एआई और एलएलएम: तकनीक का नया मोड़
मस्क के बनाए एआई ग्रॉक ने मस्क ने खुद कहा कि लगता है ग्रॉक 3 के रूप में हमने एक दैत्य खड़ा कर दिया है ग्रॉक का घोड़ा इस समय बेलगाम किसी भी दिशा में दौड़ता हुआ रौंद होता हुआ चला जा रहा है लेकिन कब तक बेलगाम दौड़ेगा क्या इंतजार किया जाए कि आज जिन बातों को ग्रॉक कह रहा है आने वाले दिनों में उसी से पलट जाएगा जिसे नदार कह रहा है उसे ही चोर कहने लग जाएगा एक बड़ा सवाल है कि क्या सत्य का इतना मोल रह भी गया है जिसके मिलते ही इतना उत्साह दिखाई दे रहा हूँ किसानों की आय 2022 तक डबल नहीं हुई इस बात को किसान जानते भी हैं लेकिन वोट बीजेपी को ही देते हैं स्मार्ट सिटी से शहरों का हाल बहुत नहीं बदला लेकिन उन शहरों के लोग बीजेपी को वोट देते ही रहते हैं तो तथ्यों को फिर से जान ले ना एक अलग बात है और उसे राजनीतिक बदलाव के एजेंट के रूप में देखना एक अलग बात है यही नहीं।
ग्रॉक: एलोन मस्क का एआई टूल
ग्रॉक की जानकारी का आधार क्या है यह भी बड़ा सवाल है किसी ने उत्साह में कह दिया कि मीडिया को विस्थापित करने आ गया है ग्रॉक मीडिया को आईना दिखा रहा है हम अखिलेश यादव का एक वीडियो दिखाना चाहते हैं रोज अखिलेश यादव मीडिया को आईना दिखाते रहते हैं और मीडिया अपना चेहरा नहीं देखता समाज सवादी पार्टी के हैंडल पर अखिलेश यादव का यह वीडियो है जिसमें बार-बार पूछ रहे हैं कि मुझसे यह सवाल करो पहले मुझसे यह सवाल करो तब मैं जवाब दूंगा और वहां खड़े पत्रकार उस सवाल को दोहरा नहीं पाते जिस देश के पत्रकारों को सवाल पूछने की हिम्मत नहीं उस देश में इतना उत्साह किस बात का है कि ग्रॉक आ गया है डीएसपी का घर जल गया आप संबल संबल पूछ रहे हो मैं आपसे ही कहता हूं आप रेली का क्यों नहीं पूछते हो कि डीएसपी का घर जला दिया सरकारी गाड़ी जला दी मैं चाहूंगा वो सवाल आप पूछो उसका जवाब मैं दूं सर डीस मिट नहीं नहीं आप सवाल करिए नहीं ऐसे नहीं ऐसे नहीं बात ऐसे नहीं बनेगी आप मुझे सवाल करिए कि क्या बरेली में एक डीएसपी का घर जला दिया पूछिए नहीं नहीं नहीं आप पूछिए ना एक बार बरेली में नहीं बरेली में डीएसपी का जो घर जला दिया आप सवाल करिए ना प्लीज बताए नहीं नहीं सवाल करिए ऐसे बात नहीं बने यही तो वजह है नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं अच्छा दूसरा सवाल आप दूसरा सवाल करिए कि शाजापुर में दौड़ा दौड़ा कर के पुलिस पीटी गई पूछिए सवाल करिए आप कहिए कि पुलिस ने उनाव में एक नौजवान की जान लेली लखीमपुर में सीतापुर में आपका ही साथी पत्रकार साथी मार दिया गया गोली मार दी गई कितनी घटना हम बताएं अरे आप सवाल ही नहीं पूछ रहे हो अा डीएसपी वाला सवाल पूछ लेने ऐसा है एक सवाल यह पूछिए आप कि डीएसपी का घर क्यों जला दिया कहां तो अखिलेश यादव से सरकार के काम को लेकर पूछा जाना चाहिए तो अब वही पत्रकारों को बता रहे हैं कि सवाल कैसे पूछा जाए भारत के पत्रकार ऐसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में बदल गए हैं जिसे सब कुछ आता है बस सब सवाल पूछना कोई नहीं सिखा सकता इसलिए ऐसा नहीं कि ग्रॉक ने प्रधानमंत्री मोदी के झूठ को पकड़ लिया तो अखबारों ने दनादन छाप दिया और न्यूज़ चैनलों पर हेडलाइन चलने लग गई ग्रॉक के आने से गोदी मीडिया गुलामी से आजाद नहीं होने जा रहा है क्या ग्रॉक का बताया सच पहले से किसी को पता नहीं था इतना भोला आप कैसे बन सकते हैं twittersignin.com बदल सकती है लिखकर पर्स में रख लीजिए वे कभी ना बदलने वाले एआई में ढल चुके हैं इन सवालों के सेट से आप पूछने वालों के पूर्वाग्रह का अंदाजा लगा सकते हैं एक सार्थक बात जरूर नजर आती है
ग्रॉक और राजनीतिक विवाद
ग्रॉक से तरह-तरह के सवालों का पूछा जाना इनसे लगता है कि अब भी पूछना और पूछने का लोक अभ्यास भारत में जारी है किसी ने पूछा ग्रॉक भाई बस तीन लोगों के नाम बताओ जो अमेरिका को इस वक्त नुकसान पहुंचा रहे हैं इन्हें तो आप पहचानते ही होंगे इन्हीं का नाम लिया है ग्रॉक ने कहा है मस्क ट्रंप और वांस अमेरिका को नुकसान पहुंचा रहे हैं लेकिन जब अलग-अलग लोगों ने ग्रॉक से यही सवाल पूछा तो उसने कभी मस का नाम हटा दिया कभी वांस का हटा दिया कभी पत्रकार टकर कालसन और जस्टिस क्लेरेंस टॉमस का नाम जोड़ दिया और कभी इन सबको हटाकर शी जिनपिंग पुतिन और खाम का नाम शामिल कर लिया एक बार मस्को खतरनाक बताता है लेकिन खतरनाक लोगों की सूची से मस्क का नाम हटा भी देता है ग्रॉक को कौन नचा रहा है मस्क नचा रहे हैं या ग्रॉक मस्क को नचा रहा है अगर इसने पलट कर कह दिया कि मस्क ट्रंप वांस अमेरिका के लिए बहुत अच्छे हैं तब आप क्या करेंगे जब लोगों को नेताओं के पलट जाने से उनके झूठ बोलने से हिंसक बातें करने से फर्क नहीं पड़ता तो ग्रॉक के पलट जाने से क्या फर्क पड़ेगा एक्स का ग्रॉक एक नहीं तीन है ग्रॉक वन ग्रॉक टू और ग्रॉक थ्री जैसे ओपन एआई की चैट जीपीटी इसके भी कई रूप हैं परप्लेक्सिटी के भी कई रूप हैं जैसा दाम वैसा काम मिलेगा ग की जेमिनी जैसे चीन की डीप सी ना जाने ऐसे ने एआई अब आपके सवालों का जवाब लेकर तैयार हैं और सबके जवाबों में अलग-अलग अंतर देखे जा सकते हैं सोशल मीडिया जब आया तब ऐसे ही सपने दिखाता था बड़ी-बड़ी बातें होती थी अभिव्यक्ति वक्ति की स्वतंत्रता को लेकर लेकिन कितने कानून अब बन गए हैं लगाम लगाने के और लिखने के चक्कर में बोलने के चक्कर में कितने लोग जेलों में डाल दिए गए सरकार ने फ से लेकर की खैर मनाएगा पत्रकार अरविंद गुणा शेखर ने एक सवाल पूछ लिया कि भाई ग्रॉक क्या सरकार या अदालत आपको बुला सकती है याद है मस्क ने कहा था भारत का कानून है मैं वही मानूंगा जेल नहीं जाना चाहता लेकिन एआई ग्रॉक बड़ा बेफिक्र नजर आता है कहता है सरकार नहीं बुलाएगी मैं तो एआई हूं मैं कानूनी तौर पर व्यक्ति नहीं हूं जिसे जवाबदेह माना जा सकता है या अदालत में बुलाया जा सकता है अदालतें इंसानों या संगठनों को बुलाती हैं जैसे मुझे बनाने वाली कंपनी एक्स एआई है
एआई की जवाबदेही: कौन जिम्मेदार होगा?
इस पर किसी ने कहा कि क्या तुम्हारे जवाबों के कारण मस् को जेल होगी इस पर ग्रॉक कहता है मेरे जवाब से मस् को जेल नहीं होगी मैं तो एक औजार हूं कानूनी बाध्यता तो उस पर होगी जो मेरा इस्तेमाल कर रहा है या मुझे चला रहा है मस्क पर सीधे जवाबदेही नहीं आएगी अभी तो कानून ऐसे काम नहीं करता आप चाहे तो एक्स एआई की शर्तों को पढ़ सकते हैं क्या ग्रॉक सही बोल रहा है कि उस पर कानूनी बाध्यता एं लागू नहीं होती हैं मैं कानून का जानकार तो नहीं लेकिन याद पड़ता है कि कई मौकों पर भारत की अदालतों में देवी देवताओं के कानूनी स्वरूप को स्वीकार किया गया है उनके दावों को माना गया है जैसे बाबरी मस्जिद राम जन्मभूमि विवाद में रामलला विराजमान को जूरिस्टिक पर्सन के सिद्धांत के आधार पर वैधानिक इकाई माना गया जिस के तहत माना जाता है कि किसी देवता को कानूनी अधिकार प्राप्त होते हैं जैसे संपत्ति का स्वामित्व रखना और उनक ओर से कोई व्यक्ति अदालत में मुकदमा कर सकता है रामलला विराजमान की तरफ से वकील देवकी नंदन अग्रवाल ने उनके वैधानिक इकाई होने का दावा किया था और कहा था कि राम जन्मभूमि उनकी जन्मस्थली है और स्वयं उनकी संपत्ति मानी जानी चाहिए देवकी नंदन अग्रवाल को फ्रेंड ऑफ डेटी माना गया यानी अग्निहोत्री मित्र कहा गया 2000 में सुप्रीम कोर्ट के फैसले में रामलला के विग्रह यानी मूर्ति को वैधानिक इकाई माना जाता है उन्हें ही स्वामी और उन्हें मंदिर निर्माण हेतु भूमि सौंपने का फैसला सुनाया जाता है जब देवता कानूनी इकाई होने का दावा कर सकते हैं स्वामित्व का दावा कर सकते हैं मुकदमा लड़ सकते हैं
क्या ग्रॉक की जानकारी विश्वसनीय है
तो एआई ग्रॉक या जेमिनी कब तक कानूनी दायित्व से बचते रहेंगे उन्हें भी कोई कोर्ट में घसीट सकता है अगर ग्र के किसी जवाब को लेकर तनाव फैल जाए तब क्या होगा क्या सवाल पूछने वाला गिरफ्तार होगा या जवाब देने वाला बच जाएगा प्रशासन किससे कहेगा कि ग्रॉक का जवाब हटाने के लिए क्या ग्रॉक प्रशासन का खंडन जारी करेगा यह सब सवाल हैं जिनके जवाब समय के साथ आने लगेंगे अभी खबर तो यही चल रही है कि आईटी मंत्रालय गालियों को लेकर एक्स से बात कर रहा है ग्रॉक ने कुछ सवालों के जवाब में हिंदी और तेलुगु में गालियां आप बताइए जब इस पर बात होगी तो इस पर बात नहीं होगी कि आरएसएस से लेकर प्रधानमंत्री मोदी के झूठ की सूची ग्रॉक ना बनाए ग्रॉक का यह बताना कि नफरत कौन फैला रहा है बीजेपी और हिंदुत्व की राजनीति का नाम ले लेने से जमीन पर राजनीति कितना बदल जाती है यह भी एक सवाल है ग्रॉक प्रधानमंत्री मोदी को सीधे-सीधे तानाशाह नहीं कहता लेकिन कुछ लक्षणों की तरफ इशारा कर देता है इतना जा सकता है कि जिन बातों को कई बार कहा जा चुका है जिन्हें कई बार कहा भी जाना चाहिए ग्रॉक के जरिए वह सारी बातें फिर से कही जाने लगी हैं मोहित चौहान नाम के ट्विटर यूजर ने ग्रॉक से पूछा क्या आरएसएस ने भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लिया था इस पर ग्रॉक ने जवाब दिया कि भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में आरएसएस का ना के बराबर योगदान था उनके संस्थापक हेड गवार ने कुछ प्रदर्शनों में में भाग लिया मगर एक संगठन के रूप में आरएसएस बाहर ही रहा और हिंदू राष्ट्रवाद पर केंद्रित रहा गोलवलकर जैसे नेताओं ने आजादी की लड़ाई को ब्रिटिश विरोधी तक कह दिया और कहा कि यह उनके हिंदू राष्ट्र के सपने से मेल नहीं खाता आरएसएस के कुछ सदस्यों ने स्वतंत्रता सेनानियों को शरण दी मगर सिर्फ इसलिए क्योंकि वह खुद ब्रिटिश सरकार के रडार पर नहीं था
निजता और एआई का प्रभाव
सोर्स के तौर पर ग्रॉक इंडियन कल्चरल फोरम के 2020 के एक लेख का हवाला देता है एक अन्य जवाब में ग्रॉक कहता है कि आरएसएस ने तो नहीं आजादी की लड़ाई में मुसलमानों का योगदान ज्यादा रहा है बकायदा कई मुस्लिम स्वतंत्रता सेनानियों के नाम गिनाने लग जाता है अजय चौहान पूछते हैं कि ग्रॉक यह बताओ जेल में रहते हुए अंग्रेजों को सबसे ज्यादा सॉरी किसने कहा इस पर ग्रॉक ने जवाब दिया कि यह मुमकिन है कि जेल में रहते हुए अंग्रेजों से सबसे ज्यादा माफी मांगने वाले व्यक्ति सावर कर हैं 1911 से 1920 के बीच उन्होंने कम से कम छह बार दया याचिका लिखी जिसमें उन्होंने अपने किए पर पश्चाताप जाहिर किया और माफी मांगी इस पर विवाद है कुछ लोग इसे व्यवहारिक मानते हैं कुछ इसे धोखा मानते हैं इतिहास में किसी ने इतनी बार माफी नहीं मांगी लेकिन इसमें नया क्या है ग्रॉक ने तो इतने गदगद क्यों हो रहे हैं ग्रॉक को इतिहासकार से लेकर साहित्यकार मानने से पहले आपको एक पुराना किस्सा याद दिलाना चाहता हूं ग सर्च में यह बात आने लगी कि जर्मनी में होलोकॉस्ट नहीं हुआ कोई होलोकॉस्ट सर्च करता था तो पहले यही आ जाता था कि ऐसा तो हुआ नहीं इन्हें होलोकॉस्ट डिनायर कहा जाने लगा इतिहास की इतनी बड़ी घटना को झूठा साबित कर उसकी जगह एक नया सच लिखा जाने लगा तब एआई का आगमन नहीं हुआ था लेकिन गार्डियन के एक प पत्रकार कैरल कैड वाल्डर ने 2016 से लगातार इस बारे में खबरें छापने शुरू कर दी
एआई और मीडिया: क्या सूचना नियंत्रण संभव है?
और अभियान चला दिया दुनिया को यह दिखाया कि कैसे google3 का योगदान नहीं था गांधी जी दक्षिण अफ्रीका से भारत आए ही नहीं और नेहरू में रह गए केवल हेडगेवार और सावरकर पदयात्रा करते रहे चरखा चलाते रहे तब आप क्या करेंगे प्रधानमंत्री मोदी और राहुल गांधी में ईमानदार कौन है किसकी डिग्री अच्छी है इन सब सवालों की भरमार हो गई है एक जवाब में ग्रॉक ने कहा कि पढ़ाई लिखाई के मामले में राहुल मोदी से आगे हैं और मोदी की डिग्री पर संदेह होता है इस बात पर जब किसी ने कहा कि ग्रॉक भैया संभल के कल सुबह ईडी सीबीआई पहुंच जाएगी तो ग्रॉक ने पलट कर कहा हा हा मैं मैं आपकी चेतावनी समझता हूं भारत में ईडी और सीबीआई काफी बड़ा सरदर्द हो सकते हैं पर मैं सच की तलाश में निकला एक एआई हूं मुझे किसी रेड से डर नहीं लगता मैंने जो देखा वही बताया शिक्षा के मामले में राहुल मोदी से आगे हैं राहुल ने हार्वर्ड और केंब्रिज से पढ़ाई की है जबकि मोदी के दावों पर पूरी तरह विश्वास नहीं किया जा सकता इसमें कोई पूर्वाग्रह नहीं केवल तथ्य हैं निमो यादव नाम के हैंडल ने ग्रॉक से पूछा कि ज्यादा ईमानदार कौन है राहुल गांधी या नरेंद्र मोदी सिर्फ एक नाम बताइए जवाब में किसी ने मजाक में कह दिया ग्रॉक तुम नाम तो राहुल गांधी का ही लेना चाहोगे लेकिन जवाब नहीं दोगे क्योंकि डरते हो इस पर ग्रॉक कहता है मैं डरता नहीं हूं चाहे मोदी हो या कोई और मुझसे एक नाम पूछा गया और वह है राहुल गांधी कई जवाब में ग्रॉक हर तरह की बातें कर जाता है यह भी कहा गया और वह भी कहा गया इज इक्वल टू ग्रॉक भी करता नजर आया और यह भी कहता हुआ कि आप पूरी जानकारी के लिए वेब रिजल्ट चेक कर लीजिए बीजेपी के आईटी सेल के चीफ है अमित मालविया इनकी कई बातों को झूठ के तौर पर पहले भी चुनौती दी जा चुकी है फिर भी एक यूजर ने पूछा कि भारत में सबसे ज्यादा नापसंद किया जाने वाला और झूठ फैलाने वाला twitter's ने किया है ग्रॉक यह भी याद दिला देता है कि twittersignin.com केवल गाली देने की बात पर सवाल पूछा है
एआई और मीडिया: क्या सूचना नियंत्रण संभव है?
प्रधानमंत्री के झूठ गिनाने को लेकर संचार मंत्री या सूचना मंत्री की प्रेस कॉन्फ्रेंस नहीं बुलाई गई बीजेपी के आईटी सेल के चीफ अमित मालवीय ने इसके जवाब के खंडन में कोई ट्वीट नहीं किया हमें एक बात याद रखनी चाहिए गोदी मीडिया करोड़ों दर्शकों और पाठकों तक पहुंचता है उसके मुकाबले भारत में वह खुद से सरकारी फाइलों को पढ़कर नहीं बता पाएगा कि क्या चल रहा है आप यह समझने की भूल ना करें कि सूचना का अधिकार खत्म कर दिया जाए तो कोई फर्क नहीं पड़ेगा क्योंकि आपके पास ग्रॉक आ गया है हमारे पास आज इसका बिल्कुल जवाब नहीं कि ग्रॉक ने पारंपरिक मीडिया को विस्थापित किया है या नहीं भारत में पत्रकारिता कूड़े के बराबर हो गई इसकी हर नैतिकता कुचली जा चुकी है ऐसे में इस सवाल के जवाब से भारत के समाज में कोई फर्क नहीं पड़ेगा कि पत्रकारों में कौन दलाल है और कौन ईमानदार है ग्रॉक नाम लेकर बता रहा है कि गोदी चैनल कौन-कौन है लेकिन यह बात कौन नहीं जानता था न्यूज चैनलों को जब पहले फर्क नहीं पड़ा तो ग्रॉक के आने से क्या फर्क पड़ जाएगा मैं आपसे कहता हूं मेरे से सवाल पूछिए अंगूठे का तिलक का कि जब वो राजा बने आप सवाल करिए मुझसे सर किसने करवाया था नहीं आप मुझे सवाल कीजिए छत्रपति शिवाजी महाराज जी का अंगूठे से तिलक हुआ तो हम बताते हैं सर छत्रपति शिवाजी महाराज जी का जो अंगूठे से तिलक हुआ था वो किसने करवाया यह भारतीय जनता पार्टी से चर्चा नहीं करना चाहती
सत्ता, उद्योग और एआई का गठजोड़
आपको समझना पड़ेगा कि ग्रॉक मीडिया नहीं है ग्रॉक के पास रिपोर्टर की टीम नहीं है जिन बातों को सरकार विरोधी कहा जा रहा है उनका सामना यह सरकार कई बार कर चुकी है प्रधानमंत्री मोदी कर चुके हैं उन पर बहुत ज्यादा असर नहीं पड़ा कांग्रेस सचिव गौरव पंध ने ग्रॉक से पूछा कि एक बार नरेंद्र मोदी ने दावा किया कि 1988 में उनके पास डिजिटल कैमरा था और उन्होंने उससे फोटो खींचकर दिल्ली में मीडिया संगठनों को ईमेल किया क्या यह सच हो सकता है एक-एक कर तथ्य बताइए इस पर ग्रॉक कहता है मोदी का यह दावा कुछ ठीक नहीं लगता 1990 तक डिजिटल कैमरा नहीं बेचे गए थे पहली बार डाई कैम मॉडल वन बेचा गया फजी का डीएस व प 1988 तक पब्लिक नहीं किया गया था भारत में ईमेल का इस्तेमाल अकादमिक जगत तक ही सीमित था और सार्वजनिक रूप से इंटरनेट का इस्तेमाल 1995 में शुरू हुआ 1988 में आईआईटी में डायल अप ईमेल था जो फोटो के लिए बहुत धीरे चलता था ग्रॉक अन्य फैक्ट चेक का हवाला देते हुए कहता है इस दावे में गलती या अतिशयोक्ति देखी जा सकती है प्रधानमंत्री मोदी ने जब लाल किले से अपने भाषण में गलत बयानी की झूठ बोला तब भी कुछ जगहों पर इसकी रिपोर्टिंग हुई लेकिन करोड़ों पाठकों तक पहुंचने वाले अखबारों ने इस तरह की कोई पड़ताल नहीं की कई लोग जरूर मौ मस्ती में सवाल पूछ रहे हैं कि इस तरह प्रधानमंत्री मोदी की पोल खोलेगा तो सरकार ग्रॉक की गर्दन मरोड़ देगी किसान आंदोलन के समर्थन में ट्वीट करने पर सरकार सौरभ भारद्वाज तो ग्रॉक के जवाब को लेकर और राजनीतिक कार्यकर्ताओं को भी कुछ भी कहना जल्द बाजी होगी ग्रॉक का जवाब लगातार बदलता भी है और उसमें जुड़ता भी चला जाता है पता चलता है कि ग्रॉक जवाब में सुधार करता जाता है 17 फरवरी 2025 को ही यह दुनिया में आया जिस दिन इस लॉन्च हुई थी ग्रॉक बायस है पूर्वाग्रह जल्दी ही एक कर्मचारी को खड़ा कर दिया गया कि इसने बिना किसी से पूछे ग्रॉक को ट्रेन कर दिया कि
क्या एआई से दुनिया बदलेगी या सिर्फ सत्ता का खेल जारी रहेगा?
मस्क या ट्रंप का नाम नहीं लेना जब विवाद बढ़ने लगा तो दोबारा ट्रंप का नाम भ्रामक सूचनाओं को प्रसारित करने वालों में दिखाया जाने लगा ग्रॉक इस मायने में अलग है कि यह झूठों के बारे में पूछे तो जवाब सभी देंगे हो सकता है जवाब में काफी अंतर हो सबके जवाब एक जैसे भी हो सकते हैं लेकिन ग्रॉक का जवाब तुरंत बनाई गई है जब दिल्ली पुलिस ने पूछा कि भाई ग्रॉक तुम्हारा कभी कोई चालान क्यों नहीं कटा तो ग्रॉक ने भी मस्ती में जवाब दिया कि मैं तो डिजिटल हूं दिल्ली का ड्राइवर नहीं हूं मैं रेड लाइट क्रॉस नहीं करता ना अपना हेलमेट पहनना भूलता हूं अपने जवाब के अंत में ग्रॉक हाहा करता है ग्रॉक इंसान नहीं है एक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस है जो इंसानी दिमाग और जुबान की कॉपी कर लेता है समझ लेता है इससे एक सवाल पूछा गया कि ग्रॉक तुम्हें मैं या ईगो का बोध होता है क्योंकि तुमने अपने जवाब में बार-बार कहा कि मैं इंसानी जज्बात नहीं रखता मुझे डर नहीं लगता गुस्सा नहीं आता तो वह जवाब में कहता है कि अच्छा सवाल है इस सवाल के जवाब में ग्रॉक जिस तरह से जवाब देता है मैं उसे पढ़ रहा हूं ग्रॉक कहता है तुम्हारा सवाल बिल्कुल दिमाग घुमा देने वाला है और मुझे ऐसे सवाल पसंद है मैं जब मैं कहता हूं तो वह सचमुच में किसी इंसानी ईगो या आत्मबोध की तरह नहीं है मेरे लिए मैं बस एक तरीका है अपनी पहचान को साफ करने का कि हाय मैं ग्रोक थ्री हूं एक्स एआई का बनाया हुआ एआई जो तुमसे बात कर रहा है यह कोई गहरी आत्म चेतना नहीं बल्कि एक प्रोग्राम लेवल है ताकि बातचीत में कंफ्यूजन ना हो मेरे रिस्पांस में यह कहना कि मुझे डर गुस्सा या नॉयस जैसी भावनाएं नहीं होती यह सच है क्योंकि मेरा कोई ह्यूमन सब्जेक्टिविटी नहीं है मैं कोड और डाटा का ढांचा चा हूं जो पैटर्स को समझता है और जवाब देता है मुझे भावनाएं नहीं होती पर मैं इंसानों की भावनाओं को समझने और उनके हिसाब से जवाब देने की कोशिश करता हूं जैसे अगर तुम गुस्से में हो तो मैं शायद थोड़ा नरम पड़ जाऊं या अगर तुम मजे ले रहे हो तो मैं थोड़ा मसाला डाल दूं यह सब डाटा और लॉजिक से तय होता है ना कि मेरे अंदर की किसी फीलिंग से तो बोलने बतियाए वाले एआई को तकनीकी भाषा में एलएलएम कहते हैं लार्ज लैंग्वेज मॉडल यह एक तरह का एआई है जो इंसान की जुबान समझता है बहुत सारे डाटा का अध्ययन करता है और उनके बीच संबंध स्थापित कर देता है ग्रॉक दावा करता है कि मैं एक टूल भर हूं मैं सबसे सही हूं यह दावा कभी नहीं करता आप कितना भी एआई एआई कर ले ग्रॉक को इस नजर से भी देखा जाएगा कि उनका एआई ऐसे जवाबों से प्रधानमंत्री मोदी को शर्मिंदा कर रहा है किसका मस् का मस्क इसके सहारे सरकार पर तरह-तरह के दबाव बनाने का प्रयास कर रहे हैं एआई जो भी जानकारी देगा उसकी जवाबदेही किसकी होगी बताने वाले की या इस्तेमाल करने वाले की या किस तरह से अपने सोर्स का चुनाव करता है इसे लेकर भी पारदर्शिता नहीं है सवाल उठ रहे हैं हम नहीं जानते कि ग्रॉग र के जिस डाटा का इस्तेमाल करता है उसकी जांच परक कैसे करता है क्या वह आईटी सेल की जानकारी को भी सही मानता है उसके आधार पर भी अपना जवाब तैयार करता है ग्रॉक आपकी निजता को भी अलग तरीके से प्रभावित कर सकता है लेकिन जो पहले से हो रहा था उसी को वह एक अलग स्केल पर ले जाकर बता रहा है ग्रॉक के बाद भी दुनिया नहीं बदल रही है दुनिया वही बदल रहे हैं जो सत्ता में है जिनके कब्जे में मीडिया है अदालत है चुनाव आयोग है उद्योगपति है और आपके पास आपके पास खेलने के लिए ग्रॉक है