उत्तर प्रदेश में पुलिस के बीच होड़: मुसलमानों पर सख्ती दिखाने की प्रतिस्पर्धा?

जयंत चौधरी का ऑरवेलियन 1984 ट्वीट: विरोध या मात्र प्रतीकात्मक कदम?

प्रदेश में पुलिस अधिकारियों में आपस में होड़ है कि कौन मुसलमानों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कारवाई कर सकता है या मुसलमानों को लेकर के कड़े नियम बना दे या मुसलमानों को लेकर के सख्त से सख्त टिप्पणी करें इसकी शुरुआत संभल से हुई संभल के आपको पता है पहले एसपी कृष्ण बिश्नोई फिर सीओ अनुज चौधरी तो आसपास जिले वालों को भी लगा कि अरे यह पुलिस वालों की तो बड़ी चर्चा हो रही है हमारी भी चर्चा होनी चाहिए तो क्या करें शॉर्टकट क्या है मुसलमान को ढूंढो टारगेट करो ईद आने वाली है आज जुमा है जुमे की नमाज है तो जहां संभल में बयान आ गया कि अगर सेवई की अगर ईद की सेवई खानी है तो होली की गुजिया भी खानी पड़ेगी तो वैसे ही मेरठ पुलिस ने भी एक आदेश दिया जिसकी चर्चा काफी हो रही होगी कि अगर सड़कों पर नमाज पढ़ी गई तो मुकदमा तो होगा ही पर साथ ही साथ पासपोर्ट रद्द कर दिया जाएगा लाइसेंस ज्त हो जाएगा और अगर पासपोर्ट नहीं बना है तो पुलिस की तरफ जब पासपोर्ट बनता है तो एक पुलिस वेरिफिकेशन होता है तो पुलिस वो वेरिफिकेशन नहीं होने देगी यानी एक टर्म है पुलिसिया टर्म है इस जिसे कहत हैं बैड कैरेक्टर तो अगर सड़क पर नमाज पढ़ा तो आप बैड कैरेक्टर हो जाएंगे यानी खराब चरित्र वाला इंसान और सड़क पर नमाज पढ़ी तो वह इतना बड़ा अपराध है कि आपका पासपोर्ट तक ज्त कर लिया जाएगा वो इतना बड़ा अपराध हो जाएगा तो मेरठ पुलिस के अधिकारियों को भी लगा कि भाई क्यों संभल को ही सारी प्रतिष्ठा सारी चर्चा मिल जाए मेरठ पीछे ना रह जाए तो वहां पर भी यह आदेश दिया गया है 



क्या कानून सबके लिए समान? हिंदू त्योहारों पर जुलूस बनाम मुस्लिम नमाज पर पाबंदी

अब इस आदेश को लेकर के आलोचना विरोध सब हो रहा है पर सड़कों पर हो जाएगा तो तो माहौल बिगड़ जाएगा तो अपना जहां जो है अपना सोशल मीडिया पर मीडिया के जरिए अपनी आपत्ति लोग दर्ज करा रहे हैं इस बीच उत्तर प्रदेश के से राज्यसभा सांसद और केंद्रीय मंत्री जयंत चौधरी जो राष्ट्रीय लोकदल के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं और उनके दो विधायक हैं जो मुसलमान हैं और बीजेपी को समर्थन कर रहे हैं तो उनको लगा कि इतनी वेस्ट यूपी जहां से वह आते हैं उस वेस्ट यूपी में इतना उपद्रव हो रखा है पुलिस में आपस में होड़ लगी है संभल आगे निकल जाए मेरठ आगे निकल जाए मुजफ्फरनगर आगे निकल जाए तो इस होड़ के चक्कर में जयंत चौधरी ने अपनी आपत्ति दर्ज कराई पर वह आपत्ति दर्ज कराने का स्टाइल इतना पौश और इतना अंग्रेजी है कि देश के 99.99% को तो समझ में नहीं आया कि जयंत चौधरी आपत्ति किस किस तरीके से दर्ज करा रहे हैं दरअसल उनका सोशल मीडिया पर एक ट्वीट आया उन्होंने इस खबर को लेकर के ट्वीट किया और उस ट्वीट में उन्होंने जिक्र किया और विलियन 1984 ऑर्विलियन 1984 का यह जिक्र किया उन्होंने अब ओरविलियन 1984 क्या है उन्होंने एक खबर जो मेरठ में है कि अगर सड़क पर नमाज पढ़ी तो पासपोर्ट कैंसिल होगा तो इसका मतलब क्या है ओविलियन 1984 है क्या तो जिनको समझ में नहीं आया हम समझा देते हैं कि जयंत चौधरी जी ने तो कहा कि थोड़ा बच बचा करके ऐसी बात कह दो तो कि सारे इंटेलेक्चुअल क्लास में भी आ जाए और मैं अभी मुसलमान को लगे कि वो अकेले नहीं है मैं मुझे अगर वोट दिया तो चलो कम से कम मैं इतना तो कर सकता हूं मैं खुल के तो साथ नहीं दूंगा मैं खुद को खुल के तो गलत गलत नहीं बोलूंगा पर हां मतलब मैं पीछे से कहीं से लिखऊंगा या लिख दूंगा 

पुलिस की सख्ती या राजनीति का हथकंडा? मुख्यमंत्री की शह और अधिकारियों की होड़

उन्होंने लिखा ऑर्विलियन 1984 तो और विलियन 1984 का क्या मतलब है दरअसल अह यह एक पॉलिटिकल सिस्टम डिस्क्राइब करने के लिए इस टर्म का इस्तेमाल होता है यह जॉर्ज ऑरवेल के एक नॉवेल पर है तो इसका मतलब होता है कि जो राजनीतिक तंत्र आम लोगों से जुड़े हुए हर पहलू को जब कंट्रोल करने की कोशिश करते हैं हर जुड़ी हुई हर चीज को सरकार अगर कंट्रोल करने की कोशिश करे तो उसे और विलियन 1984 का इस टर्म का पॉपुलर इस्तेमाल होता है और इसका मतलब यह भी निकाला जाता है नवेल के हिसाब से कि जहां पर पड़ोसी पड़ोसी की शिकायत करे यानी पड़ोसी को पड़ोसी के से लड़ा दिया जाए तो जयंत चौधरी ने यह ऑरवेलियन 1984 लिख के यह बताने की कोशिश की कि नहीं देखिए सरकारी तंत्र सरकार हर तरह से लोगों को कंट्रोल करने की कोशिश कर रहे हैं और दो पड़ोसी इसका मतलब भाई भाई भी कह सकते हैं हिंदू मुसलमान भी कह सकते हैं पड़ोसी हैं तो आपस में लड़ाने की कोशिश कर रहे हैं जहां एक दूसरे को एक दूसरे के सामने खड़ा कर दिया जाए तो जयंत चौधरी जी ने इतना तो कम से कम किया जब उनके दो मुसलमान विधायक हैं अह विधानसभा चुनाव में भी उनको मुसलमानों ने वोट दिया खैर उस वक्त वो अह अखिलेश यादव के साथ थे पर लोकसभा में भी कहा जाता है कि उनको जब बिजनौर की उन्होंने सीट जीती अह तो बागपत की सीट जीती तो कुछ मुसलमानों ने उनका साथ दिया है तो जयंत चौधरी ने भले ही जख्म तो ना भरा हो लेकिन चलिए कम से कम इतना तो उनको रेट दे दें कि मरहम लगाने की कोशिश तो की है अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि पहले तो इस सवाल का भी हम जवाब देने की कोशिश करेंगे पर हम चाहते हैं कि हमारे दर्शक भी जान ले कि पुलिस वाले क्या करेंगे अगर मेरठ पर सड़क पर कोई मुसलमान पा गए नमाज पढ़ते हुए तो करेंगे क्या तो पुलिस अधिकारी हैं उत्तर प्रदेश मेरठ के जरा सुनिए उनको जी अलविदा की नमाज और ईदुल फितर की नमाज और त्यौहार को देखते हुए पुलिस और प्रशासन ने सभी सप्रांत नागरिकों और धर्म गुरुओं से वार्ता की है इसमें अन्य विभाग भी शामिल थे पुलिस विभाग भी शामिल था सभी से जो स्पष्ट दिशा निर्देश है वो सबको बताए गए हैं 

शांति की उम्मीद: क्या ईद बिना किसी नए विवाद के गुजर पाएगी?

नियमों के बारे में अवगत कराया गया सभी ने सुनिश्चित भी किया है कि उनका पूर्ण सहयोग प्राप्त होगा पूर्व के अनुभव को देखते हुए जो संवेदनशील स्थान है वह चिन्हित किए गए हैं वहां पर अतिरिक्त पुलिस बल लगाया गया है और जो पीएसी और आरएफ हमको उपलब्ध हुई है उसका भी निरंतर जनपद में फ्लैग मार्च करवाकर ड्यूटी लगाई जा रही है साथ ही ड्रोन के जरिए बॉडी कैमरा के जरिए जो स्थान है वहां पर निगरानी की जाएगी सोशल मीडिया पर भी निरंतर निगाह रखी जा रही है और जो भी कोई भ्रांति या अफवाह फैलाने का प्रयास कर रहा है उसको तुरंत स्पष्ट किया जा रहा है फिलहाल ऐसी कोई घटना आई नहीं है मेरा सबसे निवेदन है कि सभी लोग शांति और सौहार्द के साथ इस त्यौहार को मनाए और जो भी दिशा निर्देश है उनका पूर्ण पालन करें पुलिस और प्रशासन पूर्ण सहयोग करेगा आप भी सहयोग करें और यदि कहीं कोई समस्या आती है कोई अफवाह या कोई ऐसी भ्रामक जानकारी आपकी इस संज्ञान में आता है तत्काल पुलिस को अवगत करावे सही सूचना आपको दी जाएगी तब आपने सुना कि पुलिस कह रही है कि हम बहुत सख्ती के साथ निपटेंगे नमाज पढ़ी तो पासपोर्ट से लेकर के लाइसेंस तक ज्त हो जाएगा अब यहां सवाल यह भी उठ रहा है यह भी कहा जा रहा है कि ये क्या नियम सड़कों पर अगर नमाज़ पढ़ ली तो क्या नियम मुसलमानों के लिए हैं क्या बड़े-बड़े जुलूस हिंदुओं के सड़कों पर निकलने दिए जाएंगे डीजे तेज साउंड में बजते हैं कुछ आपत्तिजनक नारे लगते हैं होली में हमने देखा जुलूसों के दौरान मस्जिदों के सामने चाहे वो अलीगढ़ हो या दूसरे इलाके में किस तरीके का उपद्रव किया गया लेकिन उपद्रव करने वाले जो लोग थे वहां पर क्योंकि वो हिंदू धर्म के थे तो उन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई कोई जेल में नहीं लेकिन हां मुसलमान अगर सड़क पर नमाज पढ़ लेगा तो पासपोर्ट तक जब्त कर लिया जाएगा तो नियम कानून सबके लिए बराबर होने चाहिए 

लोकतंत्र बनाम पुलिसिया तानाशाही: क्या नमाज पढ़ने पर पासपोर्ट जब्ती उचित

मान लीजिए किसी ने नियम बना दिया तो मुकदमा कर दीजिए लेकिन पासपोर्ट रद्द कर देने वाली बात जैसे हमने कहा ना कि पुलिसिया टर्म में कहते हैं बैड कैरेक्टर बैड करैक्टर घोषित कर देना पासपोर्ट वेरिफिकेशन के लिए अगर आवेदन आएगा पुलिस तो पुलिस कह देगी कि इसका कैरेक्टर अच्छा नहीं है क्या इतनी बड़ी सजा है जब बड़े-बड़े पकड़े जाते हैं जब अरेस्टिंग होती है तब बहुत एक्सट्रीम केसेस में कोर्ट कहता है कि इनका पासपोर्ट ज्त किया जाए लेकिन सिर्फ सड़क पर नमाज पढ़ ली पासपोर्ट जब्त कर लेने जैसा एक्सट्रीम आदेश क्या यह लोकतंत्र के हमारा जो मूल सिद्धांत है क्या उसके साथ है यह एक बहुत बड़ा सवाल है इस बात को लेकर के तमाम लोग अपनी आपत्ति दर्ज करा रहे हैं इस बीच दारुल उलूम देवबंद से भी बयान आया है उसको भी सुन लेते हैं मेरठ के एसएसपी ने बयान जारी किया है अगर सड़क पे आप लोग नमाज पढ़ेंगे तो उनके खिलाफ कारवाई की जाएगी उनके जो है पासपोर्ट है वो सब किए जाएंगे जिस कारण वो हज पे नहीं जा सकते आप किस तरह से देखते हैं इस बात को देखिए जब से यह आदेश आया था और तमाम जो धर्म गुरु हैं उलमा हैं उनके सामने ये बात रखी गई थी कि सड़कों पर नमाज पढ़ने की अब अनुमति नहीं है तो हम लोगों ने प्यार मोहब्बत से हम लोगों को समझाया और सब ने इस चीज का पालन किया और पालन करते आ रहे हैं



 ये हर रमजान या हर ईद पे एक नया सिलसिला निकाल कर लाना मैं समझता हूं उचित नहीं है ना तो कोई मुसलमान सड़क पर नमाज पढ़ रहा है जुमे की हो या ईद की हो रही बात जो अल्फाज़ इस्तेमाल किए गए हैं वो बहुत कड़क है ऐसा लगता है जैसे अहंकार वाले अल्फाज हैं सिर्फ नमाज को लेकर एक अहंकार वाले अल्फाज़ कि उसका जो है इतना बड़ा पाप हो जाएगा कि वो उसका पासपोर्ट रद्द कर दिया जाएगा तो हमें यह बात याद रखनी चाहिए कि हिंदुस्तानी जो हैं वह मोहब्बत के भूखे हैं प्यासे हैं उन्हें मोहब्बत से आप कोई भी बात समझाइए मान जाते हैं खुसूसन मुसलमान जो मैं बात करता हूं हिंदुस्तान की वो लफ्जों के भूखे हैं उन्हें लफ्जों से आप समझाइए प्यार मोहब्बत से कि आप ऐसा मत करिए ये नियम का पालन है और तमाम समुदाय के लिए ये पालन किया जा रहा है तो कौन नहीं मानेगा और हर मर्तबा यह ईद पर एक नया सिलसिला लेकर आना और उस पर एक सियासत बिखर जानी मैं समझता हूं वो ठीक तरीका नहीं तो आपने दारुल उलूम देवबंद का भी यह बयान सुना आपने जैन चौधरी जिस तरीके से उन्होंने अपनी पत्ति दर्ज कराई वो भी आपको हमने बताई दिखाई सुनाई लेकिन क्या होता है 

सड़क पर नमाज का ‘अपराध’: पासपोर्ट जब्ती और बैड कैरेक्टर घोषित करने की धमकी

एक तो होता है बयान देना एक होता है कि अगर कुछ गलत हो रहा है तो उसको गलत कहना और उस गलत के खिलाफ खड़े हो जाना वो शायद जयंत चौधरी नहीं कर पाएंगे क्योंकि अब वो भारतीय जनता पार्टी का साथ दे रहे हैं और यह सब सारी चीजें जो उत्तर प्रदेश में हो रही हैं वह साफ तौर पर दर्शाता है कि जो कानून है वो एक तबके को लेकर के किस तरीके से सख्त और ओवरबोट जा रहा है वाहवाही लूटने के लिए क्योंकि जब अनुज चौधरी जैसा व्यक्ति सीईओ पुलिस वो यह बोल दे कि 52 साल में 52 नमाज़ होती है जुम्मे होते हैं एक दिन होली तो एक दिन होती है उसका बयान पर अगर मुख्यमंत्री पीठ थपथपा दे तो यानी बाकी लोग बाकी पुलिस अधिकारियों के भी हौसले बढ़ गए अगर उसी बयान पर फटकार लगा दी जाती अनुज चौधरी के पब्लिकली अगर डांट लगाई जाती उसके उस बयान का खंडन किया जाता तो शायद आज मेरठ पुलिस में भी जो अधिकारी हैं वो इस तरीके के पासपोर्ट जब्त कर देने जैसी बयान दे रहे हैं ऐसी धमकी चेतावनी दे रहे हैं तो यह ना दे पाते लेकिन जिस तरीके से ऐसा लगता है कि जो उत्तर प्रदेश में इस वक्त सरकार में काबिज योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री हैं उन्होंने अनुज चौधरी की पीठ पर हाथ रख करके बाकी पुलिस अधिकारियों को भी शय दे दी कि उस तरीके से बयान दें और अगर बयान देंगे तो मुख्यमंत्री उनको पहचान जाएंगे और उनका साथ देंगे और हो सकता है इनको अच्छा जिला मिल जाए अच्छी पोस्टिंग मिल जाए और एक आध बहादुरी के मेडल भी मिल जाए अंत में उम्मीद है कि जिस तरीके से होली शांति से गुजरी उस तरीके से ईद भी शांति से गुजरेगी और अगर किसी का पासपोर्ट सिर्फ इसलिए ज्त कर लिया जाए कि उसने सड़क पर नमाज पढ़ ली है तो बहुत एक्सट्रीम होगा लोकतांत्रिक देश में भारत में भारत के मूल सिद्धांत जो हैं उसके भी खिलाफ है भारत के संविधान के खिलाफ वाली बात है जो उत्तर प्रदेश के पुलिस का यह तानाशाही भरा फैसला आया है

 


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