नेपाल में राजशाही की वापसी की मांग: लोकतंत्र से मोहभंग या नया बदलाव?

नेपाल में बढ़ते विरोध प्रदर्शन: क्या जनता फिर से राजा चाहती है?

विचार कीजिए कि आपको जनता का शासन पसंद ना होकर राजा का शासन पसंद आने लगे या उम्मीद करने लगे कि राजा ही चाहिए हमें ये चुने हुए लोग नहीं चाहिए क्योंकि ये जब आते हैं तो केवल अपने घर भरते हैं भ्रष्टाचार करते हैं अगली बार सत्ता में आने के लिए तमाम प्रकार की रेवड़ यां लुटाते हैं ना जाने सत्ता के लालच में यह किस-किस तरह के कर्म कर जाते हैं इससे तो बेहतर है कि राजा ही सत्ता में हो कम से कम उसका घर तो ऑलरेडी भरा हुआ है व देश के लिए काम करेगा राज के लिए काम करेगा उसे कम से कम यह डर नहीं होगा कि हमें किसी के लिए भ्रष्टाचार करना है या फिर देश को बर्बाद करना है आज ये सारी बातें इस पर्टिकुलर दंगे का वजह बन रही है आज आपको यह जो तस्वीरें दिख रही हैं यह नेपाल के लोग हैं जो डिमांड कर रहे हैं कि हमें राजा का ही शासन चाहिए सवाल आता है कि क्या नेपाल में राजा अब नए से आएंगे या कोई पहले से चला आ रहा था तो साथियों नेपाल में राजशाही का लंबा इतिहास रहा है लगभग 250 साल तक नेपाल में राजशाही रही है अब वापस से राजशाही की डिमांड हो रही है ऐसे में जानना होगा कि नेपाल से राजशाही कब हटी थी नेपाल में वापस से राजशाही कैसे आ नेपाल में राजशाही वापस कैसे आ पाएगी यहां लोकतंत्र के लिए क्या संघर्ष हुए थे कितने राज आए जो लोगों को पसंद नहीं हुए हां फिर भी मैं आपको एक नंबर जरूर बता देता हूं कि नेपाल में जब से राजशाही गई है कंप्लीट तब से लेकर अब तक यानी 2025 तक मात्र 17 साल में 13 बार सरकारें बन चुकी हैं 17 साल में 13 सरकारों से जनता त्रस्त है कि सबको केवल अपना ही अपना चाहिए और यह लोग राजा होते तो इतना भ्रष्टाचार नहीं कर पाते आप नेपाल में काठमांडू की सड़कों पर उतरी इस भीड़ के द्वारा फेंके गए पत्थरों को देख सकते हैं अंदाजा लगा सकते हैं कि सेना को यदि बुलाना पड़ा हो और कर्फ्यू लगाना पड़ा हो तो निश्चित ही यह तगड़ा तांडव दिखाई पड़ता है जनता सड़कों पर है और कर्फ्यू काठमांडू में है दो लोगों के मारे जाने की सुर्खियां अखबारों में हैं हेडलाइंस बनती है कि ऐसा क्या हो गया कि नेपाल के लोग मोनार्की की चाह करने लगे और इसी बीच में भारत का नाम आ गया कि भाई भारत के लोगों के द्वारा यह सब करवाया जा रहा है 



राजशाही बनाम लोकतंत्र: नेपाल में 17 साल में 13 सरकारों से जनता क्यों नाराज है?

जनता चाहती है कि राजा आए लेकिन उसमें इंडिया के लोग ज्यादा चाहते हैं ये इंडिया का क्या कनेक्शन है वो भी हम बताएंगे लेकिन इसी बीच में आप अंतरराष्ट्रीय अखबारों में इस हेडलाइन को देख सकते हैं कि कैसे नेपाल के अंदर राजशाही की वापसी दुनिया भर के लिए एक बड़ी खबर बन गई है लेकिन आप इस खबर पर आगे बढ़े उससे पहले एक बेहद कॉमन जानकारी आपको जो पता हो वो यह कि क्या वाकई में दुनिया में आज भी राजशाही कहीं चलती है यह तो पहला प्रश्न है और दूसरा प्रश्न यह कि लोकतंत्र के अलावा सत्ता किस तरह से चलती है तो हम जल्दी से इसको आसान किए चलते हैं कि सत्ता सामान्यतः तीन रूप में चलती हुई देखी जाती है जब जनता ही शासन अपने ऊपर करे जैसे कि भारत के अंदर आप इलेक्ट करते हैं जो इलेक्ट होकर गए हैं वो शासन में बैठते हैं इसे लोकतांत्रिक व्यवस्था कहते हैं दूसरी व्यवस्था होती है जब आपने किसी को चुनकर भेजा लेकिन उसने कह दिया कि अब मैं पद नहीं छोडूंगा मैं तो इसी पर टिका रहूंगा और जो मेरे खिलाफ खड़ा होगा उसे मैं हटाता चला जाऊंगा जैसे फिलहाल में आप लोग वेनेजुएला के अंदर मादुर को देख रहे हैं या रूस के अंदर पुतिन को देख रहे हैं कि वह अपने अपोजिशन को खड़ा ही नहीं हो होने देते हैं जैसे तुर्की के अंदर अर्दोगन को देख रहे हैं या चीन के अंदर शी जिनपिंग को देख रहे हैं अपोजिशन नाम की कोई चीज ही नहीं है और बहुत आसान कर दूं क्योंकि इन सब से आपको कहीं ना कहीं आहत होने के स्थान मिल सकते हैं तो मैं आपको नॉर्थ कोरिया ले चलूं जहां पर किम जंग उन है जिन्होंने अपने आमने-सामने कोई विकल्प ही नहीं छोड़ा है मतलब यह कि जब जनता चुने तो लोकतंत्र है लेकिन कोई व्यक्ति ऐसा जिसे या तो किसी ने चुनकर भेजा हो या वह किसी भी तरह से चाहे वह सेना के माध्यम से हो या जनता के द्वारा चुनकर भेजा गया हो लेकिन उसने पद ना छोड़ने की कसम खाली हो उसे तानाशाही कहते हैं और तीसरी स्थिति जो होती है व है राजाशाही राजाशाही बोले तो जैसे पहले राज घराने हुआ करते थे राजाओं के अपने क्षेत्र हुआ करते थे राजा राज करते थे और राजा राज करने के लिए अपने साथ में कोर्ट रखते थे कि हां भाई हम इसके मदद से ये काम करेंगे तो ऐसे में प्रधानमंत्री का भी उपयोग कई बार राजाओं के द्वारा किया जाता है इसलिए मोनार्की को दो रूप में जाना जाता है एक जो कन्वेंशनल चली आ रही है और एक है कॉन्स्टिट्यूशन मोनार्की कॉन्स्टिट्यूशन का मतलब जब संविधान भी साथ में हो और राजशाही भी साथ में हो तो क्या कहीं ए एब्सलूट मोनार्की भी है 

नेपाल में सत्ता का संघर्ष: क्या राजशाही की वापसी संभव है?


क्या दुनिया में जी हां आप जब गल्फ कंट्रीज की बात करते हैं जैसे सऊदी की बात करें या यूएई की बात करें ये वो देश हैं कतर की बात करें जहां एब्सलूट मोनार्की है यानी केवल राजा का शासन है वहां पर संविधान के रूप में कोई प्रधानमंत्री नहीं है कोई इस तरह की संवैधानिक व्यवस्था नहीं है कि जनता पार्टिसिपेट करे राज्य के लिए वहीं दूसरी और मोनार्की ब्रिटेन में भी है वहां पर भी राजा का शासन चलता है लेकिन राजा के साथ-साथ वहां पर जनता अपना चुना हुआ प्रधानमंत्री भी भेजती है उसे हम कॉन्स्टिट्यूशन मोनार्की कहते हैं कि राजा के साथ-साथ जनता भी इवॉल्व है अपने लिए भविष्य निर्धारित करने के लिए तो एक तरह से सामान्यतः शासन के चार रूप माने जाते हैं जिसमें डेमोक्रेसी डिक्टेटरशिप एब्सलूट मोनार्की और कॉन्स्टिट्यूशन मोनार्की तो कॉन्स्टिट्यूशन मोनार्की की फिलहाल यहां पर मांग उठती दिखाई दे रही है यहां पर देश के अंदर प्रदर्शनकारी मांग कर रहे हैं कि राजा को वापस लाओ और भ्रष्ट सरकार मुर्दाबाद करवाओ हजारों प्रदर्शनकारी सड़कों पर हैं और यह प्रदर्शन शुक्रवार को बहुत उग्र हुए बड़ी संख्या में राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी और अन्य राजशाही समर्थन समूहों ने इस पार्ट इस पूरे प्रदर्शन को लीड किया और यह सब लोग राजा ज्ञानेंद्र शाह की तस्वीरें लेकर के सड़क पर चल रहे हैं वो उन्हीं राजा को यानी ज्ञानेंद्र शाह जो 2008 तक राजा थे उन्हीं राजा को वापस देखना चाहते हैं ऐसे में पुलिस के द्वारा प्रोटेस्टर्स को खदेड़ हुए दो लोगों की मौत होने की खबर है इस तरह से आंसू गैस के गोले आगे गए लोग घायल हुए और उनकी तस्वीरें निकल कर आई अब बात आती है यहां पर राजा था तो राजा हटा क्यों था पहला प्रश्न यही है ये राजा ज्ञानेंद्र हैं जो पहले हुआ करते थे तो यह हटे क्यों और हटे तो फिर लोकतंत्र आया तो जनता लो लोकतंत्र से खिन्न कैसे हो गई इसके लिए आपको नेपाल का थोड़ा सा इतिहास जानना पड़ेगा इतिहास समझे उससे पहले लोकेशन जान लीजिए लोकेशन भारत के उत्तर पूर्व की तरफ अगर आप देखें तो आपको नेपाल दिखाई पड़ता है 

नेपाल में हिंदू राष्ट्र से धर्मनिरपेक्षता तक का सफर और अब वापसी की मांग क्यों?

नेपाल भारत और चाइना के बीच में एक बफर की तरह बिहेव करता है नेपाल पहले भी हिंदू राष्ट्र हुआ करता था लेकिन जब से जनतंत्र यहां सरकार में आया लोकतंत्र आया तो यह सेकुलर बनने निकल पड़े ऐसे में यहां का हिंदू राष्ट्र का टैग भी चला गया फिलहाल के लिए उत्तर प्रदेश से चाइना के बीच में अगर कोई है तो व नेपाल है ऐसे में इंटरेस्टिंग फैक्ट यह है कि प्रदर्शन करने वाले योगी आदित्यनाथ की तस्वीरें भी लेकर के चल रहे हैं यह भी वहां की सरकार का एक बड़ा क्लेम है कि यहां की सरकारों को या नेपाल के अंदर सारा भड़काने का काम उत्तर प्रदेश देश के द्वारा किया जा रहा है खैर यह सब आगे आने वाले समय में आप सबके साथ और डिस्कस होगा लेकिन फिलहाल के लिए किंग ऑफ नेपाल की अगर हम बात करें तो इतिहास निकल कर आता है 25 सितंबर 1768 से जब यहां पर राजा पृथ्वी नारायण शाह जो कि एक गोरखा किंग थे उनका शासन हुआ करता था शाह किंग का काफी बड़ा क्षेत्र हुआ करता था शाह किंग के समय पर नेपाल का और ब्रिटेन का संघर्ष भी हुआ उस समय पर भी ब्रिटेन कंप्लीट नेपाल को अपने अंडर में नहीं कर पाया हां कुछ क्षेत्र नेपाल के जो ले लिए गए जिन्हें आज आप हिमाचल उत्तराखंड या फिर सिक्किम के आसपास के क्षेत्रों में देखते हैं वह सब कभी नेपाल के द्वारा क्लेम किए जाते रहे हैं इन राजाओं की एक पूरी लिस्ट रही है जिसमें पृथ्वी नारायण शाह से शुरू होकर के राजा आज तक ज्ञानेंद्र वीर विक्रम शाह तक पहुंचते हैं और विक्रम शाह जो ये ज्ञानेंद्र शाह हैं ये फिलहाल के राजा तक आपकी पूरी की पूरी लिस्ट आपके सामने दिखाई देती है नेपाल के राजवंश की लड़ाइयां में अंग्रेजों के साथ हुई लड़ाई और उनके साथ हुई संधि 1814 और 16 के बीच में भारत में भी हाल ही के समय कालापानी विवाद के दौरान काफी ज्यादा चर्चा में आई थी यह राजशाही की कुछ तस्वीरें हैं जिन्हें देखकर आप अंदाजा लगा सकते हैं 80 साल तक यहां शाह वंश का शासन रहा लेकिन 1846 में सेना के एक जनरल जंग बहादुर राणा ने तख्ता पलट करते हुए खुद को प्रधानमंत्री घोषित कर दिया उसके बाद यह तय हुआ कि राजा तो शाह वंश से रहेगा लेकिन प्रधानमंत्री राणा वंश से रहेगा तो यहां पर प्रधानमंत्री राणा वंश का बनने लगा 1846 के बाद और 100 साल तक लगभग ये सिस्टम चला साल 1951 में शाह वंश के राणा शाह वंश ने राणा वंश के प्रधानमंत्री की कुर्सी से हटाते हुए पूरे सिस्टम को अपने कब्जे में ले लिया मतलब शाह डायनेस्टी चली आ रही थी 

नेपाल में बढ़ते असंतोष का कारण: भ्रष्टाचार, राजनीतिक अस्थिरता या धर्मांतरण?

राणा डायनेस्टी बीच में तख्ता पलट से एंट्री की प्रधानमंत्री का पद साथ-साथ लेकर चलने लगी 100 साल बाद 1951 के आसपास राणा हों को हटा दिया गया और शाह वंश ने वापस से अपना कब्जा ले लिया इसका मतलब यह हुआ कि राजा भी शाह वंश से और प्रधानमंत्री भी शाह वंश से हुआ राणा वंश की पूरी तरह से छुट्टी कर दी गई 1955 में महे शाह नेपाल के राजा बने 1959 तक देश का संविधान बदलते हुए कॉन्स्टिट्यूशन मोनार्की का सिस्टम ला दिया मतलब प्रधानमंत्री को चुनाव के द्वारा चुना जाएगा यह सिस्टम ला दिया ऐसे में देश के अंदर चुनाव हुए जब चुनाव हुए तो नेपाली कांग्रेस पार्टी को बहुमत मिला ऐसे में राजा ने एक साल के अंदर ही सभी राजनीतिक पार्टियों पर बैन लगा दिया राजा को लगा कि राजा समर्थित पार्टियां प्रधानमंत्री बनाएंगी ऐसा नहीं हुआ यहां पर पार्टी वो बनी जो राजा के समर्थन में नहीं थी तो राजा ने उन पार्टियों पर ही बैन लगा दिया 80 के दशक के मध्य में राजा के खिलाफ एक जन आंदोलन जोर पकड़ने लगा जिसकी अगुवाई उस समय के नेपाली कांग्रेस पार्टी कर रही थी 1990 में यह विरोध और ज्यादा उग्र और हिंसक हो गया आखिरकार राजा को बढ़ते विरोध के आगे झुकना पड़ा और अप्रैल 1990 में संविधान के तहत नेपाल को फिर से कॉन्स्टिट्यूशन मोनार्क बना दिया गया और मल्टी पार्टी डेमोक्रेटिक सिस्टम लागू कर दिया गया फिर इलेक्शन हुए और नेपाली कांग्रेस पार्टी को बहुमत मिला नेपाली कांग्रेस पार्टी को बहुमत मिला और गिरिराज प्रसाद कोयराला जो हैं व नेपाल के प्रधानमंत्री बने मतलब राजा जैसे भारत के अंदर राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री प्रधानमंत्री के रूप में गिरिराज प्रसाद गिरजा प्रसाद कोयराला जो हैं वह प्रधानमंत्री बनते हैं सरकार प्रजातांत्रिक रूप से चलाने के लिए कॉन्स्टिट्यूशन मोनार्क अपनाया गया लेकिन राजा अभी भी पावर में बने हुए थे ऐसे में 1995 में यहां ग्रह युद्ध की स्थिति हुई ग्रह युद्ध का मतलब लोग आपस में झगड़ने लगे माओवादियों ने जगह ले ली माओवादी यर्ड फ्रॉम चाइना तो उनका नेतृत्व किया कमल दहल प्रचंड ने पुष्प कमल दहन प्रचंड के नेतृत्व में लोगों ने मतलब दंगे फसाद करने शुरू किए राजा के खिलाफ प्रोटेस्ट होने शुरू हुए और ऐसे में काफी सारे लोगों की जाने गई 2001 में नेपाल के राज परिवार के बीच में एक बहुत बड़ा कांड कांड हो गया और वो कांड क्या था कि नेपाल के राजघराने के नौ लोगों को गोलियों से भूनकर मार दिया गया नेपाल के उस समय के क्राउन प्रिंस दीपेंद्र ने धुआधार गोली चलाकर अपने ही पिता राजा वीरेंद्र को रानी ऐश्वर्या को और राज परिवार के नौ अन्य सदस्यों को गोलियों से मार डाला इसके बाद दीपेंद्र के चाचा ज्ञानेंद्र राजा बने जो आज ज्ञानेंद्र हैं वह राजा बने तो यह अपने आप में नेपाल की रॉयल फैमिली का मैसे करर कहा जाता है और इस मैसे करर ने 2001 में नारायण हिती पैलेस के अंदर जो दुर्घटना थी इसने पूरे नेपाल को झकझोर कर रख दिया कि यह हुआ क्या पहले 1995 के अंदर माओवाद का वो चल रहा है एंट्री चल रही है उससे पहले देख रहे हैं तो कांग्रेस आ रख है अचानक राजकुमार निकलते हैं और वह सबको गोली मारते हुए निकल आते हैं तो यह अपने आप में नेपाल की रॉयल फैमिली का मैसे करर बहुत बड़ी न्यूज़ बनी लेकिन इस बीच में राजा ज्ञानेंद्र की स्थिति काफी ज्यादा सवालों के घेरे में आ गई जो आज की बात हम कर रहे हैं दैट इज राजा ज्ञानेंद्र जो 2001 में इस मैसे करर के बाद बचे रह गए थे जो आज 77 वर्ष के हैं जिनकी आज चर्चा हो रही है इन्होंने 2001 में राजा का पद संभाल लिया मतलब भाई का पूरा परिवार खत्म अब यह राजा बने नेपाल के अंदर आरोप लगता है कि यह काम ज्ञानेंद्र ने ही करवाया था अपने भतीजे से कह कर के अब यह करवाया किसने था यह तो सब अब भतीजे का पुनर्जन्म हो तो पता चले लेकिन किसी को जानकारी अभी नहीं है 

नेपाल में जनता की बदलती सोच: क्या राजा ज्ञानेंद्र की वापसी हो सकती

फिलहाल के लिए राजा ज्ञानेंद्र का 2001 में शासन आता है 2005 तक वह बिना किसी कार्यकारी और राजनीतिक शक्ति के देश के संवैधानिक प्रमुख बने रहते हैं धीरे-धीरे वह इसके बाद यह कहकर पूरी सत्ता अपने हाथ में ले लेते हैं कि राजशाही के विरोध में माओवादी वि यों को हराने के लिए वह इस तरह का काम कर रहे हैं राजा ने अपने तरफ से संसद को भंग कर दिया सरकार को भंग कर दिया आपातकाल की घोषणा कर दी और सेना के जरिए देश चलाना शुरू कर दिया इसके चलते नेपाल में फिर से विरोध शुरू हो गए नेपाल के राजा ज्ञानेंद्र ने 2006 में फिर एक बहुदलीय सरकार को सत्ता सौंपने का निर्णय लिया कि साहब यह तुम संभालो गृह युद्ध हम नहीं हैंडल कर पाएंगे ऐसे में 2008 में जाकर संसद ने नेपाल की 240 साल पुरानी जो हिंद ू राजशाही थी उसे खत्म किया और देश के अंदर एक धर्म निरपेक्ष गणराज्य की स्थापना की नीव रखी यहां पर ज्ञानेंद्र को गद्दी छोड़नी पड़ी तो कुल मिलाकर वर्ष 2008 में नेपाल में लोकतंत्र आया राजा पूरी तरह साइड हो गए 2008 से आज आप 2025 में है इस पूरी घटना को 17 साल हो चुके हैं 17 साल में 13 प्रधानमंत्री बदले जा चुके हैं और जो ये 13 प्रधानमंत्री फिलहाल बनकर आए हैं यह सारी की सारी लिस्ट है दहल प्रचंड से लेकर माधव कुमार नेपाल से लेकर अब केपी शर्मा ओली हैं तो जनता इस बात पर गुस्सा है कि राजा था तो कम से कम बना तो रहता था तुम लोगों ने आठ से लेकर 25 के बीच में 13 बार प्रधानमंत्री बदल दिए इसका मतलब जो भी हो रहा है वो केवल शासन के लालच में हो रहा है पहले राजा को हटाया गया उसके पीछे भी तर्क यही था कि सरकार या तो माओवादियों को चाहिए थी या कांग्रेसियों को चाहिए थी लेकिन कुल मिलाकर शाह को गिराकर सत्ता का सुख भोगने वालों को यह सुख ज्यादा दिन तक मिल नहीं सकता ऐसा लग रहा है ऐसा मैं क्यों कह रहा हूं क्योंकि जनता वापस से राजा ज्ञानेंद्र की तरफ जाने लगी है और राजा के द्वारा यह मांग करना कि राजा को वापस से चुनने की राजा को वापस से लाने की जो जनता की मांग है वो नेपाल में एक बड़े परिवर्तन की तरफ इशारा करती है अच्छा साहब अब क्या होता है यहां पर 19 फरवरी के दिन रिपब्लिक डे मनाया जाता है ऐसे में फरवरी के समय पर राजा के द्वारा एक संबोधन दिया जाता है और सारा खेला वहीं से बदल जाता है खैर इस बीच में एक और घटना है जिसे जान लेना जरूरी है क्योंकि यह एक बहुत बड़ा ट्रिगर है जिसकी वजह से लोग इस समय राजशाही को वापस चा रहे हैं हुआ क्या साल 2015 में नेपाल ने अपने आप को हिंदू राष्ट्र से एक सेकुलर राष्ट्र के अंदर बदल दिया पहले यह हिंदू राष्ट्र हुआ करता था इसने धर्म निरपेक्षता को अपना लिया कि हम किसी एक धर्म के लिए काम नहीं करेंगे सबको साथ लेकर चलेंगे 



नेपाल में राजशाही के समर्थन में बढ़ता जनसैलाब: इसके पीछे की वजहें क्या हैं?

हालांकि इस देश में बहुतायत में हिंदू थे 85 पर तक यहां हिंदू थे लेकिन इन्होंने उसके बावजूद धर्म निरपेक्षता को अपना लिया परिणाम क्या निकला परिणाम यह निकला कि यहां पर बड़ी संख्या में चर्च की स्थापना हो गई चर्च की स्थापना होकर के जो दलित थे उनको कन्वर्ट करके ईसाइयों में बदलने की खबरें आने लगी साथ ही साथ यहां इस्लाम का प्रसार होने लगा बुद्धिज्म का प्रसार होने लगा हिंदुओं की संख्या में काफी बड़ी गिरावट देखी जाने लगी जब से राजशाही खत्म हुई तब से लेकर के अब तक 4 पर के आसपास हिंदुओं की संख्या में गिरावट अखबारों में क्लेम की जाती है और तो और जो सरकारें आई उनका चीनी झुकाव बहुत ज्यादा देखा गया और उस चीनी झुकाव के चलते लोगों को यह लगने लगा कि चीन धीरे-धीरे नेपाल के अंदर एंट्री कर रहा है चाइना का इन्फ्लुएंस नेपाल में जैसे ही बढ़ा और धर्मांतरण के आरोप लगने लगे इसका परिणाम लोगों के अंदर एक इग्निशन के रूप में हुआ कि भाई पहले तक तो संख्या बहुत जबरदस्त हुआ करती थी लेकिन यह संख्या अब धीरे-धीरे डिटो एट होती आ रही है डेमोग्राफी में हो रहे इस बदलाव का इस समय के लोगों पर गहरा असर पड़ रहा है और इसके साथ-साथ जनता ने जिस सरकार को चुना ना व सरकार लोगों को रोजगार नहीं दिला पा रही है ऐसे में आर्थिक रूप से नेपाल पिछड़ जा रहा है और इस पिछड़े नेपाल को प्रधानमंत्रियों के द्वारा केवल बयान या फिर आसपास के देशों के साथ संघर्ष ही दिया है कोई नई दिशा नहीं दी ऐसे में नेपाल के राजा एक अब एक ऑप्शन के रूप में फिर से दिखाई देने लगे ऐसा क्या हुआ हुआ यह कि 19 फरवरी के दिन नेपाल के अंदर प्रजातंत्र दिवस मनाया जाता है और उस समय पर नेपाल के राजा ने देश को संबोधित कर दिया और संबोधित करके अपने पक्ष में समर्थन मांग लिया अब वह समय आ गया है कि हम नेशनल यूनिटी को बनाएं और अगर आप मेरे साथ आ जाएं तो फिर क्या होगा भाई साहब राजा जी के द्वारा जो यह देश को आवाहन दिया गया 19 फरवरी के दिन वही आवाहन राजा लाओ देश बचाओ का नारा बना दिया राजा लाओ देश बचाओ का यह आंदोलन 19 फरवरी के इनके आवाहन के बाद शुरू हुआ और जनता पूरी तरह इग्नाइट हो गई कि चलो भाई अब हम को राजा को वापस लाना है राजा ज्ञानेंद्र शाह ने लोकतंत्र दिवस पर जो वीडियो जारी किया उसके बाद नेपाल के अंदर नेपाल प्रजातांत्रिक पार्टी और अन्य राजशाही समर्थक पार्टियों के द्वारा नेपाल के राजा की इस मांग को पूर्ति करने के लिए सड़कों पर प्रदर्शन शुरू कर दिया गया ऐसे में एक बड़ा सवाल यह निकल कर के आया कि नेपाल की वर्तमान सरकारें क्या कर रही हैं नेपाल की वर्तमान सरकारें जो नेपाल के अंदर मोनार्की का समर्थन लोग जो कर रहे हैं उनको टारगेट कर रही हैं उन्हें टार टारगेट करके उन्हें मारने का उन्हें पिछाड़ी लेकिन क्या यह माना जा सकता है कि इन सबके बावजूद नेपाल के अंदर राजशाही वापस एंट्री कर पाएगी तो इसका कहना आसान तो नहीं होगा लेकिन हां अगर यह स्थिति गृह युद्ध में बदल जाती है तो निश्चित ही नेपाल की वर्तमान सरकार को पीछे हटना पड़ सकता है फिलहाल राजा तो सड़कों पर नहीं है लेकिन उन्होंने नवराज सुवेद नाम के एक व्यक्ति को आंदोलन का नेतृत्व दिया हुआ है 87 वर्ष के यह नवराज सुवेद ही इस पूरे आंदोलन को लीड कर रहे हैं लेकिन सरकार ने उन्हें हाउस अरेस्ट करके डाल दिया है बवाल यह भी मचा है कि नेपाल के जो प्रदर्शनकारी हैं वह राजा के साथ साथ योगी आदित्यनाथ जी का भी पोस्टर लहरा रहे हैं इससे भारत पर आरोप लगा कि भारत यहां पर मोनार्की के वापस से आने की मांग कर रहा है और भारत का ऐसा क्या कनेक्शन है असल में भारत के चलते नेपाल में हिंदू राष्ट्र की मांग बहुत तेजी से उठती है यह हिंदू राष्ट्र हुआ करता था लेकिन सेकुलर 2015 में बन गया तो ऐसे में सेकुलर की जगह वापस इसे हिंदू राष्ट्र बनाया जाए यह योगी जी का आवाहन लोगों को लगता है ऐसे में विदेश मंत्री से पूछा गया कि क्या साहब आपका कोई हाथ है क्या नेपाल के अंदर रॉयल फैमिली को वापस लाने में तो इन्होंने साफ इंकार किया कि नहीं साहब हम ऐसा कुछ नहीं कर रहे हैं लेकिन हां यहां के प्रधानमंत्री जो हैं वो लगातार इन राजशाही के समर्थकों को टारगेट किए जा रहे हैं इमरजेंसी मीटिंग बुलाई जा रही है कर्फ्यू ला लाद दिया गया है शुक्रवार को कर्फ्यू लगाया गया था काठमांडू के अंदर अभी सुबह का अपडेट यह है कि इस कर्फ्यू में ढील दी गई है सेना को कंट्रोल दिया गया है लोग इस तरह की जो डिमांड कर रहे हैं उसमें बड़ी डिमांड यह है कि सात दिन के अंदर सरकार फैसला ले ले अदर वाइज हम कोई बड़ा एक्शन ले लेंगे तो अब देखना होगा कि किंग ज्ञानेंद्र जिन पर पूर्व राजा के पूरे नरसंहार का आरोप है क्या जनता उन्हें प्रधानमंत्री के रूप में या फिर उन्हें देश के राजा के रूप में वापस से चाहती है उसमें सक्सेसफुल हो पाएगी या नहीं यह अपने आप में एक देखने का विषय होगा 


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