प्रसिद्ध अपराध पत्रकार और बेस्टसेलिंग लेखक



एस. हुसैन जैदी: प्रसिद्ध अपराध पत्रकार और बेस्टसेलिंग लेखक

असम के एक पत्रकार दिलवर हुसैन मजूमदार को क्यों गिरफ्तार किया गया है पहली गिरफ्तारी के मामले में जब कोर्ट ने जमानत दे दी तो फिर से उन्हें चोरी और डकैती के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया जिस बैंक के बाहर दिलवर हुसैन मजूमदार प्रदर्शन की रिपोर्टिंग कर रहे थे उसी बैंक में चोरी और डाका डालने के प्रयास के आरोप में उन्हें गिरफ्तार किया गया इसकी शिकायत किसने कराई उसी बैंक के प्रबंध निदेशक ने जिनका इंटरव्यू दिलवर हुसैन मजूमदार उसके बाहर कर रहे थे साफ है कि दिलवर हुसैन को किसी बात की सजा दी जा रही है अपराध की नहीं ऐसी खबर लिखने के मामले में जिसके तार मुख्यमंत्री से भी जुड़ते होंगे यही कारण है कि गुवाहाटी में पत्रकार सड़कों पर उतर आए हैं हताशा के इस दौर में यह देखना भी हौसला देता है कि गुवाहाटी के पत्रकार हुसैन मजूमदार की गिरफ्तारी के विरोध में तगड़ा प्रदर्शन कर रहे हैं मानव श्रृंखलाएं बना रहे हैं थाने तक मार्च कर रहे हैं इस तरह के प्रदर्शन केवल गुवाहाटी में नहीं बल्कि असम के दूसरे हिस्से में भी हुए हैं पत्रकार काली पट्टी बांधकर प्रेस की स्वतंत्रता के नारे लगा रहे हैं असम के इतिहास में ऐसा कभी नहीं हुआ जब पत्रकार इस तरह एकजुट होकर सड़कों पर उतरे हो द वायर के लिए लिखने वाली पत्रकार संगीता बरुआ पिशारोद्य पहले नहीं देखा गया रेयर है छत्तीसगढ़ के पत्रकार मुकेश चंद्राकर की हत्या को लेकर वहां के पत्रकारों ने भी घनघोर आंदोलन किया लेकिन असम का आंदोलन जोरदार बताया जा रहा है यूपी के सीतापुर में दैनिक जागरण के पत्रकार राघवेंद्र वाजपेई की हत्या कर दी गई क्या आपने सुना कि जागरण के पत्रकारों ने सड़कों पर मार्च किया हो दिल्ली में प्रेस क्लब ऑफ इंडिया से लेकर एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने दिलवर हुसैन मजूमदार की गिरफ्तारी की निंदा की लेकिन एक हताशा घर करती जा रही है कि से भी कुछ नहीं हो रहा गिरफ्तारियां रुक नहीं रही हत्याएं रुक नहीं रही असम के यह पत्रकार एकजुट होकर अपने अधिकारों के लिए लड़ रहे हैं गुवाहाटी प्रेस क्लब की अध्यक्ष सुष्मिता गोस्वामी ने कहा है कि पत्रकारों का प्रदर्शन तब तक जारी रहेगा जब तक दिलवर को रिहा नहीं किया जाएगा लवार का रेस के खिलाफ एक आंदोलन की घोषणा की है और हम चाहते हैं कि पत्रकार के साथ-साथ बाकी लोग भी य ग डेमोक्रेटिक लोग भी य सा जर्नलिस्ट का जो फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेशन है मीडिया फ्रीडम है मीडिया फ्रीडम को कार्प करने के जो साजिश है।

पत्रकार दिलवर हुसैन मजूमदार की गिरफ्तारी और विवाद

इसको डिफीट करने के लिए य इस प्रदेश में शामिल होंगे कुछ दिन पहले आसाम में सत्तारू भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप सकिया ने द क्रॉस करेंट के दिए गए एक बयान में य आशा व्यक्त की कि ये क्रॉस करेंट मीडिया की एक शक्तिशाली आवाज बनेगा और उन्हे ये समासार पोर्टल के दर्शक दर्शकों को भी पूर्ण सहयोग की भी मांग की सक ने कहा था कि मीडिया में नकारात्मक खबरें उनके पार्टी को आत्मनिरीक्षण करने में मदद करती है लेकिन उन्होंने उम्मीद जताई कि यह समासार पोटल राज्य के प्रगति के लिए हेमंत विश्व शर्मा सरकार ने जो कार्य के भी वो सपोर्ट में प्रमोट करके वो न्यूज पब्लिश करेंगे और ब बरिष्ठ पत्रकार को यह मानना है कि दिलवास मजूमदार की गिरफ्तारी को क्रॉस करेंट भूमिका को लेकर सैकिया और मुख्यमंत्री शर्मा के बीच मतभेद के नतीजा मानते हैं व लोग तो आगे जर्नलिस्ट ये हम दिलवा हुसैन मजूमदार की और जर्नलिस्ट फ्रीडम कार्व करने की जो साजिश की है इसके खिलाफ हम अपना आवाज उठाते रहेंगे यह वीडियो केवल असम के पत्रकारों के लिए नहीं है आप सभी के लिए है उनके लिए भी जो कोऑपरेटिव बैंकों में पैसा रखते हैं हम आगे बताएंगे कि हाल के दिनों में कैसे कोऑपरेटिव बैंकों के खिलाफ रिजर्व बैंक ने एक्शन लिया है तो अगर पत्रकार खबर लिख देगा या सवाल पूछ देगा तो क्या उसे जेल भेज दिया जाएगा आपको समझना होगा कि सरकारों को यूट्यूब से क्यों दिक्कत होने लगी है क्योंकि गोदी मीडिया के जरिए खबरों पर पूरा कंट्रोल कायम किया जा चुका है यूटर ही सरकार से सवाल पूछ रहे हैं इसलिए उन पर यह हमला हो रहा है इस वीडियो का संदर्भ बहुत बड़ा है इसलिए आप इसे देखिए और समझने का प्रयास कीजिए कि देश में क्या होने जा रहा है 

पत्रकारों का विरोध प्रदर्शन और एकजुटता

25 मार्च को दिलवर हुसैन मजूमदार को गिरफ्तार कर लिया गया दिलवर एक वेब पोर्टल क्रॉस करंट के लिए काम करते हैं जिसका इसी नाम से एक ने दिलवर को जमानत देते हुए कोर्ट की टिप्पणी बता रही है कि देश भर में बार-बार सुप्रीम कोर्ट से फटकार पाने के बाद भी पुलिस अब भी वही खेल खेल रही है दिलवर हुसैन मजूमदार के मामले में जमानत देते हुए कामरूप के एडिशनल चीफ जुडिशियस अपने आदेश में कहते हैं कि मेरा मानना है कि जांच अधिकारी गिरफ्तारी का बचाव नहीं कर पा रहे हैं पीड़ित के बयान और गिरफ्तारी के आधार में कोई तालमेल नहीं है पीड़ित ने यह नहीं कहा कि आरोपी ने उसे या उसके समुदाय को लेकर किसी अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल किया है इससे पता चलता है कि यह गिरफ्तारी कानून का दुरुपयोग है यह कानून अनुसूचित जाति और जनजाति के संरक्षण के लिए बनाया गया है ना कि गलत आधार पर गिरफ्तारी के लिए तो कामरूप के अतिरिक्त चीफ जुडिशल मजिस्ट्रेट का यह बयान सब कुछ साफ कर देता है किसी तरह पत्रकार को जेल में डालना था तो जेल में डाल दिया गया लेकिन इसके बाद दिलवर हुसैन को चोरी और डकैती के मामले में गिरफ्तार किया जाता है इसलिए असम के पत्रकार सड़कों पर उतरे हैं उन्हें दिख रहा है कि किस तरह से दिलवर हुसैन को जेल में डाला गया है 2021 में असम के भूमि घोटाले पर इनकी एक रिपोर्ट द वायर में छपी थी द क्रॉस करेंट और द वायर ने मिलकर इसकी जांच की थी कि मुख्यमंत्री राज्य भर में सरकारी जमीनों से किसानों के परिवारों को बेदखल कर रहे हैं यह कहते हुए कि सरकारी जमीन पर कोई कब्जा नहीं कर सकता जबकि हेमंता विश्व शर्मा की पत्नी का संबंध एक रियल स्टेट कंपनी से है उस पर भी 18 एकड़ सरकारी जमीन कब्जा करने के आरोप हैं यह रिपोर्ट आज भी वायर की साइट पर मौजूद है हम इसकी पुष्टि नहीं कर सकते कि इस रिपोर्ट के प्रकाश में आने के बाद कोई जांच हुई या नहीं या कोई एक्शन लिया गया या नहीं बैंक का मैनेजिंग डायरेक्टर न उसका ऊपर बुलाया बाइट देने के लिए व ऊपर चला गया उसका बाद उसका ऊपर कुछ कुछ केस जोरा दिया गया तीन केस से वो उसको जामीन मिल चुका है अभी चौथा केस का हियरिंग आज तो चौथा केस में बताया हुआ है कि दिलवा हुसैन ने अंदर जाकर कोई सेंसिटिव डॉक्यूमेंट चुराने का कोशिश की तो मेरा सवाल यह है 

कोऑपरेटिव बैंक घोटाले पर रिपोर्टिंग और गिरफ्तारी

अगर दिलवा हुसैन ने ऐसा गलती की तो बैंक का हर इंच सीसीटीवी कैमरा का मॉनिटर है तो बैंक अथॉरिटी उन्हें बाहर लेकर आई है उस फुटेज को दिलवर हुसैन ने यह गलती किया मेरा उम्मीद है कि दिलवा हुसैन ने ये ये सब काम ये सब एक सब कुछ नहीं किया था जबरदस्त उसका ऊपर यह जो फाल्स एलिगेशन लगाया हुआ है यह सरकार ने बहुत गलती किया मैं सरकार को यह आबन करता हूं कि जल्दी से जल्द जल्द से जल्द दिलवर हुसैन को रिहा किया जाए क्या यह संयोग है कि दिलवर हुसैन मजूमदार की नई रिपोर्ट भी एक ऐसे बैंक के बारे में है जिसके निर्देशक मुख्यमंत्री हेमंता विश्व शर्मा ही हैं द क्रॉस करंट की वह खबर क्या थी जिसके बाद दिलवर हुसैन को दूसरे मामले में जेल में भेजा गया वह भी थोड़ा जान लीजिए 25 मार्च को दिलवर की एक खबर द क्रॉस करंट पर प्रकाशित होती है जिसमें असम कोऑपरेटिव एपेक्स बैंक के प्रबंध निर्देशक दोम बारू सैकिया से कई सवाल पूछे जाते हैं दिलवर इसी बैंक के बाहर से रिपोर्टिंग कर रहे थे क्योंकि बैंक के गुवाहाटी मुख्यालय के बाहर इसके कर्मचारियों का प्रदर्शन चल रहा था इस प्रदर्शन में राजनीतिक संगठन असम जातीय परिषद की युवा इकाई भी शामिल थी आरोप लगा रही थी कि बैंक में कथित रूप से करोड़ों की अनियमितता हुई है इस बैंक के निदेशक असम के मुख्यमंत्री हैं और बीजेपी के विधायक विश्वजीत फूकन इसके चेयरमैन हैं कोऑपरेटिव बैंक में कथित रूप से धांधली हुई है यह सुनकर तो सबसे पहले भारत सरकार के कोऑपरेटिव मंत्री अमित शाह को फोन करना चाहिए था कि तुरंत इसकी जांच की जाए रिजर्व बैंक को एक्शन लेना चाहिए था लेकिन गिरफ्तार कर लिया गया एक पत्रकार आरोप क्या लगा एक गार्ड के आरोप के आधार पर दिलवर की गिरफ्तारी होती है गार्ड ने शिकायत क्या की कि दिलवर ने कथित रूप से बोडो जनजातीय समुदाय के एक व्यक्ति का अपमान किया है किस व्यक्ति का अपमान किया है वह शिकायत में नहीं है उसका नाम नहीं द हिंदू अखबार ने लिखा है कि यह स्पष्ट नहीं कि जिसका अपमान हुआ वह बैंक का कर्मचारी है या कोई और मगर दिलवर हुसैन पर अनुसूचित जाति और जनजाति अधिनियम का उल्लंघन करने सहित विभिन्न आरोपों के तहत केस दर्ज कर दिया गया द वायर ने लिखा है 

कोर्ट की सख्त टिप्पणी: कानून का दुरुपयोग

 कि दिलवर प्रदर्शन की रिपोर्टिंग कर रहे थे वहां से उन्हें पान बाजार पुलिस थाना बुलाया जाता है और गिरफ्तारी हो जाती है आधी रात को उनके दोस्तों और परिवार को सूचित किया गया कि उन्हें एससी एसटी एट्रोसिटी एक्ट के तहत गिरफ्तार किया गया है उनकी पत्नी को कागज के टुकड़े पर लिखकर वह लाइन दे दी गई जो कथित रूप से दिलवर ने बोडो समुदाय के आदमी से कही थी हमने आपको इस वीडियो के शुरू में ही बताया कि एडिशनल चीफ जुडिशियस मजिस्ट्रेट ने इस मामले में दिलवर हुसैन को जमानत देते हुए कहा कि कानून का दुरुपयोग हुआ है जांच अधिकारी गिरफ्तारी का बचाव तक नहीं कर सके क्या यह साफ नहीं कि पत्रकार को फिक्स किया जा रहा है उसे खबर लिखने की सजा दी जा रही है 25 मार्च को गिरफ्तारी होती है 26 को जमानत मिलती है लेकिन 27 को दूसरे मामले में अरेस्ट कर लिया जाता है इस बार आरोप लगाया जाता है कि उन्होंने अवैध तरीके से बैंक में प्रवेश किया दस्तावेज चुराने की कोशिश की बैंक के काम को रोका और कर्मचारियों को धमकी दी एक मामले में जमानत मिलने के बाद पुलिस को ख्याल आता है दूसरी शिकायत में गिरफ्तारी कर लेनी चाहिए इंडियन एक्सप्रेस की यह रिपोर्ट देखिए असम के मुख्यमंत्री हेमंता विश्वा शर्मा कहते हैं कि दिलवर को पत्रकारिता से संबंधित मामले में गिरफ्तार नहीं किया गया है उनके खिलाफ दो-तीन मामले हैं वे सभी में गिरफ्तार किए जाएंगे चाहे तो जमानत ले सकते हैं एक्सप्रेस में मुख्यमंत्री का जिस तरह से बयान छपा है क्या आपको हैरान नहीं करता क्या आपने देखा कि एडिशनल जुडिशल मजिस्ट्रेट ने क्या कहा कि दिलवर हुसैन के खिलाफ पुलिस सबूत नहीं दे पाई गिरफ्तारी का बचाव नहीं कर पाई और कानून का दुरुपयोग हुआ ।

मुख्यमंत्री हेमंता बिस्वा शर्मा का बयान और सवाल

 मुख्यमंत्री बचाव कर रहे हैं कि दिलवर के खिलाफ कई केस हैं गिरफ्तारी होगी सवाल तो यही है कि कानून का दुरुपयोग कर अगर केस दायर किया जा रहा है तो उसकी सजा किसे मिलनी चाहिए असम के मुख्यमंत्री ने हूं कि असम पुलिस ने हाल के समय में किसी पत्रकार को गिरफ्तार नहीं किया है मुख्यमंत्री हेमंता विश्वा शर्मा जिस पोर्टल को मीडिया नहीं मानते जिस रिपोर्टर को पत्रकार नहीं मानते कि उसे मान्यता नहीं है उसी पोर्टल के बारे में बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप सैकिया कहते हैं कि आप अच्छा काम कर रहे हैं क्रॉस करंट अच्छा काम कर रहा है और दिलीप सैकिया उस पोर्टल को इंटरव्यू भी देते हैं दिलवर हुसैन मजूमदार पत्रकार भी हैं और वकालत भी करते हैं गुवाहाटी प्रेस क्लब के सहायक महासचिव हैं दिलवर हुसैन जिस द क्रॉस करंट के लिए रिपोर्टिंग कर रहे थे उसके youtube2 लाख सब्सक्राइबर हैं इस चैनल पर 29000 से अधिक वीडियो हैं और रिपोर्ट हैं फिर भी इसके पत्रकार को मुख्यमंत्री पत्रकार नहीं मानते दिलवर की गिरफ्तारी के बाद मीडिया में छपे मुख्यमंत्री हेमंता शर्मा के बयान पर गौर कीजिए उन्होंने कहा क्रॉस करंट ऑनलाइन पोर्टल में काम करने वाले लोग पत्रकार नहीं हैं उन्हें पत्रकार की मान्यता नहीं मिली है क्योंकि राज्य का सूचना निदेश लय पोर्टल के पत्रकारों को मान्यता नहीं देता तो क्या आप पत्रकार वही कहलाएगा जिसे सूचना निदेशालय मान्यता देगा जिसके पास राज्य सरकार का दिया हुआ पहचान पत्र होगा जिसके पोर्टल को सरकार विज्ञापन देगी जिसके पास यह सब नहीं होगा क्या वह पत्रकार नहीं कहलाएगा यह कब से मानक हो गया हेमंता विश्वा शर्मा कहते हैं कि दिलवर मान्यता प्राप्त रिपोर्टर नहीं है क्योंकि सरकार प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को ही आई कार्ड देती है यह कैसा तर्क है भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यूटर को बुला कर इंटरव्यू देते है उनके मंत्री पॉडकास्टर को इंटरव्यू देते हैं प्रधानमंत्री मोदी ने भी पॉडकास्टर को इंटरव्यू दिए हैं नेशनल क्रिएटर अवार्ड में यूटर को पुरस्कार दिए गए क्या उनके पास किसी सरकार का आई कार्ड था या कहां लिखा है कि सूचना विभाग से जिसे मान्यता नहीं होगी वह पत्रकार नहीं होगा और पत्रकारिता नहीं कर सकता तो मुख्यमंत्री के हिसाब से अगर इनके पास मान्यता नहीं है तो क्या यह पत्रकार नहीं है फिर प्रधानमंत्री इन्हें क्या समझकर इंटरव्यू दे रहे हैं लोकसभा चुनाव से पहले दिल्ली के भारत मंडप में सैकड़ों यूटर को क्यों बुलाया गया उन्हें सम्मानित क्यों किया गया

यूट्यूब और स्वतंत्र पत्रकारों को लेकर सरकार की मान्यता नीति

 अब द क्रॉस करंट youtube1 आई कार्ड नहीं देती हैं अब तो पार्टियों के सांसद राहुल गांधी हो या आम आदमी पार्टी के विधायक सौरव भारद्वाज हो youtube2 जारी किया केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह कोऑपरेटिव मंत्री हैं और दिलवर हुसैन मजूमदार की खबर असम कोऑपरेटिव एपेक्स बैंक को लेकर है जिसके निदेशक असम के मुख्यमंत्री हैं और इसके चेयरमैन बीजेपी के विधायक हैं अमित शाह को भी पता करना चाहिए कि असम एपेक्स बैंक के बाहर प्रदर्शन क्यों हो रहा मुर्दाबाद मुर्दाबाद मुर्दाबाद ये तमाम खबरें कोऑपरेटिव बैंक के बाहर हो रहे प्रदर्शनों की है इस प्रदर्शन की खबरें छप रही है और यह राजनीतिक मुद्दा भी है इस बैंक में कथित रूप से 20 करोड़ रुपए के घोटाले के आरोप लग रहे हैं 25 तारीख से प्रदर्शनकारी उच्च स्तरीय जांच की मांग कर रहे हैं प्रदर्शन पर डटे हुए हैं दिलवर हुसैन मजूमदार ने रिपोर्टिंग के दौरान कई सवाल पूछ दिए जिस इंटरव्यू के बाद दिलवर को पुलिस द्वारा पूछ के लिए बुलाया गया उसमें प्रबंध निर्देशक से बैंक द्वारा किए गए कथित वित्तीय घोटाले से लेकर भर्ती और नियुक्ति में चल रहे कथित भ्रष्टाचार को लेकर सवाल पूछते हैं दिलवर हुसैन मजूमदार के इन सवालों के बाद प्रबंध निर्देशक अंदर चले जाते हैं हाल में जिस तरह से कोऑपरेटिव बैंक से लेकर इंडस इंड बैंक के भीतर धालिया की खबरें आई हैं कहीं ऐसा तो नहीं कि ऐसी खबरों पर पत्रकारों की नजर पड़ जाए उससे पहले शुरुआत में खबर लिखने वालों को जेल में डाल दिया जाए कहां तो असम एपेक्स कोऑपरेटिव बैंक की रिपोर्ट पर ईडी सीबीआई की जांच अपने आप शुरू हो जानी चाहिए थी लेकिन उल्टा पत्रकार पर ही मुकदमा दर्ज हो गया और जेल में डाल दिया गया अभी कुछ दिन पहले भारतीय रिजर्व बैंक ने न्यू इंडिया कोऑपरेटिव बैंक से पैसा निकालने पर रोक लगा दिया क्योंकि बैंक के संचालन में गड़बड़ी पाई गई 21 फरवरी को मिंट ने रिपोर्ट किया है कि किस तरह महाराष्ट्र के न्यू इंडिया कोऑपरेटिव बैंक के पूर्व जनरल मैनेजर ने 122 करोड़ का कथित रूप से फ्रॉड किया है पिछले साल अगस्त में उड़ीसा के कई कोऑपरेटिव बैंकों में 224 करोड़ के घोटाले की खबरें सामने आई तो इस देश में करोड़ों का फ्रॉड हो जाता है उन पर कुछ नहीं होता इसके कारण अपना ही पैसा निकालने से जनता को रोक दिया जाता है लेकिन खबर लिखने के कारण क्या पत्रकार को दूसरे अन्य मामलों में फंसाकर जेल में डाल दिया जाएगा असम के पत्रकार दिलवर हुसैन मजूमदार की गिरफ्तारी को व्यापक संदर्भ में देखना होगा यह मामला केवल असम तक ही सीमित नहीं है एक बार ऐसी खबरें आने लग गई तो ना जाने कितनों की पोल खुल जाएगी जो पत्रकार जनता के पैसे की सुरक्षा को लेकर खबर लिख रहा है वही सुरक्षित नहीं और जनता तमाशा देख रही है फायदे से रिजर्व बैंक को इस बैंक की जांच करनी चाहिए थी तो खबर लिखने वाले को जेल में डाल दिया गया इंडसन बैंक के डेरिवेटिव पोर्टफोलियो में 2100 करोड़ का हिसाब नहीं मिल रहा प्राइस वाटर कूपर्स ने इस बैंक के खातों की जांच की है उसके बाद फॉरेंसिक ऑडिट के आदेश दिए हैं प्राइस वाटर कूपर्स की रिपोर्ट का इंतजार हो रहा है सेबी भी अलग से जांच कर रही है कि कहीं इस बैंक में इनसाइडर ट्रेडिंग तो नहीं हुई खबरों में लिखा गया है कि बैंक के पांच सीनियर एग्जीक्यूटिव को शेयरों के दाम की जानकारी थी और उसका फायदा उठाने के लिए उन्होंने खुले बाजार में अपने शेयर बेच दिए बैंक के भीतर इस तरह की धांधली कई सालों से चल रही है इंडस इंड की खबर बाहर आ गई तो निवेशकों के हजारों करोड़ रुपए डूब गए।

मीडिया की स्वतंत्रता पर बढ़ता दबाव

 मोदी सरकार के 10 साल में आलोचना से लेकर खबरों का जो हाल हुआ है देश देख रहा है कॉमेडियन पर हमला होता है कि वह राजनेताओं पर कॉमेडी करते हैं और पत्रकार को जेल में डाल दिया जाता है क्योंकि उसकी खबर से मुख्यमंत्री को दिक्कत हो सकती थी मुख्यमंत्री कहते हैं पत्र सरकार की गिरफ्तारी नहीं हुई खबर लिखने के लिए गिरफ्तारी नहीं हुई लेकिन जिस भी मामले में हुई उसी के बारे में कोर्ट ने कह दिया है सबूत नहीं कानून का दुरुपयोग है क्या पुलिस को कानून का दुरुपयोग करने का अधिकार है क्या मुख्यमंत्री को ऐसी पुलिस के खिलाफ एक्शन नहीं लेना चाहिए हेमंता विश्वा शर्मा इसलिए इसे पत्रकार की गिरफ्तारी नहीं बता रहे क्योंकि उन्हें पता है कि सुप्रीम कोर्ट ने अभिव्यक्ति के अधिकार की रक्षा को लेकर कई कड़े फैसले दिए हैं अब लगता है कि सुप्रीम कोर्ट को ही स्वतः संज्ञान लेकर दिलवर हुसैन मजूमदार के मामले में आगे आना होगा ताकि संवैधानिक अधिकार की रक्षा हो सके 28 मार्च को बारन बेंच ने रिपोर्ट किया है कि कांग्रेस सांसद इम्रान प्रताप गढ़ी के खिलाफ एफआईआर रद्द करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को लेकर क्या-क्या कहा है कोर्ट के कहने का यही मतलब निकल कर आता है कि नाजुक और असुरक्षित दिमाग वाले लोग हर दूसरी बात को लेकर आहत होते रहते हैं इसका मतलब यह नहीं कि पुलिस धाराएं लगाती रहे और एफआईआर करती रहे सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एएस ओका और जस्टिस सुजल भुइया की बेंच ने कहा है कि नागरिक होने के नाते पुलिस अफसरों का दायित्व है कि अधिकारों की रक्षा करें कमजोर दिमाग वाले या जिन्हें लगता है कि हर आलोचना उन पर हमला ही है उनके हिसाब से भारतीय न्याय संहिता की धारा 196 नहीं लगाई जा सकती ऐसे मामलों का मूल्यांकन साहस के साथ करना चाहिए हमने कई बार कहा है कि जब कुछ कहने के आधार पर भारतीय न्याय संहिता की धारा 1733 लगाई जाती है तो मौलिक अधिकारों की भी रक्षा जरूरी है गुजरात पुलिस ने इमरान प्रताप गढ़ी पर एफआईआर दर्ज कर दी थी गुजरात हाई कोर्ट ने इसे रद्द करने से इंकार कर दिया लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने एफआईआर रद्द कर दी सारी बातें अदालतों ने कई बार दोहराई लेकिन राजनीतिक दल से लेकर पुलिस को याद नहीं रहता इस फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि संवैधानिक कोर्ट को फ्री स्पीच के संवैधानिक अधिकार की रक्षा करनी चाहिए और संविधान की शपथ लेकर मंत्री बने अश्विनी वैष्णव क्या कहते हैं हेडलाइन देखिए कहते हैं वे कॉमेडियन कुणाल कामरा के खिलाफ एफआईआर का समर्थन करते हैं क्या उनके बयान को लेकर आपको ऐसी हेडलाइन देखी कि किसी को कानून अपने हाथ में लेने का हक नहीं थिएटर में तोड़फोड़ करने का हक नहीं कॉमेडियन से पहले ऐसा करने वालों के खिलाफ कार्रवाई होगी क्या आपने ऐसा बयान देखा जिस एकनाथ शिंदे को खुद उनके सहयोगी अजीत पंवार गद्दार कह चुके हैं सोशल मीडिया पर एकनाथ शिंदे की पार्टी के नेता संजय निरूपम का वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें वे एकनाथ शिंदे को गद्दार कह रहे हैं तब तो एफआईआर नहीं हुई लेकिन भारत सरकार के एक मंत्री कहते हैं कुणाल कामरा के खिलाफ एफआईआर का वे समर्थन करते हैं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को लेकर सुप्रीम कोर्ट की समझ और केंद्रीय मंत्रियों से लेकर मुख्यमंत्री की समझ में कितना अंतर है 2014 के बाद आलोचना करना सरकार से सवाल करना खोजी खबरें लिखना सरकार के दावों को चुनौती देने वाली खबरें छाप देना रिस्की होता जा रहा है फिर लोग अपने रिस्क पर कर रहे हैं यह सारा जो पत्रकार कर रहे हैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कभी पत्रकारों के लिए नहीं बोलते उन पत्रकारों के लिए जिनकी खबरें उनकी सरकार से सवाल करती हैं लेकिन आलोचना का क्रेडिट खुद ले लेते हैं कि आलोचना लोकतंत्र की आत्मा है सवाल है कि इस आत्मा को बचाए रखने में प्रधानमंत्री मोदी का क्या योगदान है खत्म करने में योगदान है 


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