दुष्यंत कुमार की पंक्तियों से शुरू एक सच्चाई
दुष्यंत कुमार की दो लाइनों के साथ शुरू करते हैं कि कहां तो तय था चिरागा हर एक घर के लिए चिराग मतलब दीपक कहां तो तय था चिरागा हर एक घर के लिए कहां एक चिराग भी मयस्सर नहीं पूरे शहर के लिए वक्फ बिल लोकसभा में पास हो चुका है और वक्फ बिल में जब सरकार की तरफ से जिन लोगों ने अपनी बात रखी उन्होंने कहा कि यह वक्फ बिल मुसलमानों के हित में है यह मुसलमानों को उनका अधिकार दिलाएगा जमीनों पर जो विवाद होते थे कब्जे होते थे वह खत्म हो जाएंगे और सरकार इस देश के मुसलमानों को एंपावर करना चाहती है यह सब सारी बातें हुई लेकिन जहां संसद में एक तरफ मुसलमानों को एंपावर करने की बात हो रही थी मजबूत करने की बात हो रही थी वहीं उसी वक्त दिल्ली से कुछ 100 किलोमीटर दूर मेरठ में मुसलमानों के खिलाफ मुकदमा लिख दिया गया आपको याद होगा कि ईद की नमाज के बाद एक पोस्टर लेकर के कुछ नमाजी आए और उस पोस्टर में लिखा था कि सड़कों पर सिर्फ मुस्लिम नमाज नहीं पढ़ते बल्कि हिंदू होली सड़कों पर मनाता है शिवरात्रि सड़कों पर मनाता है कावड़िया सड़क पर निकलता है रामनवमी यात्रा सड़क पर करता है दिवाली पर पटा के सड़क पर फोड़ता है और गणेश चतुर्थी सड़कों पर मनाता है यह पोस्टर लेकर के कुछ लोग आए थे और एक व्यक्ति फिलिस्तीन के समर्थन में पोस्टर लेकर के आया था यह पोस्टर लेकर के आना उसको दिखाया और वो चले गए कहीं कोई सड़क पर नमाज नहीं हुई कोई प्रदर्शन नहीं हुआ पोस्टर लेकर दिखाया और वह चले गए और लोकतंत्र में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है लेकिन मेरठ पुलिस ने इन लोगों पर मुकदमा कर लिया है इन लोग इन लोगों पर मुकदमा कर दिया है और वह एफआईआर की हम यह कॉपी भी आपको दिखा रहे हैं यानी सिर्फ यह पोस्टर दिखा दिया कि मुसलमान सिर्फ नमाज सड़कों पर नहीं पढ़ता नवरात्रि भी सड़कों पर मनाई जाती है होली भी सड़कों पर खेली जाती है गणेश चतुर्थी मनाई जाती है काव यात्रा सड़कों पर निकलती है इसलिए मुकदमा हो गया
सवाल उठाता मेरठ का मामला – न्याय या भेदभाव?
सिर्फ एक पोस्टर लेकर के लोग निकले फिलिस्तीन का झंडा लेकर के निकले तो भी उन पर मुकदमा कर दिया गया अब जिन लोगों पर मुकदमा हुआ है उनका पासपोर्ट रद्द करने की भी बात हो रही है क्या यह लोकतंत्र है एक तरफ सरकार कह रही है अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरण रिजिजू देश के गृह मंत्री अमित शाह कह रहे हैं कि यह मुसलमानों को मजबूत करने के लिए आया वक्त बिल और दूसरी तरफ सिर्फ और सिर्फ वो एक पोस्टर लेकर के आ गए कि सिर्फ मुसलमान सड़कों पर नमाज नहीं पढ़ता तो उन पर मुकदमा कर दिया गया एफआईआर की कॉपी हम जरा स्क्रीन पर दिखा रहे हैं और एफआईआर में आरोप क्या लगाया गया है कहा क्या गया है सुनिए कुछ अज्ञात व्यक्ति जिनमें से एक व्यक्ति के हाथ में बैनर था जिसमें सड़कों पर सिर्फ मुस्लिम नमाज नहीं पढ़ते हिंदू होली सड़क पर मनाता है हिंदू शिवरात्रि सड़क पर मनाता है हिंदू कावड़ यात्रा सड़क पर निकालता है हिंदू राम नवमी सड़क पर करता है हिंदू दीपावली के पटाखे सड़क पर फोड़ता है हिंदू गणेश चतुर्थी महीने सड़क पर मनाता है हर त्यौहार तो इनका सड़कों पर ही होता है इसके अलावा बैनर में में कुछ फोटो जैसे सड़क पर रखी हुई होलिका कावड़ यात्रा एवं कुछ हिंदुओं के धार्मिक जुलूस के फोटो के प्रिंट हैं बैनर प्रदर्शन के अलावा इन कुछ अज्ञात व्यक्तियों द्वारा नारेबाजी भी की गई जिनमें जिनसे इन कुछ अज्ञात व्यक्तियों द्वारा नारा नारेबाजी और बैनर प्रदर्शन कर भीड़ को उक्कर लोक शांति व दंगा फैलाने एवं विभिन्न वर्गों में शत्रुता व मनस्य पैदा करने का कार्य किया है एवं दे दो लड़के फिलिस्तीन का झंडा लेकर घूम रहे थे जिनके द्वारा भी लोगों को उकसाने एवं माहौल खराब करने का कार्य किया गया अब यह बताइए यह लिखा है एफआईआर में यह कंटेंट है कि ये पोस्टर लेकर जो आए वो लोग दंगा फैलाना चाहते थे क्यों नहीं फैले दंगा कहां दंगे फैल गए सड़कों पर नमाज नहीं पढ़ सकते आप मुकदमा कर देंगे छत पर नमाज नहीं पढ़ सकते आप मुकदमा कर देंगे बैनर लेकर के आए अब अपनी आवाज उठाया शांतिपूर्ण तरीके से तो आप मुकदमा कर देंगे क्योंकि वो लोग वहां पर खड़े होकर के कह रहे थे कि हमारा भी अधिकार है
नमाज, सड़कों और पुलिस की सख्ती – दोहरे मानदंड?
अगर आप हमें सड़कों पर नमाज पढ़ने से से रोक रहे हैं तो आप हिंदुओं को भी रोकिए क्योंकि मुसलमान भी इस देश का बराबरी का नागरिक है उनको क्यों टारगेट किया जा रहा है तो उन पर आरोप लगा दिया गया कि उन्होंने दंगा फैलाने की कोशिश की है अब इन लोगों को चिन्हित किया जा रहा है बीएनएस की धारा 1893 बीएनएस की धारा 189 बीएनएस की धारा 3532 के तहत ये मुकदमा दर्ज किया गया है आप सोच लीजिए आप मुसलमानों का घर बुलडोजर से ढहा दें सुप्रीम कोर्ट हल्ला करके आप पर फाइन लगा रहा है आपको देखा ही कि अतिक अशरफ से संबंधित जमीन बता कर के ढा दिया गया प्रोफेसर वकील का घर अभी सुप्रीम कोर्ट ने कहा मुआवजा दो 10 10 लाख रप का मुसलमानों का भर घर पर बुलडोजर चले नमाज वो सड़कों पर नहीं पढ़ सकते अपने घर की छतों पर नहीं पढ़ सकते मस्जिदों को ढक दीजिए यह सारे काम हो रहे हैं और दूसरी तरफ संसद में लोकसभा में यह कहा जाता है कि वक्फ बिल मुसलमानों को मजबूत करने के लिए लाया जा रहा है उनके अधिकारों को सुरक्षित करने के लिए लाया जा रहा है जो संविधान में अधिकार जो दिए गए हैं भारत के नागरिक को पहले उनको तो मजबूत करना चाहिए क्या गृह मंत्री को यूपी पुलिस की यह नाइंसाफी नजर नहीं आती आप सोचिए आपको कैसा लगे कि आपके साथ जाति हो आपको टारगेट किया जाए और फिर शांतिपूर्ण तरीके से आप आवाज भी नहीं उठा सकते लोकतंत्र में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की आजादी है अभी सुप्रीम कोर्ट ने ही इमरान प्रतापगढ़ी के मामले में कहा है कि पुलिस को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा करनी चाहिए जो पुलिस कर रही अब आपको पता ही है कि उत्तर प्रदेश में तो होड़ लगी हुई है कि संबल के एसपी कुछ कहेंगे सीओ कहेंगे 52 जु में एक होली होली की गुजिया खानी पड़ेगी ईद की सीमाई मिठ मिठाई खानी पड़ेगी यह सब सारी बातें होती हैं फिर दूसरा वाला कहता है अरे हम क्यों पीछे रहे हम पीछे नहीं रहेंगे हम मुकदमा कर देंगे सड़क पर नमाज पढ़ी तो लाइसेंस कैंसिल कर देंगे आप सोचिए कि इन लोगों को जो वीडियो में नजर आ रहे हैं इनको अब चिन्हित किया जा रहा है इनको नोटिस भेजा जाएगा पासपोर्ट कैंसिल किया जाएगा और जिनके पासपोर्ट नहीं है पुलिस मेक श्यर करेगी कि वह पासपोर्ट उनके बने बिना क्योंकि पुलिस वेरिफिकेशन में वह एडवर्स रिपोर्ट देंगे फिर लोकसभा में कहा जाता है कि मुसलमानों के अधिकारों की बात हो रही है वक्त बिल में और उम्मीद की जाती है कि लोग मान ले प्रधानमंत्री मोदी सौगात दे रहे हैं मोदी की और इट इज अ वेरी गुड स्टेप प्रधानमंत्री के इस कदम की बहुत प्रशंसा करता हूं व्यक्तिगत तौर पर लेकिन नाक के नीचे क्या हो रहा है
वक्फ बिल और जमीनी सच्चाई का टकराव
यह भी एक बहुत बड़ा सवाल है लेकिन शायद उत्तर प्रदेश में रीत हो गई है कि जो मुस्लिम मुसलमानों पर जितना ज्यादा डंडा चला दे उसका उतना प्रमोशन कर दिया जाएगा जब सीओ यह बयान दे कि 52 जुमे एक होली और मुख्यमंत्री उसको एंडोस कर दे कह दे पहलवान ने बोल दिया होगा गलत क्या बोला है तो बाकियों को भी रेड कार्पेट मिल ग वहीं डीजीपी कहते हैं कि नहीं आपके बयान जोड़ने वाले होने चाहिए तोड़ने वाले नहीं होने चाहिए आपसे सिर्फ इतना कहा गया कि नमाज सड़कों पर ना हो लेकिन आप लोग यह बयानबाजी कर रहे हैं जो कि गलत है बयानबाजी से बचे तो बयानबाजी से बचे तो इस पूरे मामले में एफआईआर की कॉपी है लेकिन मेरठ पुलिस ने टीवी मीडिया में कोई बयान नहीं दिया है लेकिन काम पूरा एफआईआर कर ली गई है जो हम आपको दिखा रहे हैं और फिर कहा जाता है कि नहीं ऐसा नहीं है सबका साथ सबका विकास सबका विश्वास तो ये एक बहुत बड़ी समस्या है चुनौती है जो हमारे लोकतंत्र के सामने है ये मेरठ का मामला था जो हमने आपको सामने जस के तस परोस दिया है निर्णय आपको लेना है और अंत में सुन लीजिए वो पुलिस के तमाम बयान जिनको लेकर के सवाल उठ रहे हैं और चर्चा हो रही है कि क्या यूपी पुलिस तटस्थ है क्या यूपी पुलिस उत्तर प्रदेश के हर नागरिक को बराबरी की दृष्टि से देखती है सबसे बड़ा सवाल यही है सुनिए यह बयान मेरा मेरा सीधा साफ साफ यह है होली का दिन है जुम्मा साल में 52 बार आता है होली साल में एक बार आती है मुस्लिम समुदाय के लोगों को य किसी को लगता है भाई आपको होली के रंग से आपका धर्म भ्रष्ट हो जाएगा या जो भी है तो वो उस दिन ना निकले घर से ना निकले और यदि निकले तो उसका इतना बड़ा दिल होना चाहिए वो दिल होना चाहिए सब एक जैसे हैं रंग तो रंग है इसमें हमने सभी युवाओं से अपील की है जो धर्म गुरु सभी लोगों से अपील की गई है कि ज्यादा से ज्यादा लोग नमाज अपने जो आसपास की मस्जिद है उसमें पढ़े और अगर ईदगा में भी आ समय से आ जाए ईदगा में आ जाए किसी भी सूरत हाल में रोड पर नमाज नहीं पढ़ी जाएगी स्ट्रिक्ट इंस्ट्रक्शन दिए गए हैं इनको इन्ह बता भी दिया गया है इन्ह नोटिस भी जारी किया गया है लास्ट ईयर भी कुछ लोगों ने ईद पर रोड पर नमाज पढ़ी थी करब 200 लोगों के खिलाफ इस मुकदमा पंजीकृत किया गया था इसमें 80 से अधिक लोगों को चिन्हित कर लिया गया है उनके खिलाफ कारवाई की गई है बाकी लोगों को भी चिन्हित किया जा रहा है इसमें इस बार भी अगर कोई बैठता है तो उसके खिलाफ बहुत ही सख्त कारवाई की जाएगी
लोकतंत्र में आवाज उठाने की सजा – FIR और पासपोर्ट रद्द?
लगातार अपील कर रहे हैं लोगों से हमें कारवाई करने का मौका ना दे अग कोई का इसमें बैठता है तो जैसे मैंने बताया उ लोग को चिन्हित किया जाएगा जो पिछली बार भी जो लोग बैठे उनको भी हम लोग चिन्हित कर रहे हैं और उनके खिलाफ विध संगत कारवाई की जाएगी देखिए क्रिमिनल अगर ये कोई केस उनके खिलाफ बनता है किसी के खिलाफ भी होता है तो यजली होता है कि पासपोर्ट हो गया लाइसेंस हो वो र किया जा सकते न पासपोर्ट नहीं बनते जब तक वो क्लेरेंस नहीं हो जाए एनओसी कोर्ट से ना मिल जाए ऐसा कोई क्रिमिनल केस किसी के खिलाफ दर्ज होता है तो पासपोर्ट और जो लाइसेंसेस होते हैं वो नहीं दिए जाते जब तक कोर्ट से एनय लोग कोर्ट से भरी हो जाएंगे त तभी इनको पासपोर्ट या लाइसेंस मिलेगा