तुर्की में बवाल: एर्दोआन ने विरोधी नेता इमाम ओग्लू को जेल में डाला, जनता सड़कों पर!
अनकंफर्म्ड न्यूज यह है कि रसपंचाका जो कि तुर्की के राष्ट्रपति हैं वह देश छोड़कर भाग चुके हैं यह कंफर्म नहीं है सोशल मीडिया पर चल रही खबर है कुछ इस तरह से खबर लिखी जा रही है कि रिपोर्ट्स में क्लेम हो रहा है बाद में यह खुद उतर के धप्पा बोल द कि मैं तो यहीं था मैं उसकी गारंटी नहीं लेता मैं पहले से ही बता दे रहा हूं रिपोर्ट्स करके क्लेम किया जा रहा है आज सुबह से कि अर्धगोले रहा है कि वो स्टेट के हवाई जहाज से निकले हैं अननोन डेस्टिनेशन के लिए इससे यह पता चल रहा है कि वह गायब हो गए हैं ऐसा सुनने के बाद में कयास लगते इसलिए हैं कुछ दिनों पहले सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल असद भी ऐसे ही गायब हुए थे और देश छोड़ कर के वह रूस में शरण ले लिए थे कुछ समय पहले पिछले साल ही शेख हसीना बांग्लादेश से निकली थी भारत में शरण ले ली थी ऐसे में इनकी खबर बनना बड़ी खबर बन जाती है और इसके पीछे का अगर कारण यह हो कि इनके खिलाफ प्रदर्शन हो रहे हो तो वो एक और बड़ी न्यूज़ बन जाती है तुर्की में फिलहाल इस तरह के प्रोटेस्ट सड़कों पर हैं जनता रास्ते पर है और इनके खिलाफ जबरदस्त प्रोटेस्ट चल रहा है यह तस्वीरें बयान कर रही हैं कि तुर्की में सब कुछ सामान्य नहीं है तस्वीरें इस्तांबुल की बताई जा रही हैं और कहा जा रहा है कि अर्धगोले में डाला है वो पूरी तरह असंवैधानिक है इस कारण से तुर्की में पिछली रात से बड़ी संख्या में लोग सड़कों पर उतरे हुए हैं इस्तांबुल और अंकारा में अर्धगोले चल रहे हैं सारी बातें आज के सेशन में विस्तार से क्योंकि हेडलाइन इसी बात की है कि तुर्की के अंदर अर्थ गन ने अपने खिलाफ सबसे बड़े नेता जिनका नाम इमाम मोगलू है उनको गिरफ्तार करके जेल में डाल दिया जिसके जेल में डलने से लोग सड़कों पर उतरक इनके खिलाफ प्रोटेस्ट कर रहे हैं बड़ी तस्वीरें हैं लेकिन इस से पहले थोड़ा सा इस विषय पर जानकारी और प्राप्त कर लेते हैं
तुर्की में उथल-पुथल: राष्ट्रपति एर्दोआन के भागने की अफवाहें, देशभर में विरोध प्रदर्शन!
साथियों जैसा मैंने आपसे अभी कहा तुर्की थोड़ा सा इसका इतिहास जानकर आगे बढ़ेंगे कभी यह ऑटोमन एंपायर हुआ करता था प्रथम विश्व युद्ध में अंग्रेजों से हारने के बाद में इस्लाम का यहां पर प्रभाव थोड़ा कम हुआ सेक्युलर इस्लाम के रूप के अंदर यहां पर धीरे-धीरे मतलब शासन बढ़ने लगा सेकुलरिज्म का इस्लाम बढ़ने लगा शुरुआत हुई और मुस्तफा के माध्यम से यहां पर शुरुआत हुई और यहां पर जब शुरुआत हुई तो इसका महत्त्व बहुत इंपॉर्टेंट है तुर्की का बड़ा हि हिस्सा एशिया में है और छोटा सा हिस्सा इसका यूरोप में पड़ता है यह वाला जो जगह आपको इस्तांबुल दिखाई दे रही है यह तुर्की की सबसे बड़ी जगह है इनकी कैपिटल अंकारा है जो दूसरी बड़ी सिटी कही जा सकती है इस पूरे देश में लगभग ढ़ करोड़ लोग रहते हैं जिनमें से डेढ़ करोड़ लोग अकेले इस्तांबुल में रहते हैं और उसके बाद अंकारा है जहां लगभग 60 लाख के आसपास लोग रहते हैं इसीलिए कहते हैं कि इस्तांबुल ने जिसे अपने लिए चुना यानी इस्तांबुल का जो नेता बना वही पूरे देश पर राज करता है इसको ऐसे समझिए जैसे भारत के अंदर कहा जाता है कि अगर कोई उत्तर प्रदेश से चुनकर आ रहा है या जो पार्टी उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा एमपी की सीटें लेकर आ रही है सत्ता में वही आती है बिल्कुल कुछ वैसा ही इस्तांबुल के बारे में कहा जाता है इस्तांबुल यहां डेढ़ करोड़ की आबादी वाला वो शहर जिसने कभी अर्द्र को अपना मेयर चुना था तो अर्दों प्रधानमंत्री बने 2003 में फिर 14 तक प्रधानमंत्री रहकर कानून बदला और फिर खुद राष्ट्रपति बन गए 2028 तक के लिए ये सत्ता में ही है तो तीन से लेकर 28 तक 25 साल का इनका कालखंड केवल सत्ता के लिए बना इस इस्तांबुल ने ही रास्ते खोले थे
क्या एर्दोआन ने तुर्की छोड़ दिया? सोशल मीडिया पर अटकलों का दौर जारी!
लेकिन इस इस्तांबुल में पिछले चुनावों में जो मेयर बनकर आए उनका नाम इमाम मोगलू है और जो मुख्य विपक्षी दल से हैं और उनका मेयर बनना और उनके मेयर बनने के बाद लोकल इलेक्शंस के अंदर अर्धगोले अथवा नहीं पता चले इमाम बोगल बीच में ही पलटी करवा दे और उनके स्थान पर खुद राष्ट्रपति बन जाए इस डर से उन्होंने इमाम बगल को गिरफ्तार कर लिया है ठीक है साहब मैंने ब्रीफ में सारी की सारी बातें फिलहाल आपको बता दी हैं अर्ध गन मुस्तफा कमाल अता तुर्क जो है अब थोड़ा सा मैं आपको इतिहास लेकर चल रहा हूं तुर्की का हल्का सा इतिहास जान लीजिए असल में तुर्की जैसा मैंने कहा ऑटोमन एंपायर से था और ऑटोमन एंपायर जो था वो कट्टर इस्लाम के लिए जाना जाता था लेकिन इसके कमांडर हुए जिनका नाम मुस्तफा कमाल अतातुर्क था जिन्होंने तुर्की के अंदर फिर से जब देश की स्थापना की तो थोड़ा सेकुलरिज्म को बल दिया लेकिन जब ये आए अर्दोगन आए तो इनकी पार्टी ने थोड़ा एक्सट्रीमिस्म को फोकस किया कट्टरवाद को फोकस किया जिसके चलते इन्होंने कई ईसाई जो वो थी चर्च थे गिरजाघर थे उनको बदल कर के मस्जिदों में बदलने तक का काम किया इन्होंने एक्सट्रीमिस्म को अपनाया और उसी के चलते यह भारत विरोधी भी होते चले गए हमने इनके साथ इनके ऊपर एक पूरा सेशन किया हुआ है कि कैसे यह पाकिस्तान के नजदीक होते चले गए और हमारे खिलाफ होते चले गए इस पर प्रॉपर हमने एक सेशन किया चार साल बाद 2003 को जब यह राष्ट्र जब प्रधानमंत्री बन कर के आए मतलब पहले ये मेयर बने इस्तांबूल के और इस्तांबूल के बाद में चार साल बाद में यहां के प्रधानमंत्री बनकर आए 2016 में इनके खिलाफ तख्ता पलट की कोशिश हुई लेकिन उन्होंने सारी कोशिशों को नाकामयाब कर दिया एक बार के लिए इनका राजनीतिक इतिहास अगर आप ध्यान से देखें तो आपके सामने यह वाला कालखंड दिखाई देता है
तुर्की में लोकतंत्र संकट में? राष्ट्रपति एर्दोआन के फैसलों से जनता नाराज!
तीन से लेकर 14 तक का जब ये तुर्की के अंदर प्रधानमंत्री पद पर रहे और प्रधानमंत्री की सीमा समाप्त हुई तो खुद से यहां के अंदर परिवर्तन कर लिया सांसदीय व व्यवस्था में और राष्ट्रपति के पद को प्रधानमंत्री के पद से ऊपर बना दिया डिफैक्टो व्यक्ति जो है वो प्रेसिडेंशियल रूल को बना दिया और खुद राष्ट्रपति बन गए 2014 से राष्ट्रपति बने 18 में फिर चुने गए फिर से ये मतलब प्रॉपर तरीके से 28 तक के लिए राष्ट्रपति हैं इन्होंने पांच पाच साल का कालखंड खुद के लिए निकाल लिया है खैर फिलहाल के लिए जब पिछले साल जब इनके यहां इलेक्शन हुए तो ये फिर से जुन कर के आ गए अब यहां पर राष्ट्रपति शासन पद्धति चलती है राष्ट्रपति इनके यहां पर बड़ा नेता होता है अर्धगोले में है कि इन्हें तानाशाह कहना गलत नहीं है क्योंकि इनकी सत्ता के अंदर सत्ता में बने रहने की जो लालसा है वो बिल्कुल वैसे ही है जैसे चीन के अंदर शी जिनपिंग की है या फिर पुतिन की रूस के अंदर है सत्ता में बने रहने के लिए जिस तरह से इन्होंने सत्ता में ही परिवर्तन कर दिया रूप में कानून में परिवर्तन कर दिया जैसे चीन का कानून नहीं कहता था कि कोई व्यक्ति दो से ज्यादा बार रहे लेकिन कानून में परिवर्तन हुआ ऐसे ही रूस का कानून भी परिवर्तित हो गया ऐसे ही तुर्की ने भी कानून परिवर्तित करके प्रेसिडेंशियल फॉर्म ऑफ गवर्नमेंट को अपना लिया वर्तमान में इनकी संसद में 600 एमपीओ की सीट होती है 300 से ज्यादा जिसके पास सर सीटें होती हैं वह राष्ट्रपति बन जाता है इन्होंने जो प्रेसिडेंशियल फॉर्म ऑफ गवर्नमेंट अपनाया उसको अपनाने का तरीका क्या था
वो समझिए इन्होंने तरीका अपनाया कि तुर्की की 64 मिलियन आबादी यानी 65 करोड़ आबादी वोट देगी वो एक बार में ही दो जगह वोट देगी एक किसी व्यक्ति को और दूसरा एक पार्टी को प्रत्येक व्यक्ति दो वोट देगा व्यक्ति और पार्टी व्यक्ति को अगर 50 पर से ऊपर वोट मिलते हैं तो वह राष्ट्रपति बन जाएगा और उसकी पार्टी को अगर 50 पर से ऊपर वोट मिलते हैं तो परसेंटेज के आधार पर वो संसद में अपने लोगों को जगह दे सकती हैं मतलब ये नहीं कि कितने लोग चुनकर आए डिसाइड होगा परसेंटेज का जो पाई है 100% का उसमें से किस पार्टी को कितना प्रतिशत वोट मिला मिनिमम परसेंटेज सात है सात से कम अगर परसेंटेज आया तो उसका वोट भी बड़ी पार्टियों में बट जाएगा 7 पर से ऊपर वाली पार्टियां ही संसद में रिप्रेजेंट करेंगी देश को इस प्रकार से इन्होंने संसद के अंदर राष्ट्रपति व्यवस्था को अपना दिया ठीक है साहब अर्दोगन ने हाल ही के समय पर दुनिया भर से एक मतलब समझिए तो चर्चा का कारण बने जब तुर्की के अंदर भूकंप आया था
इस्तांबुल में विरोध प्रदर्शन तेज: क्या एर्दोआन की सत्ता खतरे में है?
तुर्की में भीषण भूकंप जब आया तो उस समय पर इन्होंने अपनी सरकार को जिस तरह से चलाया लोग यह मानकर चल रहे थे कि ये फिर से राष्ट्रपति बनकर नहीं आएंगे लेकिन भारत जैसे देश से मिली मदद और इन्होंने जो अपने यहां मरे लोग थे उन लोगों के जान जाने के बावजूद जो प्रबंधन किया उसके चलते ये फिर से राष्ट्रपति बनकर 2023 में आ गए 28 तक के लिए ठीक है साहब लेकिन इनके राष्ट्रपति बनने के बाद से महंगाई पर नियंत्रण फिलहाल हो नहीं पा रहा है महंगाई पर नियंत्रण नहीं हो पा रहा है और जो इनकी करेंसी है वो करेंसी लगातार गिरती जा रही है इनकी करेंसी लीरा है जो लगातार गिरती जा रही है क्यों क्योंकि 23 का जो भूकंप था जिसमें बहुत बड़ा विनाश हुआ था उस भूकंप के बाद निर्माण कार्य और इन इनका अंतरराष्ट्रीय इंटरफेरेंस इनके देश के साथ व्यापारिक संबंधों को गिराता चला गया दुनिया भर के देशों को और साथ ही साथ में इन्होंने महंगाई पर नियंत्रण करने के जो तरीके अपनाए उनसे देश की अर्थव्यवस्था को गति नहीं मिली परिणाम स्वरूप ग्रोथ रेट भी खराब हुई और करेंसी के भाव भी गिरने शुरू हुए और जब देश परफॉर्म अच्छा नहीं कर रहा होता है तो फिर अपोजिशन को यहां पर जगह रखने का मौका मिलता है यहां की मुख्य अपोजिशन पार्टी है सीएचपी पार्टी जो कि तुलनात्मक रूप से सेकुलर पार्टी है सेकुलर पार्टी का अर्थ हुआ कि ये एक्सट्रीमिस्म को नहीं अपनाए गी ऐसे में उस पार्टी से उम्मीदवार बनने वाले हैं राष्ट्रपति के इमा मोगलू ये है इमा मोगलू यानी भविष्य में अर्धगोले राष्ट्रपति तुर्की के हो सकते हैं अब इस बात को ध्यान से जानने की आवश्यकता है सीएचपी पार्टी अभी इन्हें राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार डिक्लेयर ही करने वाली थी उससे पहले अर्थगंग ने इन्हें गिरफ्तार करा लिया इमाम मोगलू उसी इस्तांबुल से मेयर हैं जिस इस्तांबुल से मेयर बनकर के अर्धगोले की गिरफ्तारी ऐसे समय पर हुई जिस समय तुर्की के अंदर इमा मोगलू के समर्थन में जनता उठ रही थी अपोजिशन अपने राष्ट्रपति पद के लिए लोग घोषित करने वाला था अपोजिशन के 100 नेताओं को निकालकर इन्होंने गिरफ्तार करके जेल में डाल दिया बस उनके जेल में डालते ही अपोजिशन यानी कि रिपब्लिकन पार्टी जो है यहां की सीएचपी उसके लोग जबरदस्त तरीके से सड़कों पर आ गए अब कारण निकाला गया कि अर्धगोले की है अपोजिशन वालों ने इसलिए गिरफ्तार किया गया है लेकिन जनता सब जानती है कि तीन से लेकर के जो 28 तक सत्ता में बने रहने के सपने देख रहा है वह व्यक्ति धांधली खुद ज्यादा कर रहा होगा कि दूसरों से करवा रहा होगा खैर फिलहाल के लिए इसी के चलते प्रदर्शनकारी सड़कों पर हैं और इमाम मोगलू के समर्थन में जबरदस्त तरीके से प्रोटेस्ट हो रहे हैं फिलहाल के लिए न्यूज जो है यहां के शेयर बाजार की भी बहुत बुरी है स्टॉक प्राइसेस भी तुर्की के लगातार गिरते जा रहे हैं कहा जा रहा है
इस्तांबुल में विरोध प्रदर्शन तेज: क्या एर्दोआन की सत्ता खतरे में है?
इन दिनों हाल ही में तुर्की के अंदर लोकल इलेक्शंस जब हुए उस समय पर भी अर्दोगन की पार्टी को बड़ा नुकसान हुआ ऐसे में अर्द्र को लगा कि वह 2028 में इलेक्शन कराने की जगह कुछ त तख्ता पलट करवाकर या फिर अपोजिशन को गिरफ्तार करवाकर तुरंत इलेक्शन करा के अपने टाइम को और एक्सटेंड कर लें इसी कारण से अपोजिशन ने राष्ट्रपति के सामने इमा मोगलू को राष्ट्रपति पद के नाम पर नामित करने के लिए बैठक रखी ही थी इन्होंने उनको उठवा लिया अब देखना होगा कि ये अगला इलेक्शन जीतने के जो तरीके अपना रहे हैं वो तुर्की की जनता को कितने पसंद आते हैं फिलहाल के लिए हमारे दिमाग में इनके खिलाफ जो भाव है वो इसलिए क्योंकि ये पाकिस्तान के काफी सगे बनते हैं इन्हें लगता है कि इस्लाम के नाम पर दुनिया को एक करके या इस्लाम के नाम पर तुर्की को वापस से वही खलीफा वाली पोजीशन दिलवाने की जो इनकी चाहत है उसे पाकिस्तान की तरफ से मिली बैकिंग इन्हें मजबूत कर सकती है और इसी कारण से यह पाकिस्तान के पक्ष में यूएन में कश्मीर के मुद्दे पर बयान देते रहते हैं भारतवासियों को इनसे बस यही सबसे बड़ा परहेज है