भारत-बांग्लादेश संबंधों में नया मोड़: मोहम्मद यूनुस और पीएम मोदी की संभावित मुलाकात

क्यों पड़ोसी देश भारत की ओर देखते हैं?

अक्सर जब भी कोई भारत का पड़ोसी अपने यहां नया प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति बनाता है तो उन्हें सबसे पहले भारत की यात्रा पर भेजता है फिर चाहे नेपाल हो भूटान हो मालदीव्स हो श्रीलंका हो या फिर बांग्लादेश इन तमाम छोटे देशों को भारत के साथ रहकर ही आगे बढ़ने की प्रेरणा रही है लेकिन हमारे पड़ोसी बांग्लादेश में अगस्त से जब से शेख हसीना वहां से बाहर आई हैं तब से जो प्राणी वहां पर बिना चाहत के सब कुछ बनकर बैठा है दैट इज मोहम्मद यूनुस वो भारत को छोड़कर सबसे मिल लिया और भारत को छोड़कर वो जिनसे मिला वो भारत के शत्रु प्राथमिक रूप से थे फिर चाहे पाकिस्तान हो या फिर सोरोस के सुपुत्र हो इनसे इनकी मुलाकात मायने रखने वाली रही लेकिन अब इतना समय बीतने के बाद जब इन्हें ये एहसास हुआ कि भारत के बिना संभवतया इस क्षेत्र में कुछ भी कर पाना संभव नहीं है ऐसे में इनके द्वारा एक हल्की सी एप्रोच रखी गई है कि भारतीय प्रधानमंत्री से मिल ही लिया जाए यदि वो किसी कार्यक्रम में पहुंच रहे हो जुगाड़ लगाकर इस बात का कि आपसे बटरल टॉक हो जाए ताकि यह भी हो जाए कि सब हमने इतने समय से आपको इग्नोर किया और अब हम मिल रहे हैं तो किसी मीटिंग के साइड लाइन में ये चर्चा चर्चा कहां से निकलती है क्या है पूरी कहानी आज के सेशन में हम आपके साथ डिस्कस करने जा रहे हैं असल मायने में पाकि बांग्लादेश के अखबार में एक खबर छपती है और खबर ये है कि बांग्लादेश ने अप्रोच किया है कि भारत से मुलाकात हो मोदी और यूनुस की मुलाकात हो कहां पर हो तो बैंकॉक में हो बैंकॉक में क्या हो रहा है असल में एक बिमस्टक नाम का संगठन है उसकी बैठक अप्रैल के प्रथम सप्ताह के अंदर बैंकॉक में हो रही है ये उनकी छठी बैठक है जिसमें बमस्टक कंट्रीज अब ये क्या है बिमस्टक क्या बातें करते हैं सब बताएंगे तो ये सब वहां पर एकत्रित होने वाले हैं तो बोले सर जब वहां आए तो इन दोनों की बातचीत करवा देना ये खबर इन्होंने कहां से ली तो भारत के अंदर जो एएनआई नाम से न्यूज़ एजेंसी है वहां से ली एएनआई में क्या खबर छपी थी कि बांग्लादेश अप्रोचेस इंडिया फॉर पीएम मोदी यूनस टॉक एट बिमस्टक बैंकॉक समिट तो बांग्लादेश ने भारत को एप्रोच किया है बड़ा इंटरेस्टिंग अंदाज में इसको समझने की आवश्यकता है 


 

मोहम्मद यूनुस की कूटनीति: भारत को अनदेखा करने की गलती?

अब तक भारत के दो-तीन चक्कर काट लेने चाहिए थे अब तक ये एक बार भी नहीं आया आना तो छोड़िए मिलने के लिए भी जो तरीका अपनाया है वो इस तरह से कि एक संयुक्त बैठक हो रही है वहां पर सब लोग आएंगे बिल्कुल वैसे ही जैसे G20 की बैठक हो रही हो या फिर एसइओ की बैठक हो रही हो उस समय पर आपस में सब लोग मिल लें और आपस में साइड लाइन पे टेबल टॉक हो जाए तो ऐसे इन भाई साहब ने अपनी टीम से कहा कि प्रधानमंत्री मोदी से हमारी बातचीत की व्यवस्था बैठवाइए तो बांग्लादेश की तरफ से अप्रोच किया गया कि सर बमस्टक समिट जो अप्रैल 2 से 4 के बीच में हो रही है उसमें मिलवाने की बात करिए अब ये बमस्टक क्या है थोड़ा सा इसके बारे में जान लीजिए असल में बंगाल की खाड़ी के आसपास जो देश हैं वो देश आपस में अपने अधिकारों के लिए अपनी अपॉर्चुनिटीज के लिए आपस में बातचीत करने का एक रास्ता अपनाए थे इसे बे ऑफ बंगाल इनिशिएटिव फॉर मल्टीसेक्टोरल टेक्निक एंड इकोनॉमिक कोपरेशन कहते हैं बंगाल की खाड़ी से सटे हुए जो देश हैं वो अब एक क्षेत्रीय संगठन की तरह काम करते हुए काम करना चाहते हैं जिसमें सात देश हैं फिलहाल ये बैंकॉक डिक्लेरेशन के तहत 1997 के अंदर बनाया गया था 1997 में यहां पर बी स्टैंड्स फॉर बे ऑफ़ बंगाल आई स्टैंड्स फॉर इनिशिएटिव फॉर मल्टीसेक्टोरल टेक्निक इकोनॉमिक कोऑपरेशन इस तरह से इस बमस्टक का गठन हुआ था इसके अंदर शुरुआत के अंदर इसका जब नाम बिस्टक था जब एम नहीं था तो इसमें बांग्लादेश भारत श्रीलंका और थाईलैंड थे क्योंकि थाईलैंड के इनिशिएटिव पर इसका निर्माण हुआ था फिर इसमें 22 दिसंबर 97 के अंदर म्यांमार को शामिल करने के बाद इसमें एम जुड़ गया शुरुआत में ये जो पांच नाम थे बांग्लादेश इंडिया म्यांमार और एस स्टैंड्स फॉर श्रीलंका एंड टी स्टैंड्स फॉर थाईलैंड इस तरह से ये पांच देशों का समूह बना 2004 में जिनके पास समुंदर ही नहीं है लेकिन उस समुंदर के बिना जिनका काम नहीं चल सकता वो हैं नेपाल और भूटान क्योंकि इनके ट्रेड बंगाल की खाड़ी से होकर ही होते हैं भले ही ये लैंड लॉक कंट्री हो लेकिन बांग्लादेश और भारत इन्हें व्यापार के लिए लैंड देते हैं यानी कि इनको जगह देते हैं ऐसे में इन्हें भी शामिल कर लिया गया तो इन पांच देशों के नाम से फिर इसे चेंज करके बे ऑफ़ बंगाल इनिशिएटिव फॉर मल्टीसेक्टोरल इकोनॉमिक ऑपरेशन कर दिया गया तो 2004 में भूटान और नेपाल जुड़ने के बाद ये सात देशों का एक समूह बन गया जहां दुनिया की अभी 22% आबादी निवास करती है 

बिम्सटेक समिट: भारत-बांग्लादेश वार्ता की नई संभावना?

वर्तमान में जो भी राष्ट्र अध्यक्ष हैं वो सब इसके मतलब सदस्य कंसीडर किए जाते हैं ठीक है साहब इनका उद्देश्य क्या है उद्देश्य है कि इस क्षेत्र में बंगाल की खाड़ी क्षेत्र में इकोनॉमिक डेवलपमेंट कैसे हो कैसे पार्टनरशिप को इक्वल तरीके से आगे बढ़ाया जाए कैसे एक दूसरे के साथ म्यूचुअल असिस्टेंस के माध्यम से कोलबोरेट किया जाए और एजुकेशन साइंस एंड टेक्नोलॉजी में कैसे एक दूसरे की मदद की जाए 1997 में स्थापित हुई ये घटना ये अब तक छह बार ही आपस में मीटिंग कर पाई है बिमस्टक की जो छठी पांचवी जो बैठक हुई थी वो वर्ष 2022 में श्रीलंका में हुई थी अब इनकी सिक्स्थ बैठक होने जा रही है और ये सिक्स्थ बैठक जो है ये 2 से 4 अप्रैल के बीच में बैंकॉक में आयोजित होनी है बकायदा थाईलैंड के द्वारा इसके पोस्टर रिलीज़ किए गए कि दो से चार तारीख के बीच में बंस्टटेक का यानी बे ऑफ़ बंगाल इनिशिएटिव फॉर मल्टीसेक्टोरल टेक्निक एंड इकोनॉमिक कोऑपरेशन की बैठक हो रही है जिसमें सात देश पार्टिसिपेट कर रहे हैं इसमें पाकिस्तान नहीं है असल मायने में पहले सार्क नाम से साउथ एश एशियन एसोसिएशन करके हम लोगों ने एक कमेटी ग्रुप बनाया हुआ था जिसके अंदर अफगानिस्तान पाकिस्तान श्रीलंका भारत के जो पड़ोसी देश थे उन्हें शामिल था लेकिन पाकिस्तान के रवैया के चलते सार्क सक्सेसफुल नहीं हुआ तो सार्क के स्थान पर भारत ने अपने पड़ोसियों को इस बमस्टक के माध्यम से साधने का प्रयास किया लेकिन हाल ही में अब वहां पर रोग नेशन जो है अपने आप में बांग्लादेश बनकर बैठा है खैर फिलहाल के लिए बांग्लादेश इस बैठक में आएगा यह बात इनके तरफ से जो फॉरेन अफेयर के एडवाइजर हैं जो कि इस समय मोहम्मद अह मोहम्मद तौहिद हुसैन है जो कि बांग्लादेश सरकार के लिए एडवाइजर के तरीके से काम कर रहे हैं उन्होंने भारत को अप्रोच करते हुए कहा कि हम चाहते हैं कि भारत और बांग्लादेश इस बमस्टक मीटिंग की साइडलाइंस में आपस में मिल लें ये खबर और जगह भी चलना शुरू हुई कि मोदी और यूनुस की मीटिंग को कराना चाहता है बांग्लादेश लेकिन जिस तरह से बांग्लादेश ने भारत विरोधी रुख अपनाया है और उस भारत विरोधी रुख के चलते मोहम्मद यूनुस का इतने दिन तक कार्यकाल चल पाया है क्योंकि शेख हसीना के खिलाफ जो गुस्सा था अब वो शेख हसीना से ज्यादा भारत के खिलाफ कन्वर्ट कर दिया गया है ऐसे में शेख हसीना का गुस्सा भारत के खिलाफ तो मोहम्मद यूनुस अगर भारत से बातचीत कर लेते हैं तो जनता इनके खिलाफ हो जाएगी इसलिए ये इसे इस तरह से करना चाह रहे थे लेकिन जवाब आता है 

भारत का रुख: क्या यूनुस से मुलाकात संभव है?


भारत की तरफ से कि हमारी दोनों की मीटिंग का कोई भी प्लान नहीं है अभी ऐसा होने की कोई गुंजाइश नहीं है यह श्रीलं ये बांग्लादेश के अखबारों में छप भी जाता है आज ही के दिन डेली स्टार में छपता है कि यूनुस मोदी बटरल मीटिंग अनलाइकली की थोड़ी कम संभावना है कि इन दोनों की मीटिंग हो पाएगी और ऐसी बैठक के लिए कोई तैयारी फिलहाल नहीं है जब भारत की तरफ से एमईए के स्पोक पर्सन रणदीप जासवाल जी से पूछा गया कि सर क्या ये दोनों मिलने वाले हैं तो उन्होंने कहा इस बात पर फिलहाल हमारे पास कोई अपडेट नहीं है अब बड़ा सवाल ये आता है कि सर जब इतना ही एटीट्यूड था तो मिलने की चाहत क्यों दिखा रहे हैं भाई बड़ा सवाल है भाई एक तरह से ये देखा जाए तो इन्हें भारत के बिना ही सर्वाइवल का कॉन्फिडेंस रहा होगा तभी इन्होंने इस तरह से इतने ज्यादा बयान वीर बनने का प्रयास किया शेख हसीना इनका इंटरनल मैटर था लेकिन उसके चलते पड़ोसी से जहां तक इन्होंने जिस पड़ोसी से ये तीन तरफ से घिरे हुए हैं उसके खिलाफ इस तरह के बयानबाजी करके इनकी जो फीलिंग थी वो बिल्कुल मालदीव्स की तरह ही थी उन्हें लगने लगा था कि जैसे कभी मालदीव्स ने भारत के खिलाफ बयान कर लिया था जैसे भारत ने जिस तरह से हैंडल किया सरस सुर्खियों में भी नहीं आता इनको भी ऐसे ही लगा कि हम भी शायद ऐसा कुछ कर सकते हैं गलतफहमियां अच्छी होती हैं लेकिन कुछ मुद्दे अगर तलाशे जाएं कि इन्हें इस समय क्या आवश्यकता आ पड़ी है तो देखिए बहुत बड़ी आवश्यकता तो भारत के बिना इनका कुछ भी नहीं चल सकता ना क्षेत्रीय मुद्दे चल सकते हैं ना अंतरराष्ट्रीय मुद्दे चल सकते ना इनका परिवहन चल सकता ना संचार चल सकता ना ऊर्जा चल सकती ना व्यापार चल सकता इन सब चीजों में इसके भारत की जरूरत है और भारत के साथ बिगड़े संबंध अब इनकी ग्रोथ रेट में डिक्लाइन के रूप में दिखाई भी दे रहे हैं इनफ्लेशन हो या पॉलिटिकल अनसर्टेनिटी हो बांग्लादेश को अब खाए जा रही है बांग्लादेश जिन देशों के साथ सबसे ज्यादा ट्रेड करता है उनमें भारत चाइना यूएस शामिल है चाइना से ट्रेड करके यह ऑलरेडी ट्रेड डेफिसिट में रहता है बड़ा ट्रेड डेफिसिट है 21 बिलियन डॉलर का ट्रेड डेफिसिट है बांग्लादेश ज्यादा इंपोर्ट करता है एक्सपोर्ट कम करता है होने को भारत के साथ भी ट्रेड डेफिसिट है लेकिन भारत इसे अन्य तरीके से कई लाभ देता है बॉर्डर सिक्योरिटी के मामले में लाभ देता है 

भारत के बिना बांग्लादेश की चुनौतियां

इंटरनल सिक्योरिटी के मामले में और रीजनल रीच देता है जैसे रशिया के द्वारा यहां पर जो एटॉमिक पावर प्लांट लगाया जा रहा है वो भारत के सहयोग से लग रहा था भारत से जो इनको ऑयल की आपूर्ति हो रही थी बिजली की जो आपूर्ति हो रही थी ये भारत से हो रही थी तो अंतरराष्ट्रीय रूप से भारत बांग्लादेश के लिए भी संयुक्त रूप से बात रखा करता था लेकिन ये भारत के साथ ट्रेड के घाटे को ही पाटने के महत्व को समझते रहे कि नहीं हमें एक्सपोर्टर बनना है भारत से हमें कुछ नहीं चाहिए खैर इनकी जो सबसे बड़ी गलती हाल ही के दिनों में रही वो क्या रही बांग्लादेश अमेरिका के साथ व्यापार करके पैसे कमाता है और पैसे कमाने में बांग्लादेश का जो टेक्सटाइल इंडस्ट्री है ना वह बड़ी इंडस्ट्री है टेक्सटाइल इंडस्ट्री इतनी बड़ी है कि यहां का जो मैक्सिमम रेमिटेंसेस है या ये समझिए कि जो फॉरेन से आने वाली करेंसी है वो इनके टेक्सटाइल इंडस्ट्री की वजह से ही आती है मतलब आप समझिए कि आज जो ये सबसे ज्यादा एक्सपोर्ट की वजह से पैसे कमाते हैं उसमें 80% कंट्रीब्यूशन इनके कपड़े का है मतलब आप ऐसे समझिए कि इनके यहां जो कपड़ा उद्योग है वो बांग्लादेश की जीडीपी का 11% रोल प्ले करता है आप इसको और तरह से याद करें तो इतिहास में जब बांग्लादेश भारत का ही हिस्सा हुआ करता था उस समय अंग्रेज सबसे पहले बांग्लादेश यानी कि बंगाल में ही आए थे और बंगाल का ये वाला क्षेत्र जो पश्चिम बंगाल और पूर्वी बंगाल को मिलकर बना था यहां पर कपड़े का ही उनका सबसे बड़ा अट्रैक्शन था जो उनको यहां तक खींच कर लाया था और आज भी बांग्लादेश की इकॉनमी में बड़ा योगदान कपड़े का है लेकिन कपड़ा उद्योग को कॉम्पिटिटिव बनाए रखने के लिए क्योंकि पश्चिम बंगाल आज भारत में है और पूर्वी बंगाल एक देश बन चुका है तो पश्चिम बंगाल भी कपड़े के अंदर काफी ज्यादा सक्षम है और ऐसे में भारत के और भी औद्योगिक क्षेत्र ऐसे हैं जो कपड़े में काफी बड़ा रोल प्ले करते हैं अब बांग्लादेश की शेख हसीना सरकार ने जिस तरह से कपड़ा व्यापारियों को इंसेंटिवाइज करके इतना सक्षम बनाया हुआ था कि वह फॉरेन टेबल पर अपने आप को प्रेजेंट कर पाते थे 



भारत-विरोधी नैरेटिव: बांग्लादेश में प्रोपेगेंडा की राजनीति

मोहम्मद यूनुस उनके खिलाफ खुन्नस रखते हुए उनको पीछे रखना शुरू किए कि नहीं तुम तो बेटा उसके आदमी थे तुमको तो उनका सपोर्ट मिलता था इसका नुकसान क्या हुआ नुकसान ये हुआ कि इसमें कंपिटिटिव एडवांटेज भारत ले गया इनकी टेक्सटाइल इंडस्ट्री को इस समय नुकसान फील होने लगा फिलहाल का समय रमजान का टाइम चल रहा है उम्मीद की जा रही थी कि इनके यहां सेल्स बढ़ेंगी लेकिन वो सेल्स को टक्कर मिलने लगी और टक्कर हेडलाइन बनने लगी कि इंडिया ने इस बीच में अपने टेक्सटाइल इंडस्ट्री को बढ़ावा दे दिया है और आपको मालूम भी होगा कि भारत ने ऑलरेडी इंसेंटिव स्कीम्स ल्च की हुई हैं अपने टेक्सटाइल इंडस्ट्री को बढ़ावा देने के लिए तो ऐसे में भारत कंपिटिटिव एडवांटेज बांग्लादेश से टेक्सटाइल में लेता हुआ आगे बढ़ रहा है तो कुल मिलाकर के इनके लिए ये बहुत ज्यादा जरूरी है कि कहीं उन्हें काम करने दिया जाए खैर जिओपॉलिटिक्स में यह सब चीजें देखने की होती हैं कि आप क्या खोते हैं और क्या पाते हैं फिलहाल के लिए बांग्लादेश की नजर चाइना पर टिकी है क्योंकि शेख हसीना के भारत आ जाने से इन्हें लगता है कि भारत तो दुश्मन हो गया है यही कारण है कि भारत विरोध में यहां बहुत कुछ होता है जब इन्होंने सबसे पहली बार शेख हसीना को भेजने के बाद पद संभाला तो भारत से बातचीत की तो भारत ने भी साफ किया कि देखिए भारत के खिलाफ आप कोई भी प्रोपोगेंडा ना चलाएं और हिंदुओं के खिलाफ आप कोई भी अपने देश में गलत काम ना होने दें लेकिन बांग्लादेश ने साफ इसे इंकार कर दिया कहा कि ये केवल प्रोपोगेंडा है जो इंडिया चला रहा है बांग्लादेश ने तो ये तक कह दिया कि भारत इनके खिलाफ केवल एक सोची समझी सुनियोजित तरीके से ये न्यूज़ फैलाता है कि यहां हिंदुओं के साथ कुछ हो रहा है जबकि बांग्लादेश में ऐसा कुछ नहीं है उसको इतना जबरदस्त तरीके से फैलाया हुआ है कि भारत के न्यूज़ में आने वाली सब चीजों को ये सिरे से खारिज करते हैं और इतना जहर बांग्लादेशियों में अब भर चुका है भारत के खिलाफ कि शेख हसीना को तो वो रॉ का एजेंट कहने लगे हैं जब उस ड्राइवर से बात हुई तो वो कहता है कि शेख हसीना तो रॉ की एजेंट थी उनकी जो सिक्योरिटी थी वो तो इंडिया के द्वारा दी हुई थी इस तरह की बातें उनकी WhatsApp यूनिवर्सिटी पर अगर तैर रही हैं तो यह दर्शाता है कि बांग्लादेश में वाकई में एंटी इंडिया सेंटीमेंट बहुत हावी हो चुका है वो लोग इस बात से खुश हैं कि शेख हसीना चली गई है 

बांग्लादेश की अगली चाल: चीन की ओर बढ़ता कदम?

अब हमारे यहां पर भ्रष्टाचार मुक्त शासन है शेख हसीना की वजह से भ्रष्टाचार था शेख हसीना भारत के लिए पैसे कमाया करती थी ये बातें जानकर के थोड़ा अचरज हुआ कि किस तरह से ये फीडिंग इन लोगों के दिमाग में दी गई है बट एनीवे जिस तरह से दोनों का संचार सिस्टम है वो अपनी-अपनी बातें रख रहे हैं फिलहाल भारत को जिस तरह से ये लोग डिनाई करते हैं कि भारत तो हमारे यहां प्रोपोगेंडा चला रहा है वो प्रोपोगेंडा का असली ज्ञान इनको पाकिस्तान ने दे रखा है जैसे पाकिस्तान में भारत के खिलाफ ये प्रोपोगेंडा चलाया जाता है कि हम तो कभी भारत से हारे ही नहीं इतने सारे जो युद्ध हुए हैं ये भारत ही हारा है हमने तो कभी सरेंडर किया ही नहीं अगर आप पाकिस्तानियों से पूछ लें कि भैया क्या भारत वालों ने 1 लाख फौजियों की बेल्ट उतरवा दी थी क्या तो वो मना कर देते हैं कि नहीं नहीं ऐसा तो कुछ नहीं था ये तो कुछ था ही नहीं शिष्टाचार भेंट थी तो पाकिस्तान में जिस तरह से गलत नैरेटिव बनाया जाता है वही भाव अब इनको मिल रहा है खैर जो भी हो ये फिलहाल चाइना जाने वाले हैं और हम लोग इस बात के इंतजार में हैं कि कोई बात नहीं तुमने पड़ोस छोड़कर के वही गलती की है जो कभी मुईज्जू ने की थी भारत की जगह वो भी चाइना गए थे अब तुम भी उस पद पर हो आने वाले समय में तुम भी वैसे ही सरेंडर करोगे और आकर तारीफों में गुणगान करोगे कि भारत तुम्हारे बिना कुछ नहीं हम केवल वेट एंड वॉच ही कर रहे हैं हम इंतजार में हैं क्योंकि तुमने पहले भी बहुत सी गलतियां की हैं आने वाले समय में क्या होता है ये देखना होगा फिलहाल के लिए तो एक ही लाइन है कि भारत इस पूरे मसले पर नजर बनाए हुए हैं आने वाले समय में जो भी हो हम आपको अपडेट जरूर देंगे।


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