क्या विपक्ष को निशाना बना रही हैं सरकार की एजेंसियां?



सरकार की एजेंसियां चाहे वो सीबीआई हो चाहे ईडी हो चाहे इनकम टैक्स हो विपक्ष के नेताओं के खिलाफ तमाम तरह के मुकदमे दर्ज करके उन्हें परेशान करने की कोशिश करती है उन्हें सलाखों के पीछे भेजती है और विपक्ष के नेताओं को चाहे उसमें मुख्यमंत्री क्यों ना हो सलाखों के पीछे भेजकर लगातार ऐसे मामले दर्ज करके लगातार उनके खिलाफ ऐसे सही गलत सबूत जुटाने की कोशिश करती है ताकि वो सलाखों से बाहर ना आ पाए उनकी जमानत ना हो पाए और बीते 10 सालों में ऐसे आंकड़े बार-बार आए हैं कि कैसे विपक्ष के नेताओं के खिलाफ ईडी या सीबीआई के मुकदमे दर्ज करने की तादाद लगातार बढ़ी है यह अलग बात है कि सरकार लगातार इसका खंडन करती है यह कहते हुए लगातार मोदी अपनी सभाओं में दिखते हैं कि जो भ्रष्ट है उनके खिलाफ हम कारवाई करते हैं केंद्रीय एजेंसियों को हर वक्त मोदी सरकार क्लीन चिट देती है 

राज्यसभा में सरकार का खुलासा – आंकड़े जो मोदी सरकार की पोल खोलते हैं

राज्यसभा में केंद्र सरकार का यह जवाब दो पन्ने का सीपीएम के एक सांसद के सवाल के जवाब में दिए गए आंकड़े मोदी सरकार का मुंह काला करती है मोदी सरकार के मुंह पर कालिख पोत है और यह जवाब केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री का है राज्यसभा में दिया गया है और इस जवाब में जो आंकड़े दिए हैं केंद्र सरकार की तरफ से वो आंकड़े इस बात की तस्दीक करते हैं इस बात का सबूत है कि किस तरह से केंद्र की एजेंसियों ने ईडी जैसी एजेंसी ने विपक्ष के नेताओं के खिलाफ मुकदमे दर्ज किए और जब अदालत में वो मुकदमे गए तो कन्विक्शन रेट है 1% 100 के खिलाफ अगर मामले दर्ज हुए एक के खिलाफ कन्विक्शन हुआ बीते 10 सालों में और 10 सालों का यह आंकड़ा यह रिकॉर्ड जो राज्यसभा में पेश किया गया है सुनकर आप हैरान हो जाएंगे हम सब लोग ये लगातार बोलते रहे लेकिन लोग लीपापोती करते हैं सत्ता पक्ष के लोग लेकिन जरा इस आंकड़े को सुनिए और इसी वीडियो में आगे कि किस तरह से सरकार ने विपक्ष के नेताओं को फंसाया है कई बार और किस तरह से फटकार खाई है लेकिन आज अहम है केंद्र सरकार का यह जवाब तो ये सवाल पूछा गया 18 तारीख को राज्यसभा में अनस्टड क्वेश्चन नंबर 2007 के तहत सवाल पूछा सीपीएम के सांसद राज्यसभा सदस्य ए रहीम ने और जब सवाल संसद में ऐसे पूछा जाता है तो सरकार की मजबूरी है कि जवाब दे और सरकार अगर संसद में जवाब देगी तो मजबूरी है कि रिकॉर्ड पर जो फैक्ट है वही पेश करेगी ये भाषण नहीं है बाहर चुनावी सभा में कि जो मर्जी बोल दो कुछ भी वहां बोलकर कुछ भी जुमले फेंक कर चले जाओ यहां आपको ऑन रिकॉर्ड वो आंकड़े पेश करने पड़ेंगे जो फाइलों में है जो फैक्ट है तो ये आंकड़े सरकार ने पेश किए और यहां सरकार एक्सपोज हो रही है कैसे ए रहीम ने सवाल पूछा चार सवाल हैं 

विपक्ष के नेताओं के खिलाफ ईडी के मामलों की सच्चाई – 10 साल में केवल 1% कन्विक्शन रेट

सवाल पहला सवाल है कि ईडी की तरफ से 10 सालों में एमपी एमएलए और लोकल एडमिनिस्ट्रेशन मेंबर्स के खिलाफ कितने मामले दर्ज हुए हैं पार्टी वाइज स्टेट वाइज आंकड़े दें और साल के हिसाब से सालाना आंकड़े दें ये सवाल पूछा सरकार से कहा कि आंकड़े दीजिए फैक्ट दीजिए दूसरा सवाल द मेंबर ऑफ केसेस दैट हैव लेड टू कन्विक्शन एक्विटल एंड दोज स्टिल अंडर इन्वेस्टिगेशन ईयर वाइज ऐसे आंकड़े भी दीजिए जो ऐसे मेंबर्स हैं लीडर्स हैं जिनके खिलाफ कन्विक्शन हुआ जिन्हें एक्विटल हुआ मतलब जिन्हें सजा हुई जिन्हें सजा दोष मुक्त हो गए या अभी इन्वेस्टिगेशन है में है सालाना दीजिए और उसके बाद यह भी कहा कि क्या ईडी की तरफ से ऐसे मामलों में विपक्ष के नेताओं के खिलाफ मुकदमे दर्ज होने की तादाद बढ़ी है क्या यह भी जानकारी दें जब यह जानकारी मांगी गई तो सरकार के पास कोई उपाय तो था नहीं आपको जवाब देना है तो देना है तो जवाब दिया गया केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी की तरफ से अब जवाब को गौर कीजिए यह सरकारी जवाब है इसी से आपको अंदाजा लग जाएगा कि ये सरकार कैसे काम करती है और ये इस पर कोई चैनल उस तरह से बहस नहीं करेगा कोई मोदी जी की फोटो लगाकर यह सवाल नहीं पूछेगा कि आप कर क्या रहे हैं आप लोकतांत्रिक देश की 140 करोड़ जनता की दुहाई बार-बार देते हैं लेकिन आप किस तरह से विपक्ष के नेताओं के साथ बर्ताव करते हैं किस तरह से आपकी एजेंसियां काम करती है ये कोई सवाल नहीं पूछता है लेकिन सवाल खड़े होते हैं सरकार के इस आंकड़े से पंकज चौधरी की तरफ से जो आंकड़ा पेश किया गया जिसमें कहा गया है कि सालाना जो आंकड़े हैं कि ईडी ने जिस तरह से एक्स ईडी ने जो मामले एक्स एमपीज एमएलए एमएलसीज और लीडर्स के खिलाफ पॉलिटिकल लीडर्स के खिलाफ जो दर्ज किए उसका 10 साल का ये आंकड़ा है आंकड़ा सुनिए और इसके साथ कन्विक्शन और एकटल की बात केसेस अगेंस्ट एमपीज एमएलए एंड पॉलिटिकल लीडर्स बार-बार कहूंगा राज्यसभा में दिया गया सरकार का जवाब है 144 2015 से 313 2016 के बीच केसेस दर्ज हुए 10 ईडी ने दर्ज किए 10 केस दर्ज हुए 2015 से 2016 के बीच मोदी जी केंद्रीय सत्ता में आए थे 2014 में कन्विक्शन जीरो मतलब किसी को सजा नहीं हुई 10 साल में उसके बाद 14 2016 से 313 2017 के बीच 14 मामले दर्ज हुए लीडर्स के खिलाफ एमपीज एमएलए एमएलसी के खिलाफ एक्स एमएलए हो चाहे जो 14 में कन्विक्शन एक एक को सजा मिली 14 2017 से 313 2018 के बीच सात मामले दर्ज हुए कन्विक्शन जीरो गौर से सुनते जाइए 1.4 2018 से 313 2019 के बीच मामले दर्ज हुए ईडी की तरफ से 11 कन्विक्शन जीरो 14 2019 से 3132020 के बीच मामले दर्ज हुए 26 कन्विक्शन एक मतलब दूसरा कन्विक्शन 1.42020 से 31321 के बीच मामले दर्ज हुए 27 कन्विक्शन जीरो उसी तरह से 14221 से 31322 के बीच मामले दर्ज हुए 26 कन्विक्शन जीरो 1422 से 313 2023 के बीच मामले दर्ज हुए 32 सबसे से अधिक मामले 223 में दर्ज हुए नेताओं के खिलाफ कन्विक्शन जीरो 1423 से 31324 के बीच मामले दर्ज हुए 27 ईडी की तरफ से कन्विक्शन जीरो 1424 से 31 282 2025 मामले दर्ज हुए ईडी की तरफ से 13 कन्विक्शन जीरो कुल मामले दर्ज हुए ईडी की तरफ से 193 कन्विक्शन हुआ दो ये तो ईडी की उपलब्धि है 

अदालत की फटकार – बिना सबूत जेल में रखना गलत

अदालती प्रक्रिया में अगर आपके पास सबूत नहीं है आप अगर पॉलिटिकल वेंडेटा से अगर आप अपने जोस्टर्स हैं पॉलिटिकलस्टर्स हैं उनके निर्देश पर किसी को फंसाने की कोशिश करते हैं किसी के खिलाफ दाएं बाएं से सबूत इकट्ठा करके उन्हें सलाखों के पीछे भेजने की कोशिश करते हैं और भेज भी देते हैं लेकिन अदालत में एक लंबी प्रक्रिया है उस प्रक्रिया से गुजर कर आप सबूत अगर पेश नहीं कर पाते हैं गवाह और बयानात आपके आरोपों की पुष्टि नहीं करते हैं आपके चार्जशीट या जो आप अदालत में फाइलें देते हैं वो अगर अदालत को संतुष्ट नहीं करता है तो कन्विक्शन नहीं होता है या कन्विक्शन में देर होती है या लंबा ट्रायल चलता है अदालत को सबूत चाहिए और सबूत नहीं तो सजा नहीं हालांकि यह भी सही है कि 10 सालों में एक्विटल भी नहीं हुआ ये जो आंकड़े हैं 193 में से किसी को दोष मुक्त अदालत ने नहीं किया लेकिन लंबी प्रक्रिया है अदालत के चक्कर लगा रहा है कोई महीनों तक जेल में अरविंद केजरीवाल महीनों तक जेल में रहे कई सांसद जेल में रहे हेमंत सोरेन जेल में रहे और कई ऐसे सांसदों को या मंत्रियों को मतलब मुख्यमंत्री को या विपक्ष के नेताओं को जमानत देते वक्त सुप्रीम कोर्ट से लेकर हाई कोर्ट तक ने फटकार लगाई है उनके बारे में भी आपको बताऊंगा फटकार में कहा कि ईडी बिना सबूत के या जल्दबाजी में या किसी को को लंबे समय तक जेल में रखना चाहती है ईडी की मंशा पर सुप्रीम कोर्ट से लेकर अलग-अलग राज्यों की हाई कोर्ट ने राज्यों की अदालतों ने फटकार लगाई है उस पर बात करने से पहले यह क्यों ऐसा हो रहा है इस पर बहुत बार बात हो चुकी है बीते कुछ सालों में आंकड़े लगातार बढ़े हैं

'बीजेपी वॉशिंग मशीन' – भ्रष्टाचार के आरोपियों को क्लीन चिट कैसे मिलती है?

 2014 से लेकर 24 तक ईडी और सीबीआई ने कैसे विपक्ष के नेताओं के खिलाफ जो मामले दर्ज किए उनकी संख्या तादाद लगातार बढ़ी है लेकिन बढ़ी है तब तक जब तक विपक्ष के नेता विपक्षी खेमे में है जैसे वो बीजेपी में आते हैं उनके खिलाफ केंद्रीय एजेंसियों का रवैया नरम पड़ता है और उन्हें क्लीन चिट मिलती है कुछ दिन पहले इंडियन एक्सप्रेस ने खबर छापी कुछ दिन पहले क्या 2023 में और बहुत विस्तार से इंडियन एक्सप्रेस ने छापा था जिस पर हमने पहले भी वीडियो बनाया था कि 2014 के बाद से 25 विपक्ष के बड़े नेताओं के खिलाफ जिसमें टीएमसी के लीडर एनसीपी के लीडर कांग्रेस के लीडर उद्धव ठाकरे ग्रुप के लीडर वो लीडर्स जिनके खिलाफ केंद्रीय एजेंसियां जांच कर रही थी कुछ की गिरफ्तारी होने वाली थी कुछ की संपत्तियां जप्त हुई कुछ के खिलाफ कुरकी के आदेश हुए किनके किनका कुछ नेताओं का का जेल में जाना तय था करीब-करीब लेकिन उनमें से 25 में से 23 नेताओं को क्लीन चिट मिल गई क्योंकि उन्होंने बीजेपी का दामन थाम लिया और तो और ना सिर्फ क्लीन चिट बल्कि फाइलें बंद हुई और उसमें हेमंत मिश्रा जैसे लोग असम के मुख्यमंत्री हैं महाराष्ट्र में अजीत पवार डिप्टी सीएम है और कई ऐसे हैं जो केंद्र में मंत्री बन गए सांसद बन गए बीजेपी का टिकट पा गए कोई राज्यसभा में आ गया कोई कुछ बन गया क्योंकि उन सब ने पाला बदलना कबूल किया इंडियन एक्सप्रेस ने विस्तार से उन 25 नेताओं के नाम छापे थे उसमें प्रफुल पटेल से लेकर छगन भुजबल से लेकर शिंद गुट के कुछ सांसद उसमें शामिल हैं अलग-अलग राज्यों के वो नेता हैं जो जिन्होंने समय अह पर बीजेपी का दामन थाम लिया चाहे शुभेंदु अधिकारी हैं बंगाल के बीजेपी के सबसे बड़े चेहरे यह सब जिन जिनका जिनकी गिरफ्तारी या तो तय थी या जिन्हें लंबी अदालती प्रक्रिया का सामना करना पड़ता या जिनकी संपत्ति जब्त होती और जिनके मुकदमों में ईडी ने या केंद्रीय एजेंसियों ने ऐसी तैयारी की थी कि उनका पॉलिटिकल करियर चौपट हो सकता था लेकिन उन्होंने पाला बदला मोदी जी का दामन थामा और जिसका लोग बार-बार कहते हैं कि सब ये सफेद होकर निकल गए वाशिंग मशीन से बीजेपी की वाशिंग मशीन से लेकिन अब सरकार का अगर यह आंकड़ा है तो इस आंकड़े पर जरा ठंडे दिमाग से सोचिए कि किस तरह से बीजेपी की के राज में केंद्रीय एजेंसियां काम करती है अदालतों में क्या हुआ अदालतों में समय-समय पर फटकार लगी है 

मीडिया की चुप्पी – सरकार के खिलाफ सवाल क्यों नहीं उठते?

ईडी को और केंद्रीय एजेंसियों को खासतौर से ईडी को कुछ अगर घटनाओं का जिक्र करूं कि कब-कब फटकार लगी किन-किन नेताओं के मामले में जिसमें सबसे बड़ी बात हेमंत सोरेन को जब जमानत दी गई तब रांची हाईकोर्ट की फटकार हेमंत सोरेन के ही मामले में उनके सहयोगी हैं जो प्रेम प्रकाश उनके मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा संजय राउत के मामले में कहा कुछ मामले बता दूं ताकि आपको समझ में आए कि हेमंत सोरेन के मामले में उनके सहयोगी की गिरफ्तारी से जुड़ा हुआ मामला जब सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही थी तो सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आरोपी को बिना सुनवाई के जेल में रखने की जो परिपाटी बनाई गई है वो परेशान करने वाली है उसके बाद अदालत ने कहा संविधान के तहत आरोपी जमानत के अधिकार से वंचित रहा उसके बाद यह भी कहा कि हम आपको नोटिस दे रहे हैं ईडी को कहा सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कानून के तहत मामले की जांच पूरी किए बिना आप किसी व्यक्ति को गिरफ्तार नहीं कर सकते मुकदमा शुरू किए बिना किसी व्यक्ति को हिरासत में नहीं रखा जा सकता यह कैद में रखने के समान है और व्यक्ति की स्वतंत्रता को प्रभावित करता है यह सुप्रीम कोर्ट ने कहा ऐसे ही संजय राउत जो शिवसेना के सांसद है उनकी गिरफ्तारी हुई थी दो साल ढाई साल पहले और उनकी गिर जिस तरह से आधी रात को गिरफ्तारी हुई उनकी गिरफ्तारी के बाद उन्हें लगता है मुझे अगर याद है 100 दिन तक लगभग जेल में रखा गया और बहुत टॉर्चरस स्थिति में रखा गया और तब उनकी जमानत देते वक्त महाराष्ट्र कोर्ट के जज एमजी देश पांडे ने कहा था कि एक तरह से विच हंट है जानबूझकर उन्हें निशाना बनाया गया मेरा मानना है कि अवैध रूप से गिरफ्तार उन्हें किया गया और 

क्या अदालतों से ही बची है उम्मीद?

ईडी ने गिरफ्तारी की असाधारण शक्तियों का बहुत ही लापरवाही से इस्तेमाल किया यहां तक कहा केंद्रीय एजेंसी ने बिना किसी कारण के गिरफ्तार किया यहां तक कहा अदालत ने कि यह ध्यान देना उचित है कि संजय राउत की इतनी असामान्य आधी रात की गिरफ्तारी के बाद यहां तक कि पहली ईडी हिरासत अवधि के दौरान उन्हें बिना खिड़की के कमरे में रहा गया रखा गया जहां चारों ओर केवल दीवारें थी जबकि उनकी एंजियोप्लास्टी हो चुकी है और दिल में छह स्टेंट यह फटकार लगाई थी स्पेशल जज एमजी देश पांडे ने ईडी को जब संजय राउत को जमानत मिली और एक लंबी लिस्ट है बीते कुछ सालों की बात करें कि कब-कब कैसे-कैसे नेताओं के मामले में जो विपक्ष के नेताओं के मामले में सरकार का रवैया रहा उसको लेकर जो फटकार पड़ी है मैं जरा वो भी आपको बता दूं जैसे अरविंद केजरीवाल के मामले में सुप्रीम कोर्ट की फटकार अरविंद केजरीवाल के मामले में कहा कि लंबे समय तक हिरासत और देरी से ट्रायल शुरू ना होना बेल नियम है जेल अपवाद इस सिद्धांत के खिलाफ खिलाफ है सिसोदिया के मामले में जमानत देने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ईडी की जांच में देरी और सबूतों की कमी की आलोचना करते हुए कि ईडी ट्रायल को अनिश्चित काल तक नहीं खींच सकती यह ईडी की कोशिश होती है कि ट्रायल को लंबा खींचो ताकि जमानत ना मिले और यह मामला लटकता रहे और उसके बाद वह घिसकता रहे वो नेता अगर वो विपक्ष में है तो और अगर वो थक हार कर परेशान होकर मोदी जी के पाले में चला जाए तो कहना ही क्या जैसा कई केस में हुआ जो मैंने कहा 25 ऐसे मामलों में इसी तरह से संजय राउत का मामला मैंने आपको बताया अनिल देशमुख के मामले में भी मनी लॉन्ड्रिंग में उनके खिलाफ ईडी ने जांच की या ईडी ने मामला दर्ज किया वहां भी सुप्रीम कोर्ट ने ईडी के सबूतों की विश्वसनीयता पर सवाल उठाया कार्तिक चिदंबरम के माम मामले में भी सुप्रीम कोर्ट ने ईडी की लंबी जांच पर नाराजगी जताई और कहा बिना ठोस के कारवाई नहीं हो सकती डी के शिवकुमार के मामले में जमानत याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट में ईडी को फटकार लगाई और इसी तरह से कई जगह अब कोर्ट से खेल नहीं सकता ये उस मामले में कहा गया नवाब मलिक के मामले में ऐसा ही अह बॉम्बे हाईकोर्ट ने जमानत दी और ईडी की संपत्ति कुर्क करने की जल्दबाजी पर सवाल उठाए सत्य जैन के मामले में फारूक अब्दुल्लाह के मामले में अखिल गोगई के मामले में लंबी लिस्ट है जहां जहां अलग-अलग अदालतों से चाहे हाई कोर्ट हो चाहे स्पेशल जज हो चाहे सुप्रीम कोर्ट हो जहां फटकार लगाई गई जमानत दे दिया गया अदालत की तरफ से कहा गया कि ईडी का यह रवैया बहुत ही गलत है असंवैधानिक है और जो अधिकार हैं किसी कैदी के या किसी आरोपी के उस अधिकार का हनन है किसी को ऐसे जेल में नहीं रख सकते एक आंकड़ा दो साल पहले इंडियन एक्सप्रेस ने छापा था जो मैंने पहले भी बताया था कि 2014 के बाद से कैसे ईडी के मामले विपक्ष के नेताओं के खिलाफ उन मामलों में बढ़ोतरी हुई ईडी ने जो केसेस दर्ज किए 2014 के बाद से 95% केसेस विपक्ष के नेताओं के खिलाफ दर्ज किए गए 95% ईडी ने जितने मामले दर्ज किए 95% विपक्ष के नेताओं के खिलाफ वैसे ही सीबीआई का भी ये इंडियन एक्सप्रेस ने छापा था कि सीबीआई ने भी जितने मामले दर्ज किए 95% उसमें विपक्ष के नेताओं के खिलाफ मामले दर्ज किए और उन सबका नाम इंडियन एक्सप्रेस ने कई बार अलग-अलग ढंग से इंडियन एक्सप्रेस और हिंदू जैसे अखबारों में छापा है यह भी दुर्भाग्यपूर्ण है 



कि मीडिया का बड़ा तबका मुख्यधारा के चैनल्स कभी इस पर सवाल नहीं उठाते क्योंकि सरकार इसी तरह से प्रोपेगेंडा करती है कि जो विपक्ष के नेता जेल जा रहे हैं या जिनके पीछे केंद्रीय एजेंसियां लगी है या जिनके पीछे ईडी या इनकम टैक्स या सीबीआई जैसी एजेंसियां लगी है वो सब के सब करप्ट तब तक करप्ट है जब तक वो विपक्ष में वैसे अजीत पवार के मामले में हुआ 70 हजार करोड़ के सिंचाई घोटाले की बात करने वाले मोदी भोपाल में भाषण दे रहे थे और उसके बाद उनके भाषण के 5 दिन सात दिन बाद वो अजीत पवार चले गए बीजेपी के साथ आज अजीत पवार डिप्टी सीएम है वैसे हेमंत मिश्रा के मामले में असम में हुआ उनकी उनके मामले में बहुत गंभीर जांच चल रही थी उनके परिसरों में छापे मारे गए थे अमित शाह तक उनकी जांच या उन पर भ्रष्टाचार के आरोपों की तस्दीक कर रहे थे और उसके बाद वो आज मुख्यमंत्री हैं लाडले हैं बीजेपी के मोदी जी के लाडले हैं बीजेपी के पोस्टर बॉय शुभेंदु अधिकारी का तो नाम का ही ऐसी लंबी लिस्ट है इस पर बहुत बार बात हो चुकी है लेकिन बात अब सरकार के उन आंकड़ों की जिनका जिक्र किया जिससे सरकार खुद एक्सपोज हो रही है बहरहाल देखते हैं ईडी के रवय में या केंद्रीय एजेंसियों के रवैया में सुधार की तो कोई गुंजाइश नहीं है अगर थोड़ी भी उम्मीद है तो अदालत पर है लेकिन अदालतें भी कई बार बहुत सारे मामलों को बहुत लंबा खींचती है और जमानत अगर 6 महीने 4 महीने बाद जमानत देते वक्त अगर आप कहते हैं कि सबूत पर्याप्त नहीं है तो सवाल उठता है वह शख्स वह नेता अगर 6 महीने या चार महीने जेल में रहा सलाखों के पीछे रहा तो फिर उसके दिन कौन लौटाएगा वो वो किसकी जिम्मेदारी है या उसका गुनहगार कौन है अदालतें कभी यह तय नहीं करती ।

 

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