भगत सिंह: भारत के अमर शहीद
बचपन से देशभक्ति की भावना
गर्मियों के आसपास का टाइम रहा होगा कि एक छोटा सा बच्चा खेतों में काम कर रहा है कि उक्त में गड्ढा खोद रहा था कि उस बच्चे के चाचा जो बच्चे के पास आए तो पैसा ही नहीं देखा कि बच्चा खेत में बंदूक हो रहा है जो मैंने पूछा कि आप यह अबे क्या कर रहे हो बंधु हो रहे हो तुम बच्चे ने जवाब दिया मैंने कहा कि चाहिए कि आपने मुझसे कहा था कि इस बंदूक से हम अंग्रेजी हुकूमत को अपने देश से भगा सकते हैं अब तक यह आ रहा हूं कि जब एक पेड़ उगे उस पेड़ से बहुत सारी बंदूक योगी और बंदूकों से अंग्रेजी हुकूमत को अपने देश से मार के भगा देंगे तो कि इस छोटा सा बच्चा था सरदार भगत सिंह जी जी हां सरदार भगत सिंह जी आज सिंह का बलिदान दिवस है आज दिन का शहादत दिवस हम लोग मना रहे हैं ठीक है 30 पर्सनालिटी एक ऐसे थे जो 20 साल के युवा जिसने सारे देश को जगा दिया था का किरदार भगत सिंह जी कितने महान थे क्या यह बताने की क्षमता मुझे नहीं है उनकी महानता का पता सिर्फ इस बात से लगाया जा सकता है कि वह अंग्रेजी हुकूमत को ब्रिटिश साम्राज्य जिसके बारे में यह कहा जाता था कि ब्रिटिश साम्राज्य का सूर्य कभी अस्त नहीं होता खुद ब्रिटिश साम्राज्य को अपने घुटनों पर ला कर खड़ा कर दिया था इससे 20 साल ही हुआ है यह सरदार भगत सिंह जी और आज मैं आपको यही बताऊंगा कि वह कितने ज्यादा मानसिक इतिहास में कुछ ऐसे लोग हैं जिनकी महानता का जिक्र आप शब्द सही कर सकते हैं कि उनकी महानता का जिक्र करने के लिए शब्द बनी ही नहीं है एक पिस्तौल जिसने देश को उठ कर खड़ा कर दिया और आज भी सरदार भगत सिंह जैसे व्यक्तित्व है तो हम सारे युवाओं के दिल में बसते हैं यहां आपको सिर्फ यह बताने आया हूं कि वह क्या इंश्योरेंस थे वह उसे क्या कुछ रोचक किस्से थे
असहयोग आंदोलन और क्रांतिकारी विचारधारा
जिसने सरदार भगत सिंह जी के मन में देशभक्ति की भावना प्रवीण और अगर सरदार भगत सिंह जी ने देश के लिए बलिदान दिया था तो हम युवाओं से क्या चाहते थे और आज हमारी क्या जिम्मेदारी है इस हर्ब कि जिस देश की कल्पना सरदार भगत सिंह जी ने की थी आज वह हमारी जिम्मेदारी है कि हम हमेशा सिंह जी के उस सपने को पूरा करें शुरुआती तौर पर भगत सिंह जी की अगर बात की जाए तो टॉफी इंटेलिजेंट व्यक्तित्व भगत सिंह चिकारा एक बहुत ही होशियार बच्चे थे करने में बहुत ज्यादा होशियार देते एक घटना ऐसी घटी इस ले भगत सिंह जी के मन में देशभक्ति की भावनाओं को और ज्यादा बढ़ा दिया उनके चाचा कर रहा हूं से काफी ज्यादा अपनी चाचा की बातों से चाचा की बहुत सारी उम्र की बातों से उनके विचारों का प्रभाव भगत सिंह जी पर बहुत ज्यादा थोड़ा तो देश भक्ति की भावना तो देशप्रेम देशप्रेम जो प्यार है वह करना उन्हें बचपन सी किया था अपने घर से ही अ कि अब थोड़े बड़े हुए हैं को पिक बहुत कह सकते हैं कि बहुत ही हिंसक घटना हमारे देश में घटी से जाना जाता है जलियांवाला बाग हत्याकांड के नाम से जनरल डायर ने हजारों निहत्थे लोगों पर गोलियां चला कि उन्हें मार दिया तभी घटना हुई तब भगत सिंह जी स्कूल में से उम्र के आखिर बन रही होगी 12 साल 12 13 साल समुंदर योगी जी कि जिस जगह यह घटना हुई कि वह उनके घर से तकरीबन 12 किलोमीटर दूर कि मुझे सिंह जी पैदल चलकर जलियांवाला हत्याकांड बाप की जगह पर गए जलियांवाला बाग कर गए और जो मंजर उन्होंने देखा जो नजारा उन्होंने देखा उस नजारे को देखकर भगत सिंह जी की आंखों में क्रोध से उनकी आंखें भर गई उन्हें इतना गुस्सा आया कि यूज जलियांवाला बाग की मिट्टी को अपने साथ लेकर आए और यह प्रतिज्ञा की कि जब तक देश को आजादी नहीं दिला दूंगा तब तक चैन से नहीं बैठूंगा
नौजवान भारत सभा और क्रांतिकारी गतिविधियाँ
सोचिए 12 साल के बच्चे के मन में यह भावना यह तनी देश प्रेम की भावना अधिक रहती है ना कि अगर भगत सिंह जी की तरह एक दिन भी जीत लिया जाए तो हमारा जीवन धन्य हो जाएगा इस तरह का देशप्रेम उन्हें दिखाया था उस तरह का देशप्रेम शायद कहीं और देखने को मिलता ही नहीं है इस घटना के बाद इस घटना के बाद भगत सिंह जी पूरी तरीके से चीन हुए उनका जीवन में एक लक्ष्य की अपने देश को अंग्रेजों की गुलामी से मुक्त करवाना है इसके बाद एक बहुत बड़ा आंदोलन देश में चला दो एक बहुत बड़ा आंदोलन था जो गांधी जी ने आंदोलन शुरू किया था जिसे हम जानते हैं असहयोग आंदोलन के नाम से असहयोग आंदोलन के अंदर भी भगत सिंह जी ने काफी ज्यादा कवरेज किया बढ़-चढ़कर उन्होंने हिस्सा लिया पट एक ऐसी घटना हुई एक ऐसी घटनाएं इसे चौरीचौरा के नाम से जानते हैं कि उस जगह के ऊपर उस घटना के बाद जब गांधीजी ने असहयोग आंदोलन को बंद कर दिया तो जब गांधी जी ने इस आंदोलन को बंद करा तो भगत सिंह जी काफी चीज से हताश हो गए और उन्हें लगा कि अब आजादी पाने के लिए किसी और दूसरे तरीके का इस्तमाल यहां पर करना होगा के भगत सिंह जी थोड़े से बड़े होते हैं और कॉलेज के छात्रों ने एडमिशन लिया लाहौर नर्सिंग कॉलेज के अंदर भगत सिंह जी पढ़ते थे बहुत ही होनहार विद्यार्थी पढ़ने में बहुत अच्छे अभिनय करने का बहुत अच्छा शॉक सा उनको लिखते भी काफी अच्छा थे तकरीबन 5 फिट 10 इंच भगत सिंह जी के हाईट पर बेहद सुंदर दिखने में बहुत सुंदर थे भगत सिंह जी और एक ऐसा युवा जब वह बोलते थे तो सामने वाले लोग श्रेया घोषाल हतप्रभ होकर देखते थे
भगत सिंह के विचार और उनकी क्रांतिकारी सोच
मैं उनकी बातों को सुनते रह जाते थे कि कितनी अच्छी बात कर रहे हैं और क्रांतिकारी विचार भगत सिंह जी के और साइलेंसर एंड यहां पर हुए नौजवान भारत सभा की भगत सिंह जी ने स्थापना करी और बहुत सारी एक्टिविटीज एक्चुअली पार्टिसिपेट किया अपने कॉलेज के जमाने में भगत सिंह की जुबान थे भगत सिंह जी को मूवी देखने का शौक था स्पेसिफिक चार्ली चैप्लिन की मूवी देखना भगत सिंह जी पसंद करते थे और रसगुल्ले खाना भगत सिंह जी को बहुत ज्यादा पसंद था जबकि वह मूवी देखने जाते थे यह बात चंद्रशेखर आजाद जी को बिल्कुल पसंद नहीं वह बहुत गुस्सा है गुस्से में भगत सिंह जी पर कि आप क्योंकि देखते हो यह बहुत ही कह सकते हैं कि बहुत ही एक सुनहरा व्यक्तित्व रहा है भगत सिंह जी का बहुत सुनहरा जगत में और मदर टिंचर कर रहा उसके बाद एक घटना हुई है कि लाला लाजपत राय जी की जब हत्या कर दी गई उनके सिर पर लाठी मारकर उनकी हत्या कर दी गई इस बात से भगत सिंह जी बहुत ज्यादा क्रोधित हुए यह लगा कि इस तरीके से अंग्रेज हमें दबाना सारे है इस तरीके से अंग्रेज हमें दबाना सारे हैं और एक जगह पर भगत सिंह जी ने आप सभी जानते हैं तब भगत सिंह चंद्रशेखर आजाद जी और इन लोगों ने मिलकर सांडर्स की हत्या कर दी उसकी गोली मारकर हत्या कर दी क्योंकि कहीं ना कहीं सांडर्स जो थे वह भी तो असिस्टेंट सुपरिंटेंडेंट व समय पर थे वह भी और भगत सिंह जी के उस समय पर यह माना जाता है कि अगर सिंह जी इसकी एक अकेले या कह सकते कि भगत सिंह जी एक अकेले उस समय पैसा नहीं था थे
दिल्ली असेंबली बमकांड और गिरफ्तारी
भगत सिंह जी हो गए चंद्रशेखर आजाद जी को भी आप ले सकते हैं दोनों देश के युवाओं के मन में देश प्रेम की भावना को धीरे-धीरे बढ़ाते जा रहे थे योगा आफ नेता थे कि बुध नेशनल असेंबली के अंदर बम फेंककर भी उन्होंने अपनी आवाज को बुलंद कर चुके वह बताना चाह रहे थे कि सरकार उनकी आवाज को दबाना सारी थी उन्हें लगा कि सिर्फ इस तरह के धमाकों से ही इन बहनों को कुछ सुनाई दिया जा सकता या कुछ सुनाया जा सकता है कि आप भगत सिंह जी को जेल भी काफी समय तक जेल में रहे और कुछ इंसिडेंट ऐसे लिया है जब अंग्रेज सरकार ने भगत सिंह जी से यह चाहा कि अगर उन्हें जिंदा रहना है तो वह माफी मांग ले भगत सिंह जी ने इस चीज से साफ इंकार कर दिया कि मैं माफी नहीं मांगूंगा मैं माफी नहीं मांग सकता तो भगतसिंह देंगे तो माफी नहीं मांग सकते क्यों नहीं मांग सकते उनके लिए मरना कोई बहुत बड़ी बात नहीं कि देश के लिए बलिदान देने उनके लिए फख्र की बात है उस समय पर भी देश के लिए बलिदान देने देश के लिए बलिदान देना एक बहुत बड़ी बात तो उनके लिए उनको मौत कभी डर लगाएंगे यह के अंदर भी अंग्रेजों के खिलाफ लड़ते रहे अपने हक के लिए वहां पर धुंध अनशन भी किया भूख हड़ताल भी यहां पर करीब बहुत सारे ऐसे नहीं सिर एंड थे ए बिग छोटा-सा हिस्सा है जब होता है कि जो युवा कि उनके माता पिता चाहते थे कि भगत सिंह जी की शादी हो जाए तो उनको पता लगा कि उनके माता-पिता यह सारे हैं मगर सिंह जी की तारीफ हो जाए तो भगत सिंह जी भागकर कानपुर चले गए और है यहां पर एक छोटी सी शायरी भगत सिंह जी की भगत सिंह जी ने जैसे शायरी लिखी थी इस कदर वाकिफ है मेरी कलम मेरे जज्बातों से इस कदर वाकिफ है मेरी कलम मेरे जज्बातों से मैश कर लिखना चाहूं तो इंकलाब लिखा जाता है और यही पर्वत इंच यह कहा कि अगर इस गुलाम हरिश्चंद्र मुझे शादी करना पड़े अगर गुलाम भारत के अंदर मुझे शादी करना पड़े तो मेरी पत्नी सिर्फ मौत होगी प्रतिनिधि से यह चाहते थे कि गुलाम भारत के अंदर मैं शादी नहीं करूंगा और वैसे भी उन यह कह दिया था कि मेरी दुल्हन तो आजादी है तो शादी इससे में नहीं कर सकता हूं बहुत सारे ऐसे और कुछ दूसरे के इससे भी भगत सिंह जी के यहां पर रहे थे एक अंग्रेज सरकार भगत सिंह जी से इतनी डरती थी इतनी ज्यादा डरती थी उनकी फांसी का दिन तय किया गया था 24मार्च 1931 अंग्रेज सरकार को यह पता था कि अगर भगत सिंह जी को उस दिन फांसी दी गई तो पूरे देश के अंदर पूरे देश के अंदर देश के लोग जाएंगे और भगत सिंह जी ने सारे देश के लोगों के आइडल ही तो थे क्यों नहीं करते हुए अगर सिंह जी के साथ यह कह सकते हैं कि अंग्रेजों की हमेशा से नीति रही थी कि उन्हें कभी ना कभी उछल के द्वारा झूठ के द्वारा देश को दबाने की कोशिश की
23 मार्च 1931 – बलिदान का दिन
और 23 मार्च के दिन ही 23 मार्च को शाम को 7 बजे ही भगत सिंह जी को गुपचुप तरीके से फांसी दे दी गई इस समय भगत सिंह को फांसी दी जा रही थी उस समय जब उनको ले जाया जा रहा था तो अ भगत सिंह जी एकता फटे भगत सिंह जी पढ़ रहे थे लर्निंग के बारे में उनसे कहा कि चलिए वापसी का समय तय होगी आपको चलना है तो यहां पर भगत सिंह इन एक चीज कहीं की चलता हो एक क्रांतिकारी दूसरे क्रांतिकारी से मिल तो लें तो के बाद एक प्रिंटर करोड़ ने उस किताब पढ़ी उस किताब को ऊपर हल्दी और चलेंगे तब भगत सिंह जी फांसी के फंदे पर ले जा रहे थे देश के लिए बलिदान देने के लिए जा रहे थे तो वहीं गीत गा रहे थे मेरा रंग दे बसंती चोला बसंती रंग जो की आजादी का रंग है वह उसी गीत को गा रहे थे और जो सुपरिडेंटेंट कि सुपरिंटैंडैंट उनकी फांसी कुछ करवाने के लिए था उसे देखकर उन्होंने यह कहा कि आप बहुत भाग्यशाली हैं अ बहुत ज्यादा भाग्यशाली हैं कि भारतीय क्रांतिकारी खोज एक हिंदुस्तानी क्रांतिकारी को फांसी का फंदा चूमते हुए देख रहे हैं ऐसा व्यक्तित्व था भगत सिंह जी का कभी Bigg Boss पूर्ण अपनी लाइफ में यही नहीं था अंग्रेज इतने ज्यादा डर गए थे कि उनकी फांसी के बाद उनके पार्थिव शरीर को उन्होंने जेल के पीछे की दीवार तोड़ी और जेल के पीछे की दीवार तोड़ के वह बाहर लेकर और सतलज नदी के तट के ऊपर हूं उनके शरीर को उनके गुपचुप तरीके से जलाने की कोशिश की गई पर कुछ गांव वालों ने इस चीज देखी और सभी गांववालों ने इन चीजों को देखा कि कोई मां पर कुछ जला रहा है तो गांव वाले पास में आए और उसके बाद अंग्रेजों को भगाने के बाद भगत सिंह जी के शरीर को पूरी श्रद्धांजलि जी दी और उनको पूरी विधिवत उनका दाह संस्कार किया गया था है
भगत सिंह का प्रभाव और आज के युवाओं के लिए संदेश
भगत सिंह जी की जो एक बहुत ही सुनहरा जिनका व्यक्तित्व यहां पर रहा था जितनी भी लेंथ टीम ने बात करी है वह सारे इंसिडेंट आपके इंस्पायरिंग है अगर सिंह जी हम लोगों से युवाओं से क्या चाहते थे भगतसिंह इस सिर्फ यह चीज चाहते थे कि हम कभी डरे ने एक युवा होने के नाते हम कभी डरें नहीं अगर कुछ गलत होता है अगर कुछ गलत होता है तो उस गलत के खिलाफ आवाज़ उठाना चाहिए यही युवाओं का कर्तव्य है और भगत सिंह जी हम यही चीज दिखाना चाहते थे भगत सिंह जी ने एक बात कही थी बहुत इंपोर्टेंट चीज कही थी कि तुम मेरे शरीर को तो मार सकते हो तुम मेरे शरीर को तो मार सकते हो पर तुम मेरे विचारों को नहीं मार सकते मेरे यह विचार हर युवा के मन में जिंदा हमेशा रहेंगे तो यह विजय भगत सिंह जी के जो विचार हैं जिस सपने को लेकर इस हरकत का सपना ने देखा था खुद सपने को हमें पूरा करना है आज भगत सिंह जी के बलिदान दिवस से उनके शहादत दिवस पर उन्हें शत शत नमन झाल और अब यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम हमारे देश को उन बुलंदियों पर ले जाएं उंचाइयों पर ले जाएं जिन उपायों पर जिन बुलंदियों पर हमारे देश को पहुंचाने की कल्पना हमारे देश के इन शहीदों की थी लिख रहा हूं मैं अंजाम जिसका कैलास आएगा मेरे लहू का एक कतरा इंकलाब लायेगा मैं रहूं या ना रहूं पर ये वादा है तुमसे मेरा कि मेरे बाद वतन पर मरने वालों का सैलाब आएगा 23 मार्च 1931 को सरदार भगत सिंह जी राजगुरु जी और सुखदेव जी देश के लिए हंसते-हंसते फांसी के फंदे पर झूल गए हमें भूलना नहीं चाहिए कि सरदार भगत सिंह जी के साथ सुखदेव जी और राजगुरु जी ने भी देश के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया था आज मैं उन तीनों को शत-शत नमन करता हूं।