए हैं तो बोल रहे हैं कि आप पटना के किसी भी गली से एंट्री नहीं कर पाएंगे इतना जबरदस्त जाम लगा है आपको डोरीगंज जाना होगा डोरीगंज से जाके आप लोग वापस आ सकते हैं नहीं तो अभी तक कोई व्यवस्था नहीं है जब तक खुलेगा नहीं तब तक शाम भी हो सकता है रात भी हो सकता है यह खुलने वाला नहीं है

 प्रशासन पर गंभीर आरोप: क्या सरकार घबरा गई है?

ये प्रशासनिक व्यवस्था का बोला हुआ बात हम आपको बता रहे हैं तो इससे लगता है कि प्रशासन पूरा घबराया हुआ है और वो अपना सरेंडर कर चुका है यहां पे तो जैसे कि आपने सुना ये सब बयान थे जो वो उन्होंने दिए उनके सपोर्टर्स ने प्रशांत किशोर के अब ये सारी चीजें तस्वीरों के माध्यम से भी आने लगी बिल्ड अप बहुत था इस रैली का क्योंकि अगर आप जन स्वराज ओवरसीज का Twitter हैंडल देखिए तो एक-एक कुर्सी लगते हुए बांस बल्ली लगते हुए उसका एक बहुत ही ड्रामेटिक टाइप सिनेैटिक शूट किया गया और ये दिखाने की कोशिश की गई कि ये है वो ग्रैंड कलमिनेशन 2 साल की मेहनत का जो आपको यहां निकल करके दिखेगा इसको लेकर के तमाम बयान भी दिए गए थे बिहार यूथ कांग्रेस का जो Twitter हैंडल है उसने तुरंत मौका देखा और मजाक उड़ाना शुरू किया उन्होंने वो सारे पुराने बयान निकाले प्रशांत किशोर के कि कहां तो यह दावा कर रहे थे कि यह इतना भर देंगे वो 11 अप्रैल को देख लेना और फिर स्थिति कैसी हो गई तो उन्होंने भी एक अपना ट्वीट किया वो ट्वीट देखिए अब इन सारी चीजों के बाद यह सब चीज होनी शुरू हो गई जिसमें आप देख रहे हैं कि राजनीतिक तंज भी कसा जा रहा है विनोद तावड़े जी जो हैं भारतीय जनता पार्टी के उन्होंने भी तंज कस दिया खाली कुर्सियों का खाली कुर्सियों का जनसैलाब कुर्सी सैलाब दिखा दिया उन्होंने फोटो में कि यह तो कुर्सी का हाल है उनके ट्वीट में वह कहते हैं पटना के गांधी मैदान में यह खाली कुर्सियां आगामी चुनाव में जन स्वराज को मिलने वाले अह वोटों की प्रतीक है क्योंकि बिहार के मन में मोदी जी बसते हैं यह उन्होंने अपने बीजेपी की तरफ से बात कह दी अब मेन चीज ये थी कि इतनी फजीती हो जाने के बाद अ प्रशांत किशोर क्या बोलते देखिए ये रैली चलनी थी बहुत लंबी अ इसकी जो ऑफिशियल फीड है 

जन स्वराज की तैयारी और सिनेमैटिक प्रचार अभियान

जन स्वराज के YouTube हैंडल पर वो है भी 4 1/2 घंटे की लेकिन प्रशांत किशोर की खुद की स्पीच 8 से 9 मिनट के अंदर-अंदर या उससे भी कम में निपट गई और उन्होंने छूटते ही सबसे पहले बोला कि मैं क्षमा मांगता हूं आप सब लोगों से जो यहां पर खड़े हुए थे और फिर उन्होंने गरजना शुरू किया और वजह बतानी शुरू की कि उनकी भीड़ क्यों नहीं आ पाई वो बड़े कॉन्फिडेंट थे कि मेरी भीड़ आएगी लेकिन क्यों नहीं आ पाई इसकी वजह उन्होंने गिनानी शुरू की उनका यह कहना था कि मेरे लाख कहने के बाद परमिशन ले लेने के बाद भी प्रशासन ने एक ऐसी स्थिति उत्पन्न की कि उन्होंने लोगों को नहीं आने दिया एक छोटा सा अंश सुनिए उनकी स्पीच का आज हम लोगों ने यहां पर जब आपको जन स्वराज के परिवार को अपने साथियों को बुलाया था बात करने के लिए प्रशासन से एक-एक परमिशन लिया गया है यहां के डीएम यहां का एसपी यहां का चीफ सेक्रेटरी यहां का पुलिस महानिदेशक कोई ऐसा अफसर नहीं है जिसको सारी सूचना ना दी गई हो उनको एक एक जिले से कितनी गाड़ियां आनी है कितने लोग आने हैं यह सारी सूचना देने के बाद भी इन लोगों ने इन लोगों ने कोई मदद नहीं की और जितने हमारी माताएं बहने भाई आए हैं सब बेचारे पूरा दिन पूरे दिन आज गर्मी में लोग परेशान रहे हैं मैं पिछले दो घंटे से मैं खुद रोड पर घूम रहा हूं हजारों की संख्या में महिलाएं पैदल चल रही हैं तो मैं आपसे माफी मांगने आया हूं भाई मेरी वजह से आपको इतना कष्ट हुआ है इसके लिए माफी मांग रहा हूं लेकिन आपको ये वादा कर रहा हूं आपको इन्होंने हमसे मिलने नहीं दिया इन्होंने कई लाख लोगों को आज हमसे मिलने नहीं दिया है इसका खामियाजा इनको भुगतना पड़ेगा आज से 10 दिन के अंदर आज आप अपने घर से आए हैं 10 दिन के अंदर मैं यहां से यात्रा पर निकलूूंगा और आपके घर आपके गांव आऊंगा ये हमको रोक नहीं सकते हैं रोक नहीं सकते हैं तो जैसा कि आपने सुना वो कह रहे हैं कि मैं माफी मांगता हूं मैंने पूरा रूट दे दिया था सब कुछ दे दिया था फिर भी प्रशासन की ओर से ये किया गया अह यह मतलब वह डायरेक्टली तो इशारा नहीं कर रहे थे लेकिन वह इसको बदमाशी की श्रेणी में रख रहे थे कि आप रैली फ्लॉप कराने के उद्देश्य से यह सब कर रहे थे या यह आपकी नाकामी थी कि आप इतने इतना सब कुछ के बाद भी आपने हमारे लोगों को अंदर नहीं आने दिया और भूखे प्यासे लोग पटना के बॉर्डर पर खड़े हुए हैं 

प्रशांत किशोर की माफ़ी और गुस्से से भरी प्रतिक्रिया

मोटी-मोटी बात यह है कि तस्वीरें इस तरीके की आई कि वो कुर्सियां खा ली प्रशांत किशोर आग बबूले एकदम गुस्सा में उनका उनका यह कहना था कि यह आपने जानबूझ के किया है और फिर उन्होंने निशाना साधा नीतीश कुमार पर लालू के खिलाफ तो बोलते ही हैं तेजस्वी यादव के खिलाफ बोलते ही हैं एजुकेशन पर सवाल उठाते हैं लेकिन नीतीश कुमार पर उनका एक बयान इस तरीके का था कि वह बयान बहुत जरूरी होगा इंपॉर्टेंट पॉइंट वह बोल गए उनका यह कहना था 2015 में अगर मैं इनके साथ ना होता तो यह सन्यास कब का ले चुके होते जीत नहीं पाते मेरी बदौलत यह जीते और आज इनका प्रशासन इस तरीके की हरकत मेरे साथ कर रहा है और तब आया यह की पंच और वो पंच यह था कि जो पंडित शुरुआत कराता है वही पंडित श्राद्ध भी करवाता है जरा सुनिए यह बयान नीतीश के कान तक आवाज जाना चाहिए यह पलटू चाचा के कान में आवाज जाना चाहिए जय बिहार आज प्रशासन से प्रशासन से के मदद से हम लोग को रोकने का कोशिश किया है इस आदमी का अब खैर नहीं है अगर 2015 में इसकी मैंने मदद नहीं की होती तो नीतीश कुमार सन्यास लेकर कहीं बैठे होते और आज बहुत बड़ा होशियार बन रहे हैं इनको जिसने आपने गांव देहात में सुना होगा जो भैया शादी कराता है वही श्राद्ध भी कराता है जो शादी कराता है वही श्राद्ध कराता है तो इनका पूरा उपाय राजनीतिक श्राद्ध जन स्वराज के लोग करेंगे यह संकल्प लेकर जाइए क्या प्रशांत किशोर यह कहना चाह रहे हैं कि वह नीतीश कुमार का राजनीतिक श्राद्ध करा देंगे श्राद्ध कब होता है जब देहांत हो जाए तो क्या वो नीतीश कुमार के राजनीतिक देहांत की बात कर रहे हैं क्या प्रशांत किशोर यह कर सकते हैं खाली कुर्सियों के साथ अब हालांकि उनका दावा यह है कि वो उनकी बसें आ जाती हैं तो यह कुर्सियां भर जाती हैं लेकिन इतने दिन वॉक करने के बाद उसका ग्रैंड कलनेशन ठीक से नहीं हो पाया 



भीड़ से वोट तक की दूरी: बदलाव की राह अभी बाकी है

प्रशांत किशोर का ये कहना है कि मैं 10 दिन बाद फिर सड़कों पर उतरूंगा जो जो लोग गांधी मैदान नहीं आ पाए मैं उनके घर फिर जाऊंगा मोटी-मोटी बात एक जान लीजिए असेसमेंट में वो कार्डर जुटाने में किसी भी पार्टी का समय लगता है वह ऐसे ही नहीं जुट जाता समय लगता है उसको पूरा एस्टैब्लिश करने में भारत की राजनीति में तमाम एक्सपेरिमेंट्स हुए हैं नए एक्सपेरिमेंट्स हुए हैं और कैसे वो नए एक्सपेरिमेंट्स भी पुराने जैसे ही लगने लगे हैं यह हमने आम आदमी पार्टी में देखा कि शुरुआत में एक बदलाव की आंधी की तरह देखा जा रही थी वो पार्टी और बाद में वो पार्टी अपनी गतिविधियों में कितनी नॉर्मल राजनीतिक दल जैसी होती चली गई हमने वो भी देखा बयानबाजी वैसे ही अह पॉलिटिकल ऑप्टिक्स वैसे ही तो ये एक राजनीति का पार्ट एंड पार्सल है क्या जन स्वराज वो सब कर रहा है क्या जन स्वराज के पास कार्डर है क्योंकि बिना कार्डर के इस तरीके से भीड़ नहीं जुटती और अगर भीड़ जुट भी जाए तो हम लोग जानते हैं कि अटल बिहारी वाजपेई को सुनने लाखों लोग आते थे लेकिन शुरुआत में भारतीय जनता पार्टी को सीटें दो ही मिली तो ये जो कन्वर्जन होता है कन्वर्जन फ्रॉम भीड़ टू वोट वो भी आसान नहीं होता इन सब चीजों को देखते हुए क्या अभी जन स्वराज और प्रशांत किशोर को थोड़ा सा और इंतजार करना पड़ेगा या फिर वो एक मेवरिक साबित होंगे मेवरिक क्या होता है मेवरिक वो होता है कि कोई एक ऐसा इंसान जो एकदम जादुई और करिश्माई काम कर जाए कि अभी भी समय है चार छ महीने हैं बिहार के चुनाव में तो क्या प्रशांत किशोर अपनी खाली कुर्सियों से क्रोधित हो के प्रेरणा लेकर के दोबारा जमीन पर उतर सकते हैं कि वह एक ऐसी स्थिति उत्पन्न कर दें कि वह वाकई त्रिकोणीय मुकाबला बिहार में करने में सक्षम हो ऐसा होगा 


Post a Comment

Previous Post Next Post

Contact Form