बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन: क्यों हो रही है अनदेखी?

क्या बुलडोजर संविधान से बड़ा हो गया है? सुप्रीम कोर्ट की कड़ी टिप्पणियाँ

बुलडोजर एक्शन को लेकर आपको पता है सुप्रीम कोर्ट ने 2024 में बहुत डिटेल गाइडलाइन दी थी कि किन सूर तों में बुलडोजर चल सकता है क्या कुछ किया जाना चाहिए बुलडोजर चलाने के लिए सही वजह होना चाहिए अगर कोई एक्यूज्ड है तो सिर्फ इस बिना पर यानी किसी केस का कोई आरोपी है उसके घर पर बुलडोजर चला दिया जाए यह बदले के तहत की गई कारवाई है 15 दिन का टाइम देना चाहिए अगर वह व्यक्ति जिसके घर पर बुलडोजर चलना है और वह कोर्ट जाना चाहता है तो उसे कोर्ट भी जाने देना चाहिए यह सब सारी बातें थी लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट के इन आदेशों पर होड़ लगी हुई है कि उत्तर प्रदेश ज्यादा इन आदेशों पर बुलडोजर चला देता है या महाराष्ट्र सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश पर बुलडोजर चला देता है तो फिलहाल तो ऐसा लग रहा है कि बराबरी की टक्कर है और ताजा मामला नागपुर का है आपने देखा कि सोमवार को नागपुर 17 मार्च को जो हिंसा हुई जिसमें आपको याद होगा औरंगजेब के ऊपर जो फिल्म बनी छावा जिसमें औरंगजेब ने क्या कुछ अत्याचार किए अ संभाजी महाराज पर वह दिखाया गया उसके बार उसके बाद विश्वंत परिषद और बजरंग दल के लोग सड़क पर उतर आए सड़क पर उतर आए और नागपुर में उन्होंने प्रदर्शन के दौरान औरंगजेब का पुतला फूका साथ में इस बात को लेकर के काफी चर्चा हो गई अफवा हो गई ऐसा कहा जा रहा है कि कुछ धार्मिक चीजें भी जुड़ी हुई हैं जो मुस्लिम धर्म के लिए बहुत पाक साफ है उसके बाद पथराव हुआ आगजनी हुई और इस पूरे मामले में तमाम सैकड़ों लोगों को एक्यूज बनाया गया और अब तक जो हमें जानकारी उसके मुताबिक 113 लोगों की गिरफ्तारी हुई है और उसका मुख्य आरोपी बनाया गया फहीम खान और यूस यूसुफ सेख शेख को फहीम खान और यूसुफ शेख अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश है बुलडोजर को लेकर के लेकिन सुप्रीम कोर्ट की कौन सोच रहा है मुख्यमंत्री बयान देते पा दिन पहले कि अगर जरूरत पड़ी तो बुलडोजर चलाएंगे 22 तारीख को फहीम खान और यूसुफ यूसुफ शेख को नोटिस दिया जाता है कि आपके घर पर यह यह इलीगल कंस्ट्रक्शन किया है और यह नोटिस दिया जाता है 



न्याय या बदले की कार्रवाई? बुलडोजर एक्शन पर बढ़ती राजनीति

नागपुर म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन के द्वारा अच्छा जो यूसुफ और फहीम खान का कहना है कि उन्होंने इस पूरे मामले में अपने कागज दिखाने की कोशिश की लेकिन उनकी एक नहीं सुनी गई और उन्हें 24 घंटे का वक्त दे दिया गया अब जाहिर बात है 24 घंटे में क्या कुछ हो जाता इन इन लोगों ने कहा इनके वकीलों ने कहा कि हम हाई कोर्ट जा रहे हैं हमें कोर्ट जाने की इजाजत दी जाए लेकिन हाई कोर्ट सुनवाई कर ही रहा था इस मामले में तभी जो है हम सबक सिखाएंगे बुलडोजर चलाएंगे इस नीति के तहत दोनों के घरों पर बुलडोजर चला दिया जाता है इस मामले पर हाई कोर्ट ने जो महाराष्ट्र बम्बे हाई कोर्ट की नागपुर बेंच है उसने संज्ञान लिया और बहुत खी की टिप्पणी की है उन्होंने कहा है कि यह राज्य सरकार का का हाई हैंडेडनेस है मतलब यह राज्य सरकार का एक दुराचारी रवैया है अच्छा साथ ही साथ हाई कोर्ट ने स्टे भी लगा दिया कि इनके घर पर बुलडोजर नहीं चल सकता लेकिन सोचिए ये कितनी जल्दी है कि बुलडोजर चला ले हाई कोर्ट स्टे कर देगा तो हाई सुनवाई करते करते तो बुलडोजर अगर बुलडोजर लाकर के दो बार भी धकधक मार ग दीवार तो गिर गई तो वह कर दिया गया तो हाई कोर्ट ने यह टिप्पणी की है और कहा है कि इस पूरे मामले में नागपुर नागपुर मुनिसुव्रत कोर्ट तो मायने ही नहीं रखता हा तो हेट मोंगरिंग इस कदर बढ़ गई है कि चूंकि आरोपी है वह क्या एविडेंस है क्या कोर्ट ने उसको दोषी ठहरा दिया है कुछ भी नहीं हुआ सिर्फ आरोपी बनाएगी सरकार पुलिस और वही सरकार बुलडोजर बजला देगी कोर्ट का तो मायने ही नहीं रखता है कोर्ट तो कोई हैसियत नहीं रखता यह दिखाने की कोशिश की अब इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट में भी एक मामला गया 

क्या बुलडोजर संविधान पर चलाया जा रहा है? सुप्रीम कोर्ट की सख्त प्रतिक्रिया

सुप्रीम कोर्ट में उत्तर प्रदेश का मामला गया प्रयागराज बुलडोजर चलाया गया तो सुप्रीम कोर्ट ने भी बड़ी तिल्क तलक टिप्पणी की सुप्रीम कोर्ट ने कहा शॉक्स आवर कॉन्शियस सुप्रीम कोर्ट पुलस अप यूपी ऑन डेमलिन यानी उत्तर प्रदेश में जो बुलडोजर की कार्रवाई हो रही है उसने सुप्रीम कोर्ट की आत्मा को झकझोर दिया है यह सुप्रीम कोर्ट ने कल कहा है प्र राज में घर गिराया गया था उसी मामले में मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा तो वहां पर सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी की सुप्रीम कोर्ट ने इस पूरे मामले में कहा कि स्टेट मस्ट एक्ट वेरी फेथ गिव रीजनेबल टाइम टू इनेबल देम टू फाइल अपील बिफोर द स्ट्रक्चर्स आर डिमोलिश यानी इनको सुनवाई का पूरा मौका दिया जाना चाहिए और बिना सुनवाई के इनका घर आप नहीं गिरा सकते बुलडोजर से यह बिल्कुल साफ है कोर्ट ने कहा कि द मैनर इन विच द होल प्रोसेस हैज बीन कंडक्टेड द कोर्ट कैन नॉट टॉलरेट सच अ प्रोसेस यानी जिस तरीके से घर गिराए जा रहे हैं यह प्रक्रिया कोर्ट बर्दाश्त नहीं करेगा इफ वी टॉलरेट इन इन वन केस इट विल कंटिन्यू अगर हम एक केस में बर्दाश्त कर लेंगे तो यह बढ़ता जाएगा वी विल पास एन ऑर्डर दैट दे कैन रिकंस्ट्रक्ट एट ओन कॉस्ट एंड इफ द अपील फेल्स दे विल हैव टू डिमोलिश एट ओन कॉस्ट यानी को ने इस पूरे मामले में कहा जिनका घर गिराया गया है वह तुरंत अपना घर जाकर के बनाए और फिर अपील के बाद अगर वह दोषी पाए जाते हैं तो अपना घर खुद गिरा ले बुलडोजर नहीं चलेगा कोर्ट ने यह आदेश तो दे दिया लेकिन क्या कोर्ट कीय टिप्पणियां काफी हैं सामने सामने नजर आ रहा है कि उत्तर प्रदेश में महाराष्ट्र में कोई मामला होता है उसमें कोई आरोपी बना दिया जाता है और सुनवाई का मौका नहीं कोर्ट में मामला चला जाता है सुनवाई हो रही है उनको पता है कि कोर्ट स्टे कर देगा लेकिन तब तक जब तक सुनवाई हो रही है जब तक आदेश नहीं आ रहा तब तक गिरा तो दो इतना तो गिरा दो उतना तो गिरा दो मुख्यमंत्री कहते हैं अगर जरूरत पड़ेगी तो बुलडोजर चलाएंगे 

महाराष्ट्र बनाम उत्तर प्रदेश: बुलडोजर कार्रवाई में किसने मारी बाज़ी?

सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के बाद कहते हैं मुख्यमंत्री जरूरत पड़ेगी तो बुलडोजर चलाएंगे उन्होने सुप्रीम कोर्ट के सामने बयान दिया और सुप्रीम कोर्ट के देखते देखते सुनते सुनते घर भी घर गिरा दिया बुलडोज चलाकर तो क्या सुप्रीम कोर्ट समन करेगा महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री को इस पूरे मामले में जस्टिस उज्जल भुइया भी एक जगह उन्होंने अपने उनका लेक्चर था और उन्होंने बुलडोजर एक्शन को लेकर के बहुत तलक टिप्पणी की है उन्होंने कहा है कि इन रिसेंट टाइम्स वी आर विटनेसिंग अ वेरी डिस्टर्बिग प्रैक्टिस ऑफ स्टेट अथॉरिटीज यूजिंग बुलडोजर टू डिमोलिश हाउसेस एंड प्रॉपर्टीज ऑफ पर्सन एक्यूज्ड ऑफ कमिटिंग सर्टेन ऑफेंसेस यानी हमने देखा है कि बहुत एक कुरीति चल रही है जहां पर सिर्फ कोई आरोपी है किसी अपराध का उसके घर पर बुलडोजर चला दिया जा रहा है अकॉर्डिंग टू मी यूजिंग अ बुलडोजर टू डिमोलिश प्रॉपर्टी लाइक रनिंग बुलडोजर ओवर द कांस्टिट्यूशन सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस उज्जवल भुया कहते हैं कि किसी के घर पर बुलडोजर चलाना संविधान पर बुलडोजर चलाने जैसा है इट इज अ निगेशन ऑफ द वेरी कांसेप्ट रूल ऑफ लॉ एंड इफ नॉट चेक वड डिस्ट्रॉय द वेरी एडिफिस ऑफ अ जस्टिस डिलीवरी सिस्टम यह जो न्याय के सिद्धांत है उनका उल्लंघन है अगर इनको नहीं रोका गया तो जिस उम्मीद और जिस विश्वास के साथ न्याय प्रक्रिया चलती है उसको गहरा ठेस पहुंच सकता है यह बात भी सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस उज्जवल भया कह रहे हैं सुप्रीम कोर्ट इतनी त टिप्पणियां कर रही है और आज आपको पता है जिस जिस जिस जिनके घरों पर बुलडोजर चलाया गया है फहीम खान और यूसुफ शेख फहीम खान का जो घर था वह तो फहीम खान के नाम पर भी नहीं था उसकी पत्नी के नाम पर था और उसके घर पर उसकी पत्नी और बच्चे रहते हैं परिवार के बुजुर्ग रहते हैं तोय बताइए अगर फहीम खान मान लीजिए कि कोर्ट द्वारा दोषी ठहराया जाता है कानूनी प्रक्रिया के तहत तो उस घर में तो उसकी पत्नी जो रह रही है उसकी बुजुर्ग मां रह रही है उसके छोटे बच्चे रह रहे हैं उनका क्या दोष है उस घर को तो गिरा दिया गया अच्छा वो इल्लीगल था तो अब तक नजर नहीं आ रहा था सुप्रीम कोर्ट ने इन्हीं सब केसेस को क्लब करके पिछले साल बहुत डिटेल में बताया था कि 15 दिन का टाइम देना चाहिए अ ऑनलाइन प्रक्रिया होनी चाहिए अगर कोर्ट जाना चाहता है तो कोर्ट जाने का वक्त दिया जाना चाहिए आप सिर्फ और सिर्फ कोई आरोपी है तो उसे बदले की भावना के तहत घर नहीं गरारा गिरा सकते हैं सब कुछ सुप्रीम कोर्ट ने कहा लेकिन बात वही है कि पत्रकार भी पूछते हैं कि क्या बुलडोजर चलेगा सर क्या आरोपियों पर बुलडोजर चलेगा जिनकी भूमिका पाए उन घर बुलडोजर चलेगा बताइए यह तो सवाल हो गए पत्रकारों के और मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस भी कहते हैं जरूरत पड़ी तो हम बुलडोजर चलाएंगे जरूरत पड़ी तो मतलब वह तो आरोपी गिरफ्तार हो गया चलाइए 

बुलडोजर से न्याय नहीं हो सकता! सुप्रीम कोर्ट की स्पष्ट चेतावनी



आप सिद्ध करिए उसको दोषी दिलाए कोर्ट से सजा लेकिन नहीं चूंकि आपको एक तरह की ऑडियंस को संतुष्ट करना है आपको एक तरह एक तबके को दिखाना है कि आप कितने न्यायप्रिय हैं या फिर आप योगी आदित्यनाथ जी से उस होड़ में शामिल हो गए हैं कि कौन कितना बुलडोजर से गिरा देता है तो इस इस पूरे बाबत जो है वो तमाम राजनीतिक प्रक्रिया भी आई है एआईएमआईएम के के प्रमुख असादुद्दीन ओवैसी ने भी इस पूरे मामले पर टिप्पणी की है असादुद्दीन ओवैसी ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश की खुलेआम खिलाफ वर्जी करते हुए आज नागपुर हिंसा के आरोपी के घर पर बुलडोजर चला दिया गया सिर्फ आरोप लगाकर बुलडोजर चलाना असंवैधानिक है अगर कार्रवाई करनी है तो अदालत में सबूत दिखाकर सजा दिलवा दे उनके घरवालों की क्या गलती थी शिंदे सेना के गुंडों को आज कुनाल कामरा के चुटकुलों से इतनी तकलीफ हुई कि बेवजह कॉमेडी क्लब में तोड़फोड़ कर दी क्या फटन विस उ उन गुंडों के घरों पर भी बुलडोजर चलवा जाएंगे हमारे रसूल अल्लाह के खिलाफ अनाप शनाप बकने वालों की जुरत करने वाले बाबा के घर पर बुलडोजर नहीं चलता क्योंकि वह संस्कारी हैं हालांकि उसने जो कहा वह जुर्म था लेकिन एक चुटकले से इतनी तकलीफ कि बीएमसी से लेकर मुख्यमंत्री तक सब कमरा कामरा पर टूट पड़े यह सब सारी बातें वैसी ने कही है लेकिन अंत तोत गत्वा सुप्रीम कोर्ट भी तीखी टिप्पणियां कर रहे हैं सुप्रीम कोर्ट कह रही है कि हमने डिटेल गाइडलाइन दी हैं आप क्यों पालन नहीं कर रहे हैं हाई कोर्ट ने भी नागपुर मुनसिफ कॉर्पोरेशन के अधिकारियों और महाराष्ट्र सरकार से जवाब मांगा है कि भाई जब हम सुनवाई कर रहे थे तब इतनी जल्दी क्या थी बुलडोजर चलाने की जवाब मांगा है कारवाई सुप्रीम कोर्ट क्यों नहीं कर रहा है बुलाए चीफ सेक्रेटरी को बुलाए डीएम को बुलाइए मुख्यमंत्री को क्या सुप्रीम कोर्ट के आदेशों पर इस तरीके से बुलडोजर चलता रहेगा सुप्रीम कोर्ट तो खुद ही कह रहा है कि किसी के के घर पर बुलडोजर चलाना संविधान पर बुलडोजर चलाने जैसा है बहुत बड़ी टिप्पणी है उम्मीद है कि जो भारत का न्याय तंत्र है उसके जरिए किसी को सजा दिलाई जाए और मान लीजिए कल को न्याय प्रक्रिया की जरिए जिनके घरों पर बुलडोजर चला है वह निर्दोष साबित होते हैं तो फिर क्या होगा घर तोड़ने की बात मत करिए दिलों को जोड़ने की बात करिए 


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