साउथ अफ्रीका बनाम अमेरिका: ब्रिक्स के लिए क्या खतरा है?
मेरे साथ में एक ऐसी घटना का जिक्र करने जिससे कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत को नुकसान हो सकता है अब आप पूछेंगे भारत को नुकसान हो सकता है लेकिन हेडलाइन में आपने अमेरिका और साउथ अफ्रीका लिखा हुआ है भारत को नुकसान क्यों क्योंकि साउथ अफ्रीका भारत के साथ-साथ ब्रिक्स का सदस्य है ब्रिक्स क्या है ब्राजील रशिया इंडिया चाइना और साउथ अफ्रीका एक ग्रुप ऐसा बना हुआ है जिसकी चर्चाएं थी ट्रंप के आने से पहले डी डॉलराइजेशन करने की कि ये डॉलर को हटाकर कुछ और बनाना चाहते हैं लेकिन आज का मुद्दा डी डॉलराइजेशन से जुड़ा नहीं है आज का मुद्दा किसी और बात को लेकर है और बात क्या है अमेरिका ने साउथ अफ्रीकी राजदूत को जो कि अमेरिका में पोस्टेड थे साउथ अफ्रीका की तरफ से अपॉइंटेड थे उन्हें अपने यहां से निकाल दिया है और कहा है कि कि ये अवांछित व्यक्ति है इसको यहां से निकाल दो सवाल ये आता है क्या उस आदमी ने कोई अपराध कर दिया था क्या क्या उस आदमी ने ऐसा कुछ कर दिया था जिससे अमेरिका के अंदर कोई दिक्कत खड़ी हो गई थी या फिर वो टेररिस्ट बन गया था क्या हो गया था ऐसा अमेरिका ने कहा कि वो ट्रंप के खिलाफ बोल गया था अमेरिका ने कहा कि वो ट्रंप के खिलाफ बोल गया था वो एक वीडियो में इस कारण से उसे हमने अमेरिका से बाहर निकाल दिया है तो है ना मजेदार बात तो आज के सेशन में जानेंगे कि ट्रंप के खिलाफ एक देश के राजदूत का बोलना कैसे अमेरिका और ट्रंप के श् अमेरिका और साउथ अफ्रीका के रिश्तों के लिए मुसीबत बन गया यह तो केवल और केवल ट्रिगर फैक्टर है कहानी क्या है आज के सेशन में विस्तार से आप और हम चर्चा करने वाले हैं क्योंकि साउथ अफ्रीका ने वो कर दिया है जिसकी उम्मीद दुनिया के देश बहुत से अन्य देशों से कर रहे थे हालांकि कनाडा ने भी कुछ अपने स्तर पर प्रयास किया चाइना ने भी किया भाई साहब साउथ अफ्रीका तो नेक्स्ट लेवल चला गया ट्रंप से डरा ही नहीं और इस दुनिया में जो डर नहीं रहे हैं वो सुर्खियां बना रहे हैं साउथ अफ्रीका दुनिया में ना जाने कितने देशों का फिलहाल एक लीडर बनकर बाहर आ रहा है अपनी तरफ से कही हुई बातें ट्रंप के सामने ना डरने का उसका जो साहस है फिर चाहे वजह जो भी हो लेकिन दुनिया को बड़ा रास आ रहा है क्या है पूरी कहानी विस्तार से जानते हैं साउथ अफ्रीका जहां पर राष्ट्रपति इस समय है सिरिल राम फोसा अमेरिका जहां पर बैठे हैं डोनाल्ड ट्रंप चर्चा है फिलहाल इस एन्वॉयज का नाम है इब्राहिम इन्हें यहां से बाहर निकाल दिया गया है है
इजराइल, अमेरिका और साउथ अफ्रीका: क्या कहता है यह नया भू-राजनीतिक संकट?
इब्राहिम रसूल को अमेरिका से लेकिन जब यह वापस पहुंचते हैं साउथ अफ्रीका तब अफ्रीका में इनका स्वागत होता है और यह अपनी तरफ से केवल यह कहते हैं कि मुझे कोई दुख नहीं है अमेरिका से वापस आने का अमेरिका से वापस आने का कोई दुख नहीं है लेकिन इस पूरी कहानी का करता धरता कौन है इसको आप जान ले और नाम है उनके बेंजामिन नेतन्याहू अब आप पूछेंगे यार गजब स्टोरी में ट्विस्ट पर ट्विस्ट दिए जा रहे हो पहले कहे थे कि अमे अमेरिका के साथ साउथ अफ्रीका का लफड़ा है फिर कहे भारत पर असर पड़ेगा अब बीच में इजराइल डाल दिया है आपने चल क्या रहा है अरे चिंता मत करिए अभी और विदेश घु सेंगे इसमें पूरी कहानी के बैकग्राउंड में अगर कोई है तो वो इजराइल है और याद रखिएगा इजराइली हों के पास में अमेरिका की नब्ज है इजराइली यानी कि यहूदी और यहूदी अमेरिका में बहुत कुछ कंट्रोल करते हैं और ऐसे ही एक कंट्रोल की चाबी जैसे ही नेतनयाहू ने दबाई अमेरिका ने पूरा साउथ अफ्रीका के साथ रिश्ता बिगाड़ लिया तो आज के सेशन में जानेंगे कि कैसे इन्होंने बटन टाइट किए हुए हैं साउथ अफ्रीका के लिए वाया ट्रंप आज के सेशन में ठीक है साहब तो आप फिलहाल के लिए कुछ तस्वीरें देखें यहां पर यह इब्राहिम रसूल के स्वागत में उमड़े हुए श्वेत अफ्रीकी हैं यहां पर इस शब्द पर जोर दीजिएगा अश्वेत अफ्रीकी अफ्रीका के अंदर नस्ल भेद एक बड़ा मुद्दा रहा है हमारे गांधी जी भी इस नस्ल भेद के शिकार हुए थे आपको याद होगा कि नस्ल भेद के चलते अफ्रीका के अंदर नसल मंडेला काफी सारा संघर्ष किए थे गांधी जी को मानते थे अमेरिका की तरह ही जैसे अमेरिका में रंग भेद एक बड़ी समस्या है ब्लैक और वाइट के बीच का एक बहुत बड़ रिफ्ट है ऐसे ही अफ्रीका में भी ब्लैक और वाइट की एक लंबी लड़ाई रही है फिलहाल के लिए सिरल राम फोसा अश्वेत हैं लेकिन अभी भी साउथ अफ्रीका में गोरे लोगों का राज कहिए या फिर कहिए कि बड़ा इस्टेक है फिलहाल के लिए डेमोग्राफिक रूप से इतना समझ लीजिए कि जनसंख्या में सफेद लोग इस समय साउथ अफ्रीका में बहुत कम है लेकिन उनके पास साउथ अफ्रीका की लगभग 3 चौथाई जग जगह जो है जमीन पर कब्जा है वहीं दूसरी और अश्वेत लोग साउथ अफ्रीका में लगभग 80 पर हैं लेकिन जमीन उनके पास महज 5 पर के आसपास है जमीन का असली लफड़ा है
ब्रिक्स बनाम अमेरिका: ट्रंप के फैसले से क्या बदलेगा समीकरण?
साउथ अफ्रीका की बड़ी प्रॉब्लम का लेकिन मसला कुछ और चल रहा है बहुत सारे मसले हैं आज के सेशन में बहुत कुछ जानकारी आपको मिलने वाली है खैर फिलहाल के लिए मुद्दे पर वापस लौटते हैं इब्राहिम रसूल का स्वागत होते हुए साउथ अफ्रीका में आपने देखा इब्राहिम रसूल माइक लेकर के अपनी बातें कहते हुए निकलते हैं कहते हैं कि देखिए अमेरिका ने जो मेरे साथ किया उसका मुझे 1 पर भी दुख नहीं है अमेरिका अगर मुझे इस विषय से बाहर निकालता है कि हमने उसके खिलाफ कुछ कहा तो मुझे इस बात का 1 पर फिक्र नहीं है अब साहब इब्राहिम रसूल साहब आप ऐसा कह क्या दिए थे जिससे आपको बाहर निकलने पर अफ्रीकामें सम्मान मिल रहा है जनरली तो ऐसा होता कि आपको वहां से निकाला गया तो देश के लोग भी आपको हीन दृष्टि से देखते कि यार बेइज्जती कराया हमारा रे देश का नाम डुबा के आ गया लेकिन यहां पर आपके द्वारा इस तरीके से काम किया जा रहा है तो यह देखने वाली बात है तो चलिए इस बात को भी समझते हैं तो देखिए साहब बात इब्राहिम रसूल की है जो कि राजदूत हैं अफ्रीका के अमेरिका में यह रहा अफ्रीका के अंदर साउथ अफ्रीका नाम का देश अगर आप ध्यान से देखें तो केप ऑफ गुड होप यहीं पर है कई बार जब मैं इतिहास की चर्चा करता हूं तो कहता हूं कि जब यूरोपिय को भारत आना था तो यहीं से ही मुड़ कर के जब अफ्रीका से नीचे होते हुए निकले थे तब जाकर के उन्हें केप ऑफ गुड होप यानी कि अच्छी उम्मीद का एक किनारा जहां से एशिया का इनको पता चला था तो अंग्रेज अफ्रीका के किनारे-किनारे जब होकर पहुंचे थे तो यहीं पर रुक भी गए थे और जब यहां पर बहुत से अंग्रेज रुके तो उन्होंने अपनी कॉलोनी बना ली ब्रिटिशर्स ने अपनी कॉलोनी बना ली और इस तरह से यहां के मूल निवासी जो अफ्रीकी लोग थे जो कि अश्वेत लोग थे उनके साथ में उन्होंने यातनाएं देते हुए अपने किनारों पर कब्जे कर लिए और यहां पर श्वेत लोगों का लंबा शासन चला और उस लंबे शासन के चलते यहां पर सांस्कृतिक रूप से इंग्लिश लोगों का काफी बोला बाला रहा लेकिन मूल निवासी यहां के अश्वेत ही रहे लेकिन उन्होंने इतने अच्छे से एक शहर और एक देश बसाया तो उसे छोड़ कैसे सकते थे बस इसी को लेकर के यहां पर लंबा संघर्ष चलता रहा कट टू दी शॉर्ट अब आगे बढ़ते हैं साउथ अफ्रीका जिसकी कैपिटल है केप टाउन और इसी केप टाउन केप ऑफ गुड होप के आसपास की जगह केप टाउन ये एक यहां की प्रमुख जगह बनी हुई है अब क्या होता है ट्रंप ने इसी साउथ अफ्रीका के एन्वॉयर निकाल दिया एक वेरी रेयर इवेंट के तहत मतलब ये ऐसी घटना थी जिसके बारे में उम्मीद किया जाना बहुत नामुक ल सा था कि यार ये संभव नहीं है कि कोई राष्ट्रपति इतना हाश हो सकता है
अंतरराष्ट्रीय राजनीति में नया मोड़: साउथ अफ्रीका और अमेरिका आमने-सामने
एक राजदूत के ऊपर तो ऐसा था क्या तो इस घटना को अब थोड़ा विस्तार से समझाते हैं आपको देखिए 7 अक्टूबर 2022 को एक बहुत बड़ी आतंकी घटना हुई घटना क्या थी हमास के आतंकी बॉर्डर क्रॉस करके इजराइल के अंदर हमला करने पहुंचते हैं हजार से ज्यादा लोगों की जान ले लेते हैं महिला बच्चे बुजुर्ग सब वयस्क इन सब पर हमलावर हो जाते हैं और बड़ी संख्या में लोगों को अपह अपहरण करके वापस गाजा पट्टी में लेकर चले जाते हैं पूरी दुनिया ने यह सब देखा फिर इसकी प्रतिक्रियाएं भी दुनिया भर की तरफ से निकल कर आई और परिणाम यह निकला कि इजराइल ने बदला लेते हुए हमास के खात्मे के लिए गाजा में जहां जहां उनके ठिकाने थे वहां पर हमले किए गाजा में जब हमले हुए तो परिणाम ये निकला कि कई ऐसे लोग भी मारे गए जो निर्दोष थे क्योंकि इनके द्वारा गिराए जा रहे गोले हमास जिस तरह की ह्यूमन शील्ड के अंदर डला हुआ था उन गोलों से कहीं ना कहीं वो आम जन के ऊपर बड़ा नुकसान पहुंचाया लगभग 50000 से ज्यादा गाजा के अंदर सिविलियन मारे गए जिसमें बड़ी संख्या में बच्चे थे बड़ा नुकसान हुआ गाजा पट्टी पूरी तरह से तहस-नहस हो गई हमास के खात्मे के लिए किया गया यह कार्य लीडर्स को तो खत्म किया लेकिन खत्म के साथ-साथ इजराइल फाइनली भी सारे बंधक मुक्त नहीं करा पाया इसी बीच में दुनिया 7 अक्टूबर 2023 की इस दुर्घटना के खिलाफ जहां शुरुआत में इजराइल के साथ थी कि इजराइल जो कर रहा है वह सही है बदला लेना चाहिए यह गलत घटना है लेकिन इजराइल जिस तरह से पूरा सफाया करता चला गया इसके खिलाफ दुनिया इजराइल के खिलाफ न्यायालय जाना शुरू कर दी दुनिया में दो अंतरराष्ट्रीय बड़ी न्यायालय हैं जैसे दो न्यायालय हैं जिनमें से एक का नाम है इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस जिसे आप आईसीजे कहते हैं और एक का नाम है इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट दोनों ही नीदरलैंड के दा हेग में स्थित हैं नीदरलैंड के अंदर द हेग नामक जगह है हेग वहां पर दोनों ही अंतरराष्ट्रीय न्यायालय हैं एक न्यायालय जिसका नाम है इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस ये यूनाइटेड नेशंस के अनुसार चलती है यानी यूनाइटेड नेशन के जो देश हैं उनकी न्यायालय है है इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस हालांकि इसके फैसले बाध्यकारी नहीं है बाध्यकारी इसलिए नहीं है क्योंकि यूएन की अपनी फोर्स नहीं है यूएन के पास यूएन सिक्योरिटी काउंसिल मेंबर कंट्रीज हैं अगर वह चाहे तो इसके कानूनों की बाध्यता में किसी देश पर एक्शन ले सकते हैं दूसरी तरफ है आईसीसी इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट जो कि यूएन की कोर्ट नहीं है लेकिन रोम नामक जगह पर एक स्टेट्यूट बना जिसे रोम स्टेट्यूट कहते हैं कानून बना जिसमें ये तय हुआ कि अगर कुसी भी देश ने किसी देश को क्रिमिनल घोषित कर दिया या किसी व्यक्ति को क्रिमिनल घोषित कर दिया तो यह सारे देश मिलकर उस व्यक्ति के खिलाफ कारवाही करेंगे यदि और कुछ नहीं तो उसका बायकॉट करेंगे और कुछ नहीं तो उसकी यात्रा को प्रतिबंधित करते हुए उसकी गिरफ्तारी सुनिश्चित करेंगे तो यह दो प्रकार की कोट्स हैं पहली कोट आईसीसी के ऊपर आते हैं
इजराइल, ट्रंप और साउथ अफ्रीका: क्यों गहराया विवाद?
आईसीसी के बारे में हमने सेशन किया था जब नेतन्याहू के खिलाफ आईसीसी ने इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट ने जो यूएन वाली नहीं है जो रोम स्टेट्यूट से बनी है उसने जब न्याह के खिलाफ अरेस्ट वारंट जारी किया था हमने आपको यह बताया था कि इनके खिलाफ अरेस्ट वारंट के लिए जो वकील साहब लड़ाई लड़ रहे थे इनके खिलाफ भी काफी सारे मुकदमे हो गए कुल मिलाकर अमेरिका ने नेतन्याहू को बचाने के लिए तमाम प्रयास किए लेकिन फिर भी वारंट जारी हो गया था लेकिन इसी बीच में एक और घटना हुई जिसका हम लोग जिक्र करना या हमसे जिक्र होना छूट गया क्योंकि माहौल बहुत ज्यादा इस बात का बना हुआ था जिक्र इस बात का कि साउथ अफ्रीका जिस प्रकार से ये जो माननीय हैं इस मामले को लेकर के आईसी चले गए थे ऐसे ही साउथ अफ्रीका इजराइल और गाजा के इस हमले को लेकर पहुंच गया था आईसीजे जो कि यूएन की कोर्ट है यूएन की कोर्ट में लेकर पहुंचते हैं इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस में जैसा मैंने आपको थोड़ी देर पहले बताया था कि जो आईसीजे है वो यूएन की कोर्ट है मैंने फिर से कहा नीदरलैंड में दो कोर्ट हैं एक आईसीसी और एक आईसीजे आईसी का काम हो गया खत्म हमने बता दिया आपको अब आईसीजे वाला मामला सुनो साउथ अफ्रीका बीइंग ए यूएन कंट्री पहुंच जाता है आईसीजे के अंदर कि सर देखो जो इजराइल अब गाजा में कर रहा है वह नरसंहार है और इस नरसंहार को रोकना होगा यूएन को इसमें इंटरफेयर करना होगा यह केस दर्ज कराया जाता है 29 दिसंबर 2023 को अक्टूबर 23 में हमला हुआ मात्र दो महीने के भीतर भीतर इन्होंने दरखास्त लगा दी ले जाकर के आईसीजे के अंदर कि देखो सर अब जो हमले हो रहे हैं रिटेल में वह नरसंहार में बदलते जा रहे हैं आईसीसी और आईसीजे का अंतर मैंने आपको बताया अब क्या होता है कि यूएस को जब यह बात पता चलती है कि साउथ अफ्रीका इजराइल के खिलाफ चला गया है कब की बात है ये दिसंबर 2023 की साउथ अफ्रीका के खिलाफ अमेरिका बाहर आता है और वो कहता है कि अफ्रीका पागल हो गया है साउथ अफ्रीका एक कंट्री है जो पागल हो गई है क्यों क्योंकि ये जबरदस्ती इजराइल के ऊपर आरोप लगा रही है कोई बात नहीं सब आरोप बेबुनियाद होते तो कटा दिए जाते लेकिन आईसीजे के अंदर जो 15 जज बैठते हैं उनके सामने इस मुद्दे को रखना कि क्या वाकई में इजराइल कुछ नरसंहार जैसा कर रहा है क्या गाजा में वाकई में वो यातनाएं दे रहा है अगर ऐसा है तो फिर इस कोर्ट के सामने यह बात पेश होनी चाहिए आईसीजे ने साउथ अफ्रीका की बात सुनी और सुनकर के 24 जनवरी 2024 को 26 जनवरी 2024 को इजराइल के खिलाफ आदेश देते हुए कहा कि आप अपनी जो नरसंहार एक्टिविटी है जीनो साइड की जो घटनाएं हैं जो गाजा में आप कर रहे हैं उन्हें रोक दीजिए आईसीजे ने जैसे ही ये ऑर्डर किया यह साउथ अफ्रीका के लिए एक बड़ी विन थी लेकिन इजराइल के लिए एक बड़ा सेटबैक और इजराइल के साथ-साथ अमेरिका के लिए क्योंकि अमेरिका पहले ही साउथ अफ्रीका के खिलाफ बोल चुका था
ब्रिक्स और अमेरिका के बीच बढ़ता तनाव: भारत के लिए क्या संकेत
कोई बात नहीं साहब अब दो पार्टी हो गई एक साथ इजराइल के प्रधानमंत्री बाहर निकलते हैं और लोगों से कहते हैं कि देखिए इन लोगों को हमारे लोगों के खिलाफ जो घटना हुई वह नहीं दिखाई दी और जब हम इनके खिलाफ कोई एक्शन ले रहे हैं वो इन्हें जनोसाइड लगता है लेकिन फिर भी इंटरनेशनल जस्टिस नहीं रुका उन्होंने अपनी तरफ से इजराइल से कहा कि भैया आप जो इस पलेटी नियन टेरिटरी है यहां पर अपनी यातनाएं देना बंद करो अब यह बहुत हो गया इस बहुत हुई घटना पर इजराइल ने तत्काल प्रभाव से यूएस के कान पकड़े कर क्या रहे हो तुम्हारी प्रेजेंस में हमारी इतनी घनघोर बेज्जती इसने तत्काल प्रभाव से अमेरिकी कोर्ट में अमेरिकी जो कांग्रेस है जिसको संसद कहते हैं वहां पर लोगों को धमकाया कि भाई कुछ करो हमारे लिए इस बात पर यूएस कांग्रेस तुरंत बाहर आती है और कहती है कि देखो हम आपसे कहते हैं साउथ अफ्रीका वालों इस केस को वापस ले लो आपको लगता है कि अपने ही देश में ऐसा होता है कि बाहुबली लोग केस को वापस करवाते हैं दुनिया में भी ऐसे ही चलता है जिसके पास पावर है वो उसका भरपूर मिसयूज करता है ठीक है ना पावर है ही शोषण का साधन ये गांधी जी कहते थे ऐसे में फिलहाल के लिए यूएस कांग्रेस को इजराइल धमका है कि सुनो और जिसको यह डाउट लगता है ना कि ऐसा क्यों होता है इस पर हमने प्रॉपर सेशन किया हुआ है अंकित इंस्पायर इंडिया पर ही कि यहूदी इतने पावरफुल क्यों है अमेरिका इनको क्यों मानता है चलिए साहब इनको धमकाया जाता है यूएस कांग्रेस इजराइल को उसको साउथ अफ्रीका को धमका आती है कि सुनो इस केस को वापस लो तत्काल प्रभाव से यह इधर धमका ही रहा होता है इसी बीच में साउथ अफ्रीका के साथ 14 और देश कनेक्ट हो जाते हैं व साथ में आ जाते हैं और वोह कहते हैं कि हम भी साउथ अफ्रीका के साथ हैं हम भी मानते हैं कि साउथ अफ्रीका अपनी जगह सही है ये थे वो 14 देश जिनमें निकारागुआ बेल्जियम जो कि एक यूरोपियन कंट्री है बहुत बड़ी बात है उसका इस तरह से आना आयरलैंड अगेन एक यूरोपियन कंट्री कोलंबिया लीबिया इजिप्ट क्यूबा मेक्सिको पलेस्टाइन स्पेन अगेन एक यूरोपियन कंट्री टर्की है चाइल मालदीव्स एंड बोलीविया ये सारे के सारे देश निकलकर साउथ अफ्रीका के साथ खड़े हो जाते हैं साउथ अफ्रीका का वोट बैंक बढ़ने लगता है कि भाई साहब साउथ अफ्रीका प्रॉपर तरीके से मुकदमे को लड़ रहा है साउथ अफ्रीका इस मामले को आईसीजे में और मजबूती से रखता है यह सारी घटना को ध्यान से सुनते चलना अक्टूबर आ जाता है अक्टूबर के अंदर 28 अक्टूबर का कालखंड है साउथ अफ्रीका अपने एविडेंस रखता है आईसीजे के अंदर कि सर देखो यह जेनोसाइड था मैं आपसे कह रहा था चलो कोई बात नहीं अब तख्ता पलट हो होता है साहब ट्रंप चुनाव जीत जाते हैं नवंबर का समय आ जाता है ट्रंप का चुनाव जीतना एक प्रकार से समझिए कि इजराइल के लिए लाइफलाइन के जैसा था जैसे ही ये चुनाव जीतते हैं यह तत्काल प्रभाव तय करते हैं कि साउथ अफ्रीका को कैसे ना कैसे करके उसके इस दुस्साहस की सजा देनी है
साउथ अफ्रीका की ऐतिहासिक चुनौती: अमेरिका और इजराइल के खिलाफ नई जंग?
अब तरीका क्या हो तरीका ढूंढना था तरीका कैसे ढूंढा गया अब वो सुनिए भाई जैसे हर देश में कोई ना कोई कानून बनता है जैसे अपने देश के अंदर भी सिटीजनशिप को लेकर कानून बने ट्रिपल तलाक को लेकर कानून बने इन पर दुनिया भर के देश अपनी राय रखते हैं जबकि भारत नहीं रखता है हम बोलते हैं कि भाई हमारे अपने मामलो को हम अपने आप से निपट साउथ अफ्रीका ने इस बीच में सिरल राम फोसा के नेतृत्व में अपने यहां पर एक लॉ पास कर दिया वो लॉ यह कहता था कि जो जमीने मैंने आपसे शुरुआत में भी कहा था कि साउथ अफ्रीका में 34 जो जगह है वो श्वेत लोगों के पास है जबकि उनकी पॉपुलेशन मिनिम मिनिमम है वहीं पर 80 पर पॉपुलेशन के पास 45 पर ही जमीन है साउथ अफ्रीका के अंदर तो सिरल राम फोसा ने अपनी तरफ से आदेश देते हुए कहा कि जिनके पास में ज्यादा जमीनें हैं उन जमीनों को हम कब्जे से मुक्त कराएंगे और उसके अवज में हम पैसा और नहीं देंगे ये बिल्कुल वैसे ही है जैसे भूमि सुधार भारत में हुए थे जिनके पास बड़ी जमीनें थी उन जमीनों को वापस सरकार ने लिया और उन्हें भूमिहीन लोगों के बीच बांटा साउथ अफ्रीका ने भी वैसे ही किया अश्वेत लोगों को श्वेत लोगों से जमीन लेकर देनी थी ज्यादा जमीनें चूंकि श्वेत के पास थी बस यहां से पॉइंट मिल गया ट्रंप को अब इसमें कनेक्शन और और जान लीजिए जो इलन मस्क हैं वो भी साउथ अफ्रीका में ही पैदा हुए थे और यहां से अमेरिका गए थे तो साउथ अफ्रीका में पैदा हुए इलन मस्क जो कि एक श्वेत नागरिक हैं अमेरिका में थे तो ट्रंप को बढ़िया फीडिंग दे रहे थे कि सर जी जमीन पर कब्जा करने के बारे में सोच रहे हैं ये लोग अच्छा तो साउथ अफ्रीका के प्रेसिडेंट जैसे ही ये लैंड लॉ पास करते हैं ट्रंप को मौका मिल जाता है कि यह क्या कर रखा है तुम लोगों ने तुम लोग क्या मानव अधिकारों का उल्लंघन करोगे क्या तुम लोग अश्वेत होने के नाम पर श्वे तों के साथ इस तरह की हरकत करोगे कि उनकी जमीन हड़प लोगे और उनको एवज में कुछ नहीं दोगे ट्रंप ने पूरी तरह से अब देखो गुस्सा किसी और बात का था निकल किसी और बात पर रहा था ऐसे में ट्रंप ने साउथ अफ्रीका को धमकाते हुए फरवरी 2025 में कहा क्या कहा कि हम तुमको दी जाने वाली सारी की सारी फंडिंग रोक देंगे क्योंकि तुम्हारे को यह जो फंडिंग मिलती है इससे तुम्हारे अंदर के इतने प्रकार के बवाल बचते हैं हम तुम्हारी फंडिंग रोक देंगे
इब्राहिम रसूल विवाद: क्या साउथ अफ्रीका अमेरिका को चुनौती दे रहा है?
साउथ अफ्रीका ने कहा प्रभु ये तो मेरा इंटरनल मामला है तुमको इससे क्या लेना देना है लेकिन यह मामला यही नहीं रुका सेक्रेटरी मार्को रूबियो जो कि एक तरह से माउथ पीस ही है जी मंत्री है ट्रंप के यह बाहर निकलते हैं और इन्होंने तो एक लाइन और क्रॉस कर दी कि मैं g20 में भाग लेने नहीं जाऊंगा ओ भाई साहब पूपा जी रूस गए जॉन्सबर्ग के अंदर g20 होने वाला है जो g20 अपन ने आयोजित किया था इस बार जो है वो यहां से ब्राजील में गया ब्राजील से अब वो साउथ अफ्रीका जाए इस बार साउथ अफ्रीका के अंदर g20 होगा तो इन्होंने तो तुरंत कह दिया कि मैं तो g20 में ही भाग लेने नहीं नहीं जाऊंगा क्यों नहीं जाऊंगा साहब क्योंकि g20 सॉलिडेरिटी को बढ़ाती है इक्वलिटी को लाती है सस्टेनेबिलिटी को लाती है ऐसे में साउथ अफ्रीका जो कर रहा है वो गलत है अरे भाई उसका आंतरिक मामला है तुम लोग इतना उद्विग्न क्यों हो रहे हो लेकिन आपको समझ में आ गया होगा ये इस बात को एंटी अमेरिक निज्म कह दिए कि गोरों के प्रति नफरत है अफ्रीका में अरे भाई अफ्रीका ने लंबा संघर्ष किया है तुम लोगों ने गोरा होने के नाम पर जो अश्वेत के साथ किया उसकी बानगी दुनिया है तुम खुद रंगभेद की नीति से पीड़ित रहे हो अमेरिका खुद पीड़ित रहा है और अफ्रीका ने जो देखा है वो दुनिया में इतिहास है लेकिन यह लोगों को क्या बताए कोई यह भाई साहब निकल पड़े और उसके खिलाफ बयान वर हो गए कोई बात नहीं साहब साउथ अफ्रीका के प्रेसिडेंट ने इलन मस्क को कहा कि हां भाई हम भी तुमको वैसे ही याद दिलाते हैं जैसे इंडिया वाले इलन मस्क उनको ऋषि सुनक को याद दिलाते थे कि भैया ऋषि कुछ देख लेना यार पीएम बन कर के क्या पता तुम ब्रिटेन के नाम पर भारत के साथ कुछ भला कर दो हालांकि ऋषि कुछ कर तो नहीं पाए बस भारतीयों को खुशी दे गए कि हां हमारा आदमी है ऐसे ही इलन से इन्होंने फनि आया कि भाई यार तुम साउथ अफ्रीका के आदमी हो ट्रंप के बिल्कुल कान में अपनी बातें बोलते हो डोजी डिपार्टमेंट लेकर चल रहे हो कुछ समझाओ उसको यार क्या मामला है हमारे इंटरनल मैटर पे उसको इतनी क्या आपत्ति होनी चाहिए इलन मस्क लेकिन वाई साफ खुश इस बात पर थे कि मंत्री जी जाएंगे नहीं अमेरिका ग्रेट अगेन क्योंकि ये आदमी पलट गया ये तो अब अमेरिका का हो गया ना क्योंकि साउथ अफ्रीका भुला दिया गया खैर कोई बात नहीं
ट्रंप बनाम ब्रिक्स: क्या अमेरिका साउथ अफ्रीका को सजा देगा?
साहब डोनाल्ड ट्रंप यहां पर नहीं रुकते बकायदा साउथ अफ्रीका के खिलाफ अपनी तरफ से फंडिंग रोक देते हैं और एंड में एक लाइन आती है आईसीजे वाले मामले पर भी मैं नाराज हूं तुमसे कहा था ना कि आईसीजे वाला फैसला वापस ले लो तुम नहीं लिए मैं तुमसे नाराज हूं भाई साहब साउथ अफ्रीका इस मामले को लेकर के कहता है कि सर जी आपको गुस्सा आईसीजे का था निकाल लैंड रूल पर रहे थे लेकिन सर सिंपल सी बात यह है कि हम इस केस को तो वापस नहीं लेंगे अब यह हमारे लिए भी आन बान शान की बात हो गई है भले ही आईसीजे के अंदर कोई भी इजराइल के खिलाफ फैसला ना आए भले ही इजराइल केस जीत जाए लेकिन अब यहां से पीछे हटना हमारी इंसल्ट है हम नहीं हटेंगे आपको जो करना है करिए और रही बात जमीन की तो जमीन हमारा आंतरिक मसला भाई साहब सिरल राम फोसा हीरो बन गए ऐसे समय पर जब ट्रंप दुनिया को धमकाया फिर रहे थे कि मैं टैरिफ मार दूंगा टैरिफ मार दूंगा और ब्रिक्स कंट्रीज पर 100% टैरिफ मार दूंगा इस आदमी ने दुनिया का दिल जीत लिया हालांकि पीआर इसकी कमजोर रह गई होगी और नेताओं की तुलना में इसलिए यह बात ज्यादा नहीं फैली ये खुलेआम बोल दिया यह साउथ अफ्रीकी प्रेसिडेंट सिरल राम फोसा हैं इन्होंने खुलेआम कह दिया कि ट्रंप सुनो तुम तुम्हारे देश से मतलब रखो तुम्हारे देश में अपनी बहुत प्रॉब्लम्स हैं हमारे देश में मत घुसो हमारे देश ने बहुत लंबा संघर्ष देखा है रंग भेद का अथाइड का आप कृपया करके दूर रहिए ज्ञान मत दीजिए हमें कि हमारे देश में क्या सही क्या गलत भाई इन्होंने जो कहा मतलब मैं मानता हूं मैंने खुद मेरी नजरों में ये लेट आया क्योंकि मैंने कहा ना पीआर कमजोर रहा होगा इनका तो इसलिए मीडिया में इतनी चर्चा नहीं नहीं आई लेकिन जो बात इन्होंने कही जबरदस्त बात थी ट्रंप भाई साहब उखड़ गए इस बात से ट्रंप ने कहा कि साउथ अफ्रीका के लोग जो जमीन के लिए काम कर रहे हैं वह बहुत गलत है और मैं इस बात के खिलाफ पूरी तरह से हूं क्योंकि यह ह्यूमन राइट के खिलाफ हो रहा है साउथ अफ्रीकी प्रेसिडेंट ने कहा सर जी आप श्वेत लोगों के साथ हैं आप श्वे तों के साथ होकर वही सब कर रहे हैं जो इतने लंबे समय से श्वेत करते आ रहे थे आप कुछ अलग नहीं कर रहे हैं लेकिन साहब ट्रंप तो एकदम बबला हु थे कि नहीं साहब ऐसे में साउथ अफ्रीका ने फिर से साफ कहा कि ट्रंप आप कितना भी धमका लो हम आपके कहने पर उस केस को तो अब वापस नहीं लेंगे अगेन हीरो होता जा रहा था साउथ अफ्रीका साहब रही सही कसर इन महाशय ने पूरी कर दी यह हैं इब्राहिम रसूल इब्राहिम रसूल थे
साउथ अफ्रीका की तरफ से अमेरिका के अंदर राजदूत यह भाई साहब जैसे मैं क्लास ले रहा हूं ऐसे कहीं अपना भाषण दे रहे थे जूम पर बैठ कर के ये जूम पर भाषण दे रहे थे और इसमें इस बात को ये हाईलाइट कर कि जो ट्रंप इस समय कर रहे हैं वो अमेरिक निज्म नहीं है वो वाइट लोगों का समर्थन कर रहे हैं और इस तरीके से कि साउथ अफ्रीका में जो साउथ अफ्रीकी सरकार है व वाइट के खिलाफ कर रही है इसलिए अमेरिका उनके समर्थन में है बोलिए सीधा-सीधा दर्शाता है कि उनकी स्ट्रेटेजी क्या है बस चीटी को पैसरी से मारना था अमेरिका को यह नजर आ गए अमेरिका ने कहा ओ इधर आओ बेटा तुम हमारे खिलाफ बोले हम तो चाह ही रहे थे किस पर गाज गिराए मार्को रूबियो निकलते हैं बाहर आते हैं कहते हैं इस आदमी ने अमेरिका के खिलाफ ट्रंप के खिलाफ भावना रखी अमेरिका में रहते हुए क्योंकि साउथ अफ्रीका ने अमेरिका में नियुक्त किया हुआ था तो ऐसे में यह व्यक्ति अब हमारे लिए पसोना नॉन ग्रांटा है यह पर्सन अवांछित है हमें इस पर्सन की आवश्यकता नहीं है पसोना नॉन ग्रांटा करके इनको वहां से टांटर दिया जाओ भाई अब तुम अपने देश जाओ साउथ अफ्रीका पहुंचो रसूल पर बेचारे पर आरोप यही था कि ट्रंप की उसने ये बुराई कर दी थी कि ये वर्चस्व वाद की लड़ाई लड़ रहा है श्वेत वर्सेस अश्वेत की लड़ाई में गुस्सा इसको श्वेत लोगों का तो समर्थन चाहिए लेकिन समर्थन के नाम पर असली दर्द इसका यह है कि हम आईसीजे में गए थे अब यह वहां से हमें दबाना चाहता है अगेन मैं यहां पर आपको एक बात स्पष्ट करना चाहता हूं पहला हो सकता है कि गाजा इजराइल के पक्ष में आपके दिमाग में इजराइल को लेकर अपना मत हो आपकी अपनी व्याख्या अपना सेंस हो लेकिन गलत के खिलाफ बोलना और ना दबना ये अपने आप में एक रोइ नेचर होता है इसी रोइ नेचर की चर्चा जेलेंस्की के केस में भी हुई थी इसी प्रकार की चर्चा अब सिरल राम फोसा के केस में हो रही है किस बात की कि उन्हें पता है कि उनका एक स्टैंड इजराइल के खिलाफ कोई एक्शन नहीं करवा पाएगा आईसीजे के अंदर अमेरिका खुद वीटो में बैठा है इजराइल के खिलाफ कोई एक्शन नहीं हो सकता लेकिन ना बोलना कितनी बड़ी सजा है और ऐसे में बोल कर के मैं अपनी बात रख दूं यह मेरा तर्क है अब उसके बाद नुकसान जो होगा वो देखा जाएगा यही साउथ अफ्रीका ने स्टैंड ली कि आप हमको केवल हमारे कानूनों की वजह से कि तुम्हारे कानून गलत हैं इसलिए यह काम कर रहे हो तो दोनों तरफ तुम गलत हो रहे हो पहला तुम्हारे खुद देश में श्वेत लोगों के वोट अब 48 पर ही हैं ज्यादातर वोट अब अश्वेत के पास जा रहे हैं फिर भी तुम इस तरह की जो राजनीति कर रहे हो ट्रंप तुम्हारे लिए यह अच्छा नहीं है वहीं दूसरी तरफ तुम इजराइल के लिए हम पर इस तरह की नीति अपना रहे हो ये दुनिया के लिए सही नहीं है ठीक है खैर कोई बात नहीं साहब इनको निकाल दिया जाता है निकाल दिया जाता है तो यह भाई साहब घर पहुंचते हैं घर पहुंचते हैं तो लोग साहब वेलकम करने के लिए गेट पर खड़े होते हैं अफ्रीकी लोगों के अंदर यह जो राजनीतिक चेतना है इसकी तारीफ होनी चाहिए साउथ अफ्रीका के लोगों में इतनी चेतना कि वह ट्रंप के किए गए इस कृत्य के खिलाफ पूरी तरह से साथ थे अपने नेताओं के और कहा कि भैया बहुत सही कोई बात नहीं तुम्हारे साथ यह सब हुआ हम तुम्हारे साथ हैं अब देखना होगा कि साउथ अफ्रीका ट्रंप का अभी और कौन साकन सा नुकसान देखते हैं ऐसा मैं क्यों बोल रहा हूं जैसे g20 की बात हो तो g20 में अमेरिका ही नहीं तो उसका कोई मतलब नहीं रह जाता ऐसे में देखना होगा कि g20 साउथ अफ्रीका सक्सेसफुली करा पाएगा या नहीं नंबर एक नंबर दूसरी जो इंपॉर्टेंट बात है वो है ब्रिक्स देशों की ब्रिक्स देश पहले से ही ट्रंप की नजरों में छाए हुए हैं रशिया से इंडिया से चाइना से साउथ अफ्रीका से इनसे इसकी खिन्नता जाहिर है ब्राजील में सरकारें बदलती है उस हिसाब से अमेरिका के खिलाफ फैसले होते हैं तो इंटरेस्टिंग बात यह है कि कहीं इन सब की वजह से ट्रंप ब्रिक्स कंट्रीज के खिलाफ एक साथ कोई स्टैंड ना ले लें खैर जो भी होगा देखने योग्य होगा कहानी में जब-जब इतिहास का लेखन होगा साउथ अफ्रीका के इस स्टैंड की चर्चा अवश्य होगी सही या गलत आपके अपने नजरिए से चीजें हो सकती हैं लेकिन अंतरराष्ट्रीय रूप से वो राजनेता अपनी छवि हमेशा के लिए मजबूत कर जाते हैं जो कभी ऑड्स में नहीं डरते हैं