सुप्रीम कोर्ट के जजों का प्रतिनिधिमंडल: मानवीय संकट का निरीक्षण
नमस्कार दोस्तों दिल्ली से मणिपुर की दूरी है 2439 किलोमीटर जहाज से जाएं तो दिल्ली से मणिपुर पहुंचने में लगेंगे लगभग ढाई घंटे कोई आदमी चाहे तो एक दिन में जहाज से मणिपुर जाकर शाम तक दिल्ली लौट सकता है यहां कोई आदमी से मेरा मतलब है देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से क्योंकि बाकी लोग जिन्हें जाना है जा रहे हैं जो नहीं जा रहे हैं उससे मणिपुर को कोई खास फर्क नहीं पड़ता हां पीएम मोदी के मणिपुर जाने से खास फर्क पड़ता है लगता कि देश का पीएम मणिपुर के जख्मों पर मरहम लगाने आया है लेकिन मोदी को मणिपुर नहीं जाना था तो नहीं गए दुनिया भर घूमते रहे हजारों किलोमीटर की यात्राएं करते रहे मणिपुर नहीं गए देश भर में सैकड़ों रैलियां सभाएं शिलान्यास और फीता काटने वाले समारोहों में जाते रहे लेकिन मणिपुर नहीं गए तमाम राज्यों में गए मणिपुर के पड़ोसी राज्य में गए मणिपुर नहीं गए संसद में तमाम विपक्षी दलों की तरफ से मोदी से मणिपुर ना जाने को लेकर सवाल पूछा जाता रहा लेकिन मोदी मणिपुर नहीं गए अब पता चला है कि 22 मार्च को देश की सबसे बड़ी अदालत यानी सुप्रीम कोर्ट के छह जजों का प्रतिनिधि मंडल मणिपुर जा रहा है यह प्रतिनिधि मंडल मणिपुर के हिंसा प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करेगा और हालात की जानकारी लेगा मतलब देश के नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी जा सकते हैं सांसदों की मंडली जा सकती है पत्रकार जा सकते हैं जज जा सकते हैं लेकिन एक आदमी है जो नहीं जा सकता या कहे नहीं जाना चाहता और उस आदमी का नाम है नरेंद्र मोदी

मोदी के ट्रैवल रिकॉर्ड बनाम मणिपुर का दर्द
देश के प्रधानमंत्री प्रधान सेवक दरअसल मणिपुर में हिंसा पीड़ितों की कानूनी मदद के लिए एनए एलएसए यानी नेशनल लीगल सर्विसेस अथॉरिटी एक विशेष अभियान चला रहा है इसके तहत 22 मार्च को जस्टिस गवई की अगुवाई में सुप्रीम कोर्ट के कई जजों का दल मणिपुर का दौरा करेगा इनका मकसद राज्य में मानवीय सहायता का मुआयना करना और उसे मजबूत करना है प्रतिनिधि मंडल में जस्टिस बीआर गवई जस्टिस सूर्यकांत जस्टिस विक्रम नाथ जस्टिस एम एम सुंदरेशवारा करेगा चेन्नई से आने वाली डॉक्टर्स की टीम भी वहां का दरा करर मेडिकल जरूरतों के मुताबिक सुविधा उपलब्ध कराएगी मणिपुर में दंगा प्रभावित पीड़ितों और विस्थापितों की बर्बाद हुई संपत्ति और निजी दस्तावेजों के बारे में भी समुचित उपाय के बारे में चर्चा होगी अब जरा सोचिए जो काम जजों का नहीं है वह काम वह करने जा रहे हैं क्योंकि उन्हें लग रहा है कि मणिपुर के हालात ठीक नहीं है जो काम प्रधानमंत्री मोदी का है वह काम जज साहिबान करने जा रहे हैं दंगा पीड़ितों की परेशानियों और दर्द को समझने जा रहे हैं और डबल इंजन सरकार के ड्राइवर प्रधानमंत्री मोदी ने लगता है जैसे कसम खा रखी हो कि दुनिया कुछ भी कहती रहे विपक्षी नेता कुछ भी कहते रहे संसद से बाहर संसद के भीतर कितना भी शोर उठे मांग उठे वह मणिपुर नहीं जाएंगे तो नहीं जाएंगे
22 महीने की हिंसा, एक भी दौरा नहीं – क्यों नहीं गए पीएम मोदी मणिपुर?
सांसदों ने फिर इस पर सवाल उठाए गौर से सुनिए संजय सिंह और मनोज झा ने संसद में क्या कहा और मां शब्द से इनको बहुत प्यार है मां से मटन इनको याद रहता है मां से मछली याद रहती है इनको मां से मुगल याद रहता है मां से मुसलमान याद रहता है लेकिन मां से मोदी को मां से मणिपुर याद नहीं रहता मान्यवर दो साल का वक्त हो गया मणिपुर जल रहा है देश के केंद्रीय मंत्री का घर जलाया गया राज्य के पीडब्ल्यूडी मंत्री का घर जलाया गया राज्य के कंजू अफेयर्स मिनिस्टर का घर जलाया गया कई विधायकों के घर जलाए गए लेकिन बावजूद इसके भारत के प्रधानमंत्री को एक दिन का भी वक्त नहीं मिला 2 साल के अंदर कि वह मणिपुर जा सके अपनी संवेदना जताने के लिए देखोगे तो हर मोड़ पर मिल जाएंगी लाशें मगर इस शहर में तुम्हें कातिल ढूंढे से नहीं मिलेगा मणिपुर में यही वाकया है सर मैं एक बात कई दफा पार्लियामेंट के बाहर कह चुका हूं आज यहां दोहरा रहा हूं चुनाव के बाद ऐसा नहीं है कि विपक्ष का कोई अलग से प्रधानमंत्री होता है देश का प्रधानमंत्री मेरा भी प्रधानमंत्री तो किससे शिकायत करूंगा किससे उम्मीद रखूंगा और मैं आज भी कह रहा हूं अगर प्रधानमंत्री जी मणिपुर जाते स्थिति इतनी विस्फोटक नहीं होती प्रधानमंत्री का पद और कद दोनों बड़ा होता है आप मलहम लेकर जाते मलहम की मौजूदगी मलहम का काम करती है ना जाने क्यों
राजनीति बनाम संवेदना: जब जजों को करना पड़ा प्रधानमंत्री का काम
बचपन से पढ़ते आए कश्मीर से कन्याकुमारी मणिपुर से मध्य प्रदेश यह सर नफरत के बारूदी कारोबार ने इस देश को बहुत ऐसे संकेत दिए हैं जो अच्छे नहीं लगते हैं सर प्रीति करर नहीं लगते हैं अन सेटल करते हैं परेशान करते हैं मणिपुर इसका उदाहरण है देश के अलग-अलग हिस्सों में इसके उदाहरण है मेरा सिर्फ इतना कहना है सर आज तक कोई मुल्क तरक्की की राह नहीं चल पाया अगर उसकी समुदाय के लोग अलग-अलग समुदाय बारूदी नफरत के कारोबार में लगे रहे यह सीखना होगा सर संसद में विपक्षी सांसदों ने मोदी के मणिपुर ना जाने पर कल भी सवाल उठाया परसों भी सवाल उठाया उससे पहले भी दर्जनों बार सवाल उठाए गए लेकिन मोदी जी ने कान में तेल डालकर बैठना कबूल किया मणिपुर जाना कबूल नहीं किया कुछ सुनना ही नहीं चाहते मोदी इंफाल से लगभग 500 किलोमीटर दूर असम कई बार हुआ है मणिपुर के और पड़ोसी राज्यों में हु आए पूर्वोत्तर के दूसरे राज्यों में हु आए मणिपुर नहीं गए पता नहीं उन्हें मणिपुर जाने में क्या दिक्कत है ऐसा नहीं कि पीएम मोदी मणिपुर कभी नहीं गए गए हैं और कई बार गए हैं लेकिन चुनाव के मौसम में दावे और वादे करने हवाई सपने दिखाने और मणिपुर का कायाकल्प करने की बातें करने मई 2023 से पहले पीएम मोदी लगभग तीन बार मणिपुर जा चुके हैं उससे पहले मार्च 2018 में मोदी ने मणिपुर में विभिन्न विकास परियोजनाओं का शुभारंभ किया था और जनवरी 2022 में भी पीएम मोदी ने कई योजनाओं का उद्घाटन किया था मतलब चुनाव खत्म जाना बंद हिंसा शुरू मोदी का जाना बिल्कुल बंद मोदी के लिए सब कुछ ऐसा लगता है जैसे चुनाव जहां-जहां चुनाव वहां वहां पीएम मोदी मतलब यही निकाला जाए कि मणिपुर में जब 2027 में अब चुनाव होगा तब पीएम मोदी फिर वहां दौरे करेंगे

मणिपुर में नफरत की आग, दिल्ली में सत्ता की चुप्पी
तब तक शायद स्थितियां कुछ बेहतर भी हो जाए अभी चुनाव नहीं है तो जाने की जरूरत क्या है करते रहे लोग आलोचना प्रधानमंत्री जी ने 2022 जनवरी के बाद मणिपुर में अपने कदम नहीं रखे लेकिन इस बीच 40 बार इंटरनेशनल और 244 बार डोमेस्टिक ट्रिप्स लगाए अमित शाह जी नरेल होम मिनिस्टर सिर्फ दो बार गए माननीय प्रतिरक्षा मंत्री एक बार गए माननीय वित्तीय मंत्री और पार्टी प्रेसिडेंट तो गए ही नहीं देर इज अ सेइंग कॉल्ड नेरो फिडल वाइल रोम बन अर्थात आग लगी बस्ती में साहब अपनी मस्ती में मैडम सिर्फ एक ही बात बोलनी है कि पापा दूसरे देश की पापा दूसरे देश की वर रुकवा सकते हैं बट वाई वाई वाई वाई वाई वा न सेकंड गिवन टू कंफर्ट द पीपल ऑफ मणिपुर अभी दो दिन पहले आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने राज्यसभा में मणिपुर के सीएम रहे एन वीरेंद्र सिंह और अमित शाह की फोन रिकॉर्डिंग जो वायरल है उसका जिक्र किया हालांकि इस ऑडियो की सत्यता की पुष्टि होना बाकी है लेकिन मैं चाहता हूं संजय सिंह ने जो कहा वो जरा सुनिए वायर नाम की एक न्यूज वेबसाइट है उसने वह ऑडियो जारी किया जिसमें मुख्यमंत्री कह रहा है मेरे पास देश के गृह मंत्री अमित शाह का फोन आया अमित शाह कहते हैं वीरेंद्र सिंह तुम बम मारता है वीरेंद्र सिंह तुम बम मारता है चुपके से मारा करो यह देश के गृह मंत्री और राज्य के मुख्यमंत्री के बीच की देश के गृह मंत्री और राज्य के राज्य के मुख्यमंत्री के बीच की चर्चा है और यह ऑडियो सार्वजनिक होना चाहिए इस ऑडियो की जांच होनी चाहिए इस ऑडियो का पता लगना चाहिए कि वो जो मुख्यमंत्री बोल रहा था बीर सिंह व सच बोल रहा था या गलत बोल रहा था पूरे देश को इसका पता लगना चाहिए प्रत्यारोप अपनी जगह लेकिन प्रधानमंत्री मोदी को मणिपुर जाना चाहिए था 22 महीने से नहीं गए मणिपुर के मुद्दे पर मुंह नहीं खोलते हैं मणिपुर के मुद्दे पर पहली बार उन्होंने मुंह तब खोला था जब सुप्रीम कोर्ट की फटकार लगी थी जब सुप्रीम कोर्ट के तत्कालिक चीफ जस्टिस तत्कालीन चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूर ने मणिपुर हिंसा के बाद 8 दिनों के बाद जब फटकार लगाते हुए कहा कि या तो आप इंटरवू कीजिए वरना हम उसमें दखल देंगे और उसके बाद उस फटकार का नतीजा हुआ कि 75 या 78 दिनों के बाद पहली बार मणिपुर पर नरेंद्र मोदी ने संसद परिसर में मुंह खोला था लेकिन उसके बाद से ना जाने कितने महीने और गुजर गए आज की तारीख में देखें 22 महीने हजारों घर जले मकान जले दुकाने जली लोग विस्थापित हैं शिविरों में मौतें हुई मोदी जी नहीं गए डबल इंजन की सरकार के मुखिया ड्राइवर गार्ड जो भी उन्हें कही
राजनीतिक विवाद और फोन रिकॉर्डिंग का मुद्दा
लेकिन अब चूंकि सुप्रीम कोर्ट के जज जा रहे हैं जजों का प्रतिनिधि मंडल जा रहा है उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट के जजों के दौरे के बाद सरकार की नींद खुलेगी सुप्रीम कोर्ट के जजों का य प्रतिनिधि मंडल सरकार की नाकामियों को भी चिन्हित करेगा और मोदी सरकार को नसीहत भी देगा हम उम्मीद कर सकते हैं हालांकि इन सब का भी असर मोदी सरकार पर होगा नहीं यह मैं अभी कह सकता हूं 22 महीने पहले से हिंसा ग्रस्त मणिपुर में देश का पीएम अगर एक बार भी ना जाए तो इस पर सवाल तो मीडिया को पूछना चाहिए चैनलों को भी पूछना चाहिए लेकिन क्या किसी चैनल को पीएम मोदी से यह सवाल पूछते हुए आपने देखा है इन 1820 महीनों में यह चैनल्स ना तो पीएम मोदी से ऐसे सवाल पूछ सकते हैं ना पूछना चाहते हैं इन हिंदू इन्हें हिंद इन्हें हिंदू मुसलमान संभल काशी मथुरा और औरंगजेब से फुर्सत नहीं है क्योंकि यही बीजेपी का एजेंडा है यही चैनलों का सिलेबस है चैनलों के संपादकों की कुर्सी पर भले ही कोई बैठा हो लेकिन सबके सुपर और संपादक पी पीएमओ में बैठे हिरन जोशी हैं जो हर रोज संपादकों को whatsapp-web खबर है कि 22 मार्च को सुप्रीम कोर्ट के छह जज भी मणिपुर के राहत शिविर में जा रहे हैं लेकिन नरेंद्र मोदी ने तो मानो कसम खा ली है कि वहां ना जाने की मणिपुर लगभग दो सालों से हिंसा की गिरफ्त में है लेकिन इस देश के प्रधानमंत्री को फर्क नहीं पड़ता
निष्कर्ष: मणिपुर का दर्द, देश का सवाल
वहीं कांग्रेस के नेता जयराम रमेश ने कहा सुप्रीम कोर्ट ने यही शब्द इस्तेमाल किए थे लेकिन इसके बावजूद सरकार को राष्ट्रपति शासन लगाने में करीब 1819 महीने लग गए सबसे बड़ी बात यह है कि प्रधानमंत्री मणिपुर पर अभी तक चुप क्यों है व असम का दौरा करते हैं लेकिन मणिपुर का नहीं मणिपुर का दर्द भारत का दर्द है और मुझे खुशी है कि सुप्रीम कोर्ट के जज यहां आ रहे हैं यह प्रधानमंत्री यह मोदी सरकार के मुंह पर तमाचा है यह जय राम रमेश ने लिखा बहरहाल हम सुप्रीम कोर्ट के जजों के मणिपुर दौरे का इंतजार करेंगे और नजर रखेंगे कि जज साहिबान वहां से क्या देखकर आते हैं और उसके बाद क्या करते हैं क्या कहते हैं क्या सरकार की सेहत पर कोई फर्क पड़ता है क्या प्रधानमंत्री मोदी मणिपुर जाने पर विचार करते हैं उम्मीद तो नहीं है फिर भी इंतजार करेंगे ।