नया इनकम टैक्स बिल: क्या सरकार आपकी निजी बातचीत पर रखेगी निगरानी?
हम सब आज के डिजिटल युग में हैं और कहीं पीछे ना छूट जाए इस डिजिटल युग में तो सब WhatsApp Instagram Twitter Snapchaat पर हैं जहां हम हर तरह की बातें करते हैं प्यार के इज़हार से लेकर नाराजगी नाराजगी से लेकर के खाना कैसे बनाए तो किसी की टिप्स ले लेते हैं काम धंधे तक की बातें करते हैं लेकिन अब जो भी आप WhatsApp पर या किसी दूसरे प्लेटफार्म पर लिख रहे हैं उसे सरकार अब पड़ सकती है अगर अगर आप इनकम टैक्स के चक्करों में पड़ गए तो हम आपको पहले भी बता चुके हैं कि सरकार नया इनकम टैक्स बिल लेकर आ गई है जहां आप इनकम टैक्स या जीएसटी के चक्कर में फंसे तो आयकर अधिकारी यानी सरकारी मुलाजिम आपके WhatsApp से लेकर Instagram से लेकर ईमेल तक छान सकते हैं उन्हें देख सकते हैं उन्हें यह अधिकार इस नए बिल में दिए जा रहे हैं इस बिल का विरोध भी हो रहा है और यह साफ तौर पर हमारी और आपकी निजिता का उल्लंघन है राइट टू प्रवेसी का अधिकार का हनन है पर हमारी वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस बिल की पैरोकारी की है उन्होंने इस बिल के समर्थन और WhatsApp में झांकने के सरकारी अधिकार का समर्थन भी किया है उन्होंने संसद में कहा कि WhatsApp चैट और Instagram अकाउंट्स डिकोड करके ₹50 करोड़ की बेहिसब संपत्ति पकड़ी गई वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 25 मार्च 2025 को संसद में यह बात कही उन्होंने कहा कि गैर कानानूनी लेनदेन के सबूत मिलने के बावजूद इसकी जांच के लिए कोई कानून नहीं है इसलिए हमने सोचा कि इनकम टैक्स कानून में डिजिटल शब्द जोड़ना होगा
WhatsApp चैट्स और Instagram अकाउंट्स अब इनकम टैक्स जांच के दायरे में!
निर्मला सीतारमण ने संसद में बताया कि इनकम टैक्स ऑफिसर्स ने लोगों के Instagram अकाउंट्स एक्सेस किए WhatsApp मैसेज डिकोड किए और Google हिस्ट्री से उनकी लोकेशन ट्रेस की इससे करोड़ों की बेहिसबी संपत्ति पकड़ी गई उन्होंने अपने भाषण में बताया कि इंक्रिप्टेड मैसेज और मोबाइल फस को डिकोड करके 250 करोड़ की बेहिसब संपत्ति पकड़ी गई WhatsApp मैसेज से 90 करोड़ के क्रिप्टो एसेट्स और उससे जुड़ा नेटवर्क सामने आया है WhatsApp पर हुई बातचीत और उससे मिले आपत्तिजनक मटेरियल से 200 करोड़ के फर्जी बिल और इस फर्जी वाड़े में शामिल लोगों को ट्रेस करके पकड़ा गया है यानी इसलिए इनकम टैक्स में अधिकार दे दिया जाना चाहिए अधिकारियों को कि वह WhatsApp और Instagram में देख लें क्योंकि अब इसका इस्तेमाल किया जा रहा है ये सरकार का का पक्ष है सरकार इसलिए कह रही है कि हम ये अधिकार दे रहे हैं बेनामी संपत्ति के मामले में Instagram अकाउंट्स का इस्तेमाल किया गया है ऐसा वित्त मंत्री कह रहे हैं इससे महंगी गाड़ियों के असली मालिकों का भी पता चल गया हमने Instagram के जरिए इस केस को सॉल्व कर लिया जरा सुनिए कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने क्या किया दैट गैप इज गेटिंग फिल्ड अप इन द न्यू इनकम टैक्स वि इज बिफोर द बिल वि इज बिफोर द सेलेक्ट कमिटी सो इन दिस आई विल टेक अ मिनट टू एक्सप्लेन एस टू व्हाई दैट डिजिटल थिंग विल हैव टू बी ब्रॉटइन सर इंक्रिप्टेड मैसेजेस एंड फोन मोबाइल फोंस अनअकाउंटेड मनी टू द एक्सटेंट ऑफ 250 करोड़ हैव बीन डिटेक्टेड व्हेन द इंक्रिप्शन हैज़ बीन डिकोडेड वन सेकंड एविडेंसेस व्हिच हैव बीन सीज्ड फ्रॉम WhatsApp मैसेजेस पर्टिकुलरली क्रिप्टो एसेट्स वर्थ मोर देन 90 करोड़ एंड द नेटवर्क ऑफ़ पीपल इनवॉल्व्ड इन इट हैव ऑल कम आउट ऑफ़ WhatsApp मैसेजेस नाउ इफ द लॉर्ड डज़ नॉट गिव यू द लीगल बैकिंग इनस्पाइट ऑफ द फैक्ट एंड एविडेंस बीइंग इन योर फेस यू विल हैव टू गो स्टैंड इन द कोर्ट टू से यस बट द लॉर्ड डज़ंट प्रोवाइड बट द एविडेंस ेंस इज़ हियर द मनी इज़ बीन मिसयूज्ड इट इज़ अनकाउंटेड मनी इट बिकम्स टीडीियस एंड देयर फॉर द डिजिटल एलिमेंट हैज़ टू बी ब्रॉट इन आई विल ब्रिंग इन अनदर मोर वन मोर एग्जांपल सर WhatsApp कम्युनिकेशंस एंड इंक्रिमिनेटिंग मटेरियल्स फाउंड फ्रॉम सच कॉन्वर्सेशंस हेल्प्स टू अनअर्थ द सिंडिकेट एंड आइडेंटिफाई द एंड बेनिफिशरीज़ ऑफ बोगस बिल्स व 200 करोड़ सो डू आई आई गो टू द कोर्ट अगेन सेइंग बट द लॉ डजंट अलव मी टू लुक एट WhatsApp मैसेजेस सो वी नीड टू ब्रिंग इन
सरकार को डिजिटल सर्विलांस का अधिकार: क्या प्राइवेसी का उल्लंघन हो रहा है?
आमतौर पर कोई तीसरा व्यक्ति किसी के WhatsApp चैट या इंक्रिप्टेड मैसेज नहीं पढ़ सकता लेकिन सरकार को बेनामी संपत्ति फर्जी लेनदेन या किसी और आपराधिक मामले में जांच के दौरान आरोपी के कंप्यूटर या मोबाइल ज्त कर उसकी जांच करने का अधिकार दे दिया गया है यानी आपके फोन में मौजूद हर ऐप को सरकारी अधिकारी खंगाल सकते हैं दिसंबर 2018 में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एक आदेश जारी करके 10 सरकारी जांच एजेंसियों ईडी एनआईए इंटेलिजेंस ब्यूरो नारकोटिक्स ब्यूरो सीबीआई डीआरआई रॉ दिल्ली पुलिस और आयकर विभाग को डिजिटल सर्विलांस करने का अधिकार दिया था इसके दायरे में इंटरनेट ऑनलाइन और डिजिटल उपकरण भी आते हैं हालांकि इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट 2000 के मुताबिक फाइल्स के अलावा इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड का भी जिक्र है उसमें टैक्स चोरी के मामलों में मोबाइल वगैरह ज्त करने के बाद पूछताछ हो पूछताछ होती है ज्त मोबाइल से इनकम टैक्स डिपार्टमेंट WhatsApp की बातचीत और Google सर्च हिस्ट्री हासिल कर लेता है आयकर विभाग टेलीकॉम कंपनियों से लोगों की बातचीत यानी सीडीआर का विवरण भी हासिल कर सकता है तो सवाल यह है कि जब सरकार के पास इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट में अधिकार हैं तो इनकम टैक्स बिल में फोन के अंदर घुसने का अधिकार क्यों चाहिए इसका जवाब सुनिए इंटरनेट फ्रीडम के लिए लड़ने वाले वकील अपार गुप्ता से तो अभी संसद में एक इनकम टैक्स बिल इंट्रोड्यूस हुआ है 2025 का जो पुराना इनकम टैक्स एक्ट जो 1961 का है इसको रिप्लेस करता है इस पे वित्त मंत्री ने एक अभी भाषण भी दिया है और यह बिल अभी एक स्टैंडिंग कमेट के सामने है और उस भाषण में उन्होंने यह बताया है कि इस बिल के अंदर कुछ ऐसे प्रावधान है जिनमें आयकर विभाग को नई शक्तियां दी जाएंगी जिनसे वह आपका स्मार्टफोन का कोई भी डाटा कोई भी ऐप उसके अंदर झांक पाए अगर उन्हें लगे कि आपने टैक्स की कोई भी चोरी करी है इससे कुछ दिक्कतें पैदा होती हैं
इनकम टैक्स अधिकारी अब देख सकेंगे आपके फोन की निजी जानकारी!
आपकी निजता जो है निजता का जो अधिकार है उस पे लोग कह रहे हैं कि इस पे कोई हमला हुआ है और इससे लोगों के दिल में और भय भी बैठ जाता है क्योंकि आयकर विभाग जब भी कोई प्रोसीडिंग करता है हमने देखा है कि बहुत बारी वो जो सामान लेता है जो डाटा लेता है उसमें सेफगार्ड्स नहीं है मतलब आपके लिए कोई अधिकार नहीं है पूछने के लिए कि ये डाटा क्यों लिया जा रहा है तो इस नए बिल के अंदर ऐसे तीन चार अह मुद्दे हैं जो हमें समझने पड़ेंगे सबसे पहले अह आयकर विभाग जब पहले अपना 1961 एक्ट के अंदर डिजिटल सर्च कंडक्ट करता था वो कर तो सकता था पर वो एक्ट अगर हम देखें वो उस जमाने का है जिसके अंदर हम अपने खाते अपने सारे फाइनेंशियल रिकॉर्ड ज्यादातर हम लिखित में रखते थे मतलब वह कागज पे होते थे तो अगर किसी ने किसी तिजोरी में भी बंद करके रखे तो आयकर विभाग के पास ये शक्ति थी कि उसका ताला तोड़ पाए अंदर घुस पाए वो पूरा खाता निकाल पाए और फिर टैक्स की चोरी के बारे में पता कर पाए पर आज की डेट पे अगर वो आपके Google मैप Instagram ऐसी चीजों के अंदर घुस रहे हैं उसके अंदर आपका प्रोफेशनल डाटा तो होगा मतलब आप क्या-क्या फाइनेंशियल ट्रांजैक्शन कर रहे हैं पर आपकी बहुत निजी बातें भी होएंगी और उसके लिए सेफगार्ड्स नहीं है और डिजिटल डाटा तो एक ऐसा तरीके का डाटा है जिसमें बहुत विभिन्न विवाद विभिन्न तरीके के डाटा जुड़ जाते हैं मेटा डेटा आप कहां जा रहे हैं किससे मिल रहे हैं कितनी देर मिल रहे हैं और आपका स्मार्टफोन जो आपकी जेब में है वह तो यह सारा समय रिकॉर्ड करता रहता है तो इससे दिक्कतें बढ़ जाती हैं
निजता बनाम टैक्स चोरी: क्या सरकार का नया कानून ज़रूरी या खतरनाक?
आपकी निजता के लिए जिसके लिए कुछ इसके अंदर ऐसे सेफगार्ड होने चाहिए जो अह अह जो सर्वोच्च न्यायालय ने के एस पुटस्वामी जजमेंट दो 2017 में आपका निचता का अधिकार जो जिसमें बताया गया था वो थी तो ये कैसी चीजें होएगी ये ऐसे होएंगी कि आयकर विभाग अगर ऐसा कोई भी सर्च और सीजर करे आपका बोले कि पूरा लैपटॉप और स्मार्टफोन ले लेंगे आप सारे एक्सेस कोड दीजिए उसके लिए एक क्लियर नोटिस होना चाहिए उसके लिए एक लिखित में उनको बताना पड़ेगा आपको कि वह क्यों कर रहे हैं व्हाई इज देयर अ रीज़न टू सस्पेक्ट टैक्स इलेजन पर इस बिल के अंदर वो वैसे कारण देने की कोई ऐसी ऑब्लिगेशन नहीं है आयकर विभाग पे वो उनको ये चीजें आपको बताने की जरूरत नहीं है और ये कानून के अंदर ये भी सारी प्रोटेक्शंस होनी चाहिए कि वो जो जो चीजें मांग रहे हैं उसका कोई आधार हो शुरू से कुछ आधार हो ये नहीं कि आके बोले कि आप अपना पूरा स्मार्टफोन अनलॉक कर लीजिए हम आपके बारे में सब कुछ जानना चाहते हैं और उसके बाद उससे कुछ टैक्स की चोरी हमें लग रही है आप कर रहे हैं तो हमें फिर वो पता लग जाएगा क्योंकि हमने यह भी देखा है कि हमारा आयकर विभाग बहुत भारी छापे उन पे डालता है जो सरकार की कोई ना कोई आलोचना करते हैं ठीक है तो ये सारे जो सेफगार्ड्स हैं ये आम नागरिकों के लिए बहुत-बहुत महत्वपूर्ण है और मेरी यह होप है कि जैसे लोग इसके बारे में और जानेंगे वो भय की जगह सिलेलेक्ट कमेटी जो इस पे स्थापित हुई है जो इनकम टैक्स बिल देखेगी उसको भी अपने सुझाव भेजें जैसे एक अच्छा कानून बन पाए अगर सरकार एक नया कानून इनकम टैक्स के लिए लाना चाह रही है बहुत लोगों का कहना है कि ये राइट टू प्राइवेसी पर खतरा है
Instagram और WhatsApp के जरिए करोड़ों की बेहिसाबी संपत्ति का खुलासा!
सुप्रीम कोर्ट ने 2017 में जस्टिस के एस पुट्टू स्वामी मामले में प्राइवेसी को मौलिक अधिकार के बतौर मान्यता दी थी इसे संविधान में आर्टिकल 21 के तहत जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार का हिस्सा माना गया सरकार को लोगों के फाइनेंशियल डिटेल्स को एक्सेस करने का हक है लेकिन आम लोगों में डर है कि उनकी पर्सनल एक्टिविटी और बातचीत भी निगरानी में आई तो उनके राइट टू प्राइवेसी का उल्लंघन होगा यानी सुप्रीम कोर्ट ने पुट्टू स्वामी मामले में जजमेंट दिया है कि यह राइट टू प्रवेसी का हनन है लेकिन फिर भी सरकार विभिन्न कानूनों के जरिए हमारे फोन में झांकना चाहती है तो अगर इनकम टैक्स बिल जो अभी सेलेक्ट कमेटी के पास है संसद की अगर यह पास हो जाता है तो इनकम टैक्स का अधिकारी अगर आपके घर आ गए और तमाम बार आप जानते हैं कि लोगों को नोटिसेस आते हैं इनकम टैक्स को लेकर के तमाम पूछताछ होती रहती है और अगर वह आ गए तो वह आपके फोन में मैसेजेस देखेंगे वैसे तो सरकार कह रही है सिर्फ लेनदेन से जुड़े देखेंगे लेकिन अगर आपकी की WhatsApp चैट या Instagram हिस्ट्री अगर उनके पास आ गई तो हो सकता है कि आप उसको लेकर के ज्यादा सहज ना हो