प्राचीन बिहार

प्राचीन बिहार: सभ्यता का पालन


यह सब कुछ लुट कि अ कि बिहार की भूमि की विशेषताएं जो आदि काल से लेकर वर्तमान काल तक श्रृंखला बद्ध रूप में विमान है इसका प्रमाण आदि काल के आदि मानव क्यों आज की कहें तो दे रहे हैं आदि प्रमाण शेरावत ने कि गंगा के उत्तरी तट पर स्थित छपरा शहर से 11 किलोमीटर दूर चिरांद नामक स्थान पर ईसा से लगभग 2000 वर्ष पूर्व की नव पाषाण युगीन सभ्यता के अवशेष मिले आज से कोई 50 वर्ष पहले इ को म्यूट और नदियों के किनारे की सफलताओं के अवशेष मिले हैं लेकिन इस स्थान की जो विशेषता है वह इससे भी करीब एक हजार साल पहले कश्मीर में ऊर्जा होम नामक जगह पर जाने वाली सभ्यता के अवशेषों में भी नहीं है पूरे भारतवर्ष में कहीं नहीं है कि ऐसे स्थान पर आदिमानव के आकर बसने का कारण था यहां की कृषि योग्य उत्तम मिट्टी यानि अल्लुवियम जो आज भी सॉफ्ट के लिए हैं कि आखिर आधारित जीवन निर्वाह करने वाले आदिमानव ने यहीं आकर खेती शुरू कि भारत में कृषि की नियुक्त सबसे पहले इसी मिट्टी में पड़ी और यह आकर आदि मानव या जानवर से स्थावर हुआ था इतना ही नहीं जब सारे रिसोर्सेज जीवनयापन के वहां उपलब्ध है और लगातार हमें वहां एक बर एक सभ्यता नवपाषाण युग से लेकर गुप्त काल तक मिल रही है आयरन आज भी हमें वहां उपलब्ध है तो वह अति उत्तम लोकेशन था जीवन निर्वाह के लिए प्राचीन समाज के जो लोग थे उनके लिए इसीलिए लगातार उसी साइट पर पेशाब पूरी 2000 से लेकर गुप्त काल तक वहां लोग लगातार यह निवास करते हैं चिरांग बिहार के गांव के प्रदेश की विशेषता पर सबसे प्राचीन और सबसे बड़ी मुहर है इस प्रदेश के भाव एवं विचार संबंधित विशेषता के प्रमाण मिलते हैं धर्म के क्षेत्र में हैं यह अलग-अलग धर्म और मान्यताएं जन्मी पंथी और शिखर तक अंतः सलिला फलों के किनारे बिहार का वैदिक कालीन अगर गया है कि सनातन पद्धति हिंदुओं का आदित्य आ गया जी जो है पितरों के लिए सारे सिर्फ जितने भी भारत के अंदर सिर्फ है सभी तीर्थों का प्राण गया जी को कहा गया है इसलिए कहा गया है कि कोई भी तीर्थस्थान में आप जाते हैं तो वहां जो भी आप अपने दान-दक्षिणा या जो भी करते हैं उसका जो है फल आपको स्वयं मिलता है और गया जी ने जो भी आप दान करते हैं या जल्द योनि करते हैं या भगवान का चरण कोई स्पंज करते हैं तो इसका प्रमाण बतलाया है हैं अक्षर विष्णु पदम दमदार सुनाओ तो पॉकेट सनम और सुपर स्पून जांच एवं पित्र नाम मुक्ति है तो वे भगवान को चरण को स्पर्श करने से आपका आत्मा शुद्ध होता है और अपने मरे हुए पितरों को जो है मोक्ष प्राप्त होता है कि पूरे देश में केवल गया में है व्यवस्था मृत पूर्वजों की आत्माओं को मुक्ति दिलवा देगी अजय को कर दो के मुख का एक अलग मार्ग दिया मदद ने अपने यहां जन्म देकर केवल ज्ञान जाकर जिनेश्वर बनाकर निर्माण प्रदान कर महावीर स्वामी को पावापुरी सर्वोच्च कोटि का ज्ञान देने वाली इस मिट्टी को नमन करके श्रद्धा के इतने एक अनुठा श्रद्धालुओं ने कि एक तालाब बन गया जल मंदिर पूरे विश्व में जो अहिंसा का संदेश फैलाया उत्तर प्रथम महावीर के काल से यह जैन धर्म के काम शुरू हुआ तो पारसनाथ उसके पहले आदित्यनाथ जी थे यह जैन परंपरा के अनुसार भगवान के अनुसार का अहिंसा परमो धर्मा का जो पावन उद्देश हुआ को इसी मगर में दिया गया है तो वह गौरव बिहार कोई टॉप है और वह इसी धरती पर भगवान महावीर स्वामी का जन्म भी हुआ था निर्वाण प्राप्त हुआ था इसी बिहार में इसलिए यहां की मिट्टी आज भी श्रद्धालु लोग संजोकर रखते हैं और अपने परिजनों से मंगवाते हैं जो कल जो कोई भी हो जल मंदिर आते हैं यहां की मिट्टी को हम लोग अवश्य देते हैं है और वह अपने घर में मंगल कल्याणार्थ ले जाते हैं अ के ज्ञान को तालाब में कमल के समान उठा कर रखा एक जगह तो दूसरी जगह पीपल की ठंडी छांव के रूप में दिया बुद्घत्व प्रदान किया भटकते हुए सिद्धार्थ को निरंजना के किनारे बोधगया निर्माण का ज्ञान आकाशदीप की भांति उन्नत है

मगध साम्राज्य और मौर्य वंश का उत्थान

 यहां आज भी महाबोधि मंदिर में लेखक और सुनाओ झाला देना कि स्त्री और पुरुष प्रकृति के नियम एक दूसरे के पूरक जिन्हें प्रकृति कोई भूत नहीं करती उसमें मनुष्यमात्र हुए दूसरी को पहले अपना बनाया गया और फिर पिछले कुछ दशकों से उसे सबला बनाने का शक्ल चल रहा है कि महिला सशक्तिकरण का विश्वव्यापी संघर्ष कि फार्मिक सहभागिता का सारा अधिकार स्त्रियों को हर रूप में सबसे पहले बिहार में ही मिला है कि त्रेता काल में पति की अनुपस्थिति में सीता ने किया ससुर दशरथ जी का शांत वातावरण जो आज भी हिंदू महिलाओं को पति के बिना करने के लिए वर्जित है कि अम्रपाली एक नगरवधू के प्रश्नों से निरुत्तर होकर बुद्ध को खोलना पड़ा था बहुत धर्म का द्वार पिछड़ों के लिए अपने अभूतपूर्व त्याग से जिनेश्वर महावीर की पहली महिला शिष्या बनी राजकुमारी चंदन बाला सोलर सिस्टम ही महावीर कि आज महिला सशक्तिकरण की बात हो रही है तो इसकी परिकल्पना बिहार में से ढाई हजार साल पहले हुई थी क्योंकि भगवान महावीर स्वामी जी के जो संग में इनके जो मुनि बनते थे उनके अलावा स्वयं ही ने बनाया जी ने प्रथम उनके शिष्य चंदन वाला मेला ही थी ऐसे करके 16 उस समय 16 सतीश जी के नाम से जाने जाते थे पुष्पा जी दमयंती यह सब मिलाकर तो उस समय उनके संग में महिलाओं का जो शामिल थी वह हर जगह हर एक विभिन्न गांवों में जाकर के प्रति बहुत लोगों को देती थी और महिलाओं को जागरूक करती थी युद्ध के समय में महावीर देश में दोनों के समय में त्याग की बात हो रही थी तो महिलाओं की हत्या करके दिखाया और यह अपने संग उन्होंने महावीर ने शामिल किया इसलिए महिलाओं कि वह शामिल सीता चंदन बाला आम्रपाली और उनके जैसी अनेक आज के महिला सशक्तिकरण के विश्वव्यापी संघर्ष पर क्या कहेंगी कि कि सिख धर्म में संयोगवश रहता था संभवत 110वां गुरु जमाया अपने यह कालसा पंत को जन्म दिया उन के माध्यम से और आज्ञा दिलवाई सिखों को पवित्र गुरु ग्रंथ साहिब को अपना अंतिम गुरु मानने की प्यार ने विदेशी धर्म को भी समान रूप से अपनाया बात पटना के पास मंदिर में 1180 में आए थे जरूर स्लिम से पहले किमाम ताज फकीर उन्हें अपने यहां बसाया और शरीर का दर्जा दिलवाया शरीफ केवल तीन है कोई देश कि पटना साहिब में है इस आई रोमन संप्रदाय का सबसे पुराना चर्च के पादरी की हवेली 18वीं शताब्दी का है हुआ है कि थ्रू के क्षेत्र से हटकर शिक्षा के क्षेत्र को देखें तो प्रमाण मिलता है कि उच्च कोटि के शोध और ज्ञान को जन्म और उर्वरा देने वाली भूमि है बिहार नालंदा विश्वविद्यालय ये संस्कार युक्त शिक्षा पर बहुत है यहां के कई देशों से विद्यार्थी आते थे यहां के पुस्तकालयों रत्नसागर रत्नोदधि और रत्नरंजक की ऊंचाई की सेनाओं मंजिली इमारत के बराबर है कि शिक्षक और छात्रों के जिस अनुपात पर अमेरिका के सबसे प्रतिष्ठित हाईवे लिख के संस्थान आदि इतराते हैं उससे बेहतर अनुपात नालंदा विश्वविद्यालय में आखिरी सभी नेता यह 10,000 छात्रों को शिक्षा देने के लिए करीब 2,000 शिक्षक थे अ 200 से अधिक शिक्षक 1000 छात्रों को शिक्षा देते थे विक्रमशिला विश्वविद्यालय में कि 1193 में तुर्क आक्रमणकारी बख्तियार खिलजी ने इन दोनों विश्वविद्यालयों को भ्रष्ट कर दिया आग लगा दी हुआ 9 महीने तक था फिर जी ने विश्वविद्यालय के भवन और ग्रंथों को भले ही नष्ट कर दिया लेकिन वह यह नहीं देख और समझ पाया 

गुप्त वंश: भारत का स्वर्ण युग

कि जिस धरती ने नालंदा और विक्रमशिला को जन्म दिया था उसी धरती ने यहां के ज्ञान को अपने में समाहित करके उसे अंतः सलिला बनाकर पूरे आने वर्ष में और उसके बाहर भी फैला दिया था यही के शिक्षाविदों ने तिब्बत में बौद्ध धर्म की नहीं रहेगी यहां की धरती ने ज्ञान को बचाए रखा और पूजा ने दिया अमर आत्मा ही होती है यह नहीं ज्ञान आज भी अमर है यहां आज भी बढ़ रहा है यार है और दुनियाभर से आने वाले लोगों को यह पुरातात्विक अवशेष प्रतीत होते हैं लेकिन एक से दूसरे दृष्टिकोण से देखने पर यही समझ में आता है कि नालंदा और विक्रमशिला आज भी खड़े हैं इन्हें कोई भी समाप्त नहीं कर सकता हमेशा हमेशा के लिए हमेशा हमेशा के लिए तो काल ने बख्तियार खिलजी को जघन्य अपराधियों की सूची में डाला है मैं इसी कालखंड में संस्थागत शिक्षा के विपरीत कुटिया में गुरु-शिष्य परंपरा सर्वोच्च शिखर पर पहुंची हुई थी मिथिला में जनकप्रिया के वर्क गौतम घर की मैत्री मंडन मिश्र और उनके विदुषी पत्नी भारतीय वाल्मीकि ने मूल रामायण की रचना नहीं कि कि मिट्टी धर्म और शिक्षा जितने भी अधिक प्रमाण मिलते हैं राजनीति के क्षेत्र से बिहार को इस बात का गर्व हमेशा रहेगा कि जब दुनिया शासन व्यवस्था की एक मात्र विधि राजतंत्र के बारे में जानती थी उस समय वैशाली में एक ऐसी शासन प्रणाली फल-फूल रही थी जिसे 3000 साल बाद दुनिया शासन की सबसे उत्तम व्यवस्था मानने वाली थी बुद्घ ने यहां के परिषद को देवताओं का परिषद् म कारण नहीं कहा था वैशाली से डेढ़ सौ किलोमीटर दूर है राज करें भारत देश के पहले साम्राज्य मदद की पहली रास्ता यही के गृद्धकूट पर्वत पर बुध ने अपने ज्ञान का भंडार जनजीवन के लिए सर्वप्रथम खोला था यही पहली बहुत संगत हुई थी अ की मदद और वैशाली ही मिट्टी में बुद्ध की अस्थियों को सम्मानित किया गया था बहुजन हिताय बहुजन सुखाय के बीच के साथ सदा सदा के लिए कि पूरी दुनिया में सबसे लंबे समय तक राजधानी बने रहने के गौरव के दृष्टिकोण से और रूम पहले स्थान पर आता है दूसरे पर पाटलिपुत्र एक हजार क्षेत्र के पुत्र उद्धव ने राज कृष्ण के बाद नई राजधानी बनाने के लिए पार्टी पुष्पों से सटे इस पाठ्यक्रम को चुना था जिसकी अधिष्ठात्री देवी थी पटन देवी जिनके नाम पर पाटलिपुत्र पटना कहना है [संगीत] अजय को कि राजनीतिक सत्ता और समृद्धि के शिखर पर आसीन इस प्रदेश से ही एक राष्ट्र की परिकल्पना साकार हुई उसके पहले यह उपमहाद्वीप कई जनपदों और महाजनपदों में बंटा हुआ था इस बढ़े हुए उपमहाद्वीप में अखंड आर्यावर्त यानि भारतवर्ष का सपना देखा था आचार्य चाणक्य ने उन्होंने चंद्रगुप्त मौर्य के अंदर सम्राट बनने की क्षमता के अनुरूप चंद्रगुप्त किसी राजकुल का नहीं था यह मिट्टी का चरित्र था जिसने चाणक्य कोई विचार दिया कि केवल राजा का बेटा ही राजा नहीं हो सकता था कि यह समतामूलक समाज के निर्माण की शुरुआत थी आचार्य चाणक्य और सम्राट चंद्रगुप्त की जोड़ी बताती है कि एक श्रेष्ठ राजा बनने के लिए एक श्रेष्ठ परामर्शदाता का साथ होना अति आवश्यक होता है रूप गुरु का मुख्यमंत्री का हो किसी का भी हो कि यह मिट्टी स्वार्थ और हिंसक प्रवृत्ति को फलने-फूलने नहीं देती चंद्रगुप्त मौर्य का पात्र चंद अशोक साम्राज्यवाद की प्रवृत्ति का था उसके साम्राज्य की सीमाएं आज के इरान के पूर्वी सीमा तक फैली कि उसे बड़े सैन्य अभियान छेड़ें टिंकलिंग में रक्तपात के बाद अचानक उसका हृदय परिवर्तन होंगे और क्या नया शि कि निसंदेह है नहीं है कि बौद्ध धर्म के प्रभाव में आकर चंद अशोक भ्रम अशोक यानि धार्मिक अशोक मेरा युद्धवीर की जगह संपूर्ण मदद में थम Maggi बनने लगी दूसरे राज्यों की सीमाओं को अपने साम्राज्य में मिलाने की जगह अशोक ने तीनों को मिलाने का काम शुरू कर दिया हिंसा की जगह भाईचारे का संदेश देने लगा और अंततः अशोक मानव धर्म का संरक्षक और पोषक तत्व इस दूरदर्शी शासक को इतिहास ने अशोक महान की संख्या यूं ही नहीं देती 

बिहार में बौद्ध और जैन धर्म का प्रभाव

कि ऐश्वर्या के अशोक चक्र और चार सिंह वाले प्रतीक चिन्हों को भारत सरकार ने अपनाया अशोक महान की परंपरा को गुप्त वंश के शासकों ने शिखर तक पहुंचाया और भारत में स्वर्ण युग आया उत्कल को भारतीय इतिहास का स्वर्ण युग कहा जाता है सुशासन और व्यापार चरमोत्कर्ष पर था सोने के सिक्के इसी काल में चलाए गए वह ज्ञान कला संगीत साहित्य चिकित्सा गणेश चिकित्सा खगोलीय शोध धर्म-दर्शन हर क्षेत्र में नए अनुसंधान गुप्तकाल में हुए जो बाद में भारतीय संस्कृति का आधार पर ने प्रजा को कोई भी धर्म पालन करने की स्वतंत्रता थी है जो धरती अपने समय से कई शताब्दियों आगे के विज्ञान के सिद्धांत बनाने वाले आयुर्वेद से इस दुनिया को परिचित कराने वाले चरक की पूजा गर्भ में शिशु का लिंग शुक्राणु निर्धारित करते हैं अंडाणु नहीं यह बातें चरक ने ईसा पूर्व 30 कहीं थी शून्य की खोज गणित और सौरमंडल के बारे में दिए गए ज्ञान से खगोल विज्ञान में क्रांति लाने वाले आर्यभट्ट की भूमि है वह अमीर विशु ओम विष्णु शर्मा आशुतोष पानी इत्यादि की भूमि है कालिदास कृत अभिज्ञान शाकुंतलम् और मैदान से लेकर वात्सायन के कामसूत्र जैसे ग्रंथों की रचना की भूमि है जिन्होंने मदद को रौंद डाला वह भी इसके प्रभाव से अछूते नहीं रहे कि आपका देना सीडी में इस खूबसूरत प्रदेश को उन्होंने सर्वप्रथम बहार कहा जो कालांतर में बिहार में है थे इनमें से कुछ लोगों ने इस मिट्टी को अपने से बढ़कर माना शेषा स्वर्णाक्षरों में लिखा गया ऐसा ही एक नाम है कल शाम के एक छोटे से चार किरदार के इस महान दूरदर्शी शासक बेटे ने अपने पांच साल के छोटे से शासनकाल में मौर्य और गुप्त वंश के कुशल प्रशासन की परंपरा को आगे बढ़ाया उसे शासन व्यवस्था में आमूलचूल परिवर्तन किए मुद्रा के रूप में रुपया चलाया डाकघरों की स्थापना की पुलिस बल का गठन किया और ऐसे अनेक कारगर उपायों से उसने देश के प्रशासन का स्वरूप ही बदल डालें है की सड़कें अगर विकास का आधार स्तंभ है तो बिहार को इस बात पर फक्र होगा कि वह विकास का यह मंत्र पूरे हिंदुस्तान को प्राचीन काल से देता रहा है और आज भी दे रहा है मौर्य शासकों ने तक्षशिला से पाठ्यपुस्तक उत्तर प्रदेश मनवाया फिर शेरशाह ने मुल्तान से आगरा तक इसका विस्तार किया और नाम कर दिया सड़क के आश्रम इसी कांग्रेसियों ने फ़िर विस्तार किया और ग्रैंड ट्रंक रोड नाम कर दिया जो आज राष्ट्रीय राजमार्ग तो कह जाता है शेरशाह नहीं बिहार सुबह की नींव रखी और चार नदियों के संगम पर बसा अत्यंत व्यस्त पठन-पाठन यानि बंदरगाह पाटलिपुत्र पटना बन गया है कि बिहार शर्ट की उत्पत्ति-3 स्रोतों से हुई पौराणिक इतिहास के अनुसार भगवान शंकर का वास कैलाश में करने यहां आते रहे हैं इसलिए इस विभाग को विहार कहां गया पौराणिक काल में बौद्ध विहारों की अधिकता के कारण इस विभाग को विहार कहां गया।

मध्यकालीन बिहार: इस्लामी शासन और मुगल प्रभाव

 मुगल शासकों ने इस प्रदेश की सुंदरता के कारण इसे बाहर और मिलकर निकले लोगों की जुबान से बिहार बनकर के से थोड़ा अलग हटते हुए एक देसी स्वर लेते हुए मैं पटना बना पटन देवी की नगरी और इस नगरी के व्यस्त पट्टन यानि बंदरगाह से है यहां पर अमर पाटलिपुत्र है प्रथम पाटलिपुत्र है हैं तो आज के इस दौर में जब देश के कई शहरों को उनके मौलिक नाम किए जा रहे हैं तो पटना का नाम पुणे पाटलिपुत्र क्यों किया जाएगी देश और विश्व का पथ प्रदर्शन करने वाले मगध साम्राज्य के लिए एक ऐसा समय भी आया जब मध्यकाल सी अश्राथ से उतरने लगा और धीरे-धीरे सिकुड़ते सिमटते हुए राष्ट्र के मानचित्र पर बंगाल का रे छोटा सा हिस्सा बनकर रह गया है कि मेरे चाणक्य और चंद्रगुप्त इस आर्यवर्त के रचयिता महान अशोक भगवान बुद्ध ने ईश्वर महावीर गुरु गोविंद सिंह और शेरशाह जैसे महामानव की भूमिका लोक तक गुमनामी के अंधेरे में लिप्त हैं कि 18 57 से ही एक नई प्रक्रिया की शुरुआत हुई प्यार की धरती ने देश के राजनीतिक और सामाजिक क्रांति को जन्म दिया अधर्म और असत्य सर उठाने लगे हैं इस प्रदेश ने किसी ना किसी को कांति पुत्र चुना है इसमें सबसे पहले जगदीशपुर के बाबू कुंवर सिंह का नाम उभरकर आता है बिहार में अंग्रेजों की खिलाफत करने वालों में सबसे पहले जगदीशपुर के बापू नर्सिंग बिहार का पुनरुत्थान 1857 के सिपाही विद्रोह के रूप में अप्रत्यक्ष रूप में फिर से शुरू हुआ था 119 सोंठ आते-आते बिहारियों के लिए बिहार की मांग शांत नीले नभ कंप्लीट करने लगी जिसकी वजह से सन 1965 में बिहार का अस्तित्व एक अलग प्रदेश के रूप में वापस मानचित्र पर उभर आया था का अभियान खोली भी नहीं थी नवजात शिशु की कि आई भयंकर बाढ़ कहते हैं उत्तरी बिहार को हो सिगरेट शराब है अंग्रेजों के खिलाफ जंग की पृष्ठभूमि बिहार में ही तैयार हुई जब 1975 में राजकुमार शूटिंग गांधी जी को चंपारण ले आए विद्यालय तो अपने शत्रुओं के साथ मेरे घर गए शिवरामपुर रेलवे स्टेशन से उतरकर भोजन करने के बाद यहां पर बैठ गए तो उन्होंने हिसाब से प्रस्ताव रखा कि आप लीजिए ताकि हम बनाएं है तो किसान लोग सूद पर उनकी भावना को मनाना चाहते हुए भी नहीं कुछ बोल सके तो गांधी जी मन ही मन समझ गए कि हो न हो।

ब्रिटिश शासन और स्वतंत्रता संग्राम में बिहार की भूमिका

अंग्रेजों के लोग है हम्म हमको नींद नहीं आ रहा है वहां पर बगल में बैठे थे इस मंदिर के उनका नाम था रामनारायण-रामनारायण तो भगवान के भक्त है जनता का सेवक हूं हम दोनों का मार्ग है तो घ्र नहीं दे सकते हैं बाबा ने कहा कि हमको नहीं चाहिए तो गांधी जी जैसे-जैसे गए यह आश्रम रामनारायण ने ट्रस्ट के सचिव मोहन दास करमचंद गांधी राजेंद्र बाबू राम बाबू अभी तो मेरे पास मौजूद थे तरह से देश जो आसफ टांग और शुरुआत देश आजाद हो गया इसी मिट्टी में शुरू किए गए सत्याग्रह ने गरीब मिल है मजदूरों का दर्द दूर किया और मोहनदास करमचंद गांधी को पहले लोकप्रिय नेता के रूप में जन्म दिया राज्य भाषा का कब पैदा हुए गुजरात में अलग बात है लेकिन दूसरी ओर निगम को पत्र लिखा है है इसलिए गांधी को इलाज करके देखिएगा तो बिहार का इतिहास और गांधी का आना व हमारी यह परंपरा है जब बुद्ध महावीर जोशी मात्रा करती है गांधी ने इस परंपरा में जो गंदगी बाहर कारगिल आती है और एक और इंपोर्टेंट उक्त किसान आंदोलन शुरू हुआ कि गांधी जी द्वारा पहला बुनियादी विद्यालय 1939 में तथा 1945 में महिला चेतना समिति बिहार में ही स्थापित हुए कि 1929 में किसान आंदोलन बिहार से शुरू हुआ कि गांधी जी ने सविनय अवज्ञा आंदोलन और भारत छोड़ो कि हुंकार भरी तो प्रदेश की जनता उनके साथ तन-मन-धन से खड़ी हो गई आजादी के हर अनुष्ठान में हर वर्ग हर समुदाय की भागीदारी नहीं असाधारण व्यक्तित्व वाले बिहारी नेताओं ने बड़े प्रभावी ढंग से इन आंदोलनों में भाग लिया [संगीत] था कि 1934 में बिहार में जिला भयंकर भूकंप आ कि 1934 के बाद 1935 में भूखंड वन विहार के कुछ भागो को अलग कर के ओडिशा राज्य बना दिया गया ए डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद स्वतंत्र भारत के प्रथम राष्ट्रपति बने और 12 वर्षों तक लगातार बने रहे अब तक कोई भी ना तो 12 वर्षों तक राष्ट्रपति रहा है इस देश का ना ही डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद के कद के बराबर हुआ बिहार में 1946 और 1947 कि दोनों सरकारों की अगुवाई दो अद्वितीय नेता उन डॉ शशिभूषण सिंह तथा डॉ अनुग्रह नारायण सिंह ने कि उनका शासनकाल सत्य निष्ठा और जनसेवा की भावना से प्रेरित था इसके कारण बिहार उस समय के सबसे शासित प्रदेशों में एक था कि आधुनिक बिहार के निर्माण में जिन लोगों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई उनमें से कुछ हैं [संगीत] कि कालांतर में जनजीवन से जोड़ने के लिए हिंदी को राजभाषा का पहला सम्मान यही मिला और उर्दू को दूसरी सरकारी भाषा का है कि बिहारियों की हिंदी का मजाक उड़ाया जाता है पूरे देश भर में यह ध्यान देने वाली बात है कि आज भी 90% बिहारियों की मातृभाषा हिंदी नहीं है बिहारियों की मातृभाषा भोजपुरी मैथिली मगही वज्जिका यंग रेखा होती हैं है और जिस समय बिहार ने देश में सबसे पहले हिंदी को राष्ट्रभाषा का सम्मान दिया था उस समय तो 99% बिहारियों की मातृभाषा हिंदी नहीं रही होगी यह तय है और फिर भी यह बिहारियों की राष्ट्रभाव न राष्ट्र से जुड़ी हर चीज के प्रति सम्मान और राज्य से पहले राष्ट्र को प्राथमिकता देने का जो संस्कार रहा है यह उसका प्रमाण है और उदाहरण है खासतौर से उन लोगों के लिए जो राष्ट्रभावना और राष्ट्रभाषा के विरुद्ध आवाज़ उठाते हैं कि बिहार की सोच हमेशा से राष्ट्रीयता और समग्रता की रही है जो कि बिहार जो एक प्रदेश हज टैक्स रहा हुआ है इसी का इतिहास सदैव उत्तर भारत का इतिहास रहा है कि ग्रामीणों के जीवन को लोकतांत्रिक आधार देने के लिए पंचायती राज की स्थापना 1948 में बिहार में की गई लोगों के समुचित विकास के लिए गांधी जी का सर्वोदय कार्यक्रम भूमिहीन किसानों को जमीन और नया जीवन देने के लिए 1958 में विनोवा भावे का भूदान आंदोलन सभी को बिहार में अप्रत्याशित सफलता मिली है

स्वतंत्रता के बाद का बिहार

 कि इसके तुरंत बाद 1956 में बिहार के कुछ भूभाग राज्यों के पुनर्गठन के फलस्वरूप पूरा बंगाल को दे दिए गए हैं कि प्रकृति में परिवर्तन शाश्वत है में लगभग 90 वर्षो तक कांग्रेस को देश का जिम्मा दिया रखने के बाद प्रकृति ने संभव सा परिवर्तन की आवश्यकता महसूस की देश को 1 1 पर यह शासन से शायद बहुत लिए शासन के दौर में पहुंचाने की आवश्यकता महसूस की है जो व्यक्ति अपने तरीके से काम करती है जिस पर सवाल नहीं उठाए जा सकते कि उसने अपनी प्रतिज्ञा के अनुसार एक वातावरण तैयार किया इस परिवर्तन के लिए स्वाधीनता की दूसरी लड़ाई के लिए प्रकृति ने विभाग पर जिस धरती पर लोकतंत्र का पहला शुरू किया था उसी धरती से लोकतंत्र को पुनस्र्थापित करने के लिए इसमें आश्चर्य क्या की वहीं के एक व्यक्ति को चुनाव है की बात कर साल के जयप्रकाश नारायण ने पटना के गांधी मैदान से मात्र सत्ता परिवर्तन का नहीं है बल्कि संपूर्ण क्रांति का आवाहन किया है। आज़ादी के संग्राम के करीब 28 साल बाद देश एक बार फिर से एक बिहारवासी की ओर आज से टकटकी लगाकर देखने लगा था  कि आखिरकार प्रकृति ने इस धरती के माध्यम से तुरंत का निष्पादन किया और लोकतांत्रिक परंपरा को फिर से स्थापित किया था हुआ है कि प्रदेश में कर्पूरी ठाकुर ने शोषितों को आवाज थी उन्हें स्वाभिमान के लिए संघर्ष करने का महत्त्व दिया यह बताया कि जीवन को जीवन के समान जीने के लिए कई बार भोजन से अधिक सम्मान की आवश्यकता होती है हजारों साल से हाशिए पर रख मृतप्राय जीते हुए पिछड़े हुए बहुसंख्यक समाज को मुख्यधारा में लाने के लिए कई कदम उठाए इसका तात्कालिक प्रभाव यह हुआ कि बिहार राज्य एक कच्चे खराब रास्ते पर चल रही बैलगाड़ी के समान हिचकोले खाता हुआ लगभग तीन दशकों तक चलता है अंडे का जो शासन काल था वह एक कैंप बिहार का एक बहुत ही डिसाइसिव मोमेंट था जो कि बिहार में जो इलेक्ट्रोरल डिमोनिटाइजेशन हुआ या जो कई तरह का जो सोशल मूवमेंट्स हुआ चाहे वह कि किसान मुमेंट हो गया त्रिवेणी संगम मूवमेंट हो गया सोशलिस्ट मूवमेंट और यह अमेंडमेंट हो या नक्सलाइट मूवमेंट हो तो उसका जो एक कलेक्टिव दिन था बिहार में जिसमें कि डेमोक्रेटाइजेशन काफी हो गया था उस पीरियड में आरजेडी का रूल हुआ है है तो इवन अदरवाइज दाल सेव बिहार में जो एक जोर फिडिल जो एक अ कंसोलिडेशन था वह हुआ है है और उस ब्रेक होने के चलते लोगों को वॉइस मिला था है मगर वही तक वह बाथरूम कहते थे  फिर कैसा वक्ता जान जब बिहार की चर्चा सिर्फ और सिर्फ गलत वजहों से होने लगी वर्ष दो हजार में इसके खर्च और औद्योगिक संपदा वाले दक्षिणी हिस्से को काटकर झारखंड का निर्माण कर दिया गया प्रदेश विकास की आधुनिक और अभिजात्य वर्ग के परिभाषा के अनुसार पिछड़ गया 

आर्थिक और सामाजिक चुनौतियाँ

सामाजिक न्याय और सशक्तिकरण और चौमुखी विकास से उदासीन अखाड़ों की कलाबाजी में खोया अर्थशास्त्रियों के अनुसार पिछड़ गया बिहार की बड़ी नकारात्मक छवि पूरी अभिजात्य दुनिया में बनती बिहार देश में पिछड़ेपन का पर्याय बन गया किंतु उस बैलगाड़ी कि यात्रा रुकी नहीं वह दिल्ली की संसद के रास्ते पूरे देश में हुई और उससे देश का इतिहास हीरे से हमेशा हमेशा के लिए बदल गया है कि विश्व का इतिहास बताता है कि जब भी क्रांति की शुरुआत हुई है कहीं चाहे बहुत देर से ही सही हरा सकता तो फैली हुई है उथल-पुथल तो हम ही है थोड़ी या अधिक मात्रा में जैसे किसी छोटे तालाब में एक बड़े से हाथी के उतरने पर होता है है और इसलिए उस दौर में आर्थिक रूप से पिछड़ने का कोई गम नहीं बनाना चाहिए क्योंकि प्रकृति अपने तरीके से न्याय करती है संतुलन स्थापित करती है सौंप कर रही है इस प्रदेश में इसके अलावा आने वाले सौ पचास वर्षों में बिहार दिन चार दशकों में जिस दौर से होकर गुजरा उसे बहुत महत्वपूर्ण दृश्यों में गिरा जाएगा यह तय प्रगति हमेशा न्याय ही करती है उसकी लीला में न्याय नहीं क्यों नहीं था हर मनुष्य उसकी लीला समझने में चूक कर जाता है कई बार को हाशिए पर हजारों साल से बसर करने वाले बहुसंख्यक पिछड़े समाज को मुख्यधारा में लाने की प्रक्रिया में प्रगति ने बिहार वासियों के जो तीसरे वर्ष ले लिए थे और जिस कारण आर्थिक प्रगति का पहिया टूट सा गया था उसकी भरपाई होने का समय आ गया है ऐसा प्रकृति का निर्देश प्रतीत हुआ 8 से कोई 87 हैं कि क्या भूत संयोग की भरपाई के काम कर नृत्य करने के लिए प्रकृति ने जिस व्यक्ति को चुना आज वह देश के सारे मुख्यमंत्रियों में श्रेष्ठ माना जा रहा है कि उसने आपके साथ अदम्य उत्साह संकल्प और कार्य क्षमता का परिचय दिया अगर आप रास्ते प्रगति के ही क्या हर प्रकार के पशुओं को तोड़ देते है इसलिए उसे सड़कों और पुलों को समृद्ध करती थी कराएंगी कि बिहार में सड़कों की जो परंपरा धीणो पुनर्स्थापित मुझे आज बिहार के मुख्य सड़कें देश की बेहतरीन सड़कों में की जाएगी मैं अपने महक किसानों के किसी गांव से थी कि मैं प्रमुख की पहाड़ी स्पोर्ट्स कि यह कार्यक्रम पूरी के जंगलों से हैं या फिर कहा कि जाति प् कि अगर कोई व्यक्ति चलें किसी गांव से तो 6 घंटे से कम हमें पटना पहुंचे हैं मुझे खुशी है कि हम लगता है तुम अपना एक अजनबी प्रकार होगा 2 साल तीन साल तक कम से कम मेरे इस कार्यकाल में वह अपना तो जरूर सकते हैं 

बिहार की सांस्कृतिक और शैक्षणिक विरासत

एक नई सड़कें बनी तो प्रकृति को अभिनय पर यह मेरे नए पहले मिले तो प्रकृति सबसे पहले विद्यालय गई शिक्षा से उसने अपनी यात्रा शुरू की शिक्षा जो प्रगति की प्राथमिक शर्त है शिक्षा जो सशक्तिकरण के टिप्स में प्रवेश की कुंजी है  दो 15 साल पहले तक जिस प्रदेश में लड़कियों के लिए साइकिल के पास जाना तक वर्जित दूभर था तब था वहीं आज देर शाम को भी गांव की सड़कों पर अकेले साइकिल चलाकर जाती हुई बहन बेटी या आम तौर पर दिखती है कि समाज की सोच और सामाजिक परिस्थिति में क्रांतिकारी परिवर्तन का द्योतक है कि अब रातें सुरक्षित है और दिन तनावरहित साइकिल देने मात्र से ही नहीं हुआ था को भय मुक्त समाज बनाया सरकार ने यह भयमुक्त समाज बनने का कारण हुआ कि निर्भिकता आई बच्चियों में और आज संध्या के पास बजे 7:00 बजे तक वह सड़कों पर साइकिल से आ रही है और उन्हें किसी तरह की असुरक्षा का भय नहीं है मैं पिछले दो-तीन साल से रेगुलरली बिहार आ रही हूं और मैं फील्ड वर्क के लिए काफी जगह ट्रेवल किया है मैंने नॉर्थ बिहार में साउथ बिहार में पूर्णिया अररिया रोहताश काफी सारे दिलों में ट्रेवल किया है तो बिहार में मैंने बस सुना है कि बिहार बहुत अनसेफ है पर मैं जब ट्रेवल करती हूं तो मुझे ऐसा बिल्कुल नहीं लगता है वह गांव का माहौल बिहार में बहुत ही सेफ है इन फैक्ट आपके गांव तो ऐसे हैं जहां और से अकेली रहती है गांव पर गांव में औरतें अकेली रहती हैं मर्द ही नहीं है केवल बच्चों के साथ बुजुर्गों के साथ कि औरतें अकेली रहती है और हमने भी अपने सर्वे में पूछा है तो हमें क्लिप निकलकर आता है कि पिछले दस सालों में औरतें अपने आपको काफी सेफ महसूस करती है गांव में और मुझको भी काफी सेफ महसूस हुआ है मुझे बिल्कुल कोई अंत शिफ्ट यह अफेयर की बात नहीं आई है दो प्रयोग कराइए क्रांति साक्ष्य है इस सत्य की किस सरकार की एक सही और दूरगामी निर्णय से समाज एक छलांग में तस वर्ष आगे बढ़ जाता हैकि साइकिल ही नहीं केवल साइकिल के साथ पोशाक छात्रवृत्ति दोपहर का भोजन शिक्षकों और शिक्षार्थियों का उत्साह इत्यादि के कारण आज स्कूलों में नामांकन और उपस्थिति दोनों में हुई यह भारी वृद्धि जब हम उन्हें मेहुस हमारे पास करें भारत 1200 थी आज के डेट में जितने भी हैं सब मिलकर इस हो गया और हमारे 2626 में ही नहीं है बल्कि सभी का योगदान है जो निस्वार्थ भाव से करते हैं मैं समझता हूं कि बहुत करते हैं में महिला साक्षरता दर में इस दशक में सबसे ज्यादा प्रगति करके बिहार को राष्ट्रपति द्वारा दशक का साक्षरता पुरस्कार मिला है की तरफ बहार के गांव की बालिकाएं एक लंबी दूरी तय करने के लिए तैयार खड़ी हुई है मैं पंडित पीछे मेरा काम है इंजीनियर बनना जब तक अपना काम पूरा नहीं कर रहे थे तब शादी नहीं होगी कि हम भी जब तक अपने जॉब नहीं करेंगे जब तक सारे नहीं करेंगे है कि साइकिल योजना जो है बालिकाओं के लिए एक पंख है वो और इनकी उड़ान कि मुझे है यह तो अब साइकिल से ही आसमान की बुरी नजर आएंगी लगता है कि इसमें भी बहुत दिल्ली दूर नहीं है दिल्ली तो क्या बिहार के गांव तक लड़कियां आज कंप्यूटर और इंटरनेट के माध्यम से देश-विदेश तक पहुंच रही है हुआ है लुट में और मां कसम दूसरी तरफ वर्षों पहले देश और विदेश पहुंचकर पास गए थे अब वह अपने मन में गांव लौटने का वसंत और होठों पर देश का राज लिए लौटने लगे हैं और यहां जैसी ई जिया साले रे आम के माह तक पूर्व के स्वास्थ्य में घी और लाल सिग्नल के रंग से रंगी हेगा की पंछी की तरह सूत्री कविराज गीत अब धीरे-धीरे नेपथ्य में विलीन हो रहा है  के पलायन में काफी गिरावट आई है हुआ है यहां पर टाइम कम होना रुकना अनेक कारणों से आवश्यक पर घर से दूर जाकर पढ़ाई या नौकरी व्यवसाय करने से किसी को भी झुकें।

आधुनिक बिहार: प्रगति और विकास

 बल्कि गृह मंत्री का कहना है कि बिहारी मेहनत ही और बुद्धिमान है उन्हें अपने विकास के लिए बेहतर अवसर है जहां भी मिले मुंबई हो या कोलकाता या फिर चांद पर ही क्यों जरूर जाना चाहिए [संगीत] और सुनाओ अजय को कर दो कुछ सालों पहले इसी मेहनत करने की क्षमता और प्रतिभा के कारण जिन्हें विदेश ले जाया गया था आज उन्होंने विदेशों में सर्वोच्च प्रतिष्ठा है और इसके विपरीत अपने ही देश में जहां आज कोई भी पेशाब कोई विकसित बिहारी प्रतिमा के स्पर्श से अछूता नहीं बचा है और बिहार को इस बात का श्रेय जाता है कि उसके श्रम ने बहुत से राज्यों की तस्वीर बदल पूर्व वहां इसके बदले में उन्हें बांटने और लड़ने वाली राजनैतिक संस्कृति का आघात सहना पड़ा है अपमान सहना पड़ा पर एक अपमानजनक प्रहसन और संबोधन के साथ रहना और उसको सहना अब असंभव हो गया है में भागीदारी यानी भगवान श्रीकृष्ण इधर कुछ नाराज चल रहे हैं है क्योंकि पिछले कुछ दशकों से देश के कुछ हिस्सों में उन्हें लोग अपमानजनक तरीके से बुलाने लगे हैं यह बिहारी बिहारी बिहारी है क्या था कि उन्होंने अभी तक अपना चक्कर नहीं खाया है क्योंकि वे जानते हैं कि अपमानित होने वाले व्यक्ति के अहंकार पर थोड़ी देर के लिए आघात होता तो है किंतु उससे अधिक अपमानित करने वाला व्यक्ति अपना मुंह खोलने के साथ ही यह भेद खुल जाता है क्योंकि साफ वीडियो में संस्कार और शिक्षा की चीज नहीं रही है है और मजे की बात चाहिए कि यही विवेकहीन संस्कारहीन और अशिक्षित लोग जयपुर की शरण में जाते हैं तो वह अपनी उदारता में कोई कमी नहीं करते हैं कि बहुत से लोग जो बाहर से आए उनको यहां का सुसाइटी एडाप्ट कर लिया यह काफी इंट्रस्टिंग डेवलपमेंट है कि बिहार से कई नॉन बिहारी लोग पार्लियामेंट में इलेक्टेड हुए क्योंकि वह उस तरह का प्रयोग कोई सही नहीं दिखाई पड़ा तो बिहार कुछ मामलों में बहुत ही कंफर्टेबल सोसायटी है बहुत ही क्या बोलें जिसमें कि लोग को स्पेस मिलता है इस तरह हम समस्या कंपैशन एंड सोसायटी कहीं से विषय नहीं हो कि आज बिहार में रोजगार के अवसरों के संबंध में जो फिजा बदली है उसके केंद्र में उत्प्रेरक के रूप में है बिहार का कोर्स कंटेंस कृषि व कि स्कूल पंपकिंस वाले क्षेत्र में अभूतपूर्व प्रगति हुई है अपने प्रशासन की प्रतिबद्धता प्रजा के बीच उतरती देखनी और सिद्ध होनी चाहिए हर सोमवार मुख्यमंत्री की सुबह होती है जनता दरबार में कि पिछले वर्षो में बिहार में ऐसी सोच से सॉल्व तो वही होंगे जिनकी चर्चा इस फिल्म में होनी चाहिए थी पर फिल्म की सीमित अवधि के कारण उन सब से क्षमा मांगते हुए हम कुछ ऐसे ही और वह भी केवल झलक भर यहां दिखा रहे हैं [संगीत] कर दो अजय को अजय को तो यह कुछ लोग हैं जिनसे बातचीत की गई थी जगह हैं जिन्हें फिल्माया गया था इस फिल्म को बनाने के दौरान अ यहां पर हम इन सब से क्षमा याचना करते हैं इस फिल्म में इन्हें स्थान नहीं दे सकने के लिए अ है इसके अलावा और भी कुछ बड़े नाम है विहार से जुड़े हुए हैं जिन्होंने अपने आप को बिहार के साथ कभी जुड़ा नहीं है कि कुछ बच्चे ऐसे निकल जाते हैं जो बड़े होने के बाद अपनी मां की सेवा करने की जगह उससे संबंध तोड़ लेते हैं ऐसे बच्चों का क्या कहीं वे उन्हें भूल जाना ही बेहतर होता है हुआ है [संगीत] कि शायद ही कोई ऐसी जगह मिलेगी पूरे विश्व में जहां एक छोटे से विभाग के अंदर उच्च कोटि का लोकतंत्र सुशासन धार्मिक चेतना कविनुमा गैस संस्कार युक्त शिक्षा शोध ज्ञान राजनैतिक चेतना का प्रादुर्भाव और उसके माध्यम से सामाजिक परिवर्तन बहुजन हिताय बहुजन सुखाय समतामूलक समाज की स्थापना राष्ट्रभावना इत्यादि के बीज 3000 साल से एक साथ विद्यमान रहे हो हर समय जैसे कि बिहार में विधमान रहे कि इस फिल्म का उद्देश्य बिहार की गौरव गाथा गाने का नहीं था बल्कि एक व्यापक दर्शक समूह को बिहार से पूर्व परिचित कराने का था क्योंकि पिछले 50 साल में बिहार परिचय ग्रहण सा लग गया था जिसकी वजह से बिहार की कमियों और बुराइयों ही हमेशा सुर्खियों में रहती थी और पूरी दुनिया ने बिहार के बारे में गलत धारणाएं बना लीजिए और दूसरा कि उस ग्रहण के कारण बिहार का वर्तमान और भविष्य दोनों ही किसी सागर किसी बिहाड़ किसी पहाड़ को पार करने के समान हो गए हैं जिन्हें बिहारी पार कर लेंगे परंतु उसे पार करने की प्रक्रिया में उन्हें ध्यान रखना होगा कि इस मिट्टी का चरित्र क्या हैयह किस चीज को सपोर्ट करती है और किस चीज को नहीं वरना एक बिहारी है अपने अतीत को भविष्य में ना भूलें बल्कि उसे नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने का प्रयास करें यह प्रार्थना प्रयास कामना इस फिल्म के माध्यम से किया गया में अनुवाद यह त्यौहार जय भारत मां के हाथों न करें और आखिरी सोमवार झरोखे में कायम है मैं लेता हुआ था अब इन थे आरोप सही पाया उन्होंने जुके इतणा शंख और ॐ तप ॐ सों सोमाय कहां है तो फिर क्या हुआ था मृदंग आदि देव शक्तियों उन्होंने युधिष्ठिर का या विक्रमों तंग हुआ था 


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