हैदराबाद यूनिवर्सिटी के जंगल में तबाही की आहट
आप अपनी कक्षा में बैठकर रोज पढ़ते हैं रोज आपको खिड़की से चिड़ियों की आवाजें अच्छे हरे भरे जंगल पेड़ पौधे देखने को मिलते हो कोयल की कुहू कुहू सुनाई देती हो और अचानक से आपको सुनाई देने लग जाए बुलडोजर की आवाज मशीनों की आवाज पेड़ों के गिरने की आवाज तो आपको कैसा लगेगा आप भी चिंतित हो जाएंगे घबरा जाएंगे और आप भी उस जंगल को बचाने की आवाज उठाने के बारे में सोचेंगे और अगर आपने आवाज उठाई तो आपको अगर घसीट करके लाठी डंडे से पीटते हुए डिटेन कर लिया जाए पुलिस द्वारा तो आपको कैसा लगेगा हम आपको ले चलते हैं तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद हैदराबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी से सटी हुई 400 एकड़ की जमीन है जिसको लेकर के बवाल हो गया है इस 400 एकड़ में जंगल है जंगल में तमाम तरीके के पेड़ पौधे पशु पक्षी हैं मोर हैं हिरण है औषधियां हैं जड़ी बूटियां हैं लेकिन अब इस जंगल को साफ किया जा रहा है क्योंकि वहां पर आईटी पार्क बन सके यूनिवर्सिटी के छात्रों ने प्रदर्शन किया तो उन्हें घसीट करके लाठी डंडों से पीटते हुए पुलिस ने हिरासत में ले लिया आपको बताएं कि हैदराबाद स्टूडेंट्स यूनियन के मुताबिक 400 एकड़ जमीन से पेड़ पौधों और झाड़ियों को तेलंगाना सरकार के बुलडोजर और अर्थ मूवर पिछले दो दिनों से साफ कर रहे हैं इसको लेकर के यूनिवर्सिटी के छात्र और पर्यावरण के कार्यकर्ता नाराज है सोचिए कि अगर यूनिवर्सिटी कैंपस में जहां पर किताबें पढ़ाई और बौद्धिक चर्चा होती हो बौद्धिक चर्चा इस बात को लेकर के हो रही हो कि किस तरीके से देश भर में जो बुलडोजर कारवाई हो रही है उसको लेकर के सुप्रीम कोर्ट कितना सख्त है
सुप्रीम कोर्ट ने तो 10 लाख र का फाइन लगा दिया यहां तक कहा कि बुलडोजर कार्रवाई करना संविधान पर बुलडोजर चलाने जैसा है लेकिन जब छात्र कक्षा से ऐसे बौद्धिक डिस्कशन करके निकले और देखें कि उनकी यूनिवर्सिटी कैंपस में ही बुलडोजर चल रहा है पेड़ पौधों को जड़ से हटाया जा रहा है तो फिर वह क्या सीखेंगे क्या सोचेंगे और वह प्रदर्शन करने जाए तो उनको घसीट करके पीट करके हटा दिया जाए आपको बताएं पिछले दो दिनों में जंगल को बचाने के लिए प्रदर्शन कर रहे 53 से 54 छात्रों को तेलंगाना पुलिस ने हिरासत में लिया है आपको बताएं कि जो खबरें हैं टाइम्स ऑफ इंडिया या इंडियन एक्सप्रेस की उन खबरों के मुताबिक हैदराबाद विश्वविद्यालय छात्र संघ ने एक तारीख से कहा है कि कि वो अनिश्चित कालीन विरोध प्रदर्शन करेंगे कक्षाओं का बहिष्कार करेंगे यानी अब पिछले दो दिनों से छात्र जंगल बचाने के लिए सड़कों पर हैं प्रदर्शन कर रहे हैं और कक्षाओं में नहीं जा रहे हैं इसका इस पूरे छात्रों के प्रदर्शन को रोकने के लिए बड़ी तादाद में पुलिस डिप्लॉयडी पलय मेंट के बीच में ये जेसीबी मशीनस चल रही हैं बुलडोजर चल रहे हैं और जंगलों को हटाया जा रहा है काटा जा रहा है आपको बताएं कि हैदराबाद विश्वविद्यालय छात्र संघ और अन्य छात्र संगठनों ने विश्वविद्यालय परिषद प्रशासन पर छात्रों को धोखा धोखा देने का आरोप लगाया है उन्होंने कहा है कि प्रशासन ने सरकार को 400 एकड़ जमीन साफ करने की अनुमति दी है जो कांचा गाची बॉली में विश्वविद्यालय से सटी हुई है छात्र शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन पर पुलिस की सख्त कारवाई की भी आलोचना कर रहे हैं वो कह रहे हैं कि छात्र के हाथों में ना लाठी है ना डंडा है ना तलवारें हैं प्रदर्शन कर रहे हैं शांतिपूर्ण तरीके से तो उन्हें लटिया करके गाड़ी में बैठा करके जेल में डाला जा रहा है यह जो बुलडोजर की कारवाई है
बुलडोजर के साए में लोकतांत्रिक विरोध की कुचलती आवाजें
जंगल साफ करने की कारवाई है वह 30 मार्च दोपहर से शुरू हो गई और तभी वहां पर धरने प्रदर्शन शुरू हुए हैं इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक रंगा रेड्डी जिले में स्थित लगभग 400 एकड़ भूमि के प्रस्तावित नीला से राज्य सरकार को 10000 से 15000 करोड़ रुपए की आमदनी होने की उम्मीद है यानी जो जंगल हटा कर के साफ करके इसे जब बेचेगी तेलंगाना सरकार जहां पर आईटी पार्क बनेगा तो सरकार को 10000 से 15000 करोड़ रुपए की आमदनी होगी जिसके लिए यह जंगल साफ किया जा रहा है सरकार यहां दावा है सरकार का कि सरकार यहां विश्व स्तरीय बुनियादी ढांचा आईटी पार्क और आधुनिक शहरी आवासीय क्षेत्र क्षेत्र विकसित करना चाहती है जो कि सरकार खुद करेगी या प्राइवेटाइज कर देगी एक बहुत बड़ा सवाल है यह जो पूरा धरना प्रदर्शन हो रहा है इसमें बीआरएस जिसके पहली सरकार थी वहां पर उन लोगों की भी तीखी प्रतिक्रिया आई है के कविता ने जो एमएलसी है उन्होंने भी इस पूरे मामले में ट्वीट किया है उन्होंने कहा है कि यह पूरा उस इस पूरे मामले में सरकार जो है जानबूझ कर के ये ध्वस्त गरण का काम कर रही है ये लोग शार्क्स हैं शार्क है मतलब आप जानते हैं उस उस पानी के जीव के बारे में यह कहा है और ऐसे विजुअल्स है जरा एक वीडियो सुनिए कि बुलडोजर की आवाज आ रही है साथ में जो मोर है वो चिल्ला रहे हैं और मोर मोर की आवाज हम और आप तो नहीं समझ सकते कि वह क्या कह रहे हैं लेकिन उनकी तकलीफ जरूर समझ सकते हैं कि बुलडोजर से जब उनके घर को हटाया जा रहा है ढाया जा रहा है तो कैसे दुख में ची पुकार कर रहे हैं यह वीडियो सुनिए [संगीत] सुनिए कि छात्र इस पूरे मामले में क्या कह रहे हैं मेरा नाम निशी है और मैं यूनिवर्सिटी ऑफ हैदराबाद में पीएचडी स्कॉलर हूं हमारे यूनिवर्सिटी में लगभग एक महीने से 400 एकड़ लैंड का जो ग्रब करने की जो रेवंत रेड्डी सरकार कोशिश कर रही है उसके खिलाफ मूवमेंट चल रहा है य पहले भी जेसीबी लेकर यहां आए थे लेकिन यूनियन टीचर एसोसिएशन और वर्कर्स एसोसिएशन के प्रोटेस्ट के थ्रू हमने उस को रोक दिया और यह चले थे लेकिन 30 तारीख कोय फिर से जसीबी लेकर आए हैं और लगातार उस 400 एकड़ में डिफोरेस्टेशन का काम चल रहा है आज इन्होंने ज वो जो पेड़ काटे थे उसमें आग भी लगा दिया य पूरा नामो निशान मिटा देना चाहते हैं वहां से पेड़ों का वह हमारे लिए सिर्फ लैंड के मालिकाना हक की लड़ाई नहीं है कि किसके नाम पर लैंड है सरकार की लैंड है कि यूनिवर्सिटी की लैंड है इशू हमारा मेन यह है कि वो एक सेंसिटिव लैंड है
400 एकड़ का हराभरा जंगल बना विकास का निशाना
वहां बायोडायवर्सिटी का कंसर्न इल जी का कंसर्न है हमारे लिए हम उस लैंड को अगर वो सरकार का भी लैंड है तो हम उसको प्रोटेक्ट करना चाहते हैं क्योंकि हम नहीं चाहते हैं कि ये एक एक फॉरेस्ट को बर्बाद करें वो एक कैचमेंट एरिया है हमारे यूनिवर्सिटी के अंदर भी जो लेक्स हैं और वो जहां पे वो डिफोरेस्टेशन कर रहे हैं वहां पे भी एक लेक है वो एक कैचमेंट एरिया है वो वहां पे अगर ये कुछ बनाते हैं जो भी बिल्डिंग खड़ी करते हैं चाहे वो आईटी पार्क हो या चाहे कुछ भी किसी भी तरह का कंस्ट्रक्शन हो उसका जो सीवेज होगा वो हमारे लेक्स में आएगा वहां जो वाइल्ड लाइफ है वो पूरी तरह से डिस्टर्ब हो रही है उनका हैबिटेट उजड़ रहा है तो यह हमारा मसला है मेन हमारा मसला एनवायरमेंटल कंसर्न है और यह जो हमारे यूनिवर्सिटी के अंदर वो यूनिवर्सिटी से सटा हुआ लैंड नहीं है वो यूनिवर्सिटी का अंदर का लैंड है तो उसम जो यह कॉरपोरेट के थ्रू घुसने की कोशिश कर रहे हैं हम उस पर रोक लगाना चाहते हैं और उसके खिलाफ हमारा लगातार मूवमेंट चल रहा है 30 तारीख के से अभी तक नाम मास्ट स्टूडेंट समय से चला रहे हैं ये एटलीस्ट 1520 दिन से हम लोग ये प्रोटेस्ट चला रहे हैं कुछ दिनों में ये ज्यादा एस्केलेट इसलिए हुआ है क्योंकि हमारे कैंपस के अंदर पुलिस घुसाई है और 30 मार्च को जब हम लोग बुलडोजर रोकने के लिए गए वहां पे तो उनको बहुत ब्रूटली डिटेन किया गया स्टूडेंट्स के कपड़े फाड़े गए उनको नोचा पीटा गया है डिटेंशन में तो हम ये सवाल पूछना चाहते हैं एक तो रिवन थडी की सरकार से कि वो लोग स्टूडेंट को ऐसे ट्रीट कैसे कर सकते हैं कैंपस के अंदर इतनी जो छावनी बना के रखी है उन लोग ने पुलिस की कैसे अलाव कर सकता है यूनिवर्सिटी भी और न थडी को शर्म आनी चाहिए कि एक पब्लिक यूनिवर्सिटी के अंदर वो पूरा प्राइवेटाइजेशन करने का मॉडल लेकर आ गए हैं ये हमारी यूनिवर्सिटी है और वो जमीन भी एक रिसर्च पर्पस के लिए ही रखी गई थी वहां पे इंस्टीट्यूशन का ही कोई बिल्डिंग बनना चाहिए था या इंस्टीट्यूशन डेवलपमेंट के लिए ही कुछ होना चाहिए था ना कि कोई कॉर्पोरेट का मशीनरी बनाए उस जमीन को वहां पे आप सोचिए कि वो जमीन कैंपस के अंदर है वो कैंपस के बाहर की जमीन नहीं है हमारा एक इकोनॉमिक्स का डिपार्टमेंट वहीं पर है वहां पे कैसे बच्चे पढ़ेंगे अगर वहां पे रेसिडेंशियल एयरवे बन जाते है कोई फैक्ट बन जाती है तो ये बहुत शर्मनाक बात है कि रेवंत रेड्डी इसको मॉडल डेवलपमेंट ऑफ मॉडल कह रहा है और साथ ही हम लोग अभी ये अपडेट आया है कि कोर्ट ने इसको एक दिन का स्टे लगा दिया है तो दिस इज अ वेरी बिग विन हमारे इतने दिनों के प्रोटेस्ट के बाद इ वेरी बिग विन की कोर्ट हमारे फेवर में ये स्टेटमेंट दे रही है आपने छात्रों को सुना इस पूरे मामले में मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी कार्यालय की तरफ से बयान जारी किया गया है उस बयान में कहा गया है कि जमीन पर राज्य सरकार के कानूनी स्वामित्व स्वामित्व है यानी यह जमीन राज्य सरकार की है यूनिवर्सिटी के नहीं है सरकार ने स्पष्ट किया है कि लंबे समय तक चले कानूनी विवाद में आखिरकार मई 2024 में सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के पक्ष में फैसला दिया जिसे इस जिससे उसे इस जमीन का पूरा अधिकार मिल गया है आपको बताएं कि राज्य सरकार ने दावा किया है कि यह 2004 में जमीन एक प्राइवेट कंपनी आईएमजी एकेडमी भारत प्राइवेट लिमिटेड को स्पोर्ट्स इंफ्रा स्क्चर विकसित करने के लिए दी गई थी लेकिन जब वहां पर स्पोर्ट्स इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित नहीं हुआ तो 2006 में कंपनी से यह जमीन वापस ले ली थी आवंटन रद्द करके सरकार ने इसे पर पर्यटन और युवा उन्नति सांकृत सांस्कृतिक विभाग को अलॉट कर दी थी उनको दे दी थी जिसके बाद 2006 में कंपनी ने हाई कोर्ट को चुनौती दी और 2024 में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला तेलंगाना सरकार के पक्ष में सुना दिया है और अभी भी इसके बाद दोबारा से यह चुनौती दी इस कंपनी ने जिसके नाम पर थी वह दोबारा से कह दिया सुप्रीम कोर्ट ने कि तेलंगाना सरकार की जमीन है अब सरकार का कहना है कि 19 जून 2024 को तेलंगाना इंडस्ट्रियल इंफ्रास्ट्रक्चर कॉरपोरेशन ने इस जमीन पर आईटी और अन्य बुनियादी ढांचे के विकास की योजना बनाई और सरकार से अनुमति मांगी 24 जून को 2024 को राज राजस्व विभाग के प्रधान सचिव ने अधिकारिक रूप से जमीन को के अधिकार टीजी आईआईसी को सौंप दिए हैं यह सरकार ने दावा किया है पर्यावरण चिंताओं पर सरकार का कहना है कि राजस्व रिगार्ड में यह जमीन जंगल क्षेत्र के रूप में दर्ज नहीं है बल्कि य सरकार की संपत्ति है यानी जंगल नहीं है सरकार की संपत्ति सरकार इसे खाली करा करके वहां आईटी पार्क बनाना चाहे तो बनाए सरकार वहां पर कुछ भी करना चाहे तो सरकार कर सकती है सरकार ने यह भी आरोप लगाया है कि जो राजनीतिक नेता और रियल स्टेट से जुड़े लोग अपने निजी स्वार्थ के लिए छात्रों को गुमराह कर रहे हैं तीखी आलोचना हो रही राहुल गांधी की भी इस पूरे मामले में क्योंकि वहां पर तेलंगाना में कांग्रेस की सरकार है विपक्ष के लोग कह रहे हैं कि यही मोहब्बत की दुकान है क्योंकि जब आर जब मेट्रो स्टेट बनना था तो वहां आर्य के जंगल जब हटाए जा रहे थे
आईटी पार्क के लिए उजड़ता जैव विविधता का खजाना
मुंबई में तो राहुल गांधी हो चाहे वह आदित्य ठाकरे हो सब समर्थन में आ गए थे कि जंगल नहीं हटाए जाए तो यहां पर विपक्ष के लोग क्योंकि वहां पर कांग्रेस की सरकार है क्या इसलिए चुप है यह भी सवाल उठाए जा रहे हैं अब इस पूरे मामले में टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक विश्वविद्यालय पर प्रशासन ने भी सरकार के दावे को खारिज करते हुए कहा है कि 2024 जुलाई में कोई संरक्षण नहीं हुआ विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार देवेश निगम ने पुष्टि की कि केवल एक प्रारंभिक निरीक्षण किया गया था लेकिन सीमा को लेकर के कोई अंतिम निर्णय नहीं हुआ है छात्रों का दावा है कि क्षेत्र बड़े पारिस्थितिकी तंत्र का हिस्सा है जिसमें कई वनस्पतियां और जीव जंतु संरक्षित और लुप्त प्राय यानी जो विलुप्त होने वाली प्रजातियों वाले भी पंखी हैं और अब इस पूरे मामले में पक्ष और विपक्ष सामने हैं सुनिए कि सरकार की ओर से इस पूरे मामले पर क्या सफाई दी जा रही है नमस्कार माय इरफान अजज अ तेलंगाना स्टेट कन्वीनर मीडिया एंड कम्युनिकेशन डिपार्टमेंट और एआईपीए यह वन वीक से जो हॉट टॉपिक चल रही है हैदराबाद सिटी में कांचा गचीबोली जो लैंड 400 एकर्स का लैंड यूनिवर्सिटी ऑफ हैदराबाद के बीच में जो चल रहा है उसका थोड़ा क्लेरिटी देना चाह रहा हूं मैं एक उस लैंड के तालुक से जो लैंड हाईएस्ट कोर्ट ऑफ इंडिया सुप्रीम कोर्ट ने ऑर्डर दिया है लैंड बिलंग टू तेलंगाना गवर्नमेंट बोलके स लीगल बैटल फाइट करके तेलंगाना गवर्नमेंट लाई है ला जो उसका रिकॉर्ड रेन्यू रिकॉर्ड में भी है उस अर फरम को लैंड सरकारी बोल के मेंशन करा हुआ है लैंड रिकॉर्ड्स में तो सर्वे कलेक्टर भी किया है और रेवेन्यू ऑफिशल भी किए तो ये पूरा रिकॉर्ड्स में वो कंप्लीट मेंशन किया गया है और वो एक इंच लैंड भी यूनिवर्सिटी हैदराबाद के अंदर नहीं आएंगी दो जो मीडिया रिपोर्ट्स के और जो फाल्स प्रोफंडा जो चल रही है गवर्नमेंट के खिलाफ वो बिल्कुल गलत है य लैंड पूरी गवर्नमेंट लैंड है और जो जो भी इश्यूज जो लेक के ऊपर आ रहे हैं या मशरूम रॉक के ऊपर आ रहे हैं तो क्लियर हॉनरेबल सीएम हमारे श्री रेवंत रेड्डी जी सस्टेनेबल डेवलपमेंट के ऊपर ज्यादा फोकस कर रहे हैं लोग हर इशू जो भी है सस्टेनेबल सस्टेनेबिलिटी के ऊपर काम कर रहे हैं हम लोग तेलंगाना गवर्नमेंट हर उस हर अपने गवर्नमेंट ऑफिशल्स को भी यही बोल रहे हैं एसडीजी सब गोल्स के ऊपर काम करने के लिए और इसके ऊपर हम लोग रॉक्स को डिस्टर्ब नहीं करना चाह रहे हैं और जो और लेक को भी कोई भी डिस्टरबेंस नहीं होगा और जो क्लेम जो कर रहे यूनिवर्सिटी ऑफ हैदराबाद वाले की कि हमारी कम्स अंडर आज तो एक इंच लैंड भी यूनिवर्सिटी ऑफ हैदराबाद के अंदर नहीं है ये और कंप्लीट कल प्रेस कॉन्फ्रेंस भी हॉनरेबल डिप्टी सीएम भट्टी जी और कंसर्न मिनिस्टर कोटी सडी जी और सदर बाबू जी और कंसर्न ऑफिशल्स जो कल प्रेस कॉन्फ्रेंस कि है क्लेरिटी क्लियर कट क्लेरिटी दे दिए कि पूरे डिटेल्स के साथ दिए कि पब्लिक डोमन में है ये क् गवर्नमेंट लैंड है इसको कोई डिस्टर्ब नहीं कर सकते और जो भी भी डिस्टर्ब करेगा कम्स अंडर कंटेम ऑफ कोर्ट ये पूरा हर चीज डिटेल्स पलि डट में है प्लीज क्लेरिफाई करिए गवर्नमेंट भी कंप्लीट ऑफिशियल प्रेस रिलीज भी कल शाम में करिए उससे अंदाजा हो जाएगा कि ये पूरा ये दूसरे पार्टी जो डिस्टर्ब करना चाह र है उनको पूरा उनके ऊपर ये तमाचा है क सुप्रीम कोर्ट को लोग मान रहे नहीं तो उससे क देल कमंडर कंटम ऑफ कोर्ट हमने आपको छात्रों का पक्ष सुनाया हमने आपको सरकार का पक्ष सुनाया लेकिन देश में लोगों को चिंता है कि जिस तरीके से जंगलों को साफ किया जा रहा है उससे जलवायु परिवर्तन हो रहा है और टेंपरेचर्स बढ़ रहे हैं और पेड़ों को को काटा जा रहा है और जिस तरीके से बुलडोजर चल रहे हैं और चीख पुकार कर रहे हैं पशु पक्षी वाकई में दिल बैठा देने वाली आवाजें हैं